समाज कार्य के कौशल और कार्य क्या है? - samaaj kaary ke kaushal aur kaary kya hai?

समाज कार्य की प्रमुख अवधारणाएँ क्या है

समाज कार्य की प्रमुख अवधारणाएँ क्या है 

समाज कार्य एक ऐसा विषय है जिसमें विभिन्न प्रकार की अवधारणाओं का उपयोग करके समाज कार्य की विषय वस्तु का निर्माण किया जाता है समाज में लोगों की सहायता करने के लिए इन अवधारणाओं की समझ एवं ज्ञान का होना एक सामाजिक कार्यकर्ता के लिए आवश्यक माना जाता है इन अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा या तो सेवा प्रदान करने के लिए किया जाता है अथवा समाज कार्य व्यवसाय कैसे इन अवधारणाओं से भिन्न एवं विशिष्ट है इसे स्थापित करने के लिए किया जाता है ।

समाज कार्य एवं अन्य अवधारणाएं -

समाज कार्य में सेवाएं प्रदान करते समय अनेक प्रकार की अवधारणाओं का प्रयोग किया जाता है अतः एक सामाजिक कार्यकर्ता को इन अवधारणाओं का ज्ञान होना आवश्यक है इन्हें इस तथ्य का भी ज्ञान होना आवश्यक है कि यह अवधारणाएं किस सीमा तक समाज कार्य के समान है एवं कहां तक इन दोनों में भिन्नता है इनमें से कुछ अवधारणाएं निम्नलिखित है

परोपकार एवं समाज कार्य -

परोपकार विभिन्न धर्मों की मान्यताओं में निहित रहा है विशेषकर दान एवं इच्छा देना ।

वेब स्टर इनसाइक्लोपीडिया मैं परोपकार शब्द की परिभाषा देते हुए कहा गया है कि परोपकार में भौतिक पुरस्कार की आशा किए बिना की जाने वाली परोपकार क्रियाएं आती है जिनमें भिक्षा देने के रूप में या आवश्यकता ग्रस्त यह सहायता के इच्छुक व्यक्तियों के लिए कई अन्य परोपकारी क्रियाएं करना है इस प्रकार परोपकार में दान या नकद वस्तु के रूप में लोगों की सहायता करने को सम्मिलित किया जाता है

व्यवसायिक समाज कार्य में दान या नकद वस्तुओं को समाज कार्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है ऐसा इस कारण किया जाता है क्योंकि दान दान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को दान देने वाले पर आश्रित बना देता है इस प्रकार की सहायता में स्थायित्व नहीं होता तथा यह लोगों में स्वयं की सहायता करने की क्षमता का विकास नहीं होने देता है

सामाजिक आंदोलन एवं समाज कार्य -

सामाजिक आंदोलन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समाज एवं इसकी विभिन्न संस्थाओं में परिवर्तन से जुड़े होते हैं सामाजिक आंदोलन शब्द सामाजिक पूनर संगठन का लक्ष्य रखते हुए सामूहिक क्रिया के विभिन्न प्रकारों को समाहित करता है
एक सामाजिक आंदोलन समाज में परिवर्तन लाने के लिए किया गया सुविचार इन प्रयत्न है इसका सामान्य उद्देश्य सामूहिक रूप से कार्य करना जागरूकता और समर्पण उत्पन्न करना है सामाजिक आंदोलनों में प्रायः कार्यक्रम के आधार पर कुछ गतिविधियां की जाती है सामाजिक आंदोलन के विभिन्न स्वरूप होते हैं जैसे क्रांति विद्रोह प्रदर्शन हड़ताल तालाबंदी आदि ।
प्रायः सामाजिक आंदोलन अस्थिर और अल्पकालिक होते हैं फिर भी इनका उपयोग कुछ विशिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जाता है जैसे बाल श्रम एवं बंधुआ श्रम पर प्रतिबंध दहेज प्रथा तथा भ्रष्टाचार का विरोध आदि सामाजिक आंदोलन के माध्यम से सामाजिक संरचना में इच्छित परिवर्तन उत्पन्न किया जा सकता है एवं सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन किया जा सकता है और यह सभी समाज कार्य के प्रमुख कार्य लक्ष्य है

