2 साल के बच्चे को कैसे पढ़ना सिखाएं? - 2 saal ke bachche ko kaise padhana sikhaen?

बच्चे के पैदा होने के साथ ही उसके भविष्य के बारे में प्लानिंग करना शुरू हो जाता है और माता पिता एवं परिवार उसके एजुकेशन के बारे में सोचने लगते हैं। बच्चा जब 2 से 3 साल का हो जाता है तब से ही बच्चे को पढ़ाने के बारे में चिंतन आरंभ हो जाता है। बच्चे को एलकेजी में कैसे पढ़ाएं या फिर बच्चा 3 से 5 साल का हो जाता है तो बच्चे को कैसे पढ़ाया जाए, यह माता पिता के लिए एक विचार विनिमय का और गंभीर प्रश्न खड़ा हो जाता है। छोटे बच्चे को कैसे पढ़ाएं?

छोटे बच्चे को LKG में कैसे पढ़ाया जाए? बच्चे को 3 साल में कैसे पढ़ाया जाए या फिर बच्चा 5 साल का हो गया है तो छोटे बच्चे को कैसे पढ़ाएं यह प्रश्न अक्सर माता-पिता को परेशान करता है तो आज इस पोस्ट में हम जानेंगे कि 3 साल से लेकर 6 साल तक के बच्चे को किस तरह पढ़ाया जाए जिससे वह अपने समान छोटे बच्चों की तरह बुद्धि और प्रतिभा मे समानता या अधिकता प्राप्त कर सकें।

और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, बच्चे के मनोभावों को समझना और उसको समझाना तो इस पोस्ट में उन सब सवालों के के जवाब हैं।

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाएं? एल के जी एवं 3 साल से लेकर के 6 साल तक के छोटे बच्चे को समझने और पढ़ाने के बेहतरीन तरीके उदाहरण के साथ।

छोटे बच्चों की श्रेणी हम 2 साल से लेकर 6 साल तक मान सकते हैं। छोटे बच्चों जैसे एलकेजी, यूकेजी और पहली क्लास अर्थात 2 से 6 साल तक के बच्चों को कैसे और क्या पढ़ाया जाए, इस बारे में हम निम्न बिंदुओं के अंतर्गत अध्ययन करेंगे।

  1. 2 साल के बच्चे को क्या पढ़ाना चाहिए
  2. एलकेजी के बच्चों को कैसे पढ़ाएं
  3. 3 साल के बच्चे को क्या और कैसे पढ़ाएं
  4. 4 साल के बच्चे को क्या और कैसे पढ़ाएं
  5. 5 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं
  6. 6 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं
2 साल के बच्चे को कैसे पढ़ना सिखाएं? - 2 saal ke bachche ko kaise padhana sikhaen?

2 sal ke bacche ko kya padhaayen

छोटे बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास एक निश्चित गति से होता है, हालांकि अलग-अलग बच्चों में यह बौद्धिक विकास भिन्न भिन्न हो सकता है। बच्चा जन्म के आरंभ से ही सीखने की प्रक्रिया प्रारंभ कर देता है, अपने आसपास के वातावरण और परिचितों को पहचानने लगता है और उसके अनुसार क्रिया प्रतिक्रिया करने लगता है।

2 साल का बच्चा सहज रूप से सीखता है इसलिए उस पर किताबी ज्ञान का अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहिए। अक्षर ज्ञान या संख्या ज्ञान बच्चे को 3 साल के बाद ही सिखाना चाहिए। मौखिक रूप से भले ही आप उसे 1,2,3 समझा सकते हैं। जैसे यह एक रोटी है। बेटा आज तुमने आधी रोटी खाई। बेटा यह पूरी एक रोटी खा लो। मैं दो रोटी खाती हूं। बेटा तुम्हारी दीदी तीन रोटी खाती है, आदि आदि करके बच्चा धीरे-धीरे समझने लगता है एक और दो क्या है?

