माल एवं सेवा कर अधिनियम के अंतर्गत रिटर्न प्रस्तुत करने संबंधी प्रावधानों का उल्लेख कीजिए - maal evan seva kar adhiniyam ke antargat ritarn prastut karane sambandhee praavadhaanon ka ullekh keejie

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) क्या है? 

mal evam sevakar arth paribhasha visheshta;माल एवं सेवाकर अर्थात् जीएसटी का अर्थ ऐसे कर से है जो भारत मे वस्तुओं एवं सेवाओं की पूर्ति पर निर्धारित दरों से आरोपित एवं वसूला जा रहा है। यह कर एक संघीय कर है, अर्थात् किसी राज्य मे माल या सेवा की पूर्ति पर केन्द्रीय कर एवं राज्य कर लगता है तथा अंतराष्ट्रीय पूर्ति पर एकीकृत जीएसटी लगता है। यह कर बहुबिन्दी कर है जो कि माल या सेवा की पूर्ति के प्रत्येक चरण के मूल्य संवर्द्धिन पर लगता है एवं इसका अंतिम भार माल या सेवा के अंतिम उपभोक्ता पर पड़ता है। 

जी. एस. टी. एक मूल्य संवर्द्धित कर है जो माल एवं सेवाओं के निर्माण, विक्रय एवं उपभोग पर लागू होता है। 

जीएसटी के अंतर्गत उत्पादक/सेवा प्रदाता बिन्दु से फुटकर विक्रय/उपभोक्ता स्तर तक निर्बाध विस्तृत एवं निरन्तर पर क्रेडिट की श्रंखला द्वारा पूर्ति चक्र के प्रत्येक स्तर तक, केवल मूल्य संवर्द्धिन का ही करारोपण होता है।

सरल शब्दों में," माल एवं सेवाकर एक ऐसी प्रणाली है, जिसके अनुसार माल या सेवा की पूर्ति की प्रक्रिया मे प्रत्येक बिन्दु पर की गई वृद्धि पर ही कर लगाया जाता है। यह मूल्यवर्द्धन पूर्तिकर्ता द्वारा किया जाता है। जीएसटी मे माल के विक्रेता और सेवा के प्रदायक दोनों की पूर्तिकर्ता की संज्ञा दी गई है। 

भारत मे जीएसटी लगाने से पहले अनेक प्रकार के कर लगते थे। इस कारण लोगों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इसी से निजात पाने के लिए देश मे माल के उत्पादन, बिक्री, वितरण और सेवाओं की पूर्ति पर लगने वाले तरह-तरह के अप्रत्यक्ष करों की जगह पर 1 जुलाई 2017 से एक कर "माल एवं सेवा कर" लागू हो किया गया, जिसकी मूल धारणा "एक देश एक बाजार एक कर" है।

