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टीला शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया गया क्या है *?
इसे सुनेंरोकेंपाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग ‘मार्ग की बाधा’ का प्रतीक है। इस पाठ में टीला शब्द सामाजिक कुरीतियों,अन्याय तथा भेदभाव को दर्शाता है क्योंकि यह मानव के सामजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न करता हैं।
टीले शब्द का अर्थ क्या है?
इसे सुनेंरोकेंछोटी पहाड़ी की तरह उमड़ा तथा ऊँचा उठा हुआ भूखंड। मिट्टी का वह ऊँचा ढेर जो प्राकृतिक रूप से बना हो।
टीला किसे कहा गया है प्रेमचंद ने उस पर जूता क्यों आजमाया?
इसे सुनेंरोकेंExpert-verified answer पाठ में टीला मुसीबतों का प्रतीक है| पाठ में ‘टीले’ शब्द का प्रयोग मार्ग की बाधा के रुप में किया गया है।
4 आपने यह व्यंग्य पढ़ा इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
इसे सुनेंरोकेंमुझे इस व्यंग्य की सबसे आकर्षक बात लगती है -विस्तारण शैली तथा लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में महान साहित्यकार प्रेमचंद का चित्र प्रस्तुत किया है। इस पाठ की शुरुआत प्रेमचंद के फटे जूते से होती है और प्रेमचंद के पूरे व्यक्तित्व को उजागर कर देती है ।
कौन फोटो का महत्व नहीं समझता है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: उत्तरः प्रेमचंद एक सादे, सरल तथा आडम्बरहीन व्यक्ति थे, उनके इसी व्यक्तित्व के कारण लेखक को लगा कि वे फोटो का महत्व नहीं समझते हैं। ..
प्रेमचंद जी के व्यक्तित्व की कौन कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया है?
इसे सुनेंरोकेंस्वाभिमानी-प्रेमचंद ने दूसरों की वस्तुओं को माँगना उचित नहीं समझा। वे अपनी दीन-हीन दशा में संतुष्ट थे। सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने वाले-प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति सावधान किया। वे एक स्वस्थ समाज चाहते थे तथा स्वयं भी बुराइयों से कोसों दूर रहने वाले थे।
लेखक की दृष्टि प्रेमचंद के जूते पर क्यों अटक गई?
इसे सुनेंरोकेंलेखक लेखक की दृष्टि प्रेमचंद के जूते पर इसलिए अटक गए क्योंकि उसने देखा कि प्रेमचंद ने जो जूता पहना हुआ है उसमें एक बड़ा सा छेद हो गया है इसी बात को लेकर लेखक की दृष्टि प्रेमचंद पर अटक गए।
लेखक को कौन सी विडंबना चुभी और क्यों?
इसे सुनेंरोकें’प्रेमचंद के फटे जूते’ में लेखक को कौन-सी विडम्बना चुभी और क्यों? उत्तर. प्रेमचंद जैसे महान् साहित्यकार जिसे उपन्यास-सम्राट, युग-प्रवर्तक, महान् कथाकार और न जाने क्या-क्या कहा गया, के पास पहनने के लिए एक सही जूता भी न था। उनकी यह स्थिति और गरीबी की विडम्बना लेखक को चुभी।
प्रेमचंद को जनता केलेखक क्यों क ा गया ै?
इसे सुनेंरोकेंजनता का लेखक प्रेमचंद को कहते हैं। क्योंकि प्रेमचंद की कहानियां और उपन्यास आम जन जीवन से जुड़े होते थे। उनकी कहानियों और उपन्यासों में आम लोगों की कथाएं होती थी जो सीधे आमजन को जोड़ती थीं। उनकी अधिकतर कहानियों और उपन्यासों में भारत के ग्रामीण परिवेश से जुड़ी कहानियां होती थीं, जो कि भारत की मुख्य जनसंख्या थी।
प्रेमचंद के फटे जूते व्यंग्य पढ़कर आपको लेखक की कौन कौन सी बातें आकर्षित करती है?
