दूसरा देवदास कहानी में मन्नू की बुआ का नाम क्या था? - doosara devadaas kahaanee mein mannoo kee bua ka naam kya tha?

''पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है ______ उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।'' कथन के आधार पर कहानी के संकेत पूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए।

जब संभव ने पारो बुआ सुना तो वह देवदास रचना में खो गया। जिस प्रकार देवदास की प्रेमिका पारो थी, वैसे ही यहाँ भी उसकी प्रेमिका पारो ही थी। उसने इसी पारो को पाने के लिए मंसा देवी में मन्नत की गांठ बाँधी थी। वह अपनी इसी पारों को देखना चाहता था। इस कथन से स्पष्ट हो गया कि इस कहानी की नायिका का नाम पारो है और संभव की कहानी इस पारो के बिना पूरी नहीं हो सकती है।

संभव का दूसरा देवदास क्यों कहा गया है?

उत्तर: इस कहानी के पात्र संभव अपने प्रेमिका पारो से मिलने के लिए बहुत व्याकुल रहता हैं जिस तरह शरतचन्द्र के नाटक में ' देवदास ' में अपनी पारो से मिलने कि लिए व्याकुल रहता है । अत: इस कहानी को शीर्षक ' दूसरा देवदास ' सार्थक है।

दूसरा देवदास कहानी का नायक कौन है?

कहानी का नायक 'संभव' है और नायिका 'पारो'।

मनोकामना हेतु लाल धागे कितने रुपए में बिक रहे थे?

उत्तर : मनोकामना हेतु लाल-पीले धागे सवा रुपये में बिक रहे थे

ग उस छोटी सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए?

अचानक पारो से मुलाकात होने पर उसे किसी लड़की के प्रति प्रेम की भावना जागरूक हुई थी। पारो को जब उसने गुलाबी साड़ी में पूरी भीगी हुई देखा, तो वह देखता रह गया। उसका सौंदर्य अनुपम था। उसने उसके कोमल मन में हलचल मचा दी

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