- BY:RF Temre
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अतिलघुउत्तरीय प्रश्न
निर्देश -
एक शब्द/वाक्य में उत्तर लिखिए।
प्रश्न-1 हमें अपने विद्यालय की प्रार्थना कब करना चाहिए?
उत्तर - हमें अपने विद्यालय में प्रार्थना विद्यालय प्रारंभ होने के पूर्व एवं विद्यालय समाप्ति पर करना चाहिए।
प्रश्न-2 वह कौन था? जिसने देश को आजाद कराने का सपना देखा था?
उत्तर - वे महात्मा गाँधी थे जिन्होंने देश को आजाद कराने का सपना देखा था।
प्रश्न- 3 यदि पूजा करने वाले को पुजारी कहते हैं तो सेवा करने वाले को
क्या कहते हैं?
उत्तर - सेवक
लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-4 'प्रार्थना' कविता में कवि ने किन-किन को अपना सगा माना है?
उत्तर - प्रार्थना कविता में कवि ने मातृभूमि की प्रकृति, यहाँ के व्यक्तियों और पशुओं को सगा माना है।
प्रश्न-5 हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर - हमें अपने देश के लिए अपनी मातृभूमि के योग्य बनकर यहाँ की प्रकृति, व्यक्तियों और पशु-पक्षियों सभी को सगा मानकर इन के दुखों
को दूर करना चाहिए।
प्रश्न-6 अपने आराध्य की आराधना करने से क्या लाभ है?
उत्तर - अपने आराध्य की आराधना करने से हमें बल प्राप्त होता है जिससे हम अपने देश के योग्य बनते हैं। अपने आराध्य के आशीर्वाद से हमारे प्रत्येक कार्य आसानी से पूर्ण होते हैं।
एटग्रेड अभ्यासिका कक्षा 3 हिन्दी के पाठ को पढ़ें।
पाठ 1 प्रार्थना महत्वपूर्ण
प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-7 मातृभूमि से आप क्या समझते हैं? इससे संबंधित कोई एक कविता लिखिए?
उत्तर - मातृभूमि का आशय उस स्थान से है जहाँ पर हमारा जन्म हुआ है और हम वहाँ की मिट्टी में खेलकूद कर बड़े हुए हैं।
कविता
प्राणों से प्यारी,
मातृभूमि हमारी।
इस मिट्टी का मोल नहीं है,
शहरों-नगरों से तोल नहीं है।
मरते तक क्या कोई भूल भी पाया,
जो था प्रेंम इसका हृदय में समाया।
मातृभूमि है स्वर्ग से बढ़कर,
आओ रक्षा करें दुष्टों से लड़कर।।
मूल्यांकन 1
अतिलघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-1 'हे हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी, अम्ब विमल मति दे' इस पंक्ति में किसकी आराधना की है?
उत्तर - इस पंक्ति में माँ सरस्वती की आराधना की है।
लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-2 'मेरी मातृभूमि है भारत, मैं भारत के योग्य बनूँ' इस पंक्ति से आप क्या समझते हो? अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर - 'मेरी
मातृभूमि है भारत, मैं भारत के योग्य बनूँ' इस पंक्ति में कवि कहते हैं कि यह भारत देश मेरी मातृभूमि है। मैं अपनी इस मातृभूमि की सेवा करने के योग्य बन सकूँ।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न-3 'प्रार्थना' कविता पाठ से आपने क्या सीखा, उसे अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर - प्रार्थना कविता के पाठ से हमने सीखा कि हमें अपनी मातृभूमि की सदैव सेवा करनी चाहिए। यहाँ के व्यक्तियों, यहाँ की प्रकृति अर्थात् पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि को अपना सगा मानना चाहिए। इनके दुखों
को दूर करना चाहिए। हमें ईश्वर से प्रार्थना कर ऐसा वर माँगना होगा जिससे अपने देश को एक अच्छे राष्ट्र के रूप में विकसित कर सकें अर्थात इसे रामराज्य बना सकें। यहाँ सभी एक दूसरे को प्रेंम करें और समाज उन्नत और विकसित हो।
एटग्रेड अभ्यासिका कक्षा 5 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, पर्यावरण के पाठों को पढ़ें।
1. पाठ 1 पुष्प की अभिलाषा (एटग्रेड अभ्यास)
2.
