‘उषा की दीपावली’ लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।
'उषा की दीपावली एक शिक्षाप्रद लघुकथा है। इस कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें अनेक संदेश छुपे हुए हैं। बालिका उषा के घर में दीपावली के अवसर पर तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं, पर उषा की पसंद बाजारू चीजें हैं। इससे उसके मन में घर में बनी चीजों के प्रति अरुचि और बाजारू चीजों के प्रति आकर्षण के भाव दिखाई देते हैं, जो उचित नहीं हैं। बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर
उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं। उसे लगता है कि एक ओर ऐसे लोग हैं, जो अनाज के एक-एक कौर को तरस रहे हैं और दूसरी ओर दावतों में भरी-भरी प्लेटें कचरे डिब्बें के हवाले कर दी जाती हैं, जिनसे कितने भूखे लोगों का पेट भर सकता था। इससे अन्न का सदुपयोग करने और उसकी बरबादी न करने का संदेश मिलता है।
बालिका उषा बहन के आटे के दीपक बटोरते हुए देख कर द्रवित हो उठती है और उससे रहा नहीं जाता। वह अपने घर जाती है और पकवानों से भरी थैली लेकर बहन के
हाथ में रख देती है। इससे उसके मन में गरीबों के प्रति सहानुभूति और अपने आनंद में गरीबों को शामिल की प्रवृत्ति की झलक मिलती है।
इसके अलावा कहानी में आतिशबाजी पर पैसे बरबाद न करने और वातावरण को प्रदूषित न करने की ओर भी इशारा किया गया है।