प्रजामण्डल आन्दोलन
प्रजामण्डल
प्रजामण्डल का अर्थ है प्रजा का मण्डल(संगठन)।1920 के दशक में ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ रहे थे। इसी के कारण किसानों द्वारा विभिन्न आंदोलन चलाये जा रहे थे साथ ही गांधी जी के नेतृत्व में देश में स्वतंत्रता आन्दोलन भी चल रहा था। इन सभी के कारण राज्य की प्रजा में जागृती आयी और उन्होंने संगठन(मंडल) बना कर अत्याचारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू किया जो प्रजामण्डल आंदोलन कहलाये।
प्रजा मण्डल आन्दोलनों का उद्देश्य था - “रियासती कुशासन को समाप्त करना व एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना जो प्रजा के प्रती उत्तरदायी हो”।
राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन इस प्रकार थे -
1. जयपुर प्रजामण्डल(1931)
1931 में कर्पूरचन्द पाटनी व जमनालाल बजाज(गाँधीजी का पाँचवाँ पुत्र) के प्रयासों से जयपुर प्रजामण्डल की स्थापना हुई।
जमनालाल बजाज स्वयं को गुलाम न. 4 कहते थे। ( पहले 3 थे - हिंदुस्तान , देशी राजा , सीकर )
1936 में जयपुर प्रजामण्डल का पुनगर्ठन हुआ। चिरंजी लालमिश्र अध्यक्ष बने।
1942 को प्रजामण्डल के अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री व रियासती प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल के बीच जेन्टलमेट्स समझौता हुआ। जिसमें प्रजामण्डल को भारत छोड़ो आन्दोलन से अलग रखा गया।
यह राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल था।
2. बूंदी प्रजामण्डल(1931)
1931 में श्री कांतिलाल द्वारा स्थापित।
बूंदी राज्य लोक परिषद की स्थापना 1944 में ऋषिदत्त मेहता द्वारा की गई।
3. मारवाड़ प्रजामण्डल(1934)
इस प्रजामण्डल की स्थापना जयनारायण व्यास(शेर-ए-राजस्थान) ने जोधपुर में की।
अध्यक्ष - भंवरलाल सर्राफ
1938 में रणछोड़ दास गट्टानी की अध्यक्षता में मारवाड़ लोक परिषद् का गठन हुआ।
4. हाड़ौती प्रजामण्डल(1934)
संस्थापक - नयनूराम शर्मा
1938(कुछ किताबों में 1939) में नयनूराम शर्मा व अभित्र हरि द्वारा गठित कोटा प्रजामण्डल गठित किया गया।
5. धौलपुर प्रजामण्डल(1936)
1936 में कृष्णदत्त पालीवाल, श्री मूलचंद श्री ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु आदि द्वारा गठित।
6. बीकानेर प्रजामण्डल(4 अक्टूबर 1936)
4 अक्टूबर, 1936 को वैद्य मघाराम(अध्यक्ष) व श्री लक्ष्मणदास स्वामी द्वारा गठित।
राजस्थान का एकमात्र प्रजामण्डल जिसकी स्थापना राजस्थान से बाहर कलकत्ता में हुई।
1942 में रघुवरदयाल द्वारा बीकानेर राज्य परिषद् का गठन किया गया।
7. शाहपुरा(18 अप्रेल 1938)
18 अप्रैल, 1938 को श्री रमेशचन्द्र औझा, लादूराम व्यास व अभयसिंह डांगी द्वारा श्री माणिक्य लाल वर्मा के सहयोग से गठित।
शाहपुरा प्रथम रियासत थी जिसने उत्तरदायी शासन की स्थापना की।