पाठ 1 कैसे पहचाना किटी ने दोस्त को (एटग्रेड अभ्यास)
3. Lesson 1 Prayer प्रश्नोत्तर
4. पाठ 1 मछली उछली महत्वपूर्ण प्रश्न
I hope the above information will be useful
and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
विद्यालय प्रार्थना सभा | School Assembly in Hindi
प्रार्थना सभा की भूमिका
प्रार्थना सभा सामान्यतः अपने जीवन में हर नया काम प्रारम्भ करने से पहले लगभग हम सभी मन ही मन उस कार्य की सिद्धि हेतु प्रार्थना करते हैं अपने ईश्वर से तथा उसके बाद ही कार्य प्रारम्भ करते हैं। कदाचित यह मनोवृत्ति बचपन में विद्यालय जाने पर प्रार्थना सभा के साथ पठन पाठन आरम्भ करने की आदत के द्वारा ही उत्पन्न की जा सकती है।
प्रार्थना सभा किसी भी विद्यालय का एक ऐसा दर्पण है जो उस विद्यालय के भौतिक, शैक्षिक, सामाजिक, मानसिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक वातावरण का साफ एवं स्पष्ट चित्र दिखलाता है। वैसे तो आजकल के प्रचलित अर्थों में प्रार्थना सभा का तात्पर्य विद्यालय में शिक्षण कार्य शुरू होने से पूर्व छात्रों और शिक्षकों की एक ऐसी सामूहिक सभा से है जिसमें औपचारिकतापूर्ण कुछ प्रार्थनाओं, प्रतिज्ञाओं, राष्ट्रगान इत्यादि का गायन होता है तथा उसके बाद यदि किसी प्रकार की कोई सूचना इत्यादि होती है तो उसी प्रार्थना सभा के अंतिम में उसे भी बताया जाता है। इस प्रकार से प्रार्थना सभा पूर्ण रूप से संपन्न मानी जाती है।
विद्यालय के दैनिक जीवन में अनुशासन का पहला पाठ प्रार्थना सभा से ही शुरू होता है। जो सामुदायिक सहभागिता की ओर अभिप्रेरित करता है। यहां उदारता, सहनशीलता, अनुशासन तथा मेल जोल के गुणों का विकास बालक में होता है।
प्रार्थना सभा का अर्थ
आम तौर पर सभा वह होती है जहां पर एक साथ कई लोग आ जाएं और वह किसी मूल्यवान चीज हेतु विचार करें। विद्यालय के प्रार्थना सभा भी कुछ इसी प्रकार का होता है यहां भी प्रधानाचार्य, शिक्षक गढ़, तथा विद्यार्थी एक साथ विद्यालय कोई दैनिक क्रिया के प्रारम्भ होने से पहले इस सभा में एकत्रित होते हैं तथा सभी मिल कर प्रार्थना सभा में भाग लेते हैं।
प्रार्थना सभा में ईश स्तुति द्वारा हृदय पक्ष मजबूत होता है वहीं सृष्टि रचयिता के प्रति निष्ठा, कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है। प्रार्थना सभा के दौरान गए जाने वाले राष्ट्रगीत व राष्ट्रगान, देशभक्तिपूर्ण नारे विद्यार्थियों में मातृभूमि के प्रति प्यार, लगाव तथा समर्पण का जज्बा पैदा करते हैं। विद्यालय संबंधी निर्णय, आवश्यक सूचना, आदेश, निर्देश से सबको अवगत कराने का सर्वोत्तम समय प्रार्थना सभा ही होता है। विद्यार्थियों की विशेष उपलब्धियों के लिए या उनकी पीठ थपथपानी हो या फिर किसी प्रकार का पुरस्कार देना हो तो भी यह समय सर्वोच्च होता है।
School Assembly: How to Conduct Assembly in School | Importance
प्रार्थना सभा द्वारा प्राप्त मूल्य न केवल धार्मिक शिक्षा के लिए बल्कि व्यक्तिगत, सामाजिक और स्वास्थ्य शिक्षा, नागरिकता और आध्यात्मिकता के विकास के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं। प्रार्थना सभा द्वारा हम बालकों के मन के अकेलेपन तथा नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं। साथ ही साथ ऊर्जा, मनोबल एवं सकारात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसा इस लिए संभव है क्योंकि प्रार्थना मनुष्य और ईश्वर के बीच का संवाद है या माध्यम है संवाद करने का।
प्रार्थना सभा की गुणवत्ता पाठ्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। प्रार्थना सभा विद्यार्थियों के आत्म विकास में एक सकारात्मक योगदान दे सकती है।
कुछ विद्वानों ने प्रार्थना सभा को कुछ इस प्रकार से परिभाषित किया है-
- प्रो० फ्रीविल के अनुसार – “एक प्रार्थना सभा विद्यालय की टाउन मीटिंग है”।
