भारत में एक बार फिर से बीमारियों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. वैसे तो ये कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीमारियों के नाम नए हो गए हैं और उनके मरीज भी साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. इन दिनों वैसे तो जीका वायरस का खतरा भी भारत में फैल रहा है पर एक और बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वो है ब्लड प्लैटिलेट (Blood platelets) काउंट कम होने वाले मरीज. आम तौर पर जब शरीर में ब्लड प्लैटिलेट कम होते हैं तो मरीजों को डेंगू का डर सताता है, क्योंकि डेंगू का ये अहम लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि Blood platelets की कमी का मतलब डेंगू ही हो. शरीर में कई कारणों से इसकी कमी हो सकती है और मरीज को कमजोरी से लेकर किसी खतरनाक बीमारी तक बहुत कुछ हो सकता है.
क्या है Blood platelets की कमी ?
Blood platelets की कमी दरअसल अपने आप में एक बीमारी है जिसे Thrombocytopenia कहते हैं. इस बीमारी में खून में मौजूद प्लैटिलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. प्लैटिलेट्स पार्दर्शी सेल होते हैं जो हमारे खून में मिले होते हैं और ये बहुत मदद करते हैं शरीर में बीमारियों को रोकने में. इन्हीं के कारण किसी चोट के लगने पर ब्लड क्लॉट हो जाता है.
Thrombocytopenia बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है. हालांकि, जरूरी नहीं कि अगर प्लैटिलेट्स की कमी हो तो Thrombocytopenia ही हो. इसका कारण कुछ दवाएं भी हो सकती हैं जिन्हें पहले लिया गया हो या फिर ये भी हो सकता है कि शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम में कोई समस्या हो. कैंसर के मरीजों के शरीर में भी प्लैटिलेट्स की कमी होती है. प्लैटिलेट काउंट जब बहुत कम हो जाता है तब शरीर के अंदरूनी हिस्से में ब्लीडिंग होने लगती है और इंसान को बहुत कमजोरी लगती है. अगर जरा भी शक हो तो इस समस्या का इलाज जरूर करवाना चाहिए. ये बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है और ये समस्या बहुत गंभीर है.
कैसे पता करें कि प्लैटिलेट काउंट कम है?
इसे पता लगाने का तरीका ब्लड टेस्ट ही है. एक स्वस्थ्य इंसान में 140,000 से 450,000 प्लैटिलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होते हैं. अगर प्लैटिलेट 140,000 से कम हैं तो यकीनन शरीर में कुछ चल रहा है और डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. क्योंकि ब्लड प्लैटिलेट्स शरीर में रिपेयर टिशू होते हैं इसलिए जरूरी है कि इनकी कमी को ठीक किया जाए.
क्यों होता है ये?
इसके होने के तीन कारण हो सकते हैं.
1. शरीर में इन्फेक्शन है..
शरीर में किसी तरह का कोई इन्फेक्शन होता है जैसे अनीमिया, वायरल इन्फेक्शन, डेंगू, विटामिन की कमी आदि तो ब्लड प्लैटिलेट्स का बनना कम हो जाता है. ब्लड टेस्ट से ये पता चल सकता है कि शरीर में किस तरह का इन्फेक्शन हो रहा है.
2. किसी कारण प्लैटिलेट खत्म हो रहे हों..
ये हो सकता है कि किसी कारण प्लैटिलेट्स खत्म हो रहे हों. जैसे हैवी दवा के कारण, प्रेग्नेंसी के कारण, स्प्लीन से जुड़ी बीमारी के कारण. पाचन तंत्र में खराबी के कारण. किसी अन्य बीमारी के कारण जो शरीर में लग गई हो.
3. किसी गंभीर बीमारी के कारण...
गंभीर बीमारी जैसे कैंसर या दिल की बीमारी में ली जाने वाली दवाइयां भी ब्लड प्लैटिलेट्स के कम होने का कारण बनती है. ऐसे में जो दवाएं ली जाती हैं वो खून को पतला करती हैं और इस कारण शरीर में प्लैटिलेट्स की कमी हो जाती है.
क्या होते हैं लक्षण...
- शरीर में जगह-जगह नील पड़ जाना. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की कोशिकाओं में ब्लड प्लैटिलेट्स की कमी के कारण ब्लीडिंग होने लगती है.
- दांतों और मसूढ़ों से खून निकलना.
- यूरीन से खून निकलना.
- स्प्लीन का साइज बढ़ जाना.
- कोशिकाओं का स्किन के ऊपर दिखने लग जाना.
