सोमवती अमावस्याः इस दिन बन रहें हैं ये संयोग, दान करने से होगी पुण्य की प्राप्ति
हर माह में सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं और इस बार यह 03 जून यानि कल दिन सोमवार को पड़ रही है।
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हर माह में सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं और इस बार यह 03 जून यानि कल दिन सोमवार को पड़ रही है। इस दिन खासकर पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता है। सोमवार और अमावस्या के संयोग पर उपवास करते हुए पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करना
चाहिए और पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करते हुए भगवान विष्णु तथा पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। आज हम आपको इस दिन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए उसके बारे में बताएंगे और साथ ही इसके महत्व के बारे में जानेंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है और इसके साथ ही इस दिन वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शनि दोषों से बचने के लिए उपाय किए जाते हैं, जिससे कि शनि की कुदृष्टि से बचा जा सकता है। इस दिन अपने पूर्वजों की पूजा करने और गरीबों को दान देने से पापों का नाश होता है। बहुत से श्रद्धालू इस दिन पवित्र जल में स्नान करके व्रत भी रखते है। इसलिए उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या को विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है।
महत्वः
सोमवती अमावस्या को स्नान, दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस पर्व
पर किए गए तीर्थ स्नान और दान से बहुत पुण्य मिलता है और पापों का नाश होता है।
वैसे सोमवार को अमावस्या का संयोग कम ही बनता है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि पाण्डव पूरे जीवन तरसते रहे, परंतु उनके जीवन में सोमवती अमावस्या नहीं आई।
इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों और मथुरा एवं अन्य तीर्थों में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है। कहते हैं कि ब्राह्मणों को भोजन करवाने से हजारों गायों के दान का पुण्य फल प्राप्त होता है।
सोमवार चंद्रमा का दिन हैं। इस दिन (प्रत्येक अमावस्या को) सूर्य तथा चंद्र एक ही राशि में स्थित रहते हैं। इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है।
इस दिन क्या करें और क्या नहींः
इस दिन सूर्योदय से पहले उठें और किसी तीर्थ स्थान या पवित्र नदी में स्नान करें। अगर संभव न हो सके तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर ही स्नान कर लेना
चाहिए।
अपने पूरे घर में झाड़ू-पौछा लगाने के बाद गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव जरूर करें।
इस दिन उपवास करने का संकल्प लें और प्रभु का सिमरन करें।
किसी मंदिर में जाकर सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें।
तामसिक भोजन यानी लहसुन-प्याज और मांसाहार से दूर रहें।
इस दिन शराब न पिएं और पति-पत्नी एक बिस्तर पर भी न सोएं।
इसके बाद श्रद्धा के अनुसार दान दें। माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है।
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