वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पहले लगकर नये शब्द का निर्माण करते है, उन्हें उपसर्ग कहते है। स्वतंत्र रुप से इनका कोई अर्थ नहीं होता लेकिन किसी अन्य शब्द के साथ जुडकर ये अर्थ में विशेष परिवर्तन ला देते है।
संस्कृत में 22 उपसर्ग होते है।
- उपसर्ग अर्थ
- अति अधिक/परे अत्यन्त, अतीव, अतीन्द्रिय, अत्यधिक, अत्युत्तम।
- अधि मुख्य/श्रेष्ठ। अधिकृत, अध्यक्ष, अधीक्षण, अध्यादेश, अधीन, अध्ययन, अध्यापक।
- अनु पीछे/ समान अनुज, अनुरूप, अन्वय, अन्वीक्षण, अनूदित, अन्वेक्षण, अनुच्छेद।
- अप विपरीत/बुरा अपव्यय, अपकर्ष, अपशकुन, अपेक्षा।
- अभि पास/सामने अभिभूत, अभ्युदय, अभ्यन्तर, अभ्यास, अभीप्सा, अभीष्ट।
- अव बुरा/ हीन अवज्ञा,अवतार, अवकाश, अवशेष।
- आ तक/से आघात, आगार, आगम, आमोद, आतप
- उत् ऊपर/ श्रेष्ठ उज्जवल, उदय, उत्तम, उद्धार, उच्छ्वास, उल्लेख।
- उप समीप उपवन, उपेक्षा, उपाधि, उपहार, उपाध्यक्ष।
- दुर् बुरा/ कठिन दुरूह, दुर्गुण, दुरवस्था, दुराशा, दुर्दशा।
- दुस् बुरा/ कठिन दुष्कर, दुस्साध्य, दुस्साहस, दुश्शासन।
- नि बिना/विशेष न्यून, न्याय, न्यास, निकर, निषेध, निषिद्ध।
- निर् बिना/बाहर निरामिष, निरवलम्ब, निर्धन, नीरोग, नीरस, नीरीह।
- निस् बिना/बाहर निश्छल, निष्काम, निष्फल,निस्सन्देह।
- प्र आगे/अधिक प्रयत्न, प्रारम्भ, प्रोज्जवल, प्रेत, प्राचार्य,प्रार्थी।
- परा पीछे/अधिक पराक्रम, पराविद्या, परावर्तन,पराकाष्ठा।
- परि चारों ओर पर्याप्त, पर्यटन, पर्यन्त, परिमाण, परिच्छेद,पर्यावरण।
- प्रति प्रत्येक प्रत्येक, प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर, प्रत्याशा, प्रतीति।
- वि विशेष/भिन्न विलय, व्यर्थ, व्यवहार, व्यायाम,व्यंजन,व्याधि,व्यसन,व्यूह।
- सु अच्छा/सरल सुगन्ध, स्वागत, स्वल्प, सूक्ति, सुलभ।
- सम् पूर्ण शुद्ध संकल्प, संशय, संयोग, संलग्न, सन्तोष।
- अन् नहीं/बुरा अनुपम, अनन्य, अनीह, अनागत, अनुचित, अनुपयोगी।
“उपस्रज्यन्ते धतुनाम् समीपे क्रियन्ते इत्युपसर्गा” अर्थात जो धातुओ के समीप रखे जाते है उपसर्ग कहलाते हैं। परंतु उपसर्गों से केवल क्रियाओ का ही निर्माण नही होता, इससे अन्य शब्दो का निर्माण भी होता है जैसे – प्र + ह्र(धातु) = प्रहरती (पीटता है), प्र + कार:(संज्ञा) = प्रकार: (भेद)। उपसर्गों का
