Show
आज ही के दिन क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश अफसरों और सैनिकों पर धावा बोल दिया था. इस हमले में 50 से ज्यादा अंग्रेज मारे गए थे.1857 की क्रांति की शुरुआत 25 मई को मंगल पांडे की बगावत से हो चुकी थी. इसके बाद 10 मई को क्रांतिकारियों ने शाम को धावा बोलकर 50 से ज्यादा अंग्रेज अफसरों और सैनिकों की हत्या कर दी. ब्रिटिश हुकूमत काफी मशक्कत के बाद क्रांति का दमन करने में सफल तो हो गई, लेकिन उसे ईस्ट इंडिया कंपनी का क्राउन के साथ विलय समेत भारत में कई बदलाव करने पड़े.अधिक पढ़ें ...
भारत के इतिहास में 10 मई 1857 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. आज ही के दिन मेरठ की छावनी के 85 जवानों की वजह से देश में ब्रिटिश हुकूमत (British Raj) के खिलाफ और आजादी के लिए पहली चिंगारी फूटी थी. इतिहासकार लिखते हैं कि 1857 की क्रांति की तैयारी कई साल से की जा रही थी. नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झांसी, तांत्या टोपे, कुंवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति (Revolution) की भूमिका तैयार करने में जुटे थे. यही नहीं, इंग्लैंड (England) के दुश्मन देश रूस (Russia) और ईरान (Iran) ने समर्थन का भरोसा दिया था. सैनिकों के विद्रोह के बाद किसान, मजदूर, कास्तकार और आदिवासियों ने करीब ढाई साल तक इस आंदोलन को थमने नहीं दिया था. गाय और सुअर की चर्बी लगे कारतूस चलाने से मना करने वाले सैनिकों के कोर्ट मार्शल के बाद क्रांतिकारियों ने उग्र रूप अख्तियार कर लिया और 50 से ज्यादा अंग्रेजों की हत्या कर दी थी. इस क्रांति के बाद भी अंग्रेजों ने भारत पर 9 दशक तक शासन किया, लेकिन क्रांति का दमन करने के दौरान ब्रिटिश क्राउन को भारत में काफी बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा था. क्रांति में साथ
नहीं देने वाली रियासतों को सम्मानित किया गया देश की आजादी की पहली क्रांति के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का विलय ब्रिटिश क्राउन के साथ कर दिया गया. साथ ही भारत में नई कानून व्यवस्था लागू की गई. ईस्ट इंडिया कंपनी का विलय ब्रिटिश क्राउन के साथ किया गया अंग्रेज भारतीय सेना का फिर से गठन करने को मजबूर हुए सैनिकों की ओर से 1857 में शुरू हुई क्रांति की आग पूरे देश में फैला. लोगों ने इसे ढाई साल तक शांत नहीं होने दिया था. 10 मई की शाम को 50 से ज्यादा अंग्रेजों कह हत्या हुई क्रांतिकारियों ने 14 मई को दिल्ली पर कर लिया कब्जा ये भी देखें: जानें हांगकांग ने कोरोना वायरस की सेकेंड वेव को कैसे कर लिया काबू इस बीमारी के मरीजों में कोरोना संक्रमित होने पर तीन गुना बढ़ जाती है मौत की आशंका तो इसलिए चमगादड़ कोरोना वायरस शरीर में होते हुए भी नहीं पड़ते हैं बीमार जानें कौन हैं कोरोना संकट के बीच गुजरात भेजे गए डॉ. रणदीप गुलेरिया अब घर पर ही लार से किया जा सकेगा कोरोना टेस्ट, अमेरिका में नई टेस्ट किट को मिली मंजूरीundefined ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी | Tags: Army, British Raj, History, Independence day, Mangal Pandey, Meerut news, Revolution of 1857 FIRST PUBLISHED : May 10, 2020, 11:23 IST 1857 की क्रांति के बाद भारत में क्या बदलाव हुए?1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश अधिकारी पहले से ज्यादा सजग हो गए और उन्होंने आम भारतीयों के साथ संवाद बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दीं. इससे पहले उन्होंने विद्रोह करने वाली सेना को भंग कर दिया. प्रदर्शन की क्षमता के आधार पर सिखों और बलूचियों की सेना की नई पलटनें बनाई गईं. ये सेना भारत की स्वतंत्रता तक कायम रही.
1857 के विद्रोह के क्या परिणाम हुए?1857 की क्रांति से कंपनी शासन का अंत –
1857 के विद्रोह का प्रमुख परिणाम यह रहा कि 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित किया जिसमें भारत में कंपनी के शासन का अंत कर दिया गया और ब्रिटिश भारत का प्रशासन ब्रिटिश ताज (क्राउन) ने ग्रहण कर लिया था।
1857 के विद्रोह का क्या प्रभाव पड़ा?1857 के विद्रोह का प्रभाव | Impact Of Revolt Of 1857
1858 के भारत सरकार अधिनियम के तहत, भारतीय मामलों के नियंत्रण में द्वैतवाद (क्राउन एंड कंपनी) समाप्त हो गया और भारत पर प्रशासनिक नियंत्रण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से क्राउन को स्थानांतरित कर दिया गया।
1857 के विद्रोह के प्रमुख केन्द्र कौन कौन से थे?1857-59 के दौरान हुये भारतीय विद्रोह के प्रमुख गुर्जर केन्द्रों: मेरठ, दिल्ली, जबलपुर, कानपुर, लखनऊ, झाँसी, वर्तमान हरियाणा(पंजाब), राजस्थान से]] और ग्वालियर को दर्शाता सन 1912 का नक्शा। विद्रोह का दमन, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत, नियंत्रण ब्रिटिश ताज के हाथ में।
|