1 नवंबर 1956 को भारत में कितने राज्य थे? - 1 navambar 1956 ko bhaarat mein kitane raajy the?

नवंबर महीने में हुआ देश के सर्वाधिक छोटे राज्यों का गठन

1 नवंबर 1956 को भारत में कितने राज्य थे? - 1 navambar 1956 ko bhaarat mein kitane raajy the?

मध्य प्रदेश विधानसभा (फाइल फोटो) - फोटो : सोशल मीडिया

भारत में नवंबर का महीना जहां रानी लक्ष्मी बाई, टीपू सुल्तान, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद, लाला लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय, हरिवंश राय बच्चन, इंदिरा गांधी,  अर्मत्य सेन एवं इंदिरा गोस्वामी जैसी महान हस्तियों की जयन्तियों के कारण उत्सवों से भरपूर रहता है वहीं यह महीना देश के सर्वाधिक 9 राज्यों के जन्मोत्सवों के उपलक्ष्य में भी जगमगाता है। इसी महीने की पहली तारीख को तो देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश सहित 7 राज्यों का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

इनमें नवीनतम राज्य छत्तीसगढ़ है जिसका जन्मोत्सव 1 नवंबर को मनाया जा चुका है। वर्ष 2000 में गठित 3 राज्यों में से छत्तीसगढ़ अकेला राज्य है जहां पिछले 19 सालों में सबसे अधिक राजनीतिक स्थिरता रही।

एक ही महीना दे गया 9 राज्य
नवंबर का महीना छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड और झारखण्ड के लोगों के दशकों से संजोए गए अलग प्रदेश के सपने के साकार करने का महीना तो है ही क्योंकि वर्ष 2000 में इसी महीने की पहली तारीख को छत्तीसगढ़ भारतीय गणतंत्र को छब्बीसवां, 9 नवंबर को उत्तराखण्ड 27वां और 15 नवम्बर को झारखण्ड 28वां राज्य बना था।

भारत के इतिहास में सम्पूर्ण नवंबर महीने से भी महत्वपूर्ण इस महीने की पहली तारीख है जिस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। साल 1956 से लेकर साल 2000 तक इसी दिन भारत के 6 अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ।

सन् 1956 में नवंबर के महीने पहली तारीख को जन्में राज्यों में कर्नाटक, केरल, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं। पश्चिम बंगाल का नए क्षेत्रों के साथ पुनर्गठन भी 1 नवंबर 1956 को ही हुआ था। इनके अलावा इसी महीने की इसी तिथि को वर्ष 1966 में पंजाब और हरियाणा राज्य अस्तित्व में आए थे।

राज्य पुर्नठन आयोग का गठन
दरअसल, अंग्रेजों ने एक भाषा बोलने वालों की भू-क्षेत्रीय समरसता की अनदेखी कर अपनी प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए मनमाने ढंग से भारत को 21 बड़ी प्रशासनिक इकाइयों में बंटा हुआ था। स्वतंत्रता के बाद नए ढंग से राज्यों का पुनर्गठन करने एवं नए राज्यों की मांग के जोर पकड़ने पर सबसे पहले 1 अक्टूबर, 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया।

यह राज्य स्वतन्त्र भारत में भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था। उसके बाद 22 दिसम्बर 1953 को न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। इस पुनर्गठन अयोग के अन्य सदस्य हृदयनाथ कुंजरू और सरदार के. एम. पणिक्कर थे। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के उद्देश्य से संसद द्वारा सातवां संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 पारित किया गया। इसके अनुसार भारत में नए राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश स्थापित किए गए।

1 नवंबर 1956 को भारत में कितने राज्य थे? - 1 navambar 1956 ko bhaarat mein kitane raajy the?

वर्ष १९५१ में भारत के प्रशासनिक प्रभाग

भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारत सरकार ने अंग्रेजी राज के दिनों के 'राज्यों' को भाषायी आधार पर पुनर्गठित करने के लिये राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganisation Commission) की स्थापना 1953 में की। 1950 के दशक में बने पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश में राज्यों के बंटवारे का आधार भाषाई था। इसके पीछे तर्क दिया गया कि स्वतंत्रता आंदोलन में यह बात उठी थी कि जनतंत्र में प्रशासन को आम लोगों की भाषा में काम करना चाहिए, ताकि प्रशासन लोगों के नजदीक आ सके।पंजाब मे सभी विश्वविद्यालय में अनेक भाषाओं में एजूकेशन दिया जाता है।पंजाब का नवीनतम जिला मलेरकोटला है।

इतिहास[संपादित करें]

अंग्रेजों से पहले का भारत 21 प्रशासनिक इकाइयों (सूबों) में बँटा हुआ था। इनमें से कई सूबों की सांस्कृतिक पहचान सुस्पष्ट थी और कुछ में संस्कृतियों का मिश्रण था। किन्तु भारत को अपना उपनिवेश बनाने के बाद अंग्रेजों ने प्रशासनिक सुविधा का खयाल करते हुए मनमाने तरीके से भारत को नये सिरे से बड़े-बड़े प्रांतों में बाँटा। एक भाषा बोलने वाल तरह भंग कर दी गयी। बहुभाषी व बहुजातीय प्रांत बनाये गये। इतिहासकारों की मान्यता है कि भले ही इन प्रांतों को ‘फूट डालो और राज करो’ के हथकंडे का इस्तेमाल करके नहीं बनाया गया था, पर उनमें अपनी सत्ता टिकाये रखने के लिए अंग्रेजों ने इस नीति का जम कर उपयोग किया।