प्रयोग होने से मूल शब्द के अर्थ मे परिवर्तन हो जाता है । संस्कृत में बाइस (22) उपसर्ग हैं। प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, आ (आङ्), नि, अधि, अपि, अति, सु, उत् /उद्, अभि, प्रति, परि तथा उप। नीचे दी गई तालिका में संस्कृत के बाईस उपसर्ग और उनसे बनने बाले शब्द दिए गए हैं। उपसर्ग से शब्द निम्न हैं:- अध्ययन, अध्यापन (वर) अनुक्रम, अनुताप, अनुज (मागुन); अनु + भवति = अनुभवति (अनुभव) अपकार, अपजय (विरुद्ध होणें); अप + करोति = अपकरोति (बुराई); अप + जानाति = अपजानीते (अस्वीकार) अभिमुख, अभिनय (जवळ); अभ्युत्थान, अभ्युदय (पुढें) अवगणना, अवतरण (खालीं) आरक्त (किंचीत); आक्रमण, आकलन (पलीकडे); आकंठ, आजन्म (पासून, पर्यंत) उपाध्यक्ष, उपदिशा (जवळ) दुर् + गच्छति = दुर्गच्छति (दुःख) दुस् + करोति = दुष्करोति (दुष्कर्म); दुस् + चरति = दुश्चरति (बुरा काम) निकामी, निजोर (नकार) निर् + ईक्षते = निरीक्षते (निगरानी); निर् + वहति = निर्वहति (निर्वहन) निस + तरति = निस्तरति (समाप्त); निस + सरति = निस्सरति (निकलता) परा + जयति = पराजयते (पराजित); परा + करोति = पराकरोति (भगाता है) परिमित, परिश्रम, परिवार (व्याप्त) प्र + नमति = प्रणमति (झुककर); प्र + भवति = प्रभवति (प्रकट); प्र + हरति = प्रहरति (प्रहार); प्र + हार = प्रहार (मार) प्रतिदिन, प्रतिवर्ष, प्रत्येक (एकेक) विख्यात, विनंती, विवाद (विशेष); वि + नयति = विनयते (चुकाना) संयम, संयोग, संकीर्ण (बरोबर); सम् + गृह्णाति = संगृह्णाति (संग्रह) सुभाषित, सुकृत, सुग्रास (चांगले); सुगम, सुकर, स्वल्प (सोपें) उपर्युक्त तालिका (table) में कोष्ठक (bracket) में लिखे गए शब्द संबंधित उपसर्ग से बनने बाले शब्दों के अर्थ एवं प्रकार को व्यक्त करते हैं। किसी-किसी उपसर्ग से बनने बाले शब्दों में एक से अधिक अर्थ व्यक्त करने वाले शब्दों को लिखा गया है।संस्कृत उपसर्ग (उपसर्ग प्रकरण)
संस्कृत में कुल कितने उपसर्ग हैं?
संस्कृत उपसर्ग के उदाहरण
#उपसर्गशब्द 1.
अति
अतिशय, अतिरेक (आधिक्य)
2.
अधि
अधिपति, अध्यक्ष (मुख्य); 3.
अनु
अनुकरण, अनुमोदन (प्रमाणें); 4.
अप
अपकर्ष, अपमान (खालीं येणें); 5.
अपि
अपिधान = अच्छादन (आवरण)
6.
अभि
अभिनंदन, अभिलाप (अधिक); 7.
अव
अवकृपा, अवगुण (अभाव, विरूद्धता); 8.
आ
आगमन, आदान (उलट); 9.
उत्
उत्कर्ष, उत्तीर्ण, उद्भिज्ज (वर)
10.
उप
उपग्रह, उपवेद, उपनेत्र (गौण); 11.
दुर्
दुराशा, दुरुक्ति (वाईट); 12.
दुस्
दुश्चिन्ह, दुष्कृत्य (दुष्कर्म); 13.
नि
निमग्न, निबंध (अत्यंत); 14.
निर्
निरंजन, निराषा (अभाव) ; 15.
निस्
निष्फळ, निश्चल, नि:शेष (अभाव); 16.
परा
पराजय, पराभव (उलट); 17.
परि
परिपाक, परिपूर्ण (पूर्ण); 18.
प्र
प्रकोप, प्रबल, प्रपिता (आधिक्य); 19.
प्रति
प्रतिकूल, प्रतिच्छाया (उलट); 20.
वि
विफल, विधवा, विसंगति (अभाव); 21.
सम्
संस्कृत, संस्कार, संगीत (चांगले); 22.
सु
सुबोधित, सुशिक्षित (अधिक); कुछ शब्दों के पूर्व एक से अधिक उपसर्ग भी लग सकते हैं। जैसे –
हिन्दी के उपसर्ग