आंख में तिनका पढ़ने के बाद …
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आंख में तिनका पढ़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई
Posted by Charu Parashar 1 year, 7 months ago
- 5 answers
(ख) आोंख मेंदतनका पड़ने के बाद घमोंडी की क्या दशा हुई ?
पांच पांडवों के नाम लिखिए
आंख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी का सरा घमंड यूटर गया और उसके आंख लाल हो गई
आंख मे तिनका पढने के बाद घमंडी का सारा घमंड उतर गया उसकी आँख लाल हो गई थी आंख बहुत जल रही थी तो वहा के आसपास के लोगों न कपड़ा मूठ कर उसकी आँख में सेका और जैसे- तैसे करके तीनका निकल गया ।
Ankh mein tinka padne ke baad ghamandi ki ankh dard hokar laal ho gai
Posted by Hbk Kkm 1 day, 19 hours ago
- 0 answers
Posted by Padmadevi Swetha 1 week ago
- 1 answers
Posted by Preeti Pandey 3 weeks, 1 day ago
- 1 answers
Posted by Neha Shekhar 19 hours ago
- 0 answers
Posted by Deva Priya 2 days, 19 hours ago
- 1 answers
Posted by Vansh Sharwan 2 weeks, 4 days ago
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Posted by Nitin Ram Rayne 22 hours ago
- 0 answers
Posted by Anmol Regar 1 week, 2 days ago
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Posted by Priyansi Sethi 1 day, 4 hours ago
- 0 answers
Posted by Deva Priya 1 week, 2 days ago
- 0 answers
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Students can prepare for their exams by studying NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 13 एक तिनका was designed by our team of subject expert teachers. प्रश्न अभ्यास कविता से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. दोनों में अंतर – अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. भाषा
की बात प्रश्न 1.
नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में ‘एक तिनका
पड़ा।
मूंठ देने लोग कपड़े की लगे-लोग कपड़े की मूंठ देने लगे।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खडा-……..
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी-……..
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी-………
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया-……
उत्तर:
(क) एक दिन जब मुंडेरे पर खड़ा था।
(ख) आँख भी लाल होकर दुखने लगी।
(ग) बेचारी ऐंठ दबे पाँव भगी।
(घ) जब तिनका किसी ढब से निकल गया।
‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उत्तर:
कविता में चर्चा की गई है कि जब एक छोटा-सा निर्बल घास का टुकड़ा मनुष्य को विवश कर देता है और वह स्वयं को असहाय-सा महसूस करने लगता है तो शक्तिशाली वस्तु तो मनुष्य का नामोनिशान मिटा सकती है। इससे मनुष्य को घमंड न करने का संदेश मिलता है।
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर:
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी परेशान हो गया। उसे पीड़ा होने लगी और उसकी सारी ऐंठ (घमंड) गायब हो गई।
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास
के लोगों ने क्या किया?
उत्तर:
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए आसपास के लोगों ने कपड़े को लपेटकर मूंठ बनाया और वे उसकी मदद से आँख में पड़ा तिनका निकालने का प्रयास करने लगे।
‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी –
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है –
तिनका कबहूँ न निदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय॥
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर?
लिखिए।
उत्तर:
दोनों में समानता –
(i) दोनों ही दोहों में तिनके को शक्तिहीन न समझने की चेतावनी दी गई है।
(ii) एक नन्हा-सा तिनका आदमी को बेबस कर सकता है।
(i) पहले काव्यांश में तिनके द्वारा कष्ट देने के ढंग का संकेत नहीं है, जबकि दूसरे में स्पष्ट संकेत है।
(ii) पहले काव्यांश में घमंड न करने की सलाह दी गई है जबकि दूसरे में तिनके की भी निंदा न करने की सलाह दी गई है।
इस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ
किया है- “मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़नेवाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़नेवाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में ‘मैं’ की जगह ‘वह’ या , कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव आ जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर:
‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ रखने पर वाक्यों में बदलाव
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िएऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी, तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
इन पंक्तियों में “ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनका अभिनय कैसा होता?
उत्तर:
(पहला दृश्य-एक आदमी घमंडपूर्वक खड़ा है। तभी ऐंठ (घमंड) उसके अंदर से बाहर आती है और सामने खड़ी हो जाती है।)
ऐंठ
(मनुष्य से) : कहो, कैसे हो?
मनुष्य : मैं तो एकदम ठीक हूँ। मुझे किस बात की चिंता है?
ऐंठ : हाँ, हाँ जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम्हें किसी से डरने या परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।
मनुष्य : कोई सामने तो आए मैं हर एक को देख लूँगा।
(तभी अचानक एक तिनका उसकी आँख में पड़ जाता है और वह दर्द से व्याकुल हो जाता है।)
मनुष्य : हाय-हाय! मेरी आँख में कुछ पड़ गया। कोई देखो, क्या पड़ गया? अरे, कोई तो इसे निकाल दे।
ऐंठ : तू अपनी आँख सँभाल। मैं तो चली।
(ऐंठ चुपचाप भाग जाती है।)
(दूसरा दृश्य-कुछ लोग एक आदमी को घेरे खड़े हैं। उनमें से एक उसकी आँख से तिनका निकालता है। उसकी आँख का दर्द बंद हो जाता है। अब उसकी बुद्धि उसके सामने आ जाती है।)
बुद्धि (मनुष्य से) : कहो, अब कैसे हो?
मनुष्य : अब जाकर चैन मिला। अब तक तो लगता था कि मेरी जान ही निकल जाएगी।
बुद्धि : थोड़ी देर पहले तो बड़ी लंबी-लंबी बातें कर रहे थे। कहाँ गईं वे बातें?
मनुष्य : एक तिनके ने इतनी पीड़ा पहुँचाई कि पीड़ा के सिवा सब भूल गया।
बुद्धि : फिर तू अब तक किसके बल पर इतना घमंड कर रहा था? तेरा घमंड
तोड़ने के लिए तो एक तिनका ही पर्याप्त है।
मनुष्य : अब और ज्यादा शर्मिंदा न करो।
नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।
उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।
तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास॥
उत्तर:
तिनका शब्द के अलग-अलग अर्थ –
तिनका – अज्ञान रूपी तिनका कण
तिनका-तिनका होना – छोटे-छोटे टुकड़े होकर बिखर जाना
तिनका – उनका
तिनके – उनके (ईश्वर के)
“किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ……….. ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश
चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए छप से टप से थर्र से फर्र से सन से
(क) मेंढक पानी में …………… कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद ………….. चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया ………. उड़ी।
(घ) ठंडी हवा ………. गुज़री, मैं ठंड में ………. काँप गया।
उत्तर:
(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद टप से चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
(घ) ठंडी हवा सन से गुज़री, मैं ठंड में
थर्र से काँप गया।