रजिस्ट्री के बाद क्या होता है? - rajistree ke baad kya hota hai?

इन बातों पर ध्यान नहीं दिया तो रद्द हो सकती है जमीन की रजिस्ट्री

Property Registration: रजिस्ट्री होने के बाद प्रॉपर्टी के विक्रेता के पास सूचना भेजी जाती है और उन्हें जानकारी दी जाती है कि अमुक व्यक्ति के नाम पर बैनामा कर दिया गया है और अगर आपको इसको लेकर कोई आपत्ति है तो उसको दर्ज करा सकते हैं.

News Nation Bureau | Edited By : Dhirendra Kumar | Updated on: 29 Dec 2021, 09:47:36 AM

प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Property Registration) (Photo Credit: NewsNation)

highlights

  • उत्तर प्रदेश में आपत्ति दर्ज कराने के लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित
  • आपत्ति दर्ज कराने वालों में परिजन, रिश्तेदार या फिर हिस्सेदार हो सकते हैं

नई दिल्ली:  

अक्सर देखा गया है कि एक बार प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Property Registration) होने के बाद लोग निश्चिंत हो जाते हैं और वे मान लेते हैं कि अब किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी. उनको लगता है कि अब वह उस संपत्ति के मालिक बन गए हैं जबकि ऐसा है नहीं. आपके सामने अभी भी कई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं जिसकी वजह से जमीन की रजिस्ट्री रद्द हो सकती है. अगर आप भी कोई प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो आपको सतर्क होने की जरूरत है. दरअसल, प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के बाद भी एक तयशुदा समय के भीतर कराई गई रजिस्ट्री के विरोध में आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं. आपत्तियां दर्ज कराने वालों में प्रॉपर्टी की बिक्री करने वाले के परिजन, रिश्तेदार या फिर हिस्सेदार हो सकते हैं.   

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आपत्ति दर्ज कराने के लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग अवधि तय
आपत्ति दर्ज कराने के लिए क्या प्रावधान हैं और रजिस्ट्री कब और कैसे रद्द हो सकती है, इसको जानने की कोशिश करते हैं. आपको बता दें कि रजिस्ट्री होने के बाद प्रॉपर्टी के विक्रेता के पास सूचना भेजी जाती है और उन्हें जानकारी दी जाती है कि अमुक व्यक्ति के नाम पर बैनामा कर दिया गया है और अगर आपको इसको लेकर कोई आपत्ति है तो उसको दर्ज करा सकते हैं. आपत्ति को दर्ज कराने के लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग अवधि को निर्धारित किया गया है. देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में आपत्ति दर्ज कराने के लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित है और इस अवधि में तहसीलदार कार्यालय में कभी भी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं.

वहीं अगर प्रॉपर्टी की बिक्री करने वाले को उस संपत्ति की पूरी कीमत नहीं मिल पाई है तो वह व्यक्ति अपनी आपत्ति दर्ज करा करके इसका दाखिल खारिज रुकवा सकता है और ऐसी स्थिति में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री रद्द हो जाएगी. हालांकि सामान्तया देखने में आता है कि अधिकतर मामलों में प्रॉपर्टी की बिक्री करने वाले के परिजन या फिर हिस्सेदारों की ओर से ही आपत्ति दर्ज कराई जाती है. इसके अलावा कई बार खरीदार की ओर से संपत्ति के मालिक को पोस्ट डेटेड चेक दे दिया जाता है और उसके क्लियर नहीं होने की स्थिति में वह आपत्ति दर्ज कराकर दाखिल खारिज रुकवा सकता है.  

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वहीं कई बार यह भी देखा गया है कि ज्यादा पैसे की लालच में संपत्ति के मालिक ने आपत्ति दर्ज कराकर दाखिल खारिज को रुकवा दिया और खरीदार से ज्यादा पैसा लेने के लिए दबाव भी बनाया. तहसीलदार कार्यालय में वाजिब आपत्तियों के मामले में कार्रवाई की जाती है और सबकुछ सही पाए जाने पर राजस्व विभाग के अभिलेखों में खरीदार के नाम पर दर्ज कर दिया जाता है.

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First Published : 29 Dec 2021, 09:45:43 AM

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रजिस्ट्री होने के कितने दिन बाद दाखिल खारिज होता है?

90 दिनों में अनिवार्य होगा जमीन का दाखिल-खारिज

रजिस्ट्री hone के बाद नामांतरण कैसे होता है?

अभी रजिस्ट्री कराने के बाद नामांतरण कराने के लिए राजस्व विभाग में जाना पड़ता है और वहां आवेदन देना होता है। लेकिन अब आवेदन रजिस्ट्री कराने के साथ ही फारवर्ड हो जाएगा और संबंधित तहसीलदार के पास रजिस्ट्रीकर्ता का आवेदन डिस्प्ले होने लगेगा। इससे रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण की भी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद नामांतरण कितने दिन में हो जाता है?

यदि जमीन की रजिस्ट्री को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी तो जमीन खरीदने वाले के नाम पर 30 दिन के भीतर जमीन का नामांतरण हो जाएगा तथा खसरा रिकार्ड में भी भूमि स्वामी का नाम आटोमेटिक दर्ज हो जाएगा।

रजिस्ट्री कितने दिन तक कैंसिल हो सकती है?

उत्तर प्रदेश में इसके लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित है. इस दरम्यान तहसीलदार कार्यालय में कभी भी आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है. अगर विक्रेता को प्रॉपर्टी की पूरी कीमत नहीं मिल पाई है तो वह आपत्ति दर्ज कराकर इसका दाखिल खारिज रुकवा सकता है. इस स्थिति में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री खारिज हो जाएगी.

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