2 साल के बच्चे को लिखना सिखाने की आवश्यकता नहीं है परंतु उसे विभिन्न प्रकार के चित्र आदि दिखा सकते हैं जिससे वह चित्र में चित्र और अपने आसपास की चीजों को पहचानने लगेगा। जैसे आपने उसे चम्मच गिलास का चित्र दिखाया और ऐसा ही वह रसोई में देखेगा। या फिर उसे आपने आइसक्रीम समोसा या अन्य कोई खाद्य पदार्थ लड्डू आदि का चित्र दिखाया और यही चीजें वास्तविक रूप में देखेगा तो वह उन चीजों को समझने और भेद करने में सक्षम होगा।

बच्चा आपके आसपास के कुत्ते बिल्ली कबूतर आदि सभी जानवरों को जानता है पर जब वह इनको चित्र में देखेगा तो आप से विभिन्न सवाल पूछेगा। फिर उसे धीरे-धीरे पता चलेगा कि यह चित्र में है और वास्तविक बिल्ली, कबूतर आदि बाहर हैं। बच्चा तरह-तरह के सवाल पूछेगा इसलिए धैर्य के साथ जवाब दें।

2 साल के बच्चे को इस तरह से सिखाएं

  • भिन्न-भिन्न वस्तुओं के नाम बोलने का अभ्यास कराएं
  • भाई बहन बुआ मामा मामी दादा दादी संबंधों का ज्ञान करवाएं
  • घर में रखी घरेलू वस्तुओं को जानने और बोलने का अभ्यास कराएं
  • पेड़ पौधों एवं आसपास के वातावरण से परिचित कराएं तथा वस्तुओं में अंतर संबंध समझाएं
  • छोटे-छोटे तथा परंपरागत खेल खिलाएं क्योंकि खेलों के माध्यम से बच्चा आश्चर्यजनक रूप से सीखता है।
  • जितना हो सके मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक सामान से दूर रखें
  • गेम खेलने या कार्टून देखने की आदत नहीं पनपने दें।
  • नैतिक शिक्षा जैसे बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता एवं अन्य रिश्तेदारों को प्रणाम करने की शिक्षा दें
  • दोस्तों के साथ खेलने में लिंग भेदभाव न करें बल्कि अपने हम उम्र साथियों के साथ खेलने दे
  • बच्चे को खेल खेल में खेल भावना जैसे सहयोग, विद्वेष एवं क्रोध न करने तथा सहनशीलता की शिक्षा दें
  • कागज या सीट पर चित्र बनाने, विभिन्न आकारों की कटिंग करने जैसी रचनात्मक क्रियाएं सिखाएं।

2 साल के बच्चे के लिए इस प्रकार के काफी सारे कार्य किए जा सकते हैं और सहज रूप से सिखाते हुए उनकी बुद्धि का तीव्र विकास किया जा सकता है। 2 साल के बच्चे पर किताबी ज्ञान या कुछ रटने आदि की प्रवृत्ति पर बिल्कुल जोर नहीं देते हुए सहज रूप से पढ़ाएं।

एलकेजी के बच्चों को कैसे पढ़ाएं

ढाई साल के बच्चे का स्तर LKG से प्रारंभ हो जाता है। एलकेजी अर्थात Lower kindergarten. यहां से बच्चे की पूर्व प्राथमिक शिक्षा आरंभ कर देनी चाहिए। आधुनिक शिक्षाविदों का भी मानना है कि 3 साल के बाद बच्चे को विधिवत और सहज रूप से शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

2 साल के बच्चे को कैसे पढ़ना सिखाएं? - 2 saal ke bachche ko kaise padhana sikhaen?

यह शैशव अवस्था का आरंभिक काल होता है इसलिए एलकेजी स्तर पर बच्चे को नवीन और गूढ़ ज्ञान ग्रहण करने की उत्सुकता और क्षमता होती है। एलकेजी स्तर का बच्चा अपने आसपास के परिवेश, अपनी आवश्यकताओं और कठिनाइयों को समझने लगता है और परस्पर दो भिन्न स्थितियों की तुलना करने लगता है हालांकि इस अवस्था में सामंजस्य की भावना विकसित नहीं होती परंतु बच्चा दो विभिन्न परिस्थितियों में से किसी एक को स्वीकार और किसी एक को नकार सकता है।

एलकेजी स्तर के बच्चे को किसी भी प्री प्राइमरी अच्छे स्कूल में प्रवेश दिला सकते हैं परंतु इसके लिए विद्यालय के स्टैंडर्ड एवं बालक की वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए एक अच्छे विद्यालय का चयन किया जाना चाहिए।

