विश्व के दांत कहानी के प्रमुख पात्र कौन है? - vishv ke daant kahaanee ke pramukh paatr kaun hai?

गध भाग – नलिन विलोचन शर्मा Nalin Villochan Sharma | विष के दांत Poison teeth

नलिन विलोचन शर्मा(about of Nalin Villochan Sharma)

नलिन विलाचन शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1916 ई० में पटना के बदरघाट में हुआ। वे जन्मना भोजपुरी भाषी थे . वे दर्शन और संस्कृत के प्रख्यात विद्वान महामहोपाध्याय पं० रामावतार शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र थे . माता का नाम रत्नावती शर्मा था . उनके व्यक्तित्व-निर्माण में पिता के पांडित्य के साथ उनकी प्रगतिशील दृष्टि की भी बड़ी भूमिका थी.

उनकी स्कूल की पढ़ाई पटना कॉलेजिएट स्कूल से हुई और पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने संस्कृत और हिंदी में एम० ए० किया .वे हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, आरा, राँची विश्वविद्यालय और अंत में पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे . सन् 1959 में वे पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष हुए और मृत्युपर्यंत (12 सितंबर 1961 ई०) इस पद पर बने रहे.

हिंदी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक और नई शैली के आलोचक नलिन जी की रचनाएँ इस प्रकार हैं – ‘दृष्टिकोण’, ‘साहित्य का इतिहास दर्शन’, ‘मानदंड’, ‘हिंदी उपन्यास – विशेषतः प्रेमचंद’, ‘साहित्य तत्त्व

और आलोचना’ – आलोचनात्मक ग्रंथ; ‘विष के दाँत’ और सत्रह असंगृहीत पूर्व छोटी कहानियाँ – कहानी संग्रह; केसरी कुमार तथा नरेश के साथ काव्य संग्रह – ‘नकेन के प्रपद्य’ और ‘नकेन- दो’, ‘सदल मिश्र ग्रंथावली’, ‘अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ’, ‘संत परंपरा और साहित्य’ आदि संपादित ग्रंथ हैं.

आलोचकों के अनुसार, प्रयोगवाद का वास्तविक प्रारंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ और उनकी कहानियों में मनोवैज्ञानिकता के तत्त्व समग्रता से उभरकर आए . आलोचना में वे आधुनिक शैली के समर्थक थे . वे कथ्य, शिल्प, भाषा आदि सभी स्तरों पर नवीनता के आग्रही लेखक थे. उनमें प्रायः परंपरागत दृष्टि एवं शैली का निषेध तथा आधुनिक दृष्टि का समर्थन है. आलोचना की उनकी भाषा गठी हुई और संकेतात्मक है . उन्होंने अनेक पुराने शब्दों को नया जीवन दिया, जो आधुनिक साहित्य में पुनः प्रतिष्ठित हुए.

यह कहानी ‘विष के दाँत तथा अन्य कहानियाँ’ नामक कहानी संग्रह से ली गई है। यह कहानी मध्यवर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करती है. कहानी का जैसा ठोस सामाजिक संदर्भ है, वैसा ही स्पष्ट मनोवैज्ञानिक आशय भी. आर्थिक कारणों से मध्यवर्ग के भीतर ही एक ओर सेन साहब जैसों की एक श्रेणी उभरती है जो अपनी महत्वाकांक्षा और सफेदपोशी के भीतर लिंग-भेद जैसे कुसंस्कार छिपाये हुए हैं तो दूसरी ओर गिरधर जैसे नौकरीपेशा निम्न मध्यवर्गीय व्यक्ति की श्रेणी है जो अनेक तरह की थोपी गयी बंदिशों के बीच भी अपने अस्तित्व को बहादुरी एवं साहस के साथ बचाये रखने के लिए संघर्षरत है . यह कहानी सामाजिक भेद-भाव, लिंग-भेद, आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उभारती हुई सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार की महत्त्वपूर्ण बानगी पेश करती है.

किताब के प्रश्न

Q 1.कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए.

