समांतर माध्य का अर्थ क्या है? - samaantar maadhy ka arth kya hai?

उत्तर- समान्तर माध्य के गुण-दोष निम्न हैं-

(1) सरल गणना (easy to calculate)

(2) समझने के लिए अति सुगम।

(3) चरों के सभी मानों को बराबर महत्त्व दिया जाता है।

(4) श्रेणी को क्रमबद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, किसी भी रूप में गणना से प्राप्त उत्तर स्थिर होते हैं।

(5) आँकड़ों के समूह की केन्द्रीय प्रवृत्ति (central tendency) सुसपष्ट करते हैं।

समान्तर माध्य के दोष (Demerits of Mean) निम्न हैं-

(1) अवास्तविक।

(2) निरीक्षण से ज्ञात करना सम्भव नहीं।

(3) सीमान्त मूल्यों का माध्य पर सीधा प्रभाव।

समान्तर माध्य

गणित एवं सांख्यिकी में समान्तर माध्य (arithmetic mean) नमूने के आंकड़ों की केन्द्रीय प्रवृत्ति (central tendency) की एक गणितीय माप है। इसे प्रायः 'औसत' (average) या 'माध्य' (mean) ही कहते हैं। किन्तु जब इसे दूसरे प्रकार के माध्यों (जैसे ज्यामितीय माध्य या हरात्मक माध्य) से अलग करते हुए देखना हो तो इसे 'समान्तर माध्य' कहते हैं। गणित एवं सांख्यिकी के अलावा समान्तर माध्य का अर्थनीति, समाजशास्त्र, इतिहास आदि में प्रायः देखने को मिलता है। उदाहरण- .

11 संबंधों: प्रसरण, माध्य, शरीरक्रिया विज्ञान, समान्तर माध्य और गुणोत्तर माध्य सम्बन्धी असमिका, सामान्यीकृत माध्य, सिसैरा-संकलन, हरात्मक माध्य, वर्ग माध्य मूल, गुणोत्तर माध्य, असमिका, १ − २ + ३ − ४ + · · ·।

प्रसरण

प्रसारण (broadcasting) से भ्रमित न हों। ----- प्रायिकता और सांख्यिकी के सन्दर्भ में प्रसरण (variance) वह माप है जो दर्शाती है कि दिये गये आंकड़े (संख्यायेँ) कितने बिखरे हुए है। यदि सभी आंकड़े समान हों तो प्रसरण का मान शून्य होगा। प्रसरण का मान कम हो तो यह इंगित करता है कि सभी आंकड़े माध्य के बहुत पास हैं। .

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माध्य

गणित में माध्य (mean) के अनेक परिभाषायें है, जो सन्दर्भ पर निर्भर करतीं हैं। .

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शरीरक्रिया विज्ञान

शरीरक्रियाविज्ञान या कार्यिकी (Physiology/फ़िज़ियॉलोजी) के अंतर्गत प्राणियों से संबंधित प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन और उनका वर्गीकरण किया जाता है, साथ ही घटनाओं का अनुक्रम और सापेक्षिक महत्व के साथ प्रत्येक कार्य के उपयुक्त अंगनिर्धारण और उन अवस्थाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे प्रत्येक क्रिया निर्धारित होती है। शरीरक्रियाविज्ञान चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसमें शरीर में सम्पन्न होने वाली क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत मनुष्य या किसी अन्य प्राणी/पादप के शरीर में मौजूद भिन्न-भिन्न अंगों एवं तन्त्रों (Systems) के कार्यों और उन कार्यों के होने के कारणों के साथ-साथ उनसे सम्बन्धित चिकित्सा विज्ञान के नियमों का भी ज्ञान दिया जाता है। उदाहरण के लिए कान सुनने का कार्य करते है और आंखें देखने का कार्य करती हैं लेकिन शरीर-क्रिया विज्ञान सुनने और देखने के सम्बन्ध में यह ज्ञान कराती है कि ध्वनि कान के पर्दे पर किस प्रकार पहुँचती है और प्रकाश की किरणें आंखों के लेंसों पर पड़ते हुए किस प्रकार वस्तु की छवि मस्तिष्क तक पहुँचती है। इसी प्रकार, मनुष्य जो भोजन करता है, उसका पाचन किस प्रकार होता है, पाचन के अन्त में उसका आंतों की भित्तियों से अवशोषण किस प्रकार होता है, आदि। .