पहले पूर्व प्राथमिक कक्षाएं नहीं चलती थी परंतु वर्तमान में बच्चों की आयु और सीखने के स्तर को देखते हुए विभिन्न प्री प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को बहुत ही स्टैंडर्ड और आधुनिक तरीकों से सिखाया जाता है। सरकार भी इस बात को जानती है इसलिए जगह जगह पर पूर्व प्राथमिक शिक्षा केंद्र या आंगनवाड़ी केंद्र खोले गए हैं।

पाश्चात्य देशों में किंडर गार्डन के बच्चों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है और उनकी शिक्षा व्यवस्था एक बेहतरीन और सिस्टेमैटिक तरीके से की जाती है परंतु हमारे भारत देश में अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में छोटे बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता।

एलकेजी में 3 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं

3 साल के बच्चे के लिए विधिवत शिक्षा आरंभ कर देनी चाहिए। 3 साल के बच्चे को स्कूल और घर पर कैसे पढ़ाएं, इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

आपका बच्चा यदि 3 साल का हो गया है तो ज्यादा चिंतित ना हो, उसका प्रारंभिक स्तर है और सीखने के लिए बहुत सारी अपार संभावनाएं हैं इसलिए मन में कभी भी ऐसी भावना न पालें कि मेरा बच्चा पीछे रह जाएगा या जिंदगी में आगे कुछ नहीं कर पाएगा, प्री प्रारंभिक शिक्षा का महत्व है परंतु इतना भी नहीं कि किसी की योग्यताओं को असफल कर सकें। यह सीखने का प्रारंभिक स्तर है, सहज भाव से सीखने दें परिणाम आपकी प्रत्याक्षा से अधिक होगा।

  • बच्चे के लिए सबसे अच्छा विद्यालय का चयन करें
  • बच्चे की मानसिक परिस्थिति और परिवार के स्तर के अनुसार उसे एलकेजी में प्रवेश दिलवाएं
  • बच्चे को स्कूल जाने के लिए सकारात्मक मोटिवेट करें, डराएं नहीं।
  • ऐसी स्कूल में दाखिला करवाएं जो आपके आसपास हो और आप जाकर बच्चे को संभाल सके। उसे स्कूल छोड़ने और स्कूल से वापस ला सके।
  • बच्चे का लंच बॉक्स जरूर तैयार करें
  • उसे अपनी मनपसंद ड्रेस पहनने दें।
  • विद्यालय से जो भी सीख कर आता है उसे सकारात्मक मोटिवेशन दें यदि कोई गलती करता है तो उसे नकारात्मक मोटिवेशन दें।
  • शिक्षकों सहपाठियों और सभी की तुलना करने दें

इस अवस्था में बच्चे सवाल बहुत करते हैं इसलिए उनके प्रत्येक प्रश्न का धैर्य के साथ जवाब दें और उन्हें सामाजिक तथा नैतिक बनाने की सोचें।

3 साल के बच्चे को ऐसे पढ़ाएं

  • खेलों के माध्यम से गिनती करना सिखाएं
  • ABL Kit से पढ़ाएं
  • ABL Kit से बालक में मनोरंजन और उत्सुकता तथा पढ़ने में रूच बढ़ेगी
  • विभिन्न मनोरंजक और सीखने दायक खेल खिलाएं
  • समूह में खेल खेलना जेसी गतिविधि करें
  • बच्चों के ढेर सारे सवालों के सही जवाब दें टरकाने की कोशिश न करें भले ही आप कितने भी बोर हो जाएं
  • अक्षर ज्ञान कराने के लिए कोई अच्छी और बड़ी वाली पुस्तक से लिखने और बोलने का अभ्यास करवाएं।
  • धैर्य न खोएं, बालक प्रारंभ में धीरे सीखता है और आप के कहने पर भी अक्षरों को बिगाड़ देगा इसलिए बार-बार अभ्यास करें
  • एक चीज 10 बार बतानी पड़े तो बताएं बाद में यही बच्चा आपके कान काट लेगा।
  • गिनती सिखाने के लिए कुछ वस्तुओं या चीजों का आदान प्रदान करें और उन्हें बोलने का अभ्यास करवाएं
  • गलती करे तो कान पकड़कर सॉरी बोलना और धन्यवाद(Thanks) कहना सिखाएं।
  • बच्चे को गुड मॉर्निंग या गुड नाइट जैसे रोजमर्रा के शब्द बोलना सिखाएं

