1857 के विद्रोह के बाद क्या परिवर्तन हुए? - 1857 ke vidroh ke baad kya parivartan hue?

1857 के विद्रोह के बाद क्या परिवर्तन हुए? - 1857 ke vidroh ke baad kya parivartan hue?

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आज ही के दिन क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश अफसरों और सैनिकों पर धावा बोल दिया था. इस हमले में 50 से ज्‍यादा अंग्रेज मारे गए थे.

1857 की क्रांति की शुरुआत 25 मई को मंगल पांडे की बगावत से हो चुकी थी. इसके बाद 10 मई को क्रांतिकारियों ने शाम को धावा बोलकर 50 से ज्‍यादा अंग्रेज अफसरों और सैनिकों की हत्‍या कर दी. ब्रिटिश हुकूमत काफी मशक्‍कत के बाद क्रांति का दमन करने में सफल तो हो गई, लेकिन उसे ईस्‍ट इंडिया कंपनी का क्राउन के साथ विलय समेत भारत में कई बदलाव करने पड़े.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : May 10, 2020, 11:26 IST

    भारत के इतिहास में 10 मई 1857 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. आज ही के दिन मेरठ की छावनी के 85 जवानों की वजह से देश में ब्रिटिश हुकूमत (British Raj) के खिलाफ और आजादी के लिए पहली चिंगारी फूटी थी. इतिहासकार लिखते हैं कि 1857 की क्रांति की तैयारी कई साल से की जा रही थी. नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झांसी, तांत्या टोपे, कुंवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति (Revolution) की भूमिका तैयार करने में जुटे थे. यही नहीं, इंग्लैंड (England) के दुश्मन देश रूस (Russia) और ईरान (Iran) ने समर्थन का भरोसा दिया था. सैनिकों के विद्रोह के बाद किसान, मजदूर, कास्तकार और आदिवासियों ने करीब ढाई साल तक इस आंदोलन को थमने नहीं दिया था. गाय और सुअर की चर्बी लगे कारतूस चलाने से मना करने वाले सैनिकों के कोर्ट मार्शल के बाद क्रांतिकारियों ने उग्र रूप अख्तियार कर लिया और 50 से ज्यादा अंग्रेजों की हत्या कर दी थी. इस क्रांति के बाद भी अंग्रेजों ने भारत पर 9 दशक तक शासन किया, लेकिन क्रांति का दमन करने के दौरान ब्रिटिश क्राउन को भारत में काफी बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा था.

    क्रांति में साथ नहीं देने वाली रियासतों को सम्‍मानित किया गया
    1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश अधिकारी पहले से ज्‍यादा सजग हो गए और उन्होंने आम भारतीयों के साथ संवाद बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दीं. इससे पहले उन्‍होंने विद्रोह करने वाली सेना को भंग कर दिया. प्रदर्शन की क्षमता के आधार पर सिखों और बलूचियों की सेना की नई पलटनें बनाई गईं. ये सेना भारत की स्वतंत्रता तक कायम रही. क्रांति में शामिल नहीं होने वाले रियासतों के मालिकों और जमींदारों को लॉर्ड कैनिंग ने 'तूफान में बांध' की संज्ञा दी. उन्हें ब्रिटिश शासन की ओर से सम्मानित भी किया गया. उन्हें आधिकारिक रूप से अलग पहचान और ताज दिया गया. कुछ बड़े किसानों के लिए भूमि-सुधार कार्य भी किए गए. इतिहासकार राधिका सिंह के अनुसार 1857 के बाद औपनिवेशिक सरकार को मजबूत किया और अदालती प्रणाली के माध्यम से अपनी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, कानूनी प्रक्रिया और विधि को स्थापित किया.

    1857 के विद्रोह के बाद क्या परिवर्तन हुए? - 1857 ke vidroh ke baad kya parivartan hue?

    देश की आजादी की पहली क्रांति के बाद ईस्‍ट इंडिया कंपनी का विलय ब्रिटिश क्राउन के साथ कर दिया गया. साथ ही भारत में नई कानून व्‍यवस्‍था लागू की गई.

