स्थाई भाव और रस में क्या अंतर है? - sthaee bhaav aur ras mein kya antar hai?

स्थायी भाव और संचारी भाव में अंतर | sanchari bhav aur sthayi bhav me anter

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    • संचारी भाव

स्थायी भाव और संचारी भाव में अंतर- sanchari bhav aur sthayi bhav me anter

स्थायी भाव

संचारी भाव

1. संचारी भाव की संख्या 33 है। 1. इसकी संख्या केवल 10 है
2. ये स्थायी भाव के अंग हैं।
2. ये संचारी भाव के अंग नहीं हैं।
3. वे भाव जो व्यक्ति के हृदय में सदैव रहते हैं। ये अस्थिर होते हैं। 3. वे भाव जो संचरित होते रहते हैं। ये अस्थिर होते हैं।
4. स्थायी भाव एक रस में एक ही होता है। 4 . संचारी भाव एक रस में अनेक होते हैं।
5. ये आते-जाते रहते हैं। 5. स्थायी भाव संचारित नहीं होते हैं।
6. ये स्थायी भाव के जागरण में सहायक होते हैं हैं। 6. स्थायी भाव संचारी भावों को नहीं जगाते हैं।

उदाहरण- विवाह में दूल्हा और दुल्हन दोनों प्रसन्नचित्त हैं। वे एक-दूसरे को कनखियों से देखते हैं।

यहाँ स्थायी भाव ‘रति’ है अतः यहाँ शृंगार रस है।

उदाहरण में हर्ष, आवेग, चपलता, लज्जा, धृति आदि संचारी भाव हैं जो ‘रति’ नामक स्थायी भाव को जाग्रत करते हैं।

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Que : 143. स्थायी भाव और संचारी भाव में अंतर बताइए।

Answer: 1. स्थायी भाव से रस का जन्म होता है। जो भावना स्थिर और सार्वभौम होती है उसे स्थायी भाव कहते हैं।

स्थायी भाव 7 होता है -

रति (प्रेम), उत्साह (ऊर्जा), शोक, हास, विसम्या, भय, जुगुप्स, क्रोध, संचारी रस की और वस्तु या विचार का नेतृत्व करते हे उसे संचारी भाव कहते हैं।

2. संचारी भाव वो होते है जो वाक्य समय भाव प्रकट होते है ये जल्दी जल्दी बदलते रहते है स्थायी भाव पूरे पैराग्राफ का निष्कर्ष भाव होता है।

स्थाई भाव और संचारी भाव में अंतर क्या है?

संचारी भाव वो होते है जो वाक्य समय भाव प्रकट होते है ये जल्दी जल्दी बदलते रहते है स्थायी भाव पूरे पैराग्राफ का निष्कर्ष भाव होता है।

रस और भाव में क्या अंतर है?

इसी कारण के लिये भावो को रसो का मूल माना जाता है। जिस प्रकार मसाले, सब्जी और गुड के साथ स्वाद या रस बनाया जा सके उसी प्रकार स्थाई भाव और अन्य भावों से रस बनाया जा सकता है और ऐसा कोई स्थाईभाव नहीं है जो रस की वृद्धि नहीं करता और इसी प्रकार स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव और आलंबन भावों से रस की वृद्धि होती है।

स्थाई भाव क्या है उदाहरण सहित समझाइए?

प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव नियत होता है। रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा (घृणा), विस्मय, शम (निर्वेद) स्थायी भाव है। इसके अतिरिक्त वात्सल्य रस माना गया हैं। इसका स्थायी भाव वत्सल है।

रस का स्थाई भाव कितने होते हैं?

प्रत्येक रस का स्थायीभाव अलग-अलग निश्चित है। उसी की विभावादि संयोग से परिपूर्ण होनेवाली निर्विघ्न-प्रतीति-ग्राह्य अवस्था रस कहलाती है। शृंगार का स्थायी रति, हास्य का हास, रौद्र का क्रोध, करुण का शोक, वीर का उत्साह, अद्भुत का विस्मय, बीभत्स का जुगुप्सा, भयानक का भय तथा शांत का स्थायी शम या निर्वेद कहलाता है।

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