यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने क्या भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू किया? - yoorop kee vyaapaarik kampaniyon ne kya bhaarat ke raajaneetik maamalon mein hastakshep karana shuroo kiya?

यूरोप की व्यापारिक कंपनियाँ भारत में व्यापार कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहती थीं। सभी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत से एक ही तरह की चीजें खरीदती थीं। इस सूरत में बाजार पर एकाधिकार होने से ही किसी यूरोपीय कंपनी को सर्वाधिक मुनाफा हो सकता था। उन्हें शुल्कमुक्त व्यापार की सुविधा अथवा सम्पूर्ण बाजार पर अकेले व्यापार करने की सुविधा संबंधित बाजारक्षेत्र से जुड़ा राज्य ही दे सकता था। एक शासक यदि उन्हें ये सुविधाएँ देता तो दूसरा शासक उनके खिलाफ खड़ा हो जाता। या फिर उन्हें व्यापारिक सुविधाएँ देने वाला शासक ही बाद में उन पर तब रोक लगाने लगता जब राज्य में राजस्व की कमी हो जाती, जनता परेशान हो जाती। इन हालातों में यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने अपने व्यापारिक लाभ के लिए भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया ।

यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने क्यों भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू?

या फिर उन्हें व्यापारिक सुविधाएँ देने वाला शासक ही बाद में उन पर तब रोक लगाने लगता जब राज्य में राजस्व की कमी हो जाती, जनता परेशान हो जाती। इन हालातों में यूरोप की व्यापारिक कंपनियों ने अपने व्यापारिक लाभ के लिए भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया ।

भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा का मुख्य कारण क्या था?

भारत के समुद्र के रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ. हालांकि यूरोपीय भारत के अलावा भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में कामयाब हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था.

यूरोपीय कंपनियों के लिए प्रमुख व्यापारिक वस्तुएं कौन सी थी?

यूरोपीय कम्पनियों के लिए प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ कौनसी थीं? Solution : सूती एवं रेशमी कपड़े, काली मिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी आदि।

भारत में यूरोपीय देशों की स्थापना के प्रमुख कारण क्या थे?

यूरोप के अधिकांश देश भारत तथा दक्षिणी पूर्वी एशियाई देशों के साथ मुख्यतः गरम मसालों का व्यापार करना चाहते थे अतः यूरोपीय देशों द्वारा नवीन व्यापारिक मार्गों की खोज को प्रोत्साहन दिया गया। नवीन देशों एवं व्यापारिक मार्गों की खोज में पुर्तगाल और स्पेन अग्रणी थे

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