सरसों में कौन कौन सा खाद डालना चाहिए? - sarason mein kaun kaun sa khaad daalana chaahie?

सरसों हाइब्रिड बीज | सरसों की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है | सरसों की खेती कब और कैसे की जाती है | पायनियर सरसों की पैदावार कितनी होती है? | paynear sarso | sarson ki unnat kheti | पायनियर सरसों की बुवाई का समय | हाइब्रिड सरसों की पैदावार कितनी होती है | पायनियर सरसों की बुवाई कब करनी चाहिए

सरसों की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. और इसके लिए अक्टूबर का महीना सरसों की बुवाई का समय समय बहुत अच्छा माना जाता है. सरसों की फसल से एक साथ कई लाभ होते हैं जसे- सरसों का तेल खाने तथा फलों के परीक्षण, मालिश करने इत्यादि में काम आता है, और सरसों की कटाई के बाद इनके तनो को ईंधन के रूप में तथा झोपड़ी बनाने के काम आता है, इसके साथ हरी सरसों तथा सरसों से तेल निकालने के बाद सरसों की खली का उपयोग पशुओं को चारे के काम आता है.

हमारे देश में सरसों का उत्पादन बहोत ही कम होता है. इसलिए सरसों के तेल का दाम बढ़ता ही चला जा रहा है, ऐसे में किसानों को चाहिए की उन्नत शस्य क्रियाओं को अपनाकर सरसों की उन्नत खेती को बढ़ावा दें. इसके लिए किसान सबसे ज्यादा पैदावार वाली सरसों की उन्नत किश्में लगायें. सरसों की खेती असिंचित क्षेत्रों तथा सिंचित क्षेत्रों दोनों स्थानों पर किया जा सकता है. दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं की सरसों का हाइब्रिड बीज कौन सा अच्छा है, तथा किसानों को सरसों की अच्छी पैदावार के लिए क्या करना चाहिए अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.

सरसों की अधिक पैदावार के लिए क्या करें

सरसों की बुवाई का टाइम सितम्बर और अक्तूबर का महिना अच्छा माना जाता है. इसलिए किसानों को बुआई से पहले खेती की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, और खेत की गहरी जुताई करके कुछ दिनों के लिए छोड़ देना चाहिए.

इसके बाद बुवाई से पहले अंतिम जुताई के समय प्रति हैक्टर की दर से 50-60 कुन्तल गोबर की सड़ी हुई खाद या मुर्गियों की 30 कुंतल खाद, 120 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा तथा 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश की पूरी मात्रा को खेत में मिला देना चाहिए. इसके बाद यूरिया की बची हुई आधी मात्रा को सरसों की बुआई के 30 दिन बाद खड़ी फसल में देना चाहिए. इससे सरसों की फसल अच्छी होती है.

सरसों की हाइब्रिड किस्म | हाइब्रिड सरसों बीज

उन्नत किस्में बीज दर/एकड़ पौधों की लम्बाई फसल कटाई उपज/एकड़ तेल की मात्रा
पायनियर सरसों बीज 45s35 1.300 k.g. 5 फिट 105 दिन में 10 से 12 कुंतल 40%
पायनियर सरसों बीज 45s42 1 k.g. 160 से 180 सेंटीमीटर 125 से 130 दिन में 12 से 13 कुंतल 42%
45s46 pioneer production 1.300 K.G. 190 सेंटीमीटर 125 से 130 दिन में 12 से 13 कुंतल 42%
JULIE 1.5 K.G. 180 सेंटीमीटर 130 से 135 दिन में 10 से 12 कुंतल 42%
श्रीराम 1666 सरसों का बीज 1.300 K.G. 170 सेंटीमीटर 125 से 130 दिन में 12 से 13 कुंतल 40%
pa 5210 mustard 1.5 K.G. 180 सेंटीमीटर 130 से 135 दिन में 10 से 12 कुंतल 41%
5222 सरसों का बीज 1 k.g. 180 सेंटीमीटर 125 से 130 दिन में 10 से 12 कुंतल 42%

पायनियर सरसों की पैदावार

कृषि क्षेत्र मे Pioneer sarso beej उच्च गुणवता तथा बेहतरीन उपज के मामले में विकसित है. पायनियर हाइब्रिड सरसों की फसल बुआई करके किसान अधिक से अधिक पैदावार और बेहतर तेल उत्पादन प्राप्त करते है. बाजार में 3 प्रकार के पायनियर सरसों की वैरायटी अधिक पैदावार के मामले में काफी प्रचलित हैं. Pioneer sarson 45s46 सरसों, पायनियर 45s35 sarson और Pioneer sarson ka bij 45s42. पायनियर सरसों बीज 45s46 की पैदावार एक एकड़ खेत में 12 से 13 कुंतल शुद्ध सरसों प्राप्त होता है. जिसमें तेल की मात्रा 42% तक होती है.