एक तरह से 3 साल के बच्चों को सामान्य और अक्षर ज्ञान तथा संख्याओं का आरंभिक ज्ञान देना चाहिए परंतु इसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई कठिन शब्द या वर्ण है या कोई कठिन संख्या है तो उसे बाद में सिखाएं पहले उसे सामान्य और सीधे तौर पर लिखे जाने वाले वर्णों और अक्षरों का ज्ञान करवाना चाहिए।

4 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं

4 साल के बच्चे में अद्भुत क्षमता विकसित हो जाती है वह अपने आप सीखने लगता है। खास तौर से अनुकरण करके। इसलिए 4 साल के बच्चे के सामने जो भी एक्टिविटीज करें उन्हें वह बहुत जल्दी अनुकरण करके सीखता है।

2 साल के बच्चे को कैसे पढ़ना सिखाएं? - 2 saal ke bachche ko kaise padhana sikhaen?

प्राय: माता-पिता या अभिभावक इस उम्र में बच्चे पर ध्यान नहीं देते हैं और बहुत सारी गलत बातें भी वह इसलिए सीख जाता है क्योंकि माता-पिता या परिवार या आसपास के परिवेश में कोई इस तरह से कर रहा होता है। जैसे झूठ बोलना, चोरी करना या धूम्रपान अथवा कोई मादक पदार्थों का सेवन।

इसलिए 4 साल के बच्चे के सामने कभी भी ऐसे कार्य नहीं करना चाहिए और ध्यान रखें कि इस उम्र में बालक वही बोलता और सीखता है जिस तरह से आप बोल रहे हैं या कर रहे हैं इसलिए चार साल के बच्चे के सामने इस तरह का व्यवहार न करें।

  1. 4 साल के बच्चे के सामने परिवार के किसी व्यक्ति की बुराई नहीं करनी चाहिए
  2. किसी की भी चुगली नहीं करनी चाहिए
  3. अपशब्दों या गालियों का यूज़ नहीं करना चाहिए
  4. परिवार में किसी के बारे में गलत राय बच्चे को नहीं देनी चाहिए
  5. किसी भी चीज के बारे में गलत जानकारी नहीं देना चाहिए
  6. भूत आदि काल्पनिक चीजों के बारे में वहम पैदा करने या डराने की कोशिश नहीं करनी चाहिए
  7. किसी के सामने उसे सम्मान देना या मीठा बोलना और पीछे से उसके बारे में बुराई करना बच्चों के सामने नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे में गलत दृष्टिकोण का विकास होता है।
  8. शिक्षाओं का लम्बा उपदेश देने से बचना चाहिए कि इसके स्थान पर व्यक्तिगत आचरण को अधिक महत्व दें
  9. बच्चों को नैतिक शिक्षा की कहानियां अवश्य सुनानी चाहिए।कहानियों के माध्यम से बच्चों में नैतिक शिक्षा का विकास होता है
  10. बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में अवश्य बताना चाहिए और समझाना चाहिए कि समाज में कुछ लोग दुष्ट प्रकृति के होते हैं जिन से बच कर रहना चाहिए
  11. अनजान व्यक्ति से कोई चीज लेने या किसी के बहकावे में आकर उसके साथ जाने जैसी घटनाएं आजकल बहुत होने लगी हैं इसलिए बच्चों को इसके प्रति सावधान करना चाहिए।

4 साल के बच्चे में नैतिक और अच्छे गुणों का विकास हो सके इसलिए उसके सामने इस तरह का व्यवहार करना चाहिए।

  1. बच्चे की छोटी-छोटी जिज्ञासाओं को शांत करें
  2. बालक की कोमल भावनाओं को सम्मान दें
  3. गलती करने पर दंड देने की बजाय समझाने का प्रयास करें
  4. अत्यधिक मात्रा में या कभी भी बार-बार पिटाई करने से बचना चाहिए
  5. बच्चे को मानसिक रूप से हतोत्साहित करने की बजाय उसे मानसिक रूप से सुदृढ़ करने का प्रयास करें
  6. बच्चे को आराम से ही सिखाना चाहिए कि इस कार्य को किस तरीके से करना चाहिए और उसका क्या परिणाम होता है
  7. बच्चे के मानसिक संवेग जैसे क्रोध करना, रुठना, बाल हठ करना,शिकायत करना में नियंत्रण और संतुलन करने का प्रयास करना चाहिए।
  8. बच्चे को अपने साथियों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार के बारे में सकारात्मक मोटिवेशन देना चाहिए
  9. बच्चे को पर्याप्त रूप से खेलने देना चाहिए,अकेले या अपने साथियों के साथ,परंतु इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूर ही रखने का प्रयास करें
  10. बच्चे को संगीत नृत्य या खेलकूद आदि में रुचि रखने पर डांटना नहीं चाहिए परंतु सभी कार्यों के बीच में संतुलन बनाए रखने को अवश्य कहें।