वस्तु एवं सेवाकर (GST) के आधारभूत तत्व एवं विशेषताएं &lt;/h2&gt;&lt;p&gt;भातर मे लागू वस्तु एवं सेवाकर (जी. एस. टी) के आधारभूत तत्वों, और विशेषताओं एवं मुख्य बातों को हम निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते है--&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;1. जीएसटी की प्रकृति&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है, क्योंकि इसका अंतिम भार माल या सेवा के अंतिम उपभोक्ता पर पड़ता है। इस कर की राशि माल या सेवा की पूर्ति की श्रंखला मे उत्पादन, वितरक, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी माल या सेवा के मूल्य के साथ जोड़कर संग्रहीत करेंगे और सरकार को जमा कराएंगे, लेकिन इसका भार उन पर नही पड़ेगा, क्योंकि वह कर ही राशि ग्राहक से वसूल कर लेंगे।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;2. संघीय कर&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;भारत मे शासन व्यवस्था त्रि-स्तरीय है- केन्द्र, राज्य एवं स्थानीय निकाय। भारतीय संविधान मे केन्द्र और राज्यो के बीच साधनों का जो बँटवारा किया गया है, उसके अनुसार माल या वस्तुओं के उत्पादन पर कर लगाने का अधिकार केन्द्र को दिया गया है तो वस्तुओं की खरीद-बिक्री पर कर लगाने का अधिकार राज्यों को दिया गया है। सेवाओं पर कर लगाने के संबंध मे संविधान मे कुछ कहा नही गया है। ऐसी स्थिति मे उत्पादन, विक्रय एवं सेवाओं पर एकीकृत प्रणाली के लिए भारत सरकार को संविधान मे संशोधन करना पड़ा। फलस्वरूप जीएसटी को लागू करना मुमकिन हो सका। इस प्रकार से जीएसटी एक संधीय कर है जिसमें केन्द्र और राज्यों की समान भागीदारी है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;3. जीएसटी के प्रकार&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;सामान्य बोलचाल की भाषा मे जीएसटी को एकल कर माना गया है, लेकिन व्यवहार मे यह कर दोहरे रूप मे लागू किया गया है-- केन्द्रीय माल एवं सेवाकर (GGST) और राज्य माल एवं सेवाकर (SGST) एवं द्वितीय एकीकृत माल एवं सेवाकर (IGST)। जिस दर पर जीएसटी लगाया जाएगा उसमे आधा भाग केन्द्रीय जीएसटी (CHST) का होगा तो आधा भाग जीएसटी होगा एवं आधा भाग 14% राज्य जीएसटी होगा। उदाहरण के लिए सीमेंट पर जीएसटी की दर 28% है तो 14% केन्द्रीय जीएसटी होगा एवं आधा भाग यानि की 14% राज्य जीएसटी का होगा। जहां तक अंतर्राज्यीय वित्त पूर्ति पर एकीकृत जीएसटी (IGST) का प्रश्न है यह पूर्ण दर पर लगेगा और इसका वितरण केन्द्र और राज्यों के बीच जीएसटी परिषद् की अनुशंसाओं के अनुसार केन्द्र द्वारा कानून बनाकर किया जाएगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="7124518223" data-ad-format="auto" data-full-width-responsive="true"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 4. बुहबिन्दु कर &lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी बहुबिन्दु कर है। किसी वस्तु को उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचने मे जितने स्तरों पर इसकी पूर्ति या हस्तांतरण होता है, उतने स्तरों पर यह कर वस्तु के बढ़े हुए मूल्य पर लगता है। इसे हम निम्नलिखित उदाहरण से समझ सकते है--&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;प्रथम; उत्पादक द्वारा वितरक को पूर्ति&lt;/p&gt;&lt;p&gt;द्वितीय स्तर; वितरक द्वारा थोक व्यापारी को पूर्ति&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;तृतीय; थोक व्यापारी से फुटकर व्यापारी को पूर्ति&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;चतुर्थ स्तर; फुटकर व्यापारी से उपभोक्ता को पूर्ति&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;वस्तु की पूर्ति के प्रत्येक स्तर पर यह कर इनपुट टैक्स क्रेडिट पद्धति के अनुसार लगेगा, अर्थात् पूर्तिकर्ता को कुल कर मे से पूर्व मे चुकाए गये कर की छूट घटा कर शेष कर जमा कराना होगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;5. जीएसटी की राशि बिल मे अलग से प्रदर्शित करना&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी कर प्रणाली मे पूर्ववर्ती पूर्तिकर्ता (supplier) को चुकाये गये कर की छूट (input tax credit) व्यापारी को तभी मिल सकती है, जबकि बिल मे ऐसे कर की राशि अलग से पदर्शित की गयी हो। अतः आगत कर की क्रेडिट (input tax credit) की प्राप्ति पूर्तिकर्ता व्यापारी को उस वस्तु की पुनः पूर्ति पर देय कर मे से मिल सके, इसके लिए ऐसे कर की राशि बिल मे माल की कीमत मे शामिल करने की बजाय पृथक से चार्ज की जाती है।