    ईस्‍ट इंडिया कंपनी का विलय ब्रिटिश क्राउन के साथ किया गया
    राधिका सिंह के मुताबिक, नई कानून व्यवस्था में पुराने ताज और ईस्ट इंडिया कंपनी का विलय कर दिया गया. साथ ही नई दीवानी और फौजदारी प्रक्रिया को नई दंड संहिता के रूप में प्रस्तावित किया गया, जो पूरी तरह से ब्रिटिश कानून पर आधारित थी. सरकार ने 1860–1880 के दशकों में जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र, संपत्ति दस्तावेज और अन्य कार्यों से संबंधित प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिए. इसका उद्देश्य स्थायी, सार्वजनिक रिकॉर्ड और निरीक्षण योग्य पहचान का डाटा तैयार करना था. पहली अखिल भारतीय जनगणना 1868 से 1871 तक हुई. इसमें व्यक्तिगत नामों के बजाय घर में महिलाओं की कुल संख्या के आधार पर गणना की गई. वहीं, भारत में साम्राज्यवादी सत्ता को मजबूत करने के लिए कई दूसरे कदम भी उठाए गए. निरंकुश हो चुकी ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का नाम बदल दिया गया. इसके बाद भारत पर शासन का पूरा अधिकार महारानी विक्टोरिया के हाथों में आ गया.

    अंग्रेज भारतीय सेना का फिर से गठन करने को मजबूर हुए
    इंग्लैंड में 1858 के अधिनियम के तहत एक 'भारतीय राज्य सचिव' की व्यवस्था की गई, जिसकी सहायता के लिए 15 सदस्यों की एक 'मंत्रणा परिषद' बनाई गई. 1864-69 के दौरान वायसराय रहे जॉन लॉरेंस ने भारतीय सेना का फिर से गठन किया. रानी और ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों को आपस में मिला दिया गया. दरअसल, 25 मार्च 1857 को मंगल पांडे (Mangal Pandey) ने बैरकपुर छावनी में गाय और सुअर की चर्बी लगे कारतूसों को इस्‍तेमाल करने से इनकार करते हुए अंग्रेज अफसरों के खिलाफ विद्रोह किया. इसके बाद मेरठ में तीसरी इन्फेंट्री के 85 सिपाहियों ने भी बगावत कर दी. अंग्रेजों के लिए उस विद्रोह को दबाना ज्यादा मुश्किल नहीं रहा. मंगल पांडे को 8 अप्रैल को फांसी पर चढ़ा दिया गया. इसके बाद 9 मई को परेड ग्राउंड पर मेरठ की तीनों रेजिमेंट के सामने कारतूस लेने से इनकार करने वाले सैनिकों का कोर्ट मार्शल कर 10 साल कैद की सजा सुनाई गई और विक्टोरिया पार्क में बनी जेल में बंद कर दिया. इससे सैनिकों का गुस्सा भड़क उठा.

    1857 के विद्रोह के बाद क्या परिवर्तन हुए? - 1857 ke vidroh ke baad kya parivartan hue?

    सैनिकों की ओर से 1857 में शुरू हुई क्रांति की आग पूरे देश में फैला. लोगों ने इसे ढाई साल तक शांत नहीं होने दिया था.

    10 मई की शाम को 50 से ज्‍यादा अंग्रेजों कह हत्‍या हुई
    अंग्रेज अधिकारियों (British Officers) ने ज्‍यादा गर्मी के कारण 10 मई 1957 को चर्च में सुबह के बजाय शाम को जाने का फैसला किया. कैंट एरिया से अंग्रेज अपने घरों से निकलकर सेंट जोंस चर्च पहुंचे. रविवार होने की वजह से अंग्रेज सिपाही छुट्टी पर थे. शाम करीब 5.30 बजे क्रांतिकारियों और भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सैनिक और अधिकारियों पर हमला बोल दिया. सैनिक विद्रोह की शुरूआत के साथ सदर, लालकुर्ती, रजबन समेत कई इलाकों में 50 से अधिक अंग्रेजों की मौत के साथ हुई. क्रांतिकारियों ने विक्‍टोरिया पार्क जेल पर धावा बोलकर अपने सभी साथियों को जेल से आजाद कराया. इसके बाद मेरठ की तीनों रेजिमेंट के बहादुर सिपाहियों ने बगावत का झंडा उठाया और दिल्ली के लिए निकल पड़े. मेरठ से शुरू हुई क्रांति पंजाब, राजस्थान, बिहार, आसाम, तमिलनाडु और केरल तक फैलती चली गई.