श्रमदान एवं समाज कार्य -

श्रमदान को भी समाज कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है इसकी महत्वपूर्ण विशेषताओं के अंतर्गत शारीरिक श्रम स्वैच्छिक कार्य तथा सामूहिक एवं सहकारिता के रूप में कार्य करना या प्रयास करना शामिल है इसके द्वारा समाज में सदा से लोगों की सहायता की जाति रही है जैसे सड़कों जलाशयों कुओं आदि का निर्माण इसी क्रम मैं सरकारों द्वारा भी एनसीसी एनएसएस स्काउट गाइड आदि के माध्यम से श्रम के महत्व को स्थापित करने का कार्य किया गया है इसका उद्देश्य सहकारिता एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना भी रहा है
श्रमदान समाज कार्य से भिन्न है क्योंकि समाज कार्य एक विशेष कृत प्रकार का क्रियाकलाप है। श्रमदान में कार्य के निष्पादन के लिए तकनीकी एवं विशेष इक्रित ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है किंतु सामाजिक कार्यकर्ता के लिए समाज कार्य की तकनीकों सिद्धांतों कौशल एवं ज्ञान का होना आवश्यक है जिससे कि सेवार्थी की सामाजिक क्रिया को सुधारा जा सके और व्यवस्था में वांछित परिवर्तन लाया जा सके।

समाज सुधार एवं समाज कार्य -

समाज में वृहत पैमाने पर सामाजिक बुराइयां व्याप्त होती है जो सांस्कृतिक पतन की स्थिति उत्पन्न करती है अतः समाज सुधार के कार्यक्रम समाज के हित के लिए आवश्यक हो जाते हैं प्रायः समाज सुधार सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन करने तथा समाज में व्याप्त बुरे आचरण में परिवर्तन करने के लिए किया जाता है जिसमें प्रायः अहिंसात्मक साधनों जैसे हृदय परिवर्तन विवेकी करण समझाना बुझाना आदि साधन सम्मलित होते हैं समाज सुधार सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि सामाजिक कार्यकर्ता समाज में विभिन्न बुराइयों को दूर करने और सामाजिक संरचना और व्यवस्था में वांछित परिवर्तन लाने का प्रयास करते है और ये उद्देश्य समाज सुधार के द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं।

समाज कल्याण एवं समाज कार्य -

तकनीकी रूप में समाज कार्य एक प्रक्रिया है, ना कि लक्ष्य जबकि समाज कल्याण , समाज कार्य तथा सामाजिक सहायता का लक्ष्य तथा अंतिम परिणाम है समाज कार्य में सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा किसी संस्था के तत्वाधान में सहायता प्रदान की जाती है किंतु समाज कल्याण में कोई व्यक्ति अकेला भी अपने सेवार्थी को सेवा एवं सहायता प्रदान कर सकता है समाज कार्य एक व्यवसायिक सेवा है तथा सामाजिक कार्यकर्ता एक प्रशिक्षित कार्यकर्ता, वहीं दूसरी तरफ अधिकांश समाज कल्याण संस्थाओं के कार्यकर्ता प्रशिक्षित नहीं होते हैं। ऐसी संस्थाओं को समाज कल्याण संस्था एवं कार्यकर्ताओं को कार्यकर्ता कहा जाता है। यहां समाज कल्याण के तरीकों एवं साधनों के माध्यम से जनकल्याण को बढ़ावा दिया जाता है। समाज कार्य में स्वार्थी की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है जबकि समाज कल्याण में कार्यकर्ता को जब यह विश्वास हो जाता है कि कोई कल्याणकारी कार्य उसके स्वार्थी के लिए उपयोगी है तो वह उसे अपने स्वार्थी के लिए लागू करता है।


समाज सेवा एवं समाज कार्य -

सामाजिक सेवा के अंतर्गत समाज कल्याण से जुड़ी हुई सेवाएं जो अधिकांशतः राज्य सरकारों सामाजिक संगठनों लोक सेवाओं तथा कभी-कभी व्यक्तिगत रूप से भी संगठित एवं संचालित की जाती है , को सम्मिलित किया जाता है
सामाजिक सेवा की प्रमुख विशेषता समाज के सभी वंचित वर्गों को समान रूप से लाभ प्रदान करना है सामाजिक सेवाओं की सीमा एवं क्षेत्र अत्यंत व्यापक होता है इसमें मानव जीवन के सभी पक्षों को सम्मिलित करने का प्रयास किया जाता है इन सेवाओं के माध्यम से सामाजिक विकास एवं मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए भी प्रयास किया जाता है सामाजिक सेवा वितरण में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है
समाज कार्य के दृष्टिकोण से सामाजिक सेवा का अत्यंत महत्व है क्योंकि सामाजिक कार्यकर्ता का प्रत्यक्ष उद्देश्य व्यक्ति का विकास तथा उसके माध्यम से सामाजिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना होता है