पायनियर-payoniyar 45s46 price

पायनियर सरसों की पैदावार सबसे अधिक होती है. इसलिए इस इस ब्रांड के बीज आपको कहीं भी बहुत आसानी से मिल जायेंगे. 45s42 पायनियर सरसों के बीज मूल्य 550 से 750 रूपये/-kg, 45s35 पायनियर सरसों के बीज मूल्य 550 से 600 रूपये/-kg और 45s46 पायनियर सरसों के बीज मूल्य 880 से 900 रूपये/-kg.

हाइब्रिड सरसों की खेती से लाभ

हाइब्रिड सरसों की खेती से पैदावार तो अधिक होती ही साथ ही इसकी यह खासियत होती है की बुआई के समय बीज की मात्रा कम लगती है और इन किस्मों में रोग नहीं लगते हैं साथ ही इनमें तेल की मात्रा भी अधिक निकलती है. हाइब्रिड एवं उन्नत किश्मों की बुआई से सरसों की खेती से कमाई भी किसानों को अच्छा होता है.

सरसों बीज का उपचार

बुआई के बाद बीजों का अंकुरण अच्छा हो और पौधे स्वस्थ रहे इसके लिए सरसों के बीज को उपचारित करना बहुत ही आवश्यक है. इसके लिए 2 ग्राम बाविस्टीन या थीरम प्रति 200 ग्राम बीज के हिसाब से बीजों को हलके पानी से भिंगोकर दवा में मिला देना चाहिए. इसके बाद सरसों के बीजों को 1 घंटे के लिए किसी छायादार स्थान पर सुखा लेनी चाहिए ताकि दवा बीज में चिपक जाएँ. फिर इन बीजों की खेतों में बुआई कर सकते हैं.

सरसों की बुवाई कब होती है

बहोत से किसान भाइयों को यह जानकारी नहीं होता है की, सरसों कौन से महीने में बोई जाती है. तो आपको बता दें की सरसों की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए सरसों की बुवाई का टाइम का खास ध्यान देना चाहिए. और सरसों हाइब्रिड बीज की बुआई करना चाहिए. इसलिए सरसों की बुवाई सितम्बर महीने के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर महीने तक सरसों की बुवाई कर देनी चाहिए.

सरसों की सामान्य प्रजाति की तुलना में हाइब्रिड सरसों के बीज की बुआई करने में उत्पादन काफी ज्यादा होता है. जहाँ प्रति हेक्टेयर खेत में नार्मल प्रजाति की सरसों की पैदावार 10 से 12 क्विंटल की पैदावार होती है, वहीं प्रति हेक्टेअर हाइब्रिड सरसों में 30 से 35 कुंतल उत्पादन होता है. हाइब्रिड सरसों की प्रजाति बुआई के लिए 4 से 5 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है. सरसों की हाइब्रिड प्रजाति में 2 सिंचाई काफी कम (2 या 3 सिंचाई) करनी पड़ती हैं. जिससे पानी की बचत होती है.

कीट व रोग का उपचार

सरसों की फसल को सबसे अधिक नुकसान चेंपा या माहू कीट और सफेद रतुवा या चूर्णिल आसिता रोग से होता है यह दोनों ही रोग और कीट sarso ki kheti में फूल आने के बाद जब फलियाँ बनती हैं तब इनका प्रकोप देखने को मिलता है. अगर सरसो के खेत में चेंपा या माहू कीट दिखाई दे तो इनकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोरोपिड 1ml प्रति 15 लीटर पानी या रोगार(डाईमेथोएट) 1.5ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. सफेद रतुवा या चूर्णिल आसिता रोग यह फफूंद के कारण होता है इससे फसलों को बचाने के लिए डाईथेन M-45 30 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी या मिराडोर 15ml प्रति 15 पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए.

सरसों मे खरपतवार नियंत्रण

Sarson ka kheti में खरपतवार पोषक तत्वों को अपनी तरफ खींचकर फसल को कमजोर बना देते हैं. जिससे सरसों की उपज में 40 से 60 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है. आमतौर पर देखा जाय तो सरसों की बुआई अधिकतर छिटकवा विधि द्वारा होता है. ऐसे सरसों की बुआई के 30 से 35 दिन के भीतर खेत से खरपतवारों को खुरपी की सहायता से निकाल देना चाहिए. और बुआई के 50 दिन के बाद Sarson ke paudhe पुरे खेत को कवर कर लेती है. जिससे सरसों की कटाई तक फसल में खरपतवार नहीं लगते हैं.

बहुत से किसान भाई के पास समय नहीं होता है और समय से खेत से खरपतवार निकालने के लिए लेबर भी नहीं मिल पाते हैं. ऐसी परिस्थिति में किसान भाई रसायनिक खरपतवार नियंत्रण का सहारा लेना चाहते हैं. लेकिन आपको बता दें की खड़ी sarso ki fasal में खरपतवार नियंत्रण के लिए अभी तक कोई रसायनिक दवा नहीं आई है.

अगर किसान सरसों को खरपतवार से मुक्त रखना चाहते हैं तो सरसों की बुआई के तुरंत बाद और 2 दिन के भीतर पेन्डीमिथेलीन 30 ईसी रसायन की 40 से 50 ml दवा को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. लेकिन इस बात का ध्यान रहे की छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है.