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समान्तर माध्य और गुणोत्तर माध्य सम्बन्धी असमिका

किन्हीं दो या अधिक धनात्मक संख्याओं का समान्तर माध्य उनके गुणोत्तर माध्य के बराबर या उससे बड़ा होता है। ये दोनों माध्य केवल तभी बराबर होते हैं जब दी गयीं सभी संख्याएं समान हों। अर्थात x_1, x_2, \ldots, x_n आदि धनात्मक संख्याएं हों तो,; उदाहरण .

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सामान्यीकृत माध्य

यदि p एक अशून्य वास्तविक संख्या है, तथा x_1,\dots,x_n धनात्मक वास्तविक संख्याएँ हैं, तो इन संख्याओं का सामान्यीकृत माध्य (generalized mean) या p घात वाला घात माध्य (power mean) निम्नलिखित है- .

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सिसैरा-संकलन

सिसैरा-संकलन गणितीय विश्लेषण में, सिसैरो संकलन सामान्य अर्थों में अभिसरण नहीं करने वाले अनन्त संकलन को मान निर्दिष्ट करता है जो मानक संकलन के साथ सन्निपतित होता है यदि वह अभिसारी हो। सिसैरा संकलन श्रेणी के आंशिक संकलन के समान्तर माध्य के सीमान्त मान के रूप में परिभाषित होता है। सिसैरा संकलन का नामकरण इतालवी विश्लेषक अर्नेस्टो सिसैरा (1859–1906) के सम्मान में रखा गया। .

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हरात्मक माध्य

हरात्मक माध्य (harmonic mean) गणित में प्रयुक्त अनेकों माध्यों में से एक है। जब दरों का माध्य निकालना हो तो हरात्मक माध्य उपयुक्त होता हैं। धनात्मक वास्तविक संख्याओं x1, x2,..., xn > 0 का हरात्मक माध्य H निम्नाकित प्रकार से परिभाषित किया जाता है- अर्थात, दी हुई संख्याओं का हरात्मक माध्य उन संख्याओं के व्युत्क्रम संख्याओं (रेसिप्रोकल्स) के समान्तर माध्य के व्युत्क्रम के बराबर होता है। .

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वर्ग माध्य मूल

गणित में वर्ग माध्य मूल (root mean square / RMS or rms), किसी चर राशि के परिमाण (magnitude) को व्यक्त करने का एक प्रकार का सांख्यिकीय तरीका है। इसे द्विघाती माध्य (quadratic mean) भी कहते हैं। यह उस स्थिति में विशेष रूप से उपयोगी है जब चर राशि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों मान ग्रहण कर रही हो। जैसे ज्यावक्रीय (sinusoids) का आरएमएस एक उपयोगी राशि है। 'वर्ग माध्य मूल' का शाब्दिक अर्थ है - दिये हुए आंकड़ों के "वर्गों के माध्य का वर्गमूल (root)".

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गुणोत्तर माध्य

गणित में गुणोत्तर माध्य (Geometric mean) जो आंकड़ो के किसी समुच्चय की केंद्रीय प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है। n संख्याओं का गुणोत्तर माध्य उनके गुणनफल के nवें मूल के बराबर होता है। उदाहरण के लिये १, २, ४ का गुणोत्तर माध्य .

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असमिका

रैखिक प्रोग्रामन (linear programming) में सम्भावित क्षेत्र (feasible region) असमिकाओं के एक समूह द्वारा व्यक्त किया जाता है। गणित में असमिका या असमता (Inequality) ऐसे कथन को कहते हैं जो दो वस्तुओं का आपेक्षिक आकार व्यक्त करता है। जैसे ७ > ५.