- डब्ल्यू आर स्मिथ के अनुसार – “स्कूल असेंबली अतिरिक्त पाठयक्रम जीवन के सभी रूपों का एक केंद्रीय केंद्र के रूप में काम कर सकती है”।
- फ्लोरा टी कुक के अनुसार – “सुबह का व्यायाम (प्रार्थना सभा) एक आम बैठक का मैदान है, जिसमें प्रत्येक अपने प्रसाद, अपने अवलोकन और अध्ययन के फल या संगीत साहित्य और कला जो उसे प्रसन्न करता है, एक ऐसी जगह है जहां सभी खुसी और अच्छी तरह से पूरा करने के लिए सहयोग करते हैं”।
प्रार्थना सभा का उद्देश्य
प्रार्थना सभा का संचालन बालक के अंदर निम्नलिखित क्रमबद्ध विशेषताओं के गुणों के लिए किया जाता है तथा साथ साथ विद्यालय प्रशासन के कुछ सहयोग हेतु भी –
- ईश्वर तथा आध्यात्मिकता के भाव का विकास करने हेतु।
- बालकों के अनुभवों तथा स्व चिंतन को बढ़ावा देने के लिए।
- विद्यालय की एकता को बनाए रखने के लिए।
- बालकों को दर्शक तथा श्रोतागढ़ से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है तथा वह अपनी झिझक कम कर पता है।
- छात्रों में संबद्धता तथा एकता की भावना का विकास करना।
- विद्यालय के सभी कार्यक्रमों को एक साथ बालकों को अधिक स्पष्ट से परिचित कराने हेतु।
- बालकों में विद्यालय के साथ पहचान की भावना विकसित करने के लिए।
- बालकों के आत्मबल तथा आत्मविश्वास को बढ़ाने हेतु।
- बालकों को सार्वजनिक जीवन में अच्छे सामाजिक व्यवहार के लिए प्रशिक्षित करने हेतु।
- त्योहारों के साथ देश प्रेम के प्रति प्रेम भावना को उजागर करने हेतु तथा उन्हें इनकी पहचान कराने हेतु।
- धार्मिक तथा नैतिक विकास के लिए।
- बालकों में राष्ट्रीय एकीकरण तथा धर्मनिरपेक्षता की भावना का विकास करने हेतु।
- जानकारी साझा करने हेतु।
- अनुशासन तथा व्यवस्थित आचरण को आत्मसात करने हेतु।
- विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान करने तथा उत्साहित करने हेतु।
- सत्य, शान्ति, प्रेम भावना का विद्यार्थियों में विकास करने हेतु।
प्रार्थना सभा के दिशा निर्देश
प्रार्थना सभा को निर्देशित या संचालित करते समय विद्यार्थियों को हमें कुछ दिशा निर्देश देने चाहिए जिससे कि वे प्रार्थना के संचालन के समय या उसकी तैयारी करते समय उन का पूर्ण ध्यान रखें और प्रार्थना सभा को सुचारु तथा सुव्यवस्थित रूप से करा सकें। कुछ दिशा निर्देश निम्नलिखित हैं जो प्रार्थना सभा के संचालन से संबंधित हैं –
- प्रार्थना सभा के दौरान होने वाले सभी कार्यक्रमों को व्यवस्थित तथा सूची बना के करना चाहिए।
- प्रार्थना सभा के दौरान किसी भी प्रकार की अनावश्यक आवाज ना की जाए।
- प्रार्थना सभा के दौरान सभी को अनुशासित तरीके से सभा का हिस्सा बनना चाहिए।
- प्रार्थना सभा हेतु जिन भी चीजों को अभ्यास में लाना आवश्यक है उनका अभ्यास एक दिन पहले ही कर लें।
- प्रार्थना सभा के दौरान सभी को चैतन्य तथा प्रार्थना सभा के प्रति समर्पित होना चाहिए।
- प्रार्थना सभा के दौरान अनावश्यक वस्तुओं को अपने साथ नहीं रखना चाहिए।
- प्रार्थना सभा में संपूर्ण रूप से विद्यालय के प्रशासन को अपना सहयोग बनाए रखना चाहिए जिससे सभी प्रकार की आवश्यकता की पूर्ति की जा सके।
प्रार्थना सभा का संगठन
प्रार्थना सभा में आयोजन का प्रारूप ईश वंदना, देशभक्ति गाना, प्रतिज्ञा, दैनिक समाचार, आज का विचार तथा साथ ही साथ कुछ प्रशासन द्वारा दी गई आवश्यक सूचनाएं होती है। इन सभी का व्यवस्थित रूप से संचालन हेतु संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संगठन द्वारा ही कार्यक्रम का प्रारूप तैयार किया जाता है तथा इसी की सहायता से संचालन भी किया जाता है। संगठन की भूमिका कुछ इस प्रकार से है –
- प्रार्थना में भाग लेने हेतु बालकों का चयन करना।
- प्रत्येक बालक द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलापों की तैयारी करना।
- सभी विद्यार्थियों को प्रार्थना सभा में भाग लेने हेतु अनुशासित तरीके से बुलाना तथा शान्ति बनाए रखना सभा के दौरान।
- शिक्षकों की सहायता से बालकों को एक सीधी रेखा में तथा उनके लम्बाई अनुसार व्यवस्थित करना।