इसे सुनेंरोकें’प्रेमचंद के फटे जूते’ लेखक हरिशंकर परसाई द्वारा रचित एक व्यंग रचना है। इसमें लेखक ने प्रेमचंद के फटे हुए जूते एवं उनके साधारण कपड़े जिसमें वे फोटो खिंचवाने भी चले जाते हैं, का वर्णन किया है। लेखक ने प्रेमचंद की सादगी का वर्णन करते हुए समाज में फैली दिखावे की परंपरा पर व्यंग किया है।
प्रेमचंद के फटे जूते व्यंग्य में लेखक को कौन सी बात आप को आकर्षित करती है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: पहले लेखक प्रेमचंद के साधारण व्यक्तित्व को परिभाषित करना चाहते हैं कि ख़ास समय में ये इतने साधारण हैं तो साधारण मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे। परन्तु फिर बाद में लेखक को ऐसा लगता है कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व दिखावे की दुनिया से बिल्कुल अलग है क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं।
पाठ में 'टीले' शब्द का प्रयोग किन संदर्भो को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
पाठ में 'टीले' शब्द का प्रयोग 'मार्ग की बाधा' का प्रतीक है। इस पाठ में टीला शब्द सामाजिक कुरीतियों,अन्याय तथा भेदभाव को दर्शाता है क्योंकि यह मानव के सामजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न करता हैं।
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आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन-सी बात आकर्षित करती है?
मुझे इस व्यंग्य की सबसे आकर्षक बात लगती है -विस्तारण शैली तथा लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में महान साहित्यकार प्रेमचंद का चित्र प्रस्तुत किया है। इस पाठ की शुरुआत प्रेमचंद के फटे जूते से होती है और प्रेमचंद के पूरे व्यक्तित्व को उजागर कर देती है । प्रेमचंद के व्यक्तित्व की विशेषताओं को व्यक्त करने के लिए जिन उदाहरणों का प्रयोग किया गया है, वे व्यंग को और भी आकर्षक बनाते हैं। लेखक ने अप्रत्यक्ष रुप से सामाजिक कुरीतियों पर व्यंग्य द्वारा प्रहार किया है।
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प्रेमचंद के फटे जूते को आधार बनाकर परसाई जी ने यह व्यंग्य लिखा है। आप भी किसी व्यक्ति की पोशाक को आधार बनाकर एक व्यंग्य लिखिए।
हमारे एक पड़ोसी है। जो बहुत ही कंजूस है। यहाँ तक के बच्चों के खाने-पीने की चीजों में भी कटौती करते हैं। परंतु दुनिया में अपनी झूठी शान दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी नामचीन कम्पनियों के कपड़े ही पहनते। उनका यह दोघलापन मेरी समझ से परे है।
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आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
आज के समय में लोगों का दृष्टिकोण बहुत बदल गया है। आज की दुनिया दिखावे के प्रति जयादा जागरूक है। यहाँ तक की व्यक्ति का मान-सम्मान और चरित्र भी वेश-भूषा पर अवलम्बित हो गया हैं। आज सादा जीवन जीने वालों को पिछड़ा समझा जाने लगा है। अगर समाज में अपनी शान बनाए रखनी है तो महँगे से महँगे कपड़े पहनना आवश्यक हो गया है और समय के साथ कोई खुद को न बदले तो उसकी समाज में प्रतिष्ठा नही बनती।
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पाठ में एक जगह लेखक सोचता है कि 'फोटो खिंचाने कि अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी ?' लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि 'नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।' आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की क्या वजहें हो सकती हैं ?
लेखक ने पहले सोचा प्रेमचंद खास मौके पर इतने साधारण हैं तो साधारण मौकों पर ये इससे भी अधिक साधारण होते होंगे क्योंकि लोग प्रायः दैनिक जीवन में साधारण कपड़ों का प्रयोग करते हैं और विशेष अवसरों पर अच्छे कपड़ों का। फिर लेखक को लगा कि प्रेमचंद का व्यक्तित्व दिखावे की दुनिया से बिलकुल भिन्न हैं क्योंकि वे जैसे भीतर हैं वैसे ही बाहर भी हैं।
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