5 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं

3 से 4 साल का बच्चा जहां पर यह सीखता है कि कौन क्या है उसी प्रकार 5 से 6 साल के बच्चे के मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि यह अमुक चीज वस्तु या क्रिया क्यों और कैसे हैं?

5 साल के बच्चे की जिज्ञासा उत्तरोत्तर बढ़ती जाती है और वह सवाल में से भी पूरक सवाल पूछने लगता है इसलिए उसके सवालों का तब तक जवाब देना चाहिए जब तक कि वह संतुष्ट ना हो जाए। बच्चा दो ही परिस्थितियों में संतुष्ट होता है जब या तो वह अपने प्रश्नों का उत्तर पा जाता है या उसका दिमाग समझने में समर्थ नहीं होता तो वहीं दूसरी चीजों पर ध्यान हटाने की कोशिश करता है या फिर जब उसे आपके द्वारा समझाए की प्रक्रिया समझ में नहीं आती तब भी वह दूसरी चीजों पर ध्यान लगाने की कोशिश करता है और उस टॉपिक को छोड़ देता है।

बच्चे निरंतर जिज्ञासु होते हैं इसलिए 5 साल की उम्र में बहुत ही ज्यादा सवाल करते हैं इसलिए उनकी जिज्ञासाओं का समझ बूझ के साथ जवाब देना चाहिए परंतु उसे निराश करने या डांटने से उसके सवाल तो खत्म नहीं होंगे परंतु उसका दिमाग नेगेटिव चीजों में डाइवर्ट होगा इसलिए उसे जहां तक संभव हो सरल भाषा में और आत्मीयता के साथ समझाने की कोशिश करें।

5 साल के बच्चे को पढ़ाने के टिप्स

5 साल तक के बच्चे को हिंदी अंग्रेजी एवं गणित तथा मानसिक बुद्धिमता बढ़ाने संबंधी ज्ञान देना चाहिए। 5 साल के बच्चे की सीखने की आरंभिक अवस्था होती है इसलिए उसको छोटे-छोटे शब्दों में और उदाहरणों के माध्यम से समझाना चाहिए।

2 साल के बच्चे को कैसे पढ़ना सिखाएं? - 2 saal ke bachche ko kaise padhana sikhaen?

5 साल के बच्चे को हिंदी पढ़ाने के टिप्स

  1. 5 साल के बच्चे को हिंदी अक्षरमाला और अक्षरों, वर्णों की एवं मात्राओं की पहचान हो जाती है
  2. 5 साल के बालक को छोटे-छोटे और सरल वाक्य लिखना और पढ़ना सिखाएं
  3. हिंदी में विभिन्न वर्णों की बनावट का तुलनात्मक ज्ञान देवें
  4. विभिन्न अक्षरों और शब्दों का चार्ट बनाकर समझाएं
  5. साधारणतया बोले जाने वाले शब्दों और अनुनासिक शब्दों का उच्चारण के साथ ज्ञान करावे
  6. बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी पुस्तकों के साथ अक्षर ज्ञान और वर्णमाला के सही उच्चारण का अभ्यास करवाएं
  7. हिंदी में विभिन्न अक्षरों को जोड़ने और उससे बनने वाले शब्द तथा उसका व्यावहारिक जीवन में अर्थ समझाएं
  8. ABL kit के माध्यम से बालकों को समूह में बैठा कर विभिन्न क्रियाकलाप करवाएं
  9. अधिक से अधिक हिंदी बोलने व लिखने का अभ्यास करवाएं जिससे इनकी लेखनी में सुधार होगा और उसके साथ ही उच्चारण में स्पष्टता आएगी।
  10. विभिन्न सहायक सामग्री जैसे चार्ट, चित्र प्रदर्शन और लेखन मॉड्यूल का अभ्यास करवाएं।