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१ − २ + ३ − ४ + · · ·

गणित में, 1 − 2 + 3 − 4 + ··· एक अनन्त श्रेणी है जिसके व्यंजक क्रमानुगत धनात्मक संख्याएं होती हैं जिसके एकांतर चिह्न होते हैं अर्थात प्रत्येक व्यंजक के चिह्न, इसके पूर्व व्यंजक से विपरीत होते हैं। श्रेणी के प्रथम m पदों का योग सिग्मा योग निरूपण की सहायता से निम्नवत् लिखा जा सकता है: अनन्त श्रेणी के अपसरण का मतलब यह है कि इसके आंशिक योग का अनुक्रम किसी परिमित मान की ओर अग्रसर नहीं होता है। बहरहाल, 18वीं शताब्दी के मध्य में लियोनार्ड आयलर ने विरोधाभासी समीकरण में लिखा: लेकिन इस समीकरण की सार्थकता बहुत समय बाद तक स्पष्ट नहीं हो पाई। 1980 के पूर्वार्द्ध में अर्नेस्टो सिसैरा, एमिल बोरेल तथा अन्य ने अपसारी श्रेणियों को व्यापक योग निर्दिष्ट करने के लिए सुपरिभाषित विधि प्रदान की— जिसमें नवीन आयलर विधियों का भी उल्लेख था। इनमें से विभिन्न संकलनीयता विधियों द्वारा का "योग" लिखा जा सकता है। सिसैरा-संकलन उन विधियों में से एक है जो का योग प्राप्त नहीं कर सकती, अतः श्रेणी एक ऐसा उदाहरण है जिसमें थोड़ी प्रबल विधि यथा एबल संकलन विधि की आवश्यकता होती है। श्रेणी, ग्रांडी श्रेणी से अतिसम्बद्ध है। आयलर ने इन दोनों श्रेणियों को श्रेणी जहाँ (n यदृच्छ है), की विशेष अवस्था के रूप में अध्ययन किया और अपने शोध कार्य को बेसल समस्या तक विस्तारित किया। बाद में उनका ये कार्य फलनिक समीकरण के रूप में परिणत हुआ जिसे अब डीरिख्ले ईटा फलन और रीमान जीटा फलन के नाम से जाना जाता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

समांतर माध्य।

समान्तर माध्य का अर्थ क्या है?

गणित एवं सांख्यिकी में समान्तर माध्य (arithmetic mean) नमूने के आंकड़ों की केन्द्रीय प्रवृत्ति (central tendency) की एक गणितीय माप है। इसे प्रायः 'औसत' (average) या 'माध्य' (mean) ही कहते हैं।

समांतर माध्य के कितने प्रकार होते हैं?

दो प्रकार के समांतर माध्य के नाम लिखिए। 1. सरल समांतर माध्य - जब माध्य की गणना समंक माला के समस्त पदों को समान महत्व देते हुए समस्त पदों के योग में पदों की संख्या का भाग देख कर की जाती है उसे सरल समांतर माध्य कहते हैं। 2.

समान्तर माध्य क्या है समान्तर माध्य के दो गुण लिखिए?

उत्तर- समान्तर माध्य के गुण-दोष निम्न हैं- (2) समझने के लिए अति सुगम। (3) चरों के सभी मानों को बराबर महत्त्व दिया जाता है। (4) श्रेणी को क्रमबद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, किसी भी रूप में गणना से प्राप्त उत्तर स्थिर होते हैं। (5) आँकड़ों के समूह की केन्द्रीय प्रवृत्ति (central tendency) सुसपष्ट करते हैं।

समांतर शब्द से आप क्या समझते हैं?

एक समांतर चतुर्भुज में सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं, सम्मुख कोण बराबर होते हैं तथा विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं। एक समचतुर्भुज में विकर्ण परस्पर समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं। एक आयत में विकर्ण बराबर होते हैं

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