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रीढ़ की हड्डी की दबी हुई नसों का इलाज तुरंत करवाएं
जगाधरी। रीढ़ के हड्डी व मनके हमारे शरीर का बहुत ही जरूरी अंग है और हमारा शरीर इसी के सहारे ही चलता है और कार्य करता है। रीढ़ की हड्डी अलगअलग प्रकार के मनकों से बनती है और उन मनकों के बीच में डिस्क होती है और मनकों के दोनों तरफ और बीच में नसें होती है। अगर हमारे मनकों में कोई भी तकलीफ होती है तो उसका सारा असर डिस्क और नसों पर पढ़ता है। जिसके कारण मरीज की गर्दन और कमर में दर्द रहने लगता है और नसों की वजह से यह दर्द बाजुओं और टांगों में जाने लगता है। ज्यादातर यह तकलीफ कमर के नीचे वाले हिस्से में होती है और दर्द टांग में निकलता है जिसको हम सिकाटिका का दर्द कहते हैं। जो कि नस के दबने और उसका दौरा रूकने की वजह से होती है और मरीज के पैर और टांग सुन्न भी रहने लगती है और यह तकलीफ धीरेधीरे बढऩे लगती है और मरीज का चलना, फिरना और खड़े होना भी मुश्किल हो जाता है। इस नस के दबने का पता एमआरआई से लगता है। इससे पता चलता है कि नस कितनी और कहां से दबी है, जिसके अनुसार उसका इलाज करना है अगर मरीज की नस हलकी सी दबी है तो वह दवाईयां और कुछ इंजैक्शन से ठीक हो सकती है, लेकिन अगर मरीज की नसें बहुत ज्यादा और बहुत समय से दबी है तो उसकी टांगों के कमजोरी का खतरा बना रहता है।
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