हिंदी भाषा सभी विषयों को सीखने का आधारभूत ज्ञान है इसलिए हिंदी में सही उच्चारण और समझ के साथ ही बालक में अन्य विषयों को समझने और पढ़ने आदि की योग्यता उत्पन्न होगी। यदि बालक लिखे हुए को अच्छी तरह से पढ़ नहीं पाएगा या पढ़ने में त्रुटि करेगा तो अन्य विषयों को समझने में भी उसे कठिनाई होगी।

5 साल के बालक को गणित पढ़ाने के टिप्स

3 से 4 साल की उम्र में बालक गिनती बोलने का प्रारंभिक ज्ञान ही सीख पाता है इसलिए विभिन्न संख्याओं में तुलना करना उसे ज्ञात नहीं होता है। उसे घर पर ही 3 या 4 साल के बीच में यह सिखाएं कि 1 या 3 में क्या फर्क होता है। 5 या 10 क्या होता है। यह हम विभिन्न उदाहरणों के द्वारा समझा सकते हैं जैसे हमारे रोजमर्रा घर में काम आने वाली सामग्री या फिर रुपयों की गिनती से। जैसे यह आइसक्रीम ₹10 में आती है या फिर यह आइसक्रीम ₹20 में आती हैं, यह समझाने के लिए बालक को पैसे देकर अलग-अलग नोट में फर्क करना समझाएं। शुरू में बालक 1,2,5 या 10 सबको एक ही समझता है। परंतु धीरे-धीरे व्यवहारिक जीवन में देखने और प्रयोग करने से वह इस अंतर को समझने लगता है।

  1. 5 साल के बच्चे को गिनती बोलना और लिखना सिखाएं
  2. विभिन्न अंक संख्या लिखना और पहचानना सिखाएं
  3. यदि हो सके तो अंको को अंको में और शब्दों में लिखना और पढ़ना सिखाएं
  4. विभिन्न वस्तुओं को बालक के सामने रखकर उसको गिनना सिखाएं
  5. विभिन्न वस्तुओं को एक दूसरे में मिलाकर उन्हें जोड़ना और बाकी निकालना सिखाएं
  6. 5 साल का बच्चा भाग देना या गुणा करना नहीं सीख पाएगा परंतु उसे जोड़ना और घटाना सिखाना चाहिए
  7. घर में रखी विभिन्न वस्तुओं को गिनकर बताने का अभ्यास करवाएं इससे बालक जल्दी सीखता है
  8. संख्याओं को समझने, जोड़ने घटाने आदि के लिए विभिन्न चार्ट या वस्तुओं आदि का प्रयोग कर सकते हैं
  9. गणित एक तार्किक विषय है इसलिए बच्चे को रटाने के बजाय समझने और अपने मस्तिष्क से हल निकालने का अवसर देना चाहिए।
  10. छोटी-छटी गणितीय गणनाओं को रटाने के बजाय उन्हें अपनी तार्किक क्षमता से हल करने दें।

गणित एक तार्किक और वैज्ञानिक विषय है इसलिए कभी भी बालकों को मैथ के सवाल रटने के लिए नहीं देने चाहिए। रटने से बालकों की स्वाभाविक मनोवृति अवरुद्ध होती है। वैसे तो किसी भी विषय में रटने या बार-बार स्मरण करने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना चाहिए क्योंकि जबरदस्ती रटकर अभ्यास किया गया सवाल या अन्य चीजें उनके दिमाग में स्थाई नहीं रहती हैं और थोड़े समय के बाद ही बालक इन सब को भूल जाता है।

मैंने देखा है, प्राय छोटे बालकों को बार-बार गिनती या पहाड़े रटाए जाते हैं। यहां तक कि छोटे बालकों को 1 से लेकर 40 तक के पहाड़े बराबर कंठस्थ करवाए जाते हैं जबकि आप जानते हैं कि गणित के विषय में 20 के बाद पहाड़े रटवाने का कोई औचित्य नहीं है और बालक अगली कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते इन सब को भूल भी जाता है।

आप किसी भी बड़े गणितीय विशेषज्ञ या मैथ के टीचर को देख लें वह भी 20 के बाद 40 तक के पहाड़े को कभी काम में नहीं लेता क्योंकि गणितीय संकल्पना को हल करने के लिए इन पहाड़ों की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

