पित्त की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? - pitt kee patharee ka aayurvedik ilaaj kya hai?

पित्त पथरी के लिए सबसे आम उपचारों में से एक पित्ताशय की थैली की सफाई है। यह पित्त पथरी को तोड़ता है और उन्हें शरीर से निकाल देता है। साल 2009 के एक अध्ययन के अनुसार यह उपाय कुछ लोगों के लिए मददगार हो सकता है। इसमें मरीज को 2 से 5 दिनों के लिए सेब का रस, जड़ी-बूटियों और जैतून के तेल के मिश्रण का सेवन करना पड़ता है।

पित्त की पथरी का इलाज- सेब का सिरका

कुछ लोगों का मानना है कि सेब का रस पित्त पथरी को नरम करता है, जिससे वे आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं। बताया जाता है कि सेब के रस में सेब का सिरका मिलाकर पीने से लाभ होता है। हालांकि इसके लिए अभी सीमित प्रमाण हैं।

पित्त की पथरी में क्या खाना चाहिए- सिंहपर्णी

National Center for Complementary and Integrative Health के अनुसार, सिंहपर्णी का उपयोग सालों से पित्ताशय की थैली, लीवर और पित्त नली की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी कड़वी जड़ें पित्ताशय की थैली में पित्त उत्पादन को उत्तेजित कर सकती हैं। आमतौर पर लोग अपने पित्त पथरी को दूर करने के लिए सिंहपर्णी की चाय या कॉफी पीते हैं।

पित्त की पथरी में क्या खाएं- मिल्क थिस्ल

सदियों से लीवर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए मिल्क थीस्ल का इस्तेमाल औषधीय रूप से किया जाता रहा है। मरीज मिल्क थिस्ल को टॉनिक के रूप में या कैप्सूल या टैबलेट के रूप में ले सकता है।

पित्त की थैली में पथरी कैसे बनती है, जानें कैसे बचें

पित्त की पथरी निकालने का उपाय- लिसिमैचिया हर्ब

लिसिमैचिया हर्ब (Lysimachiae Herba) का पित्त पथरी के लिए एक लोकप्रिय पारंपरिक चीनी उपाय है। शोध से पता चलता है कि यह कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी के इलाज या रोकथाम के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह सप्लीमेंट या लिक्विड रूप में मिल सकता है।

वैसे तो यह किसी भी उम्र के इंसान को अपना शिकार बना सकती है, लेकिन इस बीमारी से महिलाएं और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। पित्ताशय की पथरी की गंभीरता को इस बात से समझ सकते हैं कि इसके कारण दर्द, सूजन, संक्रमण तो होते ही हैं साथ ही, कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का खतरा भी बना रहता है।

पित्त की थैली में स्टोन का पता तब चलता है जब यह दर्दनाक बन जाता है। उचित समय पर इसका उपचार करवाना बहुत जरूरी है, वरना यह अधिक घातक हो सकता है। प्रारंभिक चरण में इलाज करवा लेने से राहत मिल जाती है।

Table of Contents

  • पित्ताशय की पथरी (पित्ताश्मरता) क्या है? – What is Gallstone in Hindi?
  • पित्ताशय की पथरी के प्रकार (Types of gall bladder stone in Hindi)
  • पित्ताशय में पथरी होने के कारण
  • पित्ताशय में पथरी के लक्षण
  • पित्ताशय की पथरी के जोखिम कारक (Gall bladder stone risk factors in hindi)
  • पित्ताशय में पथरी का निदान
  • पित्ताशय की पथरी का इलाज
    • पित्ताशय में पथरी के 10 घरेलू उपचार – Home Remedies for Gallstone in Hindi
      • नाशपाती
      • पिपरमिंट
      • नींबू
      • सेब
      • हल्दी
      • क्रैनबेरी जूस
      • नारियल का तेल
      • भरपूर मात्रा में पानी पीएं
      • हर्बल चाय का सेवन
      • ब्लैक कॉफी
      • विटामिन सी
    • पित्ताशय की पथरी का आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथी उपचार
    • पित्ताशय की पथरी का आपरेशन/सर्जरी — Surgery for Gall bladder Stone in Hindi
  • पित्ताशय की पथरी की जटिलताएं
  • पित्ताशय की पथरी से बचाव कैसे करे?

पित्ताशय की पथरी (पित्ताश्मरता) क्या है? – What is Gallstone in Hindi?