उत्तर-किसी कहानी का शीर्षक कहानी रूपी महल का वह द्वार होता है जिससे कहानी के मूल का पता चलता है .वस्तुतः  किसी कहानी का शीर्षक वह केंद्र बिंदु होता है जिसके इर्द-गिर्द घटनाएँ और पात्र चक्कर लगते है . जहाँ तक आचार्य नलिम विलोचन शर्मा द्वारा रचित कहानी का शीर्षक ‘विष के दांत‘ का सवाल है तो यह अत्यंत सार्थक,सटीक एवं उपयुक्त हैं .

कहानी के प्रमुख पत्रों में खोखा आमिर वर्ग का तथा मदन गरीब वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है खोखा अर्थात आमिर का व्यवहार गरीबो के प्रति इतना अन्यायपूर्ण है की वह समाज में विष से कम नहीं है .परन्तु मदन द्वारा खोखा के दांत तोड़ दिए जाने पर गरीबो का आत्मसम्मान बढ़ गया .ऐसा प्रतीत होता है की मदन द्वारा तोड़े गये खोखा के दांत समाज के विष के दांत हो .इस प्रकार हम पाते है की कहानी की शुरुवात ,मध्य और अंत समाजिक विष के इर्द-गिर्द  ही घूम रही है और खोखा के दांत अर्थात समाजिक विष के दांत टूटने से ही समाप्त हो रही है .अतः कहानी का शीर्षक बिलकुल ही सार्थक है.

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2. सेन साहब के परिवार में बच्चे के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए.

उत्तर-पांच बेटियाँ ,एक बेटा और एक पत्नी के सदस्यों वाली परिवार के अमीर स्वामी सेन साहब है. हर माँ-बाप की तरह उनके और उनकी पत्नी के आँखों में बेटे के सुनहरे भविष्य के सपने है .इसके लिए वे हर संभव प्रयास करते है .परन्तु ममता इतनी की बेटे की शैतानियों में भी उन्हें उसका सुन्दर भविष्य दिखाई पड़ता है .उनका बेटा खोखा उपद्रवि होने के साथ-साथ लड़ाई-झगडे में तो जैसे महारथ हासिल कर लिया हो.

इसे भी सकारात्मक रूप नमे देखा जाता है. उनकी फरमाईश लबो तक फुन्चाबौर पुरे हो गये. किसी चीज को उसके द्वारा तोड़ दिए जाने पर उसमे इंजीनियर बनने का देखा जाता . उसकी हर बुराई को सद्गुण करार देते सेन दम्पति पीछे नहीं रहते .

जहाँ तक बेटियों का सवाल है तो उन बेचारियो के प्रति सेन दम्पति का रवैया बड़ा ही कठोर है .उनके हर क्रिया कलापों पर टोका -टोकी आम बात है .उन्हें नियम -कानूनों के दायरों में इस प्रकार रखा जाता है मनो वे सिर्फ उन्ही के लिए बने हो .बेटियाँ कठपुतली से कम नहीं है . इस बात पर सेन साहब का गर्व होना समाज पर तमाचे से कम नहीं है .इस प्रकार हम पाते है की सेन साहब द्वारा अपने बच्चो के पालन-पोषण में लैंगिक भेदभाव चरमोत्कर्ष पर है.

3. खोखा किन मामलों में अपवाद था?

उत्तर– सेन साहब के नाउम्मीद बुढ़ापे के आँखों का तारा उनका बेटा खोखा है.वह जीवन के  नियमो का अपवाद था ही साथ-ही-साथ वह घर के नियमो का भी अपवाद था .उनके हर क्रिया कलाप  जैसे : रहन,सहन ,खेल-कूद ,सामान तोडना आदि सब अपवाद था.

4.सेन दंपति खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओ के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी?

उत्तर-सेन दंपति अपने उम्मीदों के कारण खोखा में इंजीनियर बनने की संभवनाए  देखते थे .उनकी नजर में ऐसा तब संभव है जब पंचवर्षीय खोखा की उँगलियाँ औजारों में वाकिफ रहे .इसके लिए उनके घर पर कारखाने का बढ़इ मिस्त्री एक-दो घंटे के लिए आता था और खोखा के साथ ठोक-ठाक करता था .इस प्रकार शिक्षा की व्यवस्था खोखा के लिए घर पर ही की गई थी.