इसलिए हमारे ग्रामीण और कम जानकार माता-पिता के द्वारा यही समझा जाता है कि गणित में 40 तक के पहाड़े रखना आवश्यक है जबकि सभी गणितीय संकल्पनाओं को हल करने के लिए विभिन्न सूत्रों और उनकी संकल्पनाओं को समझना आवश्यक है।

6 साल का बच्चा विद्यालय में जाना प्रारंभ कर देता है परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि अभिभावकों की समस्याएं समाप्त हो गई हैं। 6 साल का बच्चा विद्यालय में जो भी पढ़ कर आएगा उससे संबंधित सवाल आपसे ही पूछेगा, इसलिए उसकी समस्याओं का समाधान आपके सिवा कोई नहीं कर पाएगा।

6 साल के बच्चे को पढ़ाने के लिए जरूरी टिप्स और उसके आचरण व्यवहार आदि के बारे में थोड़ा आप को समझना जरूरी होता है क्योंकि अभी बच्चा कुछ नया सीखने के स्टेज में है और उसके मन में बहुत सारी उत्सुकताएं हैं।

इस उम्र में बच्चे का व्यवहार बदलता है, वह अपने आप आसपास की चीजों को समझने और उन पर प्रतिक्रिया देने के लिए तत्परता से तैयार रहता है, उसे सही और गलत का थोड़ा-थोड़ा अभ्यास होने लगता है।

  1. बच्चा जो भी क्रिया करें उसका सकारात्मक प्रोत्साहन दें
  2. इस उम्र में वह खुद ही पढ़ना लिखना शुरू करेगा, आप उसे प्रोत्साहित करें
  3. बच्चे के स्वभाव, आदतों आदि के बारे में शिक्षक को अवश्य बताएं
  4. इस उम्र में बच्चे को पढ़ने के साथ-साथ खेलकूद एवं अन्य गतिविधियां समान रूप से करने दें बस सभी में सामंजस्य बनाकर रखें
  5. वह जिस विषय को अधिक रुचि के साथ पढ़ना चाहता है, पहली प्राथमिकता से उसी विषय को पढ़ने दें
  6. उद्दंड या शरारते करने पर थोड़ा नियंत्रण रखें या बच्चे को काबू में अवश्य रखें
  7. मोबाइल या अन्य डिजिटल सामग्री से उसे दूर रखने का प्रयास करें क्योंकि इस उम्र में बच्चा इनकी तरफ अधिक आकर्षित होता है।
  8. बच्चा यदि मोबाइल बहुत ज्यादा देखता है (कि प्रायः ऐसा होता है) तो उस पर नियंत्रण करें
  9. आप अपने मोबाइल में इस तरह की सेटिंग करें कि किसी भी तरह की अश्लील सामग्री या गलत कंटेंट उस पर डाउनलोड न हो पाए, आजकल गूगल ने इस तरह का सिस्टम स्थापित कर दिया है कि अभिभावक अपने बच्चे के द्वारा संबंधित डिवाइस के माध्यम से देखे जा रहे कंटेंट और सामग्री का निरीक्षण कर सकते हैं और उस पर रोक भी लगा सकते हैं
  10. आप गूगल फैमिली फिक्स को प्रतिबंधित करने की सेटिंग कर सकते हैं और बच्चे की आईडी बनाकर उससे लॉगिन करने आदि का सिस्टम भी कर सकते हैं
  11. ऑनलाइन क्लासेज का जमाना है और अभिभावक बच्चों को कार्टून या अन्य सामग्री के बजाय पढ़ाई से संबंधित सामग्री ही मोबाइल पर दिखाना चाहते हैं ताकि बच्चा मोबाइल भी देख ले और उसे ज्ञान भी प्राप्त हो, यदि आप भी ऐसा करते हैं तो भी ध्यान रखें कि बच्चा किसी गलत लिंक पर जाकर गलत सामग्री तक न पहुंचे। इसके लिए आप अपने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में कुछ जरूरी सेटिंग्स कर सकते हैं।