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;6. जीएसटी के दायरे से बाहर वस्तुएं&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;मादक पदार्थों अर्थात् शराब आदि पर प्रांतीय उत्पाद शुल्क लगता है इसलिए इन्हें जीएसटी से बाहर रखा गया है। इसके साथ ही सहमति न बनने के कारण पेट्रोलियम पदार्थों क्रूड ऑयल, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और टर्बाइन ईधन को भी अस्थायी रूप से जीएसटी से बाहर रखा गया है। अभी इन पदार्थों पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं राज्य वेट, प्रवेश कर आदि लगता है। राज्यों मे सहमति बन जाने पर इन पर भी शीघ्र ही जीएसटी लागू हो सकता है एवं देशभर मे पेट्रोलियम पदार्थों पर एक दर से जीएसटी लगेगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;7. कम्पोजिशन की सुविधा&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जो छोटे व्यापारी या पूर्तिकर्ता पूर्ति किये गये माल पर चुकाये कर अर्थात् आगत कर की क्रिडित (Input tax credit) प्राप्त नही करना चाहते है, उनको यह विकल्प है कि वे अपने कुल टर्नओवर पर एक निर्धारित प्रतिशत से एक मुश्त कर चुका कर अपने दायित्व को पूरा कर सकते है। इसे कम्पोजिशन कहते है। जैसे एक करोड़ रूपये&amp;nbsp; (प्रारंभ मे यह सीमा 75 लाख रखी गई थी जो अक्टूबर मे बढ़ाकर 1 करोड़ रूपये कर दी गयी और 10 नम्बर 2017 की जीएसटी कौंसिल की मीटिंग मे इसे पुनः बढ़ाकर 1.5 करोड़ रूपये करने की अनुशंसा की गई है जो एक्ट मे संशोधन के बाद लागू होगी।) तक की माल की पूर्ति वाले व्यापारियों को यह विकल्प प्राप्त है एवं कम्पोजिशन की सामान्य कर दर 1% है।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;8. करमुक्त माल&amp;nbsp;&lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;दैनिक जीवन की अनेक अनिर्वाय वस्तुओं को जीएसटी से करमुक्त घोषित किया गया है, अर्थात् इनके क्रय-विक्रय अथवा पूर्ति पर कोई कर नही लगेगा। सरकार ने जीएसटी परिषद् की अनुशंसा पर 149 प्रकार के विभिन्न माल एवं वस्तुओं को शुन्य कर श्रेणी मे रखा है। इनमे सभी प्रकार के अनाज, दालें, आटा, बेसन, नमक, पुस्तकें, दूध-दही,फल-सब्जियां, कृषि उपकरण, बीज, माँस, अण्डे, ब्रेड इत्यादि प्रमुख है।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;&lt;script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-format="fluid" data-ad-layout-key="-6t+ed+2i-1n-4w" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="5830977226"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); 9. जीएसटी की दरें &lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी मे करयोग्य वस्तुओं एवं सेवाओं को कर की दरों की दृष्टि से 7 श्रेणियों मे बाँटा गया है। दरों के ये वर्ग 0%, 25%, 3%, 5%, 12%, 18% एवं 28% है एवं राज्यों को क्षतिपूर्ति के लिए उपकर भी लगाया गया है। सोना-चाँदी आदि बहुमूल्य धातुएं एवं इलेक्ट्राॅनिक्स, सीमेंट आदि 28% की दर से कर योग्य होंगे। इसके अलावा सिगरेट, महंगी कारें, गुटखा-पानमसाल इतिहास मालों पर जीएसटी के साथ उपकर भी लगाए गये है। सभी करयोग्य सेवाएं सामान्यता एक समान दर 18% से करयोग्य होंगी।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;10. इनपुट टैक्स क्रेडिट&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी की सबसे बड़ी विशेषता इनपुट टैक्स क्रेडिट है। इनपुट टैक्स क्रेडिट के अंतर्गत एक स्तर पर चुकाया गया टैक्स, दूसरे स्तर पर चुकाए जाने वाले टैक्स मे से घटा दिया जाएगा और बिल्कुल अंत मे उपभोक्ता पर ही टैक्स लगेंगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;उपभोग से पहले के स्तर के टैक्स को इनपुट टैक्स कहा जाएगा और यह आगे के स्तर के लिए क्रेडिट का काम करेंगा। जीएसटी मे इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था का फायदा तभी मिल सकता है जब माल एवं सेवाएं देने वाले व्यक्ति ने पंजीयन करा रखा हो। जीएसटी मे व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से से माल खरीद कर उसे उसे देश के किसी भी हिस्से मे बेचें तो कोई समस्या नही है। उसे व्यापार के दौरान लिए गए माल, सेवाओं और पूंजीगत माल कर की इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;यदि ऐसा व्यापारी अन्य प्रदेशों को माल की पूर्ति करता है या अनिवासी व्यक्ति या अस्थायी व्यक्ति है तो उसे अनिर्वाय रूप से पंजीयन कराना होगा, चाहे उसका टर्नओवर 20 लाख रूपये से कम हो या ज्यादा हो।