सामाजिक सुरक्षा तथा समाज कार्य -

सामाजिक सुरक्षा व्यक्ति के जीवन में उत्पन्न होने वाले या हो सकने वाले खतरों या जोखिम से बचाव की एक सर्व स्वीकृत आवश्यकता है मानव की यह स्वाभाविक प्रकृति है कि वह किसी भी प्रकार की आकस्मिक घटना या हानि के विरुद्ध संरक्षण और इनसे बचाव का आश्वासन चाहता है इन खतरों में व्यक्ति की आय की निरंतरता में हो सकने वाली हानि भी सम्मिलित होती है व्यक्ति इन खतरों के विरुद्ध विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से आश्वासन चाहता है जिनमें राज्य और अन्य विभिन्न प्रकार की संस्थाएं हो सकती है सामाजिक समस्या के संदर्भ में लॉर्ड विलियम ब्रेवरीज के द्वारा प्रस्तुत की गई सामाजिक सुरक्षा की परिभाषा का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है उन्होंने सामाजिक सुरक्षा को परिभाषित करते हुए कहा है कि---

सामाजिक सुरक्षा शब्द का प्रयोग आय अर्जन का स्थान लेने के लिए एक आय की सुरक्षा को व्यक्त करने जब वह बेरोजगारी बीमारी या दुर्घटना द्वारा बाधित हो अन्य व्यक्ति की मृत्यु द्वारा उत्पन्न छाती के लिए सहायता उपलब्ध करने तथा अतिरिक्त व्यय जैसे जन्म मृत्यु और विवाह से संबंधित क्षतिपूर्ति के लिए किया जाता है भारत में राष्ट्रीय श्रम आयोग 1969 ने सामाजिक सुरक्षा के विषय में कहा है कि सामाजिक सुरक्षा इस बात पर विचार करता है कि एक समुदाय के सदस्यों का सामूहिक कार्य द्वारा सामाजिक जोखिम ओं के विरुद्ध जोकि व्यक्तियों के लिए अनुपयुक्त विपत्ति और अभाव उत्पन्न करते हैं जिसकी पूर्ति के लिए व्यक्तिगत संसाधन कदाचित ही पर्याप्त हो सकते हैं संरक्षण किया जाएगा इस प्रकार सामाजिक सुरक्षा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं -

1 सामाजिक सुरक्षा व सुरक्षा है जो समाज में लोगों द्वारा उनके अधिकार के विषय में सामूहिक प्रयास के द्वारा मांगी जाती है और जिसे राज्य द्वारा प्रदान किया जाता है इसमें प्रायः व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक की आकस्मिक आवश्यकताओं तथा विपदा ओं के विरुद्ध संरक्षण दिया जाता है।

2 ये आवश्यकताएं तथा विपदाएं जैविक अथवा आर्थिक स्वरूप में या जैविक आर्थिक स्वरूप में हो सकती हैं।
3 सामाजिक सुरक्षा का हित अथवा लाभ नगद अथवा वस्तु अथवा दोनों रूप में हो सकता है जैसे काम के बदले अनाज योजना।

सामाजिक सुरक्षा के तीन प्रमुख प्रकार होते हैं -

1 सामाजिक बीमा ।
2 सामाजिक सहायता ।
3 सामाजिक सेवाएं ।
A - भारत में संयुक्त परिवार व्यवस्था एक बेहतरीन सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली संस्था है जाति पंचायत व्यवस्था नातेदारी व्यवस्था भी कुछ मात्रा में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हैं लेकिन वर्तमान में यह जिम्मेदारी सरकार ने ले ली है ।
B - सामाजिक सुरक्षा का स्वरूप अधिकार के अंतर्गत आते हैं।
C - बीमारियों से रक्षा स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक चुनौती से निपटना सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत आते हैं
D - भारत में 20 लाख टीबी रोग के मामले हर वर्ष आते हैं और प्रतिदिन उससे एक लाख लोग मरते हैं।

सामाजिक प्रतिरक्षा एवं समाज कार्य -

संकुचित अर्थ में, सामाजिक प्रतिरक्षा लोगों के कल्याण उपचार तथा नियमों के साथ संघर्ष के रूप में दिखाई देता है।जबकि व्यापक अर्थों में सामाजिक प्रतिरक्षा की अवधारणा का उपयोग समाज के अंतर्गत नियंत्रण के उपाय अपराध का संपूर्ण निवारण करने से संबंधित उपाय तथा समाज में चिकित्सकीय एवं पुनर्वास की योजनाओं को उपलब्ध करवाने हेतु किया जाता है।सामाजिक प्रतिरक्षा के अंतर्गत समाज के विभिन्न प्रकार के विचलनों के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया जाता है। ये विचलन समाज में विभिन्न प्रकार के संघर्ष उत्पन्न करते हैं। जैसे सांप्रदायिकता जातिवाद अपराध आदि अतः सामाजिक प्रतिरक्षा के उपाय समाज में विघटनकारी शक्तियों के विरुद्ध स्वयं की रक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किए जाते हैं इसमें अपराधियों के इस उद्देश्य से उपचार और पुनर्वास और उपाय शामिल होते हैं जिससे व्यक्ति का जीवन गरिमामय रूप से व्यतीत हो सके। सामाजिक प्रतिरक्षा में बाल अपराधियों मुक्त किए गए कैदियों मादक द्रव्यों का उपयोग करने वालों तथा भिक्षकों को आदि के उपचार एवं पुनर्वास से संबंधित सेवाएं भी सम्मिलित होती हैं यह समाज कार्य अभ्यास का एक वृहद क्षेत्र है।

सामाजिक जाल एवं समाज कार्य -

समाज कार्य में स्वैच्छिक संगठनों या गैर सरकारी संगठनों के बीच एक अंता संबंध या जाल के विकास का प्रयास किया जाता है ऐसी संस्थाएं जो समान उद्देश्यों की प्राप्ति में लगी रहती हैं वह प्रभावी ढंग से काम करने के लिए साथ साथ काम करना या आपस में सहयोग करना स्वीकार कर लेती है यही इसकी मुख्य विशेषता है समान रुचि रखने वाली संस्थाएं जो एक क्षेत्र या कस्बे में काम कर रही हैं स्वयं की नेटवर्किंग बनाने के लिए साथ साथ आती है यह संस्थाएं अपने सामान्य हितों के संरक्षण और विकास के लिए सामाजिक सं जाल स्थापित करती हैं और उन्हें सामाजिक हितों के माध्यम से पुष्ट करती हैं यह संस्थाएं प्रायः एक समान आचार संहिता बनाने के लिए सहमत होती है। ये विविधतापूर्ण कार्यक्रमों को एक साथ संपन्न करती हैं साथ ही सरकारी विभागों से भी संबंध स्थापित करती हैं।

समाज कार्य क्या है इसकी अवधारणा एवं कार्य को समझाइए?

समाज कार्य एक व्यावसायिक सेवा है। इसमें विविध प्रकार के वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा दार्शनिक मूल्यों का प्रयोग किया जाता है। समाज कार्य सहायता समस्याओं का मनो-सामाजिक अध्ययन तथा निदानात्मक मूल्यांकन करने के पश्चात् प्रदान की जाती है। समाजकार्य समस्याग्रस्त व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने का कार्य है।

सामाजिक कार्य का क्या अर्थ है?

सामाजिक कार्य का अर्थ है सकारात्मक, और सक्रिय हस्तक्षेप के माध्यम से लोगों और उनके सामाजिक माहौल के बीच अन्तःक्रिया प्रोत्साहित करके व्यक्तियों की क्षमताओं को बेहतर करना ताकि वे अपनी ज़िंदगी की ज़रूरतें पूरी करते हुए अपनी तकलीफ़ों को कम कर सकें।

समाज कार्य का उद्देश्य क्या है?

समाज कार्य व्यक्तियों, समूहों अथवा समुदायों की सामाजिक क्रियात्मकता में वृद्धि करने अथवा बनाए रखने अथवा इस लक्ष्य के अनुकूल सामाजिक दशाएँ विकसित करने हेतु सहायता प्रदान करने वाली एक व्यावसायिक क्रिया है।

समाज कार्य की विधियां क्या है?

समाज कार्य मानवीय सम्बन्ध, प्राविधिक कौशल, वैज्ञानिक ज्ञान तथा वृत्तिक सेवाओं का एक एकीकृत अभिगम है, जो जनतांत्रिक एवं मानवीय दर्शन पर आधरित है। इसका उपयोग सामान्यतया उन स्थितियों में होता है जब लोग व्यत्तिगत या सामूहिक रूप से असमायोजित हो जाते हैं और उन्हें किसी बाह्य सहायता की आवश्यकता होती है।

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