8. मेवाड़ प्रजामण्डल(24 अप्रेल 1938)
संस्थापक - माणिक्य लाल वर्मा
अध्यक्ष - बलवंत सिंह मेहता
उपाध्यक्ष - भूरेलाल बया
1941 में मेवाड़ प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन उदयपुर की शाहपुरा हवेली में माणिक्य लाल वर्मा की अध्यक्षता में हुआ। इसमें जे.बी. कृपलानी व विजयालक्ष्मी पण्डित ने भाग लिया।
9. अलवर प्रजामण्डल(1938)
1938 में पं. हरिनारायण शर्मा एवं कुंजबिहारी मोदी द्वारा स्थापित। 1939 में इसके रजिस्ट्रेशन के बाद सरदार नत्थामल इसके अध्यक्ष बने।
10. भरतपुर प्रजामण्डल(1938)
1938 में किशनलाल जोशी के प्रयासों से प्रजामण्डल की स्थापना।
अध्यक्ष - गोपीलाल यादव
11. सिरोही प्रजामण्डल(23 जनवरी 1939)
23 जनवरी, 1939 को श्री गोकुलभाई भट्ट(राजस्थान का गाँधी)-अध्यक्ष
12. करौली प्रजामण्डल(अप्रेल 1939)
अप्रैल, 1939 में श्री त्रिलोकचंद माथुर, चिरंजीलाल शर्मा व कुंवर मदन सिंह द्वारा गठित।
13. किशनगढ़ प्रजामण्डल(1939)
1939 में श्री कांतिलाल चौथानी एवं श्री जमालशाह(अध्यक्ष) द्वारा स्थापित।
14. कुशलगढ़ प्रजामण्डल(अप्रेल 1942)
अप्रैल, 1942 में श्री भंवरलाल निगम(अध्यक्ष) व कन्हैयालाल सेठिया द्वारा गठित।
15. बांसवाड़ा प्रजामण्डल(1943)
भूपेन्द्रनाथ त्रिवेदी, धूलजी भाई भावसर, मणिशंकर नागर आदि द्वारा स्थापित।
16. डूंगरपुर प्रजामण्डल(1 अगस्त 1944)
भोगीलाल पाड्या(वागड़ का गांधी) व शिवलाल कोटरिया द्वारा
17. प्रतापगढ़ प्रजामण्डल(1945)
1945 ई. में श्री चुन्नीलाल एवं अमृतलाल के प्रयासों से स्थापित।
18. जैसलमेर प्रजामण्डल(15 दिसम्बर 1945)
15 दिसम्बर, 1945 को मीठालाल व्यास ने जोधपुर में जैसलमेर प्रजामण्डल की स्थापना की।
19. झालावाड़ प्रजामण्डल(25 नवम्बर 1946)
25 नवम्बर, 1946 को श्री मांगीलाल भव्य(अध्यक्ष) , कन्हैयालाल मित्तल, मकबूल आलम द्वारा गठित।
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प्रजामण्डल भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय रियासतों की जनता के संगठन थे। 1920 के दशक में प्रजामण्डलों की स्थापना तेजी से हुई। प्रजामण्डल का अर्थ है 'जनता का समूह'।
परिचय[संपादित करें]
भारतीय रियासतों का शासन व्यवस्था ब्रिटिश नियंत्रण वाले भारतीय क्षेत्र से भिन्न थी तथा अनेक रियासतों के राजा प्रायः अंग्रेजों के मुहरे के समान व्यवहार करते थे। शुरुआती दौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देशी रियासतों में आन्दोलन के प्रति उदासीन रही तथा रियासतों को अपने अभियान से अलग रखा था। परन्तु जैसे-जैसे रियासतों की जनता में निकटवर्ती क्षेत्रों के कांग्रेस चालित अभियानों से जागरूकता बढ़ी, उनमें अपने कल्याण के लिए संगठित होने की प्रवृत्ति बलवती हुई, जिससे प्रजामंडल बने।