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;11. जीएसटी का भुगतान&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;एक सामान्य करदाता द्वारा करों का भुगतान आगामी महीने की 20 तारीख तक मासिक आधार पर किया जाएगा। करदाता द्वारा केन्द्रीय जीएसटी (CGST) का भुगतान केन्द्र सरकार के खाते मे एवं प्रांतीय जीएसटी (SGST) का भुगतान सम्बंधित राज्य सरकार के खाते मे जमा किया जाएगा। अंतर्राज्यीय पूर्ति की दशा मे IGST खाते मे कर जमा किया जाएगा। भुगतान के साभी माध्यमों मे जीएसटी एक आम पोर्टल से उत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक चालान का ही प्रयोग किया जाएगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;12. निरीक्षण एवं जांच की प्रभावी व्यवस्था&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;यद्यपि जीएसटी मे जांच चौकियां एवं अंतर्राज्यीय बेरियर्स समाप्त कर दिये गये है एवं फार्म 49 की व्यवस्था भी समाप्त कर दी गई है, लेकिन कर चोरी न हो इसके लिए प्रभावपूर्ण निरीक्षण एवं जांच व्यवस्था की गई है। इसमे ट्रांसपोर्टरों पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए गये है एवं सब-वे बिल की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;13. स्वतः कर निर्धारण&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी प्रणाली की एक मुख्य विशेषता यह है भी है कि इस प्रणाली मे स्वतः कर निर्धारण की व्यवस्था की गयी है। जो व्यक्ति निर्धारित तथि (Due date) तक पूर्ति की विवरणी (Return of supply) प्रस्तुत कर देते है एवं जमा करा देते है, उन्हें कर निर्धारण के लिए कर विभाग के पास जाने की आवश्यकता नही है। उचित अधिकारी पंजीकृत व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत विवरणी और संबंधित ब्यौरों का सत्यापन करेगा और यदि कोई विसंगति पाई जाती है तो सुधारने के लिए करदाता को सूचित किया जाएगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;14. बढ़े हुए मूल्य पर कर&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;यद्यपि जीएसटी बहुबिन्दु कर है, लेकिन सभी स्तर पर वस्तु के संपूर्ण मूल्य पर यह कर नही लगता है, बल्कि पूर्तिकर्ता द्वारा की गयी वृद्धि (विक्रय मूल्य-क्रय मूल्य=अंतर) पर यह कर लगता है। उदाहरण के लिए एक रेडीमेड वस्त्र निर्माता 1 लाख रूपये का माल फुटकर व्यापारी को पूर्ति करता है और 5% की दर से जीएसटी 5,000 रूपये चार्च किया। यह माल फुटकर व्यापारी ने ग्राहकों को 1,40,000 रूपये मे बेचा तो ऐसी स्थिति मे 5% की दर से सकल कर दायित्व 7,000 रूपये होगा, लेकिन वह 2,000 रूपये ही कर जमा कराएगा, क्योंकि उसे 7,000 रूपये मे से पूर्व मे चुकाये गये कर 5,000 रूपये की कर छूट मिलेगी। इस प्रकार सरकार को प्रथम चरण मे 5,000 रूपये एवं बाद दूसरे चरण मे 2,000 रूपये यानि की कुल मिलाकर 7,000 रूपये कर प्राप्त होगा।&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;15. पंजीयन&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत पूर्तिकर्ता, उत्पादक, व्यापारी, सेवा प्रदाता के लिए पंजीयन कराना अनिवार्य है। इस संबंध मे यह महत्वपूर्ण है कि जो व्यापारी 30 जून 2017 को उत्पाद शुल्क, सेवाकर, वेट आदि के अंतर्गत पंजीकृत थे, उनको जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत स्वतः स्थानांतरित या नामांकित मान लिया गया है, लेकिन उन्हें पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन देना होगा। जो नये व्यापारी पंजीयन कराना चाहते है, उनका पंजीकरण जीएसटी अधिनियम के अंतर्गत होगा। पंजीयन की आवश्यकता के संबंध मे पूर्तिकर्ता को दो वर्गों मे बाँटा गया है--&lt;/p&gt;&lt;p&gt;(अ) ऐसे सभी व्यक्तियों के लिए पंजीयन (Registration) कराना अनिवार्य है, जिसका एक वित्तीय वर्ष मे माल और सेवाओं का कुल टर्नओवर 40 लाख रूपये (पूर्वोत्तर के राज्यों की दशा मे 20 लाख रूपये) से अधिक हो।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;(ब) यदि व्यापारी अन्य प्रदेशों को माल बेचता है या अनिवासी व्यक्ति है या, आकस्मिक व्यक्ति है या, स्त्रोत पर काटने या संग्रह के लिए उत्तरदायी व्यक्ति है तो उसके लिए पंजीयन हेतु टर्नओवर की कोई सीमा नही होगी यानि की उसे सभी दशाओं मे पंजीयन करवाना होगा चाहे उसके द्वारा कुल टर्नओवर 20 लाख रूपये से कम हो या ज्यादा हो।