    क्रांतिकारियों ने 14 मई को दिल्‍ली पर कर लिया कब्‍जा
    क्रांतिकारियों की फौज 11 मई की सुबह तक दिल्ली (Delhi) में जमा हो चुकी थी. 'मारो फिरंगी, मारो' के नारे जब दिल्ली में गूंजना शुरू हुए, तो अंग्रेज हुकूमत घबरा गई. क्रांतिकारियों ने 14 मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया और मुगल बादशाह बहादुरशाह को दिल्ली का सम्राट घोषित कर दिया गया. दिल्ली में सफलता को देखते हुए विद्रोह की आग देश के अन्य हिस्सों में भी फैल गई. हालांकि, 21 सितंबर को अंग्रेजों ने दिल्ली पर फिर कब्‍जा कर लिया. लाख कोशिशों के बाद भी देश की आजादी के नारे और बुलंद होते गए. इसके बाद अंग्रेजों ने भरसक प्रयास किया कि भारत में उठती आजादी की मांग को हमेशा के लिए दबा दिया जाए, लेकिन वे सफल नहीं हो सके और 1947 को भारत को अंग्रेजी शासन से आजादी (Independence) मिल गई.

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    Tags: Army, British Raj, History, Independence day, Mangal Pandey, Meerut news, Revolution of 1857

    FIRST PUBLISHED : May 10, 2020, 11:23 IST

    1857 की क्रांति के बाद भारत में क्या बदलाव हुए?

    1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश अधिकारी पहले से ज्‍यादा सजग हो गए और उन्होंने आम भारतीयों के साथ संवाद बढ़ाने की कोशिशें शुरू कर दीं. इससे पहले उन्‍होंने विद्रोह करने वाली सेना को भंग कर दिया. प्रदर्शन की क्षमता के आधार पर सिखों और बलूचियों की सेना की नई पलटनें बनाई गईं. ये सेना भारत की स्वतंत्रता तक कायम रही.

    1857 के विद्रोह के क्या परिणाम हुए?

    1857 की क्रांति से कंपनी शासन का अंत – 1857 के विद्रोह का प्रमुख परिणाम यह रहा कि 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित किया जिसमें भारत में कंपनी के शासन का अंत कर दिया गया और ब्रिटिश भारत का प्रशासन ब्रिटिश ताज (क्राउन) ने ग्रहण कर लिया था।

    1857 के विद्रोह का क्या प्रभाव पड़ा?

    1857 के विद्रोह का प्रभाव | Impact Of Revolt Of 1857 1858 के भारत सरकार अधिनियम के तहत, भारतीय मामलों के नियंत्रण में द्वैतवाद (क्राउन एंड कंपनी) समाप्त हो गया और भारत पर प्रशासनिक नियंत्रण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से क्राउन को स्थानांतरित कर दिया गया।

    1857 के विद्रोह के प्रमुख केन्द्र कौन कौन से थे?

    1857-59 के दौरान हुये भारतीय विद्रोह के प्रमुख गुर्जर केन्द्रों: मेरठ, दिल्ली, जबलपुर, कानपुर, लखनऊ, झाँसी, वर्तमान हरियाणा(पंजाब), राजस्थान से]] और ग्वालियर को दर्शाता सन 1912 का नक्शा। विद्रोह का दमन, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत, नियंत्रण ब्रिटिश ताज के हाथ में।