सरसों के फसल की देखभाल
  • सरसों से अधिक उपज लेने के लिए 25 किलो/एकड़ यूरिया का बुरकाव करना चाहिए.
  • फूल आने की अवस्था में सरसों की खड़ी फसल में सिंचाई अवश्य करें.
  • तना गलन रोग से सरसों की फसल को बचाने के लिए मंकोजेब 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें.
  • सरसों की फसल में माहू लगने पर इमिडाक्लोरोपिड 1ml/लीटर पानी घोल बनाकर छिडकाव करें.
  • फसल को खरपतवार से मुक्त रखें.
  • खरपतवारों के कारण सरसों की उपज में 50% प्रतिशत तक की कमी हो जाती है.
  • सरसों की फसल की बुआई बहुत घना न करें नहीं तो पौधे कमजोर हो जाते हैं.
सरसों में कितने पानी देना चाहिए

सरसों की फसल को बुआई से कटाई तक 2 सिंचाई की आवश्यकता होती है. सरसो में पहली पानी/भराई बुआई के 30 से 35 दिनों के बाद फूल आने की स्थिति में और दूसरी पानी भराई 75 से 80 दिन बाद जब पौधे में फलियाँ बनने लगे इस अवस्था में देनी चाहिए. घ्यान रहे अधिक सिंचाई करने से फसलें पीली पस्दने लगती है जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं. अतः सरसों में कितनी सिंचाई करनी चाहिए इसका ध्यान रखना चाहिए.

कटाई और गहाई

sarson ke paudhe की कटाई तब करनी चाहिए जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए और सूखने की स्थिति में हों. और बहुत अधिक सूखने भी नहीं चाहिए, सरसो की कटाई हमेशा सुबह तेज धूप होने से पहले कर लेना चाहिए. अधिक घाम होने से सरसों के दाने खेत में ही झरने लगते हैं. कटाई करने के तुरंत बाद इनकी गहाई करके किसी सुरक्षित स्थान पर निकाल देने चाहिए अन्यथा धुप होने से दाने फूटकर गिरने लगते हैं.

भण्डारण

कटाई के बाद जब फलियाँ पूरी तरह सुख जाएँ तब मशीन में मड़ाई करके बीज अलग करके धूप में अच्छी तरह सुखा लेनी चाहिए ताकि इसमे नमी न हो. इसके बाद इन्हें प्लास्टिक की बोरियों में भरकर घर में या गोदाम में इसका भण्डारण करना चाहिए.

सरसों के पौधे का चित्र

तो आज की इस पोस्ट में बस इतना ही, आज हमने जाना कि सरसों की खेती कब और कैसे की जाती है तथा सरसों का हाइब्रिड बीज कौन सा अच्छा है. तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में बस इतना ही मिलते हैं आपसे अगली पोस्ट में तब तक के लिए “जय जवान जय किसान”.

FAQ.

Q1. सरसों का वैज्ञानिक नाम?

ANS. ब्रेसिका कम्प्रेसटिस(Brassica juncea).

Q2. सबसे अच्छी सरसों का बीज कौन सा है?

ANS. 45s35 pioneer, pioneer 45s42, pioneer mustard seed 45s46, श्रीराम 1666 सरसों, सी.एस.-56, बायर सरसों 5222, स्टार 1015 सरसों का बीज आदि.

Q3. हाइब्रिड सरसों का बीज मूल्य?

ANS. 8,427.00 से 8,610.00 तक.

Q4. सरसों कितने दिन में तैयार हो जाती हैं ?

ANS. सरसों की फसल 120 से 150 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं.

Q5. 15 किलो सरसों के तेल का दाम क्या है?

ANS. 15 किलो सरसों खाने का तेल का थोक मूल्य 2865-2870 रुपये/टिन है.

Q6. सरसों में दूसरा पानी कितने दिन बाद लगाना चाहिए

ANS. 75 से 80 दिन बाद जब पौधे में फलियाँ बनने लगे इस अवस्था में देनी चाहिए.

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सरसों के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है?

सरसों की खेती के लिए 60 कुन्तल गोबर की सड़ी हुई खाद की बुवाई से पूर्व अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए तथा सिंचित दशा में 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करते हैं, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई ...

सरसों के खेत में कौन सा खाद डालना चाहिए?

- बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश (MoP) का इस्तेमाल करें.

सरसों में क्या क्या डालना चाहिए?

सिंचित फसल के लिए 7 से 12 टन सड़ी गोबर, 175 किलो यूरिया, 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश एवम 200 किलो जिप्सम बुबाई से पूर्व खेत में मिलनी है. यूरिया की आधी मात्रा बुवाई के समय एवम शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत में दें.

सरसों में कौन सी दवाई का छिड़काव करें?

अधिक प्रकोप की अवस्था में ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ई.सी. या डाइमेथोएट 30 ई.सी. 500 मिली लीटर दवा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव सांयकाल के समय करना चाहिए।

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