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;16. अर्थदंड, सजा एवं अपील के प्रावधान&lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;किसी भी कर विधान के सफल एवं प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जरूरी है कि उसके प्रावधानों, नियमों एवं प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन हो। उल्लंघन एवं कर चोरी की दशा मे जीएसटी अधिनियम मे अर्थदण्ड एवं सजाओं के कड़े प्रावधान किये गये है। करदाताओं को न्याय मिल सके इसके लिए अपील एवं पुर्नविचार की व्यवस्था भी की गई है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;17. जीएसटी क्रियान्वयन हेतु प्रशासन&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;केन्द्र एवं विभिन्न राज्यों मे जीएसटी प्रणाली को लागू करने एवं कर की वसूली के लिए पूर्ववर्ती उत्पाद शुल्क विभाग एवं राज्यों के वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों की सेवाएं ही ली गयी है। जैसे-- मध्यप्रदेश मे जीएसटी कर के प्रशासन एवं वसूली के लिए वाणिज्यिक कर विभाग को जीएसटी का कार्य सौंपा गया है।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;18. रिटर्न भरने की प्रक्रिया&lt;/b&gt;&amp;nbsp;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;जीएसटी के अंतर्गत प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति को किसी न किसी निर्धारित प्रारूप मे रिटर्न प्रस्तुत करना होगा। सामान्य वर्ग के पंजीकृत व्यक्ति को मासिक एवं कम्पोजिशन की दशा मे तिमाही आधार पर रिटर्न दायर करना होगा। एक व्यक्ति को वर्ष भर मे सामान्यतया 37 रिटर्न भरना होगे, क्योंकि प्रतिमाह 3 प्रकार के रिटर्न एवं एक वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करना होगे। सभी रिटर्न ऑनलाइन प्रस्तुत किये जाएंगे।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;b&gt;19. कर बीजक तैयार करना&lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;बेचे गये माल या सेवा का निर्धारित प्रारूप मे बीजक (Invoice) तैयार करना होगा। यह सामान्यता कम्प्यूटराइज्ड होगा इसमे माल या सेवा के मूल्य, मात्रा, वर्गीकरण कोड (HSN), भाड़ा, पैकिंग चार्च आदि का उल्लेख होगा एवं समग्र योग पर निर्धारित दर से जीएसटी जोड़ा जाएगा जो कि अलग से प्रदर्शित होगा।&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"&gt; <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-format="fluid" data-ad-layout-key="-6t+ed+2i-1n-4w" data-ad-client="ca-pub-4853160624542199" data-ad-slot="5830977226"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); यह भी पढ़ें; &lt;a href="//www.kailasheducation.com/2021/03/GST-uddeshya-labha-dosh.html" target="_blank"&gt;जीएसटी उद्देश्य, लाभ/महत्व, दोष&lt;/a&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;संदर्भ; &lt;b&gt;विद्या भवन, मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, लेखक श्री डाॅ. सुभाषा गुप्ता, श्री नीलम नाहर जी।&lt;/b&gt;&lt;/p&gt;&lt;p&gt;&lt;/p&gt; &lt;div style="clear:both"&gt;&lt;/div&gt; &lt;/div&gt; &lt;div class="post-footer"&gt; &lt;div class="post-footer-line post-footer-line-1"&gt; &lt;div align="center"&gt; &lt;/div&gt; &lt;span class="post-backlinks post-comment-link"&gt; &lt;/span&gt; &lt;span class="post-icons"&gt; &lt;/span&gt; &lt;/div&gt; &lt;div class="post-footer-line post-footer-line-2"&gt; &lt;span style="font-size:16px;font-weight:600;text-align:left"&gt; Shere this post:&lt;/span&gt;&lt;br&gt; &lt;a href="//www.blogger.com/share-post.g?blogID=1753745050809921699&amp;postID=3048917273468357457&amp;target=facebook" title="window.open(this.href, &amp;quot;_blank&amp;quot;, &amp;quot;height=430,width=640&amp;quot;); return false;" target="_blank" title="Share to Facebook"&gt;&lt;button class="buttonfb"&gt;&lt;span&gt;&lt;i class="fa fa-facebook"&gt;&lt;/i&gt;&lt;/span&gt;&lt;/button&gt;&lt;/a&gt; &lt;a 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माल और सेवाकर से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएँ बताओ?