5. सप्रसंग व्याख्या कीजिये-

(क). लडकियाँ क्या हैं,कठपुतलियाँ है और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है.

उत्तर-प्रस्तुत गधांश प्रयोगवादी कहानीकार आचार्य नलिन विलोचन शर्मा द्वारा रचित कहानी ‘विष के दांत‘ शीर्षक से ली गई है .जिसमे सेन दंपति द्वारा अपनी बेटियों पर थोपे गये नियम-कानूनों का उल्लेख है .लेखक के अनुसार सेन दंपति द्वारा बेटियों पर इतनी बंदिश है की वेतहजीब और तमीज की जीती-जगती मूरत है जिसपर माता-पिता को गर्व है.

(ख). खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धान्त को भी बदल लिया था.

उत्तर-प्रस्तुत गधांश प्रयोगवादी कहानीकार आचार्य नलिन विलोचन शर्मा द्वारा रचित कहानी ‘विष के दांत‘ शीर्षक से ली गई है. जिसमे सेन दंपति द्वारा अपने इकलौते पुत्र के प्रति अँधा-प्रेम का पक्ष उजागर होता है .खोखा उनके बुढ़ापे का किरण था जो अधिक लाड -प्यार के कारण उसकी क्रिया कलाप गलतियों से ही शुरू होते थे .परन्तु वे अपने बेटे को दू:खी देखना नहीं चाहते थे .इसी कारण सेन दंपति ने बेटे के स्वभाव के अनुसार ही अपने को बदल लिया था.

(ग). ऐसे ही लडके आगे चलकर गुंडे,चोर और डाकू बनते है.

उत्तर-प्रस्तुत गधांश प्रयोगवादी कहानीकार आचार्य नलिन विलोचन शर्मा द्वारा रचित कहानी ‘विष के दांत‘ शीर्षक से ली गई है.जिसमे अमीरों का गरीबो के प्रति ख़राब सोच उजागर होता है .वे अपनी चमचमाती गाड़ी से बेहद प्यार करते है.मदन द्वारा उनकी गाड़ी छु कर गंदा करने की स्थिति में वे आग-बबूला हो जाते है और मदन का भविष्य भी मुफ्त बताते हुए कहते है की वह गुंडा ,चोर,और डाकू बनेगा .वस्तुतः यह गरीबो के प्रति दुर्भावना से प्रेरित कथन है .

(घ). हंस कौओ की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया.

उत्तर-प्रस्तुत गधांश प्रयोगवादी कहानीकार आचार्य नलिन विलोचन शर्मा द्वारा रचित कहानी ‘विष के दांत‘ शीर्षक से ली गई है जिसमे बताया गया है की बच्चे स्वभाविक गुण से परे नहीं होते .पड़ोसी बच्चे को लट्टू नचाते देख खोखा का बालमन भी उसमे शामिल होने के लिए ललक उठा .ऊँच-नीच की दीवार गिर गई और मदन कशू के समूह में शामिल हो गया .यह ऐसा लगा मनो हंस .कौवा के जमात में शामिल हो गया .यह हंस आमिर बच्चो का तथा कौवा गरीब बच्चो का प्रतिनिधित्व करता है.

6. सेन साहब के और उनके मित्रो के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया?

उत्तर-सेन साहब और उनके मित्रो के बीच अपने-अपने बच्चो के भविष्य के बारे में बातचीत हुई सेन साहब एक तरफ गर्व से सीना चौड़ा करते हुए कहा की वे अपने बच्चे को इंजीनियर बनाना चाहते है .दूसरी ओर पत्रकार महोदय ने व्यांग्यपूर्वक कहा की वे तो अपने पुत्र को जेन्टिलमैन(Gentleman) बनाना चाहते है .वह जो बने,उसका काम है,उसे पूरी आजादी रहेगी.

7. मदन और ड्राईवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है?

उत्तर-मदन और ड्राईवर के बीच विवाद का मुख्य कारण मदन द्वारा गाड़ी को छु कर गंदा करने का अंदेशा था .परन्तु मदन ने ड्राईवर का जबरदस्त विरोध किया .यह विरोध ही कहानी का जान है जिसके माध्यम से कहानीकार यह बताना चाहता है की गरीबो में भी आत्म सम्मान की भावना होती है जिसके लिए वे सर्वस्वत्याग  सकते है .

8. काशू और मदन के बीच झगडे का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है?

उत्तर-काशू  द्वारा बार-बार अपमानित किए जाने से मदन बदले की भावना से सराबोर हो चूका था . मदन को मौका मिल भी गया .मदन अपनी टोली के साथ खेल रहा था काशू का बालपन भी खेलने के लिए मचल उठा . परन्तु मदन ने उसे खेलने नहीं दिया . आगबबूला होकर काशू ने मदन को घूँसा जड़ दिया . मदन ने तुरंत सूद समेत वापस कर दिया .

कहानीकार इस घटना के माध्यम से बताना चाहता है कि बच्चो में आमिर-गरीब की भावना नहीं होती . गरीब बच्चे समाजिक असमानता को नहीं समझते . अगर बड़े बिच में नहीं आएँ तो वे अपनी आत्म सम्मान की रक्षा स्वयं कर सकते है.

9.’महल और झोपडी वालो की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते है,पर उसी हालत में जब दूसरे झोपडी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते है ‘ लेखक के  इस कथन को कहानी से एक उदहारण देकर पुष्ट कीजिये.

उत्तर-मदन और काशू की लड़ाई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं कही जा सकती .आमिर बाप का बिगड़ा औलाद काशू गरीब मदन पर टूट पड़ा परन्तु मदन भी काशू को जमकर पीट दिया. इस युद्ध में अन्य बच्चे तमाशबीन बने रहे. उनका मूक समर्थन मदन के खिलाफ ही था. लेखक ने ठीक ही कहा है की गरीबो की एक टुकड़ी अमीरों का साथ नहीं दे तब अमीरों द्वारा गरीबो पर अत्याचार मुश्किल है.

10. रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है?

उत्तर– गरीबी केंसर से भी भयानक रोग है ,यह यूँ ही नहीं कहा जाता जो अत्याचार सहने का आदी बना देता है. परन्तु बार-बार अत्याचार सहना संभव नहीं होता है जब वर्दाश्त की आखिरी इम्तहाँ हो जाती है तब वर्षों दफन बगावत के शोले भड़क उठते है . ऐसा ही कुछ मदन के साथ हुआ .उसने काशू को पीट दिया .परन्तु वह डर गया की अब उसे पिता से मार कहानी पड़ेगी .लेकिन पिता ने यह सोचकर गले लगा लिया की जो कम वर्षों से वह नहीं कर परा,मदन ने पल भर में कर दिखाया . उसे गर्व के साथ गहरा आत्मसंतोष हुआ.

11.सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें?

उत्तर- सेन साहब-ये अहंकारी अमीर वर्ग के प्रतिनिधि है जिनकी आँखों में गरीब और उनके बच्चो के प्रतिसख्त नफरत है . बेटियों को कठपुतली बनाकर रखने में उन्हें गर्व महसूस होता है. बिगड़े बेटे के मोह में वे इतने अंधे है की उन्हें उसकी तोड़ फोड़ इंजीनियर का क्रिया-कलाप लगता है.

मदन-अठिनाइ और गरीबी के दलदल का पंकज मदन आत्मस्वाभिमानी बच्चा है. सेन साहब की गाड़ी छूने की कोशिश करने पर वह अपमानित होता है परन्तु उसके बेटे को पीटकर अपने आत्म सम्मान की रक्षा करता है.

काशू– अहंकारी और दुर्गुणों से ओत-पोत काशू अहंकारी आमिर बाप सेन साहब का बिगडैल औलाद है जो सभी नियमों का अपवाद है .उसमे सकरात्मक सोंच की भावना नहीं के बराबर है .उसकी सुबह शैतानियों से शुरू होती है और अंत भी इसी से होती है.

