सुखिया सब संसार जागे और रोवे दोहे के अनुसार कबीर ने कैसे लोगों को सुखी बताया है - sukhiya sab sansaar jaage aur rove dohe ke anusaar kabeer ne kaise logon ko sukhee bataaya hai

सुखिया सब संसार है

सुखिया सब संसार है, खाए अरु सोवै।

दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै॥

कबीर को पूरा संसार मोह-ग्रस्त दिखाई देता है। वह मृत्यु की छाया में रहकर भी सबसे बेख़बर विषय-वासनाओं को भोगते हुए अचेत पड़ा है। कबीर का अज्ञान दूर हो गया है। उनमें ईश्वर के प्रेम की प्यास जाग उठी है। सांसरिकता से उनका मन विमुख हो गया है। उन्हें दोहरी पीड़ा से गुज़रना पड़ रहा है। पहली पीड़ा है, सुखी जीवों का घोर यातनामय भविष्य, मुक्त होने के अवसर को व्यर्थ में नष्ट करने की उनकी नियति। दूसरी पीड़ा है, भगवान को पा लेने की अतिशय बचैनी। दोहरी व्यथा से व्यथित कबीर जाग्रतावस्था में हैं और ईश्वर को पाने की करुण पुकार लगाए हुए हैं।

स्रोत :

  • पुस्तक : कबीर ग्रंथावली (पृष्ठ 144)
  • प्रकाशन : लोकभारती प्रकाशन
  • संस्करण : 2013

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कबीर जी के अनुसार सब लोग खुश क्यों है?

Answer: कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो संसार में व्याप्त सुख-सुविधाओं का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है।

सुखिया सब संसार है खायै अरु सोवै इस पंक्ति के रचयिता कौन हैं?

इस साखी के कवि कबीरदास जी है।

संत कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है?

Solution : कबीर के दोहों को साखी कहा जाता है, क्योंकि . साखी. शब्द का अर्थ है-साक्षी, गवाह या प्रत्यक्ष रूप से, अर्थात् उन्होंने इस संसार-समाज को अपनी खुली आँखों से जैसा देखा, उसे वैसा ही व्यक्त किया है।

कबीर की साखी अर्थ सहित Class 12?

कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी भी कहा जाता है। 'साखी' वस्तुतः दोहा छंद ही है जिसका लक्षण है 13 और 11 के विश्राम से 24 मात्रा । प्रस्तुत पाठ की साखियाँ प्रमाण हैं कि सत्य की साक्षी देता हुआ ही गुरु शिष्य को जीवन के तत्वज्ञान की शिक्षा देता है । यह शिक्षा जितनी प्रभावपूर्ण होती है उतनी ही याद रह जाने योग्य भी।

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