सरल शब्दों में," माल एवं सेवाकर एक ऐसी प्रणाली है, जिसके अनुसार माल या सेवा की पूर्ति की प्रक्रिया मे प्रत्येक बिन्दु पर की गई वृद्धि पर ही कर लगाया जाता है। यह मूल्यवर्द्धन पूर्तिकर्ता द्वारा किया जाता है। जीएसटी मे माल के विक्रेता और सेवा के प्रदायक दोनों की पूर्तिकर्ता की संज्ञा दी गई है।

जीएसटी अधिनियम के अनुसार सेवा क्या है उन महत्वपूर्ण सेवाओं का वर्णन करें जिन्हें सेवा कर से छूट प्राप्त है?

संरचना और सेवाएं प्रदान करने के लिए एक गैर-लाभ, गैर-सरकारी कंपनी के रूप में संयुक्त रूप से वस्तु और सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को पंजीकृत किया है। जीएसटीएन के मुख्य उद्देश्य, करदाताओं को मानक और एक समान इंटरफेस तथा केंद्र और राज्य / संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों को सांझी आधारभूत संरचना और सेवाएं प्रदान करना है ।

GST क्या है पूरी जानकारी Hindi?

जीएसटी का Full Form होता है- Goods And Services Tax । हिन्दी में इसका अर्थ होता है- माल एवं सेवा कर। इसे, वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है।

GST की आवश्यकता क्या है?

संक्षेप में, GST पंजीकरण किसी भी व्यक्ति के लिए एक जनादेश आवश्यकता है जो व्यवसाय कर रहा है। GST अगले 20-30 साल के लिए एक प्रमुख अप्रत्यक्ष कर सुधार है। GST के कार्यान्वयन के साथ पूर्ण करदाताओं में कम से कम 8 से 11 गुना वृद्धि की उम्मीद है। 5 से 7 करोड़ करदाता GST का हिस्सा होने की उम्मीद है।

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