1987 क ह द क ल डर - 1987 ka ha da ka la dar

देशभर में लौटते मॉनसून का कहर देखने को मिल रहा है। पिछले 3-4 दिनों से आसमान से बरस रही आफत से यूपी-बिहार में लोग बेहाल है। बिहार में बारिश से पिछले 102 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है। बिहार में बारिश और बाढ़ की वजह से अब तक करीब 40 लोगों की मौत हो गई है। बिहार की राजधानी पटना भी बाढ़ में डूबी हुई है। सड़कों पर बारिश का पानी भरा हुआ है और उसमें नावें चल रही है। बिहार में लोगों का जीवन ठहर सा गया है। जब राजधानी पटना डूबी तो नीतीश सरकार की नींद खुली और अब पटना समेत पूरे बिहार में राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया है लेकिन सरकार की इस सुस्ती से लोग नाराज है और सरकार की इस कार्य प्रणाली से सुशासन का दावा करने वाली नीतीश सरकार कठघरे में है।

दरअसल बिहार में ऐसा कोई साल नहीं गुजरता जब बाढ़ की विनाश लीला नहीं होती, लेकिन बिहार ने कुछ बाढ ऐसे भी देखे है जिसे भुलाए नहीं भूला जा सकता। इन बाढ़ों ने एक मायने में पूरा बिहार को बर्बादी की हद तक नुकसान पहुंचाया है।

आइए आपको बिहार में अब तक की सबसे खतरनाक बाढ़ों के बारे में भी बताते हैं

2016 में बाढ़ की विनाशलीला

2016 में आई बाढ़ ने बिहार को जल प्रलय में डुबो दिया। इस दौरान 12 ज़िले बुरी तरह बाढ़ की चपेट में रहे। बाढ़ की वजह से 23 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए जिसमें 250 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।

2013 में आई भीषण बाढ़

बिहार में जुलाई 2013 में आई बाढ़ से 200 लोग मारे गए। बाढ़ का असर 20 जिलों में था। जिसमें करीब 50 लाख लोगों के प्रभावित हुए।

2011 में आया था जल प्रलय

2011 में बिहार में आई बाढ़ का असर 25 जिलों में था। इस दौरान 71.43 लाख लोगों के जनजीवन पर बड़ा असर पड़ा। बाढ़ की विभीषिका का अंदाज इसी से लगया जा सकता है कि इसमें 249 लोगों की जान चली गई।

2008 में आया जल का जलजला

बिहार ने 2008 में जल का जानलेवा तांडव देखा। 18 जिले आई बाढ़ ने करीब 50 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। इस विनाशकारी बाढ़ में 258 लोगों की मौत हुई और 34 करोड़ की फसलें खराब हुई।

2007 में बाढ़ से बर्बाद हुआ था बिहार

2007 में बिहार के 22 जिलों में बाढ़ कहर बन कर टूटा था। इस इस जल प्रलय में 1287 लोगों की जान चली गई और 2.4 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। संयुक्त राष्ट्र ने इसे बिहार के इतिहास की सबसे खराब बाढ़ कहा था।

2004 में बिहार में टूटा था कुदरत का कहर

2004 में आई विनाशकारी बाढ़ में बिहार के 20 जिलों के 9,346 गांवों के 2 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे। इस जल तांडव में 885 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 522 करोड़ की फसलों का नुकसान हुआ था।

2002 में बाढ़ की विभीषिका

2002 में बिहार में आई बाढ़ का असर 25 जिलों में था। इस दौरान 489 लोगों की मौत हुई थी। 511 करोड़ से ज्यादा की फसलें तबाह हुईं थी और 8,318 गांव जलमग्न हुए थे।

2000 में बाढ़ की विनाशलीला

2000 में बिहार के 33 जिलों में बाढ़ ने कहर ढाया था।12 हजार से अधिक गांव के बाढ़ की चपेट में आने से 336 लोगों की जान चली गई थी। इस बाढ़ में 83 करोड़ की फसलें तबाह हुईं थी।

1987 में आई थी सबसे भयानक बाढ

बिहार ने 1987 में जिस बाढ़ को झेला उसने बिहार को बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। ये बिहार के इतिहास का सबसे भयानक बाढ़ था।1987 में आई बाढ़ में 30 जिलों के 24518 गांव प्रभावित हुए थे और 1399 लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान बिहार की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान था। इस बाढ़ में 678 करोड़ रुपए की फसलें तबाह हो गई थी।

बिहार एक बार फिर से बाढ़ की विभीषिका को झेल रहा है और इस बार भी पिछले कई सालों की तरह सरकार और प्रशासन की अनदेखी बिहार को डरा रही है

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