- नाक से खून निकलना.
- पीरियड्स में बहुत ज्यादा खून निकलना.
- कमजोरी होना.
अगर इसमें से कोई भी लक्षण दिख रहा है तो यकीनन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. डॉक्टर मरीज के ब्लड टेस्ट के मुताबिक इलाज बता सकता है. प्लैटिलेट्स की कमी अगर सही समय पर पकड़ ली गई तो बीमारियों की गुंजाइश कम हो सकती है, लेकिन अगर इसमें देरी हो गई तो समस्या और बढ़ सकती है. कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि अगर किसी भी तरह की समस्या समझ आ रही है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.
रक्त कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है। ये कोशिकाएँ प्लाज्मा नामक द्रव में तैरती हैं। रक्त कोशिकाओं के प्रकार हैं:
- लाल रक्त कोशिकाओं
- सफेद रक्त कोशिकाएं
- प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स
जब आपकी त्वचा घायल या फट जाती है, तो प्लेटलेट्स आपस में चिपक जाते हैं और ब्लीडिंग को रोकने के लिए थक्के बनाते हैं। जब आपके रक्त में पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं होते हैं, तो आपका शरीर थक्के नहीं बना सकता है।
कम प्लेटलेट काउंट को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया भी कहा जा सकता है। यह स्थिति इसके अंतर्निहित कारण के आधार पर हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है।
कुछ मामलों में, लक्षणों में गंभीर ब्लीडिंग शामिल हो सकती है और यदि उसका इलाज नहीं किया जाता है तो संभवतः घातक हो सकते हैं। अन्य मामलों में किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं हो सकता है।
आमतौर पर, प्लेटलेट काउंट कम होना किसी मेडिकल कंडीशन का परिणाम होता है, जैसे कि ल्यूकेमिया, या कुछ दवाएं। आमतौर पर इलाज थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पैदा करने वाली मेडिकल कंडीशन को ठीक करता है।
मेरठ,जेएनएन। डेंगू बुखार खतरनाक रूप ले रहा है। अस्पतालों में सौ से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं, वहीं प्लेटलेट की खपत बढ़ी है। दैनिक जागरण ने अपने नियमित कालम प्रश्न पहर में वरिष्ठ फिजिशियन डा. तनुराज सिरोही को आमंत्रित किया। लोगों ने फोन पर उनसे वायरल बुखार, बचाव, और संक्रमण की रोकथाम समेत कई बिंदुओं पर प्रश्न पूछा। डाक्टर ने बताया कि बुखार के दौरान शरीर में पानी की कमी न होने दें, जिससे खतरा काफी कम रह जाएगा। प्रश्न: मुझे डेढ़ माह पहले बुखार हुआ, फिर ठीक हो गया। अब चक्कर आने लगा है। क्या करें।
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यह भी पढ़ेंइकराम, कैली
-यह डेंगू बुखार नहीं है। बुखार कई अन्य वजहों से भी होता है। आप टायफायड समेत अन्य जांचें कराएं। प्रश्न: मुझे दो दिन से सिर में दर्द, जकड़न है। गर्मी के साथ पसीना निकल रहा है।
मनोज, गगोल
-आप डेंगू और टायफायड का टेस्ट कराएं। तीन बार तक पैरासिटामाल लें। प्रश्न: मुझे पांच-छह दिन से बुखार है। पेट में दर्द भी हो रहा। क्या करें।
देवराज त्यागी, चिकलाना
-दिन में तीन बार पैरासिटामाल लें। दर्द निवारक दवाएं न लें। टेस्ट जरूर कराएं। पानी खूब पीएं। प्रश्न: डेंगू संक्रमण से कैसे बचें।
परमानंद शर्मा, नौचंदी
-डेंगू का मच्छर धारीदार होता है, जो शरीर पर तिरछा बैठता है। यह सुबह और शाम उजाले में ज्यादा काटता है। पूरी बाजू के कपड़े पहनें। गमला, कूलर, बर्तन व टायर में पानी न जमा होने दें। रात में भी पूरे कपड़े पहनकर सोएं। प्रश्न: मुझे बुखार है, जो दवाई से उतर जाता है। लेकिन पूरा आराम नहीं मिल रहा। क्या करें।
अरुण कुमार, जेलचुंगी
-जांच कराएं। उमस ज्यादा है, और टायफायड भी खूब है। बुखार की कई वजहें हो सकती हैं। प्रश्न: कैसे जानें कि अब डेंगू गंभीर हो रहा है।
महर सिंह, जलालपुरी
-डेंगू सामान्य बुखार है, लेकिन जब तेज बुखार के साथ पेट में दर्द, चक्कर और बीपी में गिरावट दर्ज हो तो तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। सीबीसी टेस्ट जरूर कराएं। अंदर कहीं ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है। हीमोग्राम जरूरी है। प्रश्न: मुझे बुखार रह-रहकर आ रहा है। घबराहट व चक्कर भी है। क्या करूं
निविता, सरधना
-वायरल बुखार कई बार अंतराल करके भी उभरता है। सीबीसी, हीमोग्राम और डेंगू का एलाइजा टेस्ट जरूर कराएं। प्रश्न: मेरी उम्र 60 साल है। अर्थराइटिस का मरीज हूं। बुखार आ रहा है, क्या करूं।
शमशाद, कंकरखेड़ा
-अर्थराइटिस के मरीजों में बुखार, वजन कम होना, बदन टूटने के लक्षण पहले ही होते हैं, ऐसे में चिकित्सक से मिलकर जांच कराएं। लंबी खांसी हो तो छाती का एक्स-रे कराएं। प्रश्न: डेंगू के मरीज बढ़ रहे हैं। क्या आइएमए हर सप्ताह एक दिन मरीजों के लिए निश्शुल्क शिविर लगा सकता है।
अजय सेठी, कोशिश संगठन
-अच्छा सुझाव है। कोरोना की वजह से कैंप बंद कर दिए गए थे, लेकिन अब इसे संचालित किया जाना चाहिए। प्रश्न: डेंगू अन्य बुखारों से कैसे अलग है? आम मरीज कैसे जानेगा। क्या शुगर के मरीजों पर ज्यादा खतरा है।
बंटी, पल्लवपुरम
-डेंगू बुखार में हड्डियों एवं मांसपेशियों में तेज दर्द होता है। आंख के पीछे दर्द होने पर तत्काल चिकित्सक से मिलें। सीबीसी एवं एलाइजा टेस्ट कराएं। हां, शुगर के मरीजों पर पांच गुना खतरा होता है। प्रश्न: मुझे तीन दिन से शरीर में दर्द, बुखार एवं लूज मोशन हो रहा है। क्या करें।
विजय, मेरठ
-आंत या लिवर में संक्रमण भी हो सकता है। चिकित्सक से मिलकर जांच कराएं। बुखार आए तीन दिन से ज्यादा होने पर लक्षणों पर गौर करें। प्रश्न: मेरे पेट में दर्द है। उल्टी दस्त लगातार बनी हुई है। अब बुखार भी है। क्या करें।
-बुखार के लक्षण तीन दिन बाद भी रहें तो मलेरिया, डेंगू व टायफायड की जांच कराएं। बारिश के मौसम में अपच करने वाले माइक्रोआर्गनिज्म बढ़ जाते हैं।
जागरण के पांच सवाल
1-डेंगू में प्लेटलेट गिरने को लेकर घबराहट रहती है। ब्लड में इसकी कितनी मात्रा होनी चाहिए।
-प्लेटलेट ब्लड का एक कंपोनेंट है, जो इसे गाढ़ा रखता है। ब्लड में न्यूनतम 1.5 लाख प्रति मिलीग्राम मात्रा प्लेटलेट की होनी चाहिए। लेकिन प्लेटलेट 20 हजार भी आ जाए तो घबराएं नहीं। बस, बीपी न गिरने पाए।
2. डेंगू कब खतरनाक हो जाता है। इसका क्या इलाज है।
-डेंगू मरीजों में शाक सिंड्रोम जानलेवा है। आंतरिक ब्लीडिंग, बीपी गिरने एवं हाथ-पांव ठंडे पड़ने के लक्षण खतरनाक हैं। लिवर और किडनी में सूजन बढ़ जाती है। लक्षण आधारित इलाज किया जाता है।
3. क्या डेंगू के साथ अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं। इसके खतरे क्या हैं।
-ऐसा संभव है। वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण एक साथ हो सकते हैं। शुगर के मरीजों के लिए बीमारी ज्यादा खतरनाक है।
4. डेंगू के मरीजों को खानपान में क्या सतर्कता बरतनी है।
-डेंगू या वायरल बुखार के मरीज खूब पानी व ओआरएस घोल पीएं, जिससे उनके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बना रहे। पतली खिचड़ी, दाल, व तरल पेय लें। तला भुना खाना न खाएं। दवाओं में पेनकिलर कतई न लें।