- प्रार्थना सभा में भाग ले रहे विद्यार्थियों को उनके स्थान सुनिश्चित करना जिससे वे सरलता पूर्ण ढंग से सभा को संचालित कर सकें।
- इस बात को सुनिश्चित करना कि सभी कार्यक्रम सही तथा व्यवस्थित प्रकार से सम्पन्न हो।
- प्रार्थना सभा के समाप्त हो जाने के बाद सभी को उनकी कक्षाओं में बिना किसी समस्या के हुए जाने में सहायता करना।
शिक्षक की भूमिका
प्रार्थना सभा के संचालन तथा उसमें भाग लेने हेतु विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना इत्यादि के साथ साथ और कई भूमिका निर्वाह करता है शिक्षक जो अग्र लिखित हैं –
- विद्यार्थियों को प्रार्थना सभा में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करना।
- प्रार्थना सभा में भाग लेने वाले विद्यार्थियों का चयन करना।
- प्रार्थना सभा हेतु विद्यार्थियों की तैयारी का निरीक्षण करना तथा उचित दिशा निर्देश देना।
- प्रार्थना सभा के दौरान अनुशासन व्यवस्था पे ध्यान रखना।
- प्रार्थना सभा हेतु सभी विद्यार्थियों को व्यवस्थित तरीके से उपस्थित करना।
- प्रार्थना सभा के प्रारम्भ होने से पहले सभी विद्यार्थियों के वस्त्रों का निरीक्षण करना तथा उन्हें व्यवस्थित करना।
- सभी आवश्यक सूचनाओं को बताना सभा के दौरान।
- प्रार्थना सभा का सभी कक्षाओं द्वारा संचालन किया जा रहा है या नहीं यह सुनिश्चित करना।
- प्रार्थना सभा में भाग ले रहे सभी विद्यार्थियों को पुनर्बलन प्रदान करना जिससे वो प्रोत्साहित हो सकें।
प्रशासन की भूमिका
विद्यालय में प्रशासन की भूमिका का निर्वाह सामान्य तौर पर प्रधानाचार्य का होता है तथा साथ ही साथ यदि कोई सहायक प्रधानाचार्य है तो वो भी प्रशासन के अन्तर्गत हो आएगा। इनकी भूमिका निम्नलिखित है –
- ये निरीक्षण कार्य करते हैं कि किसी भी प्रकार का कार्य जो प्रार्थना सभा में हो रहा है वह उचित प्रकार से क्रियान्वित हो।
- जिस भी प्रकार की आर्थिक सहायता की आवश्यकता होती है वह इन्हीं के द्वारा पूरी करायी जाती है।
- इनके द्वारा समय समय पर विद्यार्थियों को दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं।
- प्रार्थना सभा की दौरान आवश्यक सूचनाओं की जानकारी इन्हीं के द्वारा दी जाती है।
- प्रशासन एक और महत्वपूर्ण कार्य करता है कि वह सुनिश्चित करता है कि सब पाठ्यक्रम के अनुसार ही कार्य सम्पादित किए जाएं।
- दिशा निर्देश देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
- सभी प्रकार के लिखित कार्यों का लेखा जोखा रखता है।
- प्रशासन या प्रधानाचार्य द्वारा ही पुरस्कार वितरण का कार्य संपादित होता है।
- शिक्षक तथा संगठन द्वारा प्रत्येक कार्य या प्रार्थना सभा के कार्यों का पूर्ण विवरण समय समय पर लेना इत्यादि।
निष्कर्ष
प्रार्थना सभा के संपूर्ण अध्ययन के बाद निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त होते हैं –
- प्रार्थना सभा बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है बालक के सर्वांगीण विकास में।
- शिक्षक के प्रोत्साहन तथा पुनर्बलन का प्रभाव भी बालक के प्रार्थना सभा में भाग लेने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
- प्रार्थना सभा में छात्रों के अंदर ऊर्जा, ज्ञान, बौद्धिक, आत्मविश्वास, एकाग्रता आदि भावनाओं का संचार होता है।
- प्रार्थना सभा एक उत्तम मंच है आवश्यक सूचनाओं को देने के लिए।
- प्रार्थना सभा में भाग ले रहे विद्यार्थियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
- जो विद्यार्थी प्रार्थना सभा में भाग नहीं लेते हैं वह हमेशा संकुचित विचार या प्रवृत्ति के होते हैं।
- प्रत्येक विद्यालयों को प्रार्थना सभा का आयोजन करना चाहिए।
- प्रार्थना सभा द्वारा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है तथा आध्यात्मिकता का ज्ञान प्राप्त होता है।
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