हरिपुरा अधिवेशन (1938) में कांग्रेस की नीति में परिवर्तन आया। रियासती जनता को भी अपने-अपने राज्य में संगठन निर्माण करने तथा अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन करने की छूट दे दी।
राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन[संपादित करें]
जयपुर प्रजामण्डल | 1931, 1936 में पुनः स्थापना हुई | कुरपुरचंद पाटनी (1931), जमना लाल बजाज
(1936 में), अध्यक्ष चिरंजी लाल मिस्र (1936) | उद्देश्य - समाज सुधार और खादी का प्रचार ; 'महिलाएँ = दुर्गा देवी दत्त , जानकी देवी बजाज प्रथम अधिवेशन 1938 में [जेंटल मेंट एग्रीमेंट 17 सितंबर 1942] |
आजाद मोर्चा | अध्यक्ष बाबा हरिश्चंद्र | गैर सरकारी सदस्य की नियुक्ति मानसिंह द्वितिय द्वारा देवी शंकर तिवाड़ी को | |
बूंदी प्रजामण्डल | 1931 | कान्ति लाल और नित्यानन्द | 25 मार्च 1948 को राजस्थान संघ में शामिल |
मारवाड़ प्रजामण्डल | 1934 | जयनारायण व्यास ; प्रथम अध्यक्ष -भंवरलाल सर्राफ | |
बीकानेर प्रजामण्डल | 1936 | मघाराम वैद्य द्वारा (कोलकाता में) | राज्य के बाहर स्थापित होने वाला प्रजामण्डल |
धोलपुर प्रजामण्डल | 1936 | कृष्णदत्त पालीवाल और ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु | |
मेवाड़ प्रजामण्डल | 24 अप्रेल 1938 | माणिक्य लाल वर्मा द्वारा (उदयपुर में) ; प्रथम अध्यक्ष - बलवन्त सिंह मेहता ; प्रथम अधिवेशन - उदयपुर में (1941) ; विजयलक्ष्मी पंडित और जे.पी. कृपलानी ने भाग लिया। | 1941 मे सर टी विजयराघवाचार्य मेवाड़ के प्रधानमंत्री ने प्रतिबंध हटाया' |
भरतपुर प्रजामण्डल | 1938 (स्त्रोत RBSE 10th) | किशन लाल जोशी और मास्टर आदित्येन्द्र | |
शाहपुरा प्रजामण्डल | 1938 | रमेश चन्द्र ओझा और लादूराम व्यास | उत्तरदायी शासन स्थापित करने वाला प्रथम देशी राज्य शाहपुरा |
किशनगढ़ प्रजामण्डल | 1939 | कांतिलाल चोथानी और जमालशाह | |
अलवर प्रजामण्डल | 1938 | हरिनारायण शर्मा और कुंजबिहारी मोदी | |
करौली प्रजामण्डल | 1938 (स्रोत RBSE 10th) | त्रिलोकचन्द्र माथुर | |
कोटा प्रजामण्डल | 1939 | अभिन्न हरि और पं. नयनु राम शर्मा (कोटा में राष्ट्रीयता के जनक ) | |
सिरोही प्रजामण्डल | 1939 | गोकुल भाई भट्ट (राजस्थान के गाँधी ) | |
कुशलगढ़ प्रजामण्डल | 1942 | भंवर लाल निगम | |
बांसवाडा प्रजामण्डल | 1943 | भूपेन्द्र नाथ त्रिवेदी और हरिदेव जोशी | |
डूंगरपुर प्रजामण्डल | 1945 | भोगीलाल पांड्या (बागड़ के गाँधी) | |
प्रतापगढ़ प्रजामण्डल | 1945 | अमृत लाल पाठक और चुन्नीलाल | |
जैसलमेर | 1945 | मीठालाल व्यास | |
झालावाड प्रजामण्डल | 1946 | मांगीलाल भव्य और कन्हैया लाल मित्तल |
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- देशी रियासत
- अखिल भारतीय किसान सभा
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- राजस्थान में प्रजा मंडल आन्दोलन (IGNCA)