पित्ताशय की पथरी को अंग्रेजी में Gallbladder Stone (Cholelithiasis) कहते हैं और शुद्ध हिंदी में इसे पित्ताश्मरता कहा जाता है। यह हमारे शरीर का एक छोटा सा अंग है जो लीवर के ठीक पीछे होता है। पित्त हरे रंग का एक तरल पदार्थ है जो लीवर में बनकर लीवर से लगी हुई पित्त की थैली में इकट्ठा होता रहता है।

पित्ताशय हमारे पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो लीवर और छोटी आंत के बीच एक पुल की तरह काम करता है। जब पित्त में उपस्थित कोलेस्ट्रॉल, बिलरुबिन जैसे पदार्थ पित्ताशय में एकत्रित होने लगते हैं तो मिलकर एक कठोर पदार्थ का निर्माण करते हैं, यह पत्थर के सामान होता है जिसे हम पित्ताशय की पथरी कहते हैं।

पित्ताशय की पथरी के प्रकार (Types of gall bladder stone in Hindi)

पित्ताशय की पथरी के दो मुख्य प्रकार हैं-

  1. कोलेस्ट्रॉल स्टोन – ये पीला-हरा रंग के होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल से बने होते हैं। ये आम प्रकार हैं जो लगभग 80 प्रतिशत लोगों में पाए जाते हैं।
  2. पिगमेंट स्टोन – पिगमेंट स्टोन बिलरुबिन से बना होता है और ये आकार में छोटे और रंग में काले होते हैं।

पित्ताशय में पथरी होने के कारण

पित्ताशय में पथरी के कारणों की बात करें तो कई कारण हैं जिनकी वजह से पित्ताशय में पथरी होती है। इन कारणों में शामिल है:

  • अनियमित जीवनशैली।
  • असंतुलित खान-पान।
  • अधिक मोटापा।
  • वंश परम्परागत।
  • गर्भवती महिलाओं व गर्भ निरोधक गोली का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को पित्ताशय में पथरी होने का खतरा ज्यादा रहता है।
  • तेजी से वज़न कम करने पर भी पित्ताशय में पथरी होने का खतरा बना रहता है।
  • उम्र का भी फर्कपड़ता है। 45 से अधिक उम्र वालों में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
  • अधिक जंक फूड खाने से भी पित्ताशय में पथरी होने का खतरा बना रहता है।

गॉल ब्लैडर स्टोन का पता चलते ही उपचार कराना बेहतर होता है क्योंकि यह कैंसर में भी बदल सकता है। अच्छी बात यह है की गॉल ब्लैडर स्टोन लाइलाज नहीं है। पित्त की थैली में पथरी का इलाज उपलब्ध है। ध्यान रखने वाली बात यह है की पित्त की थैली में पथरी का इलाज समय पर नहीं कराया गया तो फिर एक मात्र इलाज “Pathri Ka Operation” ही बचता है। पित्ताशय में पथरी का उपचार सही तरीके से करने के लिए आइए समझते हैं की पित्त की थैली में पथरी का इलाज किन किन तरीकों से किया जा सकता है।

पित्ताशय में पथरी के लक्षण

पित्त की थैली में पथरी होने के लक्षण कभी-कभी 1-2 साल तक दिखाई नही पड़ते हैं। कुछ समय के बाद जब अचानक से पेट में असहनीय दर्द होना शुरु हो जाता है। तब लोग डॉक्टर से जांच कराते है तो पता चलता है की उन्हें पित्ताशय में पथरी है। इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे लक्षण हैं जिनसे पित्ताशय में पथरी को पहचाना जा सकता है। जैसे कि:- 

  • पेट के दाहिनी तरफ के ऊपरी भाग में अचानक असहनीय दर्द शुरु हो जाना।
  • पेट में कई घंटों तक दर्द बने रहना।
  • पित्त की थैली में स्टोन होने की स्थिति में शरीर की त्वचा या आंखों का पीला होना भी एक महत्त्वपूर्ण लक्षण है। पीलिया या मिट्टी के रंग का मल होने पर कोलेडोकीलिथियेसिस (Choledochilithiasis) या गॉलस्टोन पैन्क्रियेटाइटिस (Gallstone Pancreatitis) होने की संभावना हो सकती है। 
  • पित्ताशय में पथरी होने पर पेट अपने आप भरा भरा महसूस होता है और भूख कम लगती है या नहीं भी लगती है।
  • कमजोरी होना।
  • पेट फूलने की समस्या बनी रहना।
  • उल्टी या मितली आना।
  • बदहजमी होना।
  • खट्टापन महसूस होना।

ध्यान देने वाली बात यह है कि पित्ताशय में पथरी कि स्थिति में यहां बताए गए सभी कारणों के साथ ही बुखार भी आता है। जब भी ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण के साथ बुखार महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर से अभी सलाह लेने के लिए क्लिक करें

पित्ताशय की पथरी के जोखिम कारक (Gall bladder stone risk factors in hindi)

नीची दी गई शारीरिक स्थिति या बीमारी होने पर पित्त की थैली में पथरी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

  • आनुवंशिक
  • महिला होने पर
  • 40 से अधिक उम्र होने पर
  • मोटापा
  • आहार में अधिक फैट और कोलेस्ट्रॉल, जबकि फाइबर की बहुत कम मात्रा
  • व्ययायाम या शारीरिक गतिविधि नहीं करने पर
  • गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन या हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी
  • गर्भवती होने पर
  • डायबिटीज होने पर
  • क्रोहन रोग होने पर
  • हेमोलिटिक एनीमिया या लिवर सिरोसिस
  • कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा लेने पर
  • व्रत रखने पर
  • कम समय में जल्दी वजन कम करने पर

पित्ताशय में पथरी का निदान

पित्ताशय की पथरी का निदान करने के लिए रोगी को निम्न जाँच प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।

  • एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड में पित्ताशय की छवि प्राप्त करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। इसे टेस्ट से पित्ताशय के सूजन और उसके मोटापे का पता लगाया जा सकता है।
  • इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड – यह टेस्ट छोटे आकार की पथरी को देखने के लिए किया जाता है जो एब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड के समय नहीं दिखाई देते हैं। इस टेस्ट में एंडोस्कोप नामक एक यंत्र गले के जरिए पेट के भीतर डाला जाता है, एंडोस्कोप के ट्यूब में एक ट्रांसड्यूसर लगा होता है जो ध्वनि तरंग उत्पन्न करता है, जिससे डॉक्टर पित्ताशय में उपस्थित छोइते आकार की पथरी भी देख पाते हैं।
  • अन्य इमेजिंग टेस्ट – सीटी स्कैन (CT scan), ओरल कोलेसिस्टोग्राफी (oral cholecystography), हेपेटोबिलरी इमिनो डायसेटिक एसिड (HIDA) स्कैन, मैग्नेटिक रेजोनेंस कोलेजनोपैन्टोग्राफी (MRCP) या इंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेजनोपैनोग्राफी (ERCP) आदि जाँच प्रक्रियाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।
  • रक्त परीक्षण- रक्त परीक्षण से पित्त पथरी के कारण संक्रमण, पीलिया, अग्नाशयशोथ या अन्य जटिलताओं का पता चल सकता है।

पित्ताशय की पथरी का इलाज

पित्ताशय में पथरी का उपचार कई विधियों से हो सकता है। इन विधियों में शामिल है:

  • घरेलू उपचार
  • आयुर्वेदिक उपचार
  • होम्योपैथी में पित्त की थैली में पथरी का इलाज
  • एलोपैथिक उपचार
  • सर्जरी

पित्ताशय में पथरी के 10 घरेलू उपचार – Home Remedies for Gallstone in Hindi

अभी तक कोई रिसर्च ने यह प्रमाणित नहीं किया है कि पित्ताशय की पथरी को घरेलू नुस्खे से घोला जा सकता है, प्राकृतिक या घरेलू उपचार की मदद से पित्ताशय की पथरी का इलाज करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है। नीचे दिए गए गरेलू नुस्खे काफी प्रचलित हैं जो बहुतायत में उपयोग किए जाते हैं।

नाशपाती

नाशपाती में भरपूर मात्रा में पेक्टिन (Pectin) पाया जाता है। पित्ताशय में पथरी होने पर नाशपाती का रस बहुत फ़ायदेमंद होता है। नाशपाती में मौजूद पेक्टिन हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और पित्त की थैली में पथरी के खतरे को कम कर सकता है। नाशपाती के उपयोग की बात करें तो नाशपाती के रस को गर्म पानी में शहद के साथ अच्छी तरह से मिलाएं और फिर इस ज्यूस को दिन में कम से कम 3 बार सेवन करें।

पिपरमिंट

अधिकतर लोग यही समझते हैं कि पिपरमिंट का उपयोग सिर्फ पान में होता है। लेकिन ऐसा नहीं है, यह पित्ताशय की पथरी के बेहतरीन उपचारों में से एक है। पिपरमिंट में टेरीपेन नामक प्राकृतिक औषधि पाई जाती हैजिसकी मदद से पित्ताशय में पथरी नर्म हो जाती है और इससे राहत मिलती है।

एक बर्तन में एक गिलास पानी उबलने के लिए आंच पर रखे और फिर उसमें पिपरमिंट की कुछ पत्तियां डाल दें। गैस को बंद करने के बाद उस बर्तन को ढक दें। 5 मिनट के बाद चाय की छननी से छान कर दिन में कम से कम दो बार उस पीना का सेवन कीजिए। अगर स्वाद में कड़वी लगे तो अपने स्वादानुसार आप उसमें शहद मिला सकते हैं।

नींबू

नींबू के रस में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो पित्त की थैली में पथरी की समस्या को दूर करता है। पित्ताशय में पथरी होने के दौरान हर रोज कम से कम 4 बार नींबू पानी पीना चाहिए। 

सेब

सेब बहुत ही पौष्टिक फल है। अगर किसी को पथरी की समस्या है तो उसे रोजाना कम से कम 3 सेब का सेवन करना चाहिए। इससे पथरी नर्म हो जाती है और मल के रास्ते आसानी से बाहर निकल जाती है। पथरी का रोगी चाहे तो चुकंदर के साथ भी सेब के जूस का सेवन कर सकते हैं।

हल्दी

हल्दी एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से परिपूर्ण है। हल्दी एक बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है। इसके नियमित सेवन से पित्ताशय में पथरी का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है। क्योंकि हल्दी पित्त की घुलनशीलता को बढ़ाने में मदद और पित्ताशय में पथरी होने के खतरों को कम कर सकता है। रोज कम से कम एक बार शहद में हल्दी मिलाकर खाने से पित्ताशय में पथरी से राहत मिलती है।

क्रैनबेरी जूस

क्रैनबेरी जूस में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम और कोलेस्ट्रॉल की वजह से होने वाली पथरी से राहत दिलाने में मदद करता है। इसके अलावा, इसके रस में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट पित्ताशय, लीवर और स्वास्थ्य को निखारने में मदद करता है। पित्ताशय की पथरी का इलाज के लिए आप क्रैनबेरी के सादे ज्यूस का नियमित मात्रा में सेवन कर सकते हैं। 

नारियल का तेल

3 चम्मच नारियल के तेल को हल्का गरम करें और उसमें एक चौथाई भाग सेब का रस और आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर इसका सेवन करें। इससे आपके लीवर और गॉलब्लेडर में कोलेस्ट्रॉल और फैट्स जैसे कारक के संचय को रोका जा सकता है जिससे आपके पित्ताशय की पथरी धीरे धीरे घुल जाती है।

भरपूर मात्रा में पानी पीएं

पानी हमारे शरीर से कई तरह के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है यह पथरी को आसानी से घोल सकता है कई लोगों को पथरी की समस्या कम पानी पीने की वजह से होती है इसलिए एक बेहतर स्वास्थ्य के लिए और पथरी को घोलने के लिए आप दिन में कम से कम 5-6 लीटर पानी जरूर पीएं

हर्बल चाय का सेवन

 पानी में दो चम्मच ग्रीन टी और एक नीबू निचोड़ कर डालें और उसे उबालें। जब चाय तैयार हो जाए तब आप इसे गुनगुना होने के बाद पी सकते हैं इसके अलावा, आप चुस्की लेकर भी इसका सेवन कर सकते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए हैं जो पथरी की वजह से उत्पन्न दर्द और सूजन को कम करता है और पथरी भी धीरे धीरे घुल भी जाती है।

ब्लैक कॉफी

कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ब्लैक कॉफी पीने से किसी भी तरह की पथरी का इलाज किया जा सकता है। कॉफी में भरपूर मात्रा में पाया जाने वाला कैफीन ब्लैडर के संकुचन को बढ़ाता है जिससे पथरी धीरे धीरे बाहर निकल जाती है। इसलिए पथरी ठीक करने के लिए आप ब्लैक कॉफी का भरपूर सेवन कर सकते हैं।

विटामिन सी

विटामिन सी पित्ताशय में पथरी को रोकने के लिए काफी प्रभावशाली उपाय है। विटामिन सी की कमी से भी पित्ताशय में पथरी की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में सही मात्रा में विटामिन सी के सेवन से ब्लैडरस्टोन होने का खतरा अपने आप ही कम हो जाता है। विटामिन-सी की कमी दूर करने के लिए दवा ली जा सकती है।

दवा के अलावा, विटामिन सी युक्त फल जैसे – अमरूद, कीवी, पपीता व आम का सेवन करके भी विटामिन सी की भरपाई कि जा सकती है।हरी सब्जियों का सेवन से भी विटामिन सी का खुराक पूरा हो सकता है। इन सबसे न सिर्फ विटामिन सी आपके शरीर तक पहुंचता है बल्कि कई अन्य पोषक तत्व भी मिलते हैं।

पित्ताशय की पथरी का आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथी उपचार

पित्ताशय की पथरी को ठीक करने के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों के मिश्रण का भी प्रयोग किया जाता है इसलिए आयुर्वेदिक ढंग से इलाज करने के लिए मरीज को आयुर्वेदिक डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए आयुर्वेद में इसका इलाज पित्त कफ हारा चिकित्सा (Pitta Kapha Hara Chikitsa) और गुलमा चिकित्सा (Gulma Chikitsa) या फिर आप किसी पंसारी के यहां जाकर इसकी दवाएं प्राप्त कर सकते हैंआयुर्वेदिक दवा जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनती हैं

ठीक इसी तरह पित्ताशय की पथरी का होम्योपैथिक और एलोपैथिक इलाज के दौरान डॉक्टर कई किस्म की दवाएं देते हैं। अगर मरीज बिना डॉक्टर की सलाह के होम्योपैथिक या एलोपैथिक दवा का सेवन करते हैं तो यह उनके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए उचित होगा कि अगर वे किसी भी तरह से अपने पित्ताशय की पथरी का इलाज कराने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर बात करें।

पित्ताशय की पथरी का आपरेशन/सर्जरी — Surgery for Gall bladder Stone in Hindi

ऊपर बताए गए इलाज के तरीकों को आजमाने के बाद भी अगर रोगी के शरीर से पथरी बाहर नहीं निकलती है तो फिर डॉक्टर ऑपरेशन करने की सलाह देते हैं। यह पथरी का स्थाई इलाज है। पित्ताशय की पथरी का ऑपरेशन को कोलेसिस्टेक्टॉमी कहते हैं, इसे दो तरीकों से किया जा सकता है-

  1. ओपन कोलेसिस्टेक्टॉमी – इसमें डॉक्टर पेट के निचले हिस्से में एक बड़ा कट लगाकर पित्ताशय को हटाएंगे। इसमें रोगी के पेट में एक बड़ा कट लगता है, जिसके कारण रोगी एक हफ्ते तक अस्पताल में रहना पड़ता है और रिकवरी में भी 3 से 4 महीने का समय लगता है।
  2. लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी –  पेट के निचले हिस्से में आधा इंच से छोटे कट की मदद से लेप्रोस्कोप और अन्य एडवांस उपकरण को डाला जाता है और पित्ताशय को अलग कर दिया जाता है। एक मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया होने के कारण रोगी के पेट में कोई बड़ा कट नहीं होता है और उसे 24 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। इलाज के दो दिन बाद रोगी अपने ऑफिस जाने लगता है।

यदि आपका शरीर सर्जरी के लिए तैयार नहीं होगा तो डॉक्टर सर्जरी को बाद के लिए टाल सकते हैं।

पित्ताशय की पथरी की जटिलताएं

पित्ताशय की पथरी से निम्न जटिलताएं हो सकती हैं-

  • यदि पत्थर के कारण पित्ताशय अवरुद्ध हो जाता है तो वह खाली नहीं हो पाता है और उसमें सूजन आ जाता है। ऐसा होने पर तुरंत ही दर्द और बुखार होता है, इस स्थिति में तुरंत उपचार न करवाने से पित्ताशय फट सकता है।
  • पित्त वाहिकाओं के अवरुद्ध हो जाने पर बुखार, आँखों और चेहरे का पीला पड़ जाना जैसे लक्षण नजर आते हैं। यदि स्टोन से पैंक्रियाज वाली नली ब्लॉक हो जाती है तो पैंक्रियाज में सूजन आ सकता है।
  • अवरुद्ध वाहिकाओं के कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है, यदि बैक्टीरिया रक्त प्रवाह में फ़ैल जाते हैं तो सेप्सिस जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
  • हालांकि, संभावनाएं बहुत कम हैं लेकिन पित्ताशय की पथरी के कारण कैंसर की जटिलता होने की संभावना अधिक हो जाती है।

पित्ताशय की पथरी से बचाव कैसे करे?

जीवनशैली में कुछ बदलाव करके पित्त की थैली में पथरी होने के लक्षण और खतरा को कम किया जा सकता है-

  • हेल्दी डाइट खाएं, जिसमें अच्छा फैट और फाइबर जरूर हो। रिफाइंड कार्ब्स, चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा (unhealthy fat) के सेवन से परहेज करें।
  • नियमित व्यायाम करें। सम्पात में कम से कम 5 दिन 30 मिनट का समय व्यायाम में लगाएं।
  • एकाएक वजन कम करने वाले आहार के सेवन से परहेज करें।
  • यदि आप ऊपर बताए गए जोखिम कारकों से ताल्लुक रखते हैं तो उनसे बचें

Pristyn Care पित्ताशय की पथरी का उपचार करने के लिए लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी करता है, क्योंकि-

  • लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी में कोई रक्तस्त्राव होता है, जबकि ओपन सर्जरी में रक्तस्त्राव होता है।
  • बड़ा आकार का चीरा नहीं लगाया जाता है, इससे रिकवरी बहुत जल्दी हो जाती है और 48 घंटे बाद रोगी अपने काम पर जा सकता है। जबकि ओपन सर्जरी से रिकवर होने में महीने भर का समय लग जाता है।
  • पित्ताशय की पथरी की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में कोई संक्रमण नहीं होता है, जबकि ओपन सर्जरी में संक्रमण होने की संभावना कई गुना अधिक होती है।
  • घंटा की प्रक्रिया होती है, जबकि ओपन कोलेसिस्टेक्टॉमी को करने में कई घंटे का समय लग जाता है।
  • कोई दाग नहीं बनता है।
  • लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी के बाद रोगी को 24 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, जबकि ओपन सर्जरी के बाद रोगी हफ्ते भर अस्पताल जाने की स्थिति में नहीं होता है।

यदि आप भी पित्ताशय की पथरी से हमेशा के लिए राहत पाना चाहते हैं तो आज ही Pristyn Care में एक अपॉइंटमेंट बुक करें या हमें कॉल करें। हम 20 से अधिक शहरों में फैले हुए हैं। Pristyn Care से लेप्रोस्कोपिक उपचार करवाने पर रोगी को निम्न सुविधाएँ और विशेषताएं मिलती हैं जो किसी अन्य क्लीनिक में नहीं मिलती हैं-

पित्त पथरी के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?

अगर आपको पित्त की पथरी की समस्या है तो गाजर और ककड़ी का रस प्रत्येक 100 मिलिलीटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीएं. इस समस्या में ये अत्यन्त लाभदायक घरेलू नुस्खा माना जाता है. ये कॉलेस्ट्रॉल के सख्त रूप को नर्म कर बाहर निकालने में मदद करती है. पथरी के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है.

पित्त की पथरी कैसे खत्म होती है?

पित्त की पथरी का उपचार आमतौर पर शल्यचिकित्सा द्वारा किया जाता है जिसमें पित्ताशय को शरीर से निकाल दिया जाता है (कोलेसीस्टेक्टॉमी)। यह एक लेप्रोस्कोपिक या कीहोल सर्जरी है जिसमें पेट में छोटे छेद के माध्यम से पूरी प्रक्रिया की जाती है। पित्त की पथरी को खत्म करने के लिए आमतौर पर अन्य कोई उपचार प्रभावी नहीं होता है।

पित्त की थैली की पथरी बिना ऑपरेशन के कैसे निकाले?

ऐसे फलों का जूस पी सकते हैं जिनमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में हो जैसे संतरा, टमाटर आदि का रस पिएं. इनें मौजूद विटामिन सी शरीर के कोलेस्ट्राल को पित्त अम्ल में परिवर्तित करती है जो पथरी को तोड़कर बाहर निकालता है. आप विटामिन सी संपूरक ले सकते हैं या पथरी के दर्द के लिए यह एक उत्तम घरेलू उपचार है.

क्या गॉल ब्लैडर स्टोन को दवा से हटाया जा सकता है?

गॉल-ब्लैडर स्टोन का इलाज डॉक्टर सर्जरी के माध्यम से पित्ताशय की थैली को हटाने की सलाह देते हैं, क्योंकि इस तरह की पथरी के दोबारा से होने का खतरा भी अधिक रहता है।

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