गिरधर-गिरधर गरीब और लचार इंसान है जो रोजी-रोटी  के लिए अपने मालिक की हाँ में हाँ मिलाता है . मजबूरी ऐसी कि वह अपने पुत्र पर हो रहे अत्याचार को सीने पर पत्थर रखकर सह लेता है.परन्तु अंत में वह भी अपने आत्म सम्मान की रक्षा में जूट जाता है.

12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें .

उत्तर-“विष के दांत” शीर्षक कहानी का नायक मदन प्रतीत होता है वह गरीबी नके दलदल का प्राणी है फिर भी उसमे आत्मसम्मान की भावना कूट-कूट कर भरी है . आमिर बच्चा काशू द्वारा अपमानित किए जाने पर उसका खून बदला लेने की भावना से खौलने लगता है . मौका मिलते ही वह काशू को पीट कर बदला ले भी लेता है एक प्रकार से वह गुलामी को पसंद नहीं करते हुए आजादी चाहता है.

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13. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है. ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें.

उत्तर-कहानीकार आचार्य नलिन विलोचन शर्मा एक प्रयोगवादी कवि है. उनका उदेश्य समाज के अनछुए पहलुओ को कहानी द्वारा उजागर करना है. जहाँ तक उनके द्वारा रचित कहानी ‘विष के दांत ‘का सवाल है तो वे इस कहानी में बड़े ही प्रतीकात्मक ढंग से समाजिक विषमता और गरीबो पर अत्याचार का पर्दाफास किए है साथ-ही-साथ उनके स्वर भी व्यंग्यात्मक है जैसे:-मोटर की बात की प्रस्तुती , सेन साहब द्वारा खोखा की प्रशंसा लडकियों पर सेन साहब का गर्व पूर्ण बयान ,मदन और गिरधर के बिच संवाद आदि सब व्यंग्यात्मक है.

14. ‘विष के दांत ‘कहानी का सारांश लिखें.

मै आशा करता हु की आपको ये पोस्ट गध भाग – नलिन विलोचन शर्मा Nalin Villochan Sharma | विष के दांत Poison teeth अच्छा लगा होगा आप अपने दोस्तों में इसे share जरुर करे.

मैंने Q 14. का उत्तर लिखने के लिए आपको दिया है  अगर आपको इसमें कोई भी problem होता है तो आप हमे कमेन्ट के द्वारा कुछ भी पूछ सकते है

विष के दाँत के कहानी का प्रमुख पात्र कौन है?

उत्तर:- हमारी दृष्टि में 'विष के दाँत' शीर्षक कहानी का नायक मदन है। सारे पात्रों में सर्वाधिक प्रभावशाली है और कथावस्तु में उसका ही महत्त्व सर्वोपरि है।। इस दृष्टि से विचार करने पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि इस कहानी का नायम् मदन। ही है।

विष के दांत के कहानी के कहानीकार कौन है?

Ans :- आचार्य नलिन विलोचन शर्मा ने 'विष के दाँत' शीर्षक कहानी के माध्यम से अमीरों की प्रदर्शन प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार पर व्यंग्य किया है। कहानी के प्रारंभ में मोटर की बात की प्रस्तुति व्यंग्यात्मक है। पत्र खोखा की सेन साहब द्वारा प्रशंसा व्यंग्यात्मक है।

खोखा कौन था?

सेन साहब का ड्राइवर खोखा की शैतानियों को सेन साहब की तरह नजरअंदाज करता है, पर मदन जब गाड़ी छूना चाहता है तो उसे धकेल कर भगा देता है।

विश्व के दांत कहानी में मदन किसका बेटा है?

मदन गिरधारी लाल का बेटा था। नलिन विलोचन शर्मा द्वारा लिखित कहानी 'विष के दाँत' में मदन कहानी का प्रमुख पात्र है। वह गिरधारी लाल का बेटा था।

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