6 साल के बच्चे को घर में पढ़ाने के टिप्स

  • स्कूल से दिया गया होमवर्क उसे स्वयं करने दें
  • स्कूल के होमवर्क में आप उसकी सहायता करें परंतु लिखने और समझने उसे ही दें
  • हिंदी और अंग्रेजी में व्याकरण या ग्रामेटिकली मिस्टेक करता है तो उसका बार-बार अभ्यास करवाएं
  • घर में खरीदी गई वस्तुओं का मूल्य और शेष करना सिखाए
  • घर में रोज आने वाले अखबार को पढ़ाएं जिससे पढ़ने के साथ-साथ बुद्धि का विकास होगा
  • घर के परिवार के सदस्यों के साथ अपने घर की लैंग्वेज की बजाए अंग्रेजी और शुद्ध हिंदी में बोलने का अभ्यास करवाएं
  • अब जोड़ने और घटाने के अलावा धीरे धीरे गुणा करना और भाग करना सिखाए
  • संपूर्ण परिवार के सामने बच्चे को खड़ा करके बोलने का अभ्यास करवाएं
  • टीवी में विभिन्न समाचार दिखा कर उन पर अपनी राय प्रकट करने को कहें।
  • बालक को अधिक से अधिक अपने विचार परंतु सामूहिक रूप से प्रकट करने को कहें।

यह पोस्ट अभी समाप्त नहीं हुई है प्रियगण छोटे बालकों के अभिभावकों। अभी इस पर और भी विस्तृत विचार-विमर्श किया जाना है। अभी यहां पर दिए गए विचार छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाएं यह पूरे नहीं हुए हैं।

बड़ों की बजाए छोटे बच्चों को पढ़ाना बहुत कठिन कार्य है और उससे भी अधिक दुष्कर कार्य है छोटे बच्चों की मानसिकता को समझना। छोटे बच्चों को पढ़ाने से पहले हमें पूर्णतया उनकी मानसिकता को समझना होता है, इस पर अभी और भी लेख प्रस्तुत करेंगे। अभी हमने एलकेजी के बच्चे को कैसे पढ़ाएं या फिर 2 से 3 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं, इस पर विचार मंथन किया है।

हमारे बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं वैसे वैसे हमें उनकी पढ़ाई की चिंता सताने लगती है, इसलिए जरूरी है कि उनकी पढ़ाई पर शुरू से ही ध्यान दिया जाना चाहिए। बच्चा जब 4 से 5 या 6 साल का हो जाता है तो हमें उसकी पढ़ाई की चिंता बहुत ज्यादा परेशान करने लग जाती हैं। हम उसके लिए अच्छे प्री प्राइमरी स्कूलों की खोज करने लगते हैं और ट्यूशन के बारे में सोचने लगते हैं। इसलिए हमें ज्यादा विचार नहीं करना चाहिए कि 3 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं या 4 साल के बच्चे को कौन से स्कूल में दाखिला दे

आजकल बहुत ज्यादा कंपटीशन हो गया है और प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट भी बच्चों की पढ़ाई पर कम और दिखावे पर ज्यादा ध्यान देता है क्योंकि इससे उन्हें आय होती है। लेकिन हां 5 या 6 साल का बच्चा होते होते उसके लिए अच्छे विद्यालय का चयन कर लेना चाहिए। इसलिए आपको जरूर सजग रहकर यह ध्यान रखना चाहिए कि 5 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाएं या फिर 6 साल के बच्चे को कैसे पढ़ाना चाहिए और इनके लिए कौन सा विद्यालय सर्वोत्तम होगा।

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बच्चे को कितने साल से पढ़ाना चाहिए?

सेंट्रल स्कूलों में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए इस सत्र से बच्चों की उम्र को बढ़ा दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कक्षा पहली में पंजीयन के लिए सत्र 2022-23 से बच्चे की उम्र 6 साल कर दी गई है. पिछले साल तक प्रवेश के लिए यह आयु सीमा पांच साल थी। नियम अनुसार एक मार्च 2022 तक उम्र छह साल पूरी होनी चाहिए

बच्चे को क्या सिखाना चाहिए?

घर पर सिखाएं ये चीजें अक्सर हमने देखा है कि माता-पिता अपने बच्चों को स्कूलिंग के पहले अल्फाबेट्स और गिनती सिखाते हैं. यह सिखाने से पहले बच्चों को बॉडी पार्ट्स, शेप, कलर और जानवरों के नाम, बर्ड्स नेम सिखाएं. जिससे बच्चे स्कूल में एकदम ब्लैंक ना हों.