1920 के दशक में जैसे ही गाँधी के हाथ में कांग्रेस का नेतृत्व आया, आजादी के आंदोलन की अगुआयी करने वाले लोगों को लगा कि जातीय-भाषाई अस्मिताओं पर जोर दे कर वे उपनिवेशवाद विरोधी मुहिम को एक लोकप्रिय जनाधार दे सकते हैं। अतः कांग्रेस ने अंग्रेजों द्वारा रचे गये ‘औपनिवेशिक प्रांत’ की जगह ख़ुद को ‘प्रदेश’ नामक प्रशासनिक इकाई के इर्द-गिर्द संगठित किया। यह ‘प्रदेश’ नामक इकाई अपने बुनियादी चरित्र में अधिक लोकतांत्रिक, सांस्कृतिक (जातीय और भाषाई) अस्मिता के प्रति अधिक संवेदनशील और क्षेत्रीय अभिजनों की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं के प्रति जागरूक थी। इस तरह 'नये भारत' की कल्पनाशीलता को उसका आधार मिला। कांग्रेस के इस पुनर्गठन के बाद राष्ट्रीय आंदोलन भाषाई अस्मिताओं से सुनियोजित पोषण प्राप्त करने लगा। प्रथम असहयोग आंदोलन की जबरदस्त सफलता के पीछे मुख्य कारण यही था। 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई, जिसे काग्रेस का पूरा समर्थन था। इस समिति ने भाषा, जन-इच्छा, जनसंख्या, भौगोलिक और वित्तीय स्थिति को राज्य के गठन का आधार माना।

1947 में भारत को आजादी मिलते ही भारत के सामने 562 देशी रियासतों के एकीकरण व पुनर्गठन का सवाल मुंह बाए खड़ा था। इसे ध्यान में रखते हुए इसी साल श्याम कृष्ण दर आयोग का गठन किया गया। दर आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का विरोध किया था। उसका मुख्य जोर प्रशासनिक सुविधाओं को आधार बनाने पर था। किन्तु तत्कालीन जनाकाक्षाओं को देखते हुए ही तत्काल उसी वर्ष जेबीपी आयोग (जवाहर लाल नेहरू, बल्लभभाई पटेल, पट्टाभिसीतारमैया) का गठन किया गया। जिसने प्रभावित जनता की आपसी सहमति, आर्थिक और प्रशासनिक व्यवहार्यता पर जोर देते हुए भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का सुझाव दिया। इसके फलस्वरूप सबसे पहले 1953 में आंध्र प्रदेश का तेलुगुभाषी राज्य के तौर पर गठन किया गया। ध्यातव्य है कि सामाजिक कार्यकर्ता पोट्टी श्रीरामलू की मद्रास से आंध्र प्रदेश को अलग किए जाने की मांग को लेकर 58 दिन के आमरण अनशन के बाद मृत्यु हो गयी थी जिसने अलग तेलुगू भाषी राज्य बनाने पर मजबूर कर दिया था।

22 दिसम्बर 1953 में न्यायाधीश फजल अली की अध्यक्षता में प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। इस आयोग के तीन सदस्य - न्यायमूर्ति फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और केएम पाणिक्कर थे। इस आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस आयोग ने राष्ट्रीय एकता, प्रशासनिक और वित्तीय व्यवहार्यता, आर्थिक विकास, अल्पसंख्यक हितों की रक्षा तथा भाषा को राज्यों के पुनर्गठन का आधार बनाया। सरकार ने इसकी संस्तुतियों को कुछ सुधार के साथ मंजूर कर लिया। जिसके बाद 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम संसद ने पास किया। इसके तहत 14 राज्य तथा 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए। फिर 1960 में पुनर्गठन का दूसरा दौर चला। 1960 में बम्बई राज्य को विभाजित करके महाराष्ट्र और गुजरात का गठन हुआ। 1963 में नगालैंड गठित हुआ। 1966 में पंजाब का पुनर्गठन हुआ और उसे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में तोड़ दिया गया। 1972 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा बनाए गए। 1987 में मिजोरम का गठन किया गया और केन्द्र शासित राज्य अरूणाचल प्रदेश और गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। वर्ष 2000 में उत्तराखण्ड, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आए तथा इसके बाद 2जून 2014 को तेलंगाना 29 वां राज्य बना जो आन्ध्रप्रदेश राज्य से अलग होगया।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • भारतीय संघ एवं राज्यों का पुनर्गठन
  • राज्यों के पुनर्गठन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण जानकारी और तथ्‍य
  • १९५० के बाद नये राज्यों की स्थापना
  • भारतीय राज्यों का गठन/पुनर्गठन

भारत में सबसे पहले कौन सा राज्य बना था?

सही उत्तर आंध्र प्रदेश है। स्वतंत्र भारत का पहला राज्य कौन सा था? आंध्र प्रदेश स्वतंत्र भारत का पहला राज्य था जो भाषाई आधार पर बना था। इसका गठन 1 अक्टूबर, 1953 को हुआ था।

भारत के सभी राज्यों की स्थापना कब हुई?

जिसकी स्थापना स्थापना 22 मार्च 1912 को हुआ था। वर्तमान बिहार 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्रता के बाद राज्यो की गठन के समय भारत के राज्य के रूप में स्थापित हुआ।

1 नवंबर के दिन क्या हुआ था?

1 November History:​ 1 नवंबर इस तारीख का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है. इस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फ़ैसला लिया गया था. 1 नवंबर के दिन साल 1956 से लेकर साल 2000 तक भारत के छह अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ.

भारत का 27वां राज्य कौन सा है?

इस प्रकार 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ 26वां राज्य, 9 नवंबर 2000 में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) 27वां राज्य, 15 नवंबर 2000 को झारखंड 28वां राज्य और 02 जून 2014 को तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया।