हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 14 फरवरी यानी आज शुक्ल पक्ष में होगा। शास्त्रों व पुराणों में प्रदोष व्रत को सर्वसुख प्रदान करने वाला माना गया है। जिस तरह से एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है, उसी प्रकार त्रयोदशी का व्रत भगवान शंकर को। क्योंकि त्रयोदशी का व्रत शाम के समय रखा जाता है इसलिए इसे प्रदोष
व्रत कहा जाता है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को करने से मोक्ष और भोग की प्राप्ति होती है। शिव कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है व्रत भगवान शिव ने गणेश के अलावा इनके भी काटे हैं सिर, भोगना पड़ा था यह परिणाम क्या होता है प्रदोष
काल? सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोमवार को यदि त्रयोदशी तिथि होती है तो उसे सोम प्रदोष कहा जाता है और यदि मंगलवार को हो तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है। चूंकि यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है इसलिए इस दिन उन्हीं की पूजा और अर्चना की जाती है। शिवजी की कृपा प्राप्त करने और संतान प्राप्ति की कामना से इस व्रत को किया जाता है। पौराणिक
मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की तिथि पर भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी स्तुति करते हैं।
प्रदोष काल वह समय कहलाता है, जब सूर्यास्त हो चुका हो और रात्रि प्रारंभ हो रही है यानी दिन और रात के मिलन को प्रदोष काल कहा जाता है। इस समय भगवान शिव की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत के करने से आरोग्य और दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।
सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से भी माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से सभी अड़चन दूर हो जाती हैं और
मृत्यु के पश्चात मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत की कथा सुनने मात्र से ही गौ दान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सोम प्रदोष व्रत पर शुभ योग
आज सोम प्रदोष तिथि पर कई शुभ योग भी बनने जा रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग,
आयुष्मान योग, रवि योग और अमृत काल का शुभ संयोग बना रहा है, जिससे इस दिन और भी महत्व बढ़ जाता है। त्रयोदशी तिथि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन सुबह 07 बजे तक रहेगा। वहीं आयुष्मान योग रात में 09 बजकर 29 मिनट तक रहेगा और इसके बाद से सौभाग्य योग शुरू हो जाएगा। इन शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इसलिए भगवान शिव से बेहतर पति किसी भी लोक में नहीं
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
– सोम प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति ब्रह्मवेला में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर सबसे पहले ‘अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै
सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ यह कहकर व्रत का संकल्प लें।
– इसके बाद पास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल, जल, फूल, मिठाई आदि से विधि-विधान पूर्वक पूजन करें।
– शिवजी की पूजा के बाद पूरे दिन उपवास रखें और दान करें। प्रदोष तिथि पर हमेशा अपने मन में ‘ओम नम: शिवाय’ का जप करते रहें।
– त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से तीन घड़ी पहले, शिवजी का पूजा करनी चाहिए। सोम प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर
शाम 7:00 बजे के बीच करना शुभ फलदायी होता है। इसके बाद अन्न-जल ग्रहण करें।
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Bhadrapad Guru Pradosh Vrat 2022 Date and Time: भाद्रपद माह का दूसरा प्रदोष व्रत 8 सितंबर 2022 को है. गुरुवार के दिन आने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. समस्त दोष का निवारण है प्रदोष व्रत, इसके प्रभाव से वैवाहिक जीवन, संतान सुख, रोगों से मुक्ति और ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. इस दिन प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में देवों के देव महादेव और उनकी अर्धांगिनी माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. भादो का गुरु प्रदोष शुभ योग का संयोग लेकर आ रहा है. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि.
भाद्रपद गुरु प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त (Bhadrapad Guru Pradosh Vrat 2022 Muhurat)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि आरंभ - 8 सितंबर 2022, 12.04 AM
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि समापन - 8 सितंबर 2022, 09.02 PM
गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - 8 सितंबर 2022, शाम 06:40 - रात 08:58 तक (पूजा अवधि - 02 घंटे 18 मिनट)
ब्रह्म मुहूर्त: 04:37 AM - 05:23 AM
अभिजित मुहूर्त: 11:59 PM - 12:49 PM
विजय मुहूर्त: 02:29 PM - 03:19 PM
गोधूलि मुहूर्त: 06:27 PM - 6:51 PM
भाद्रपद गुरु प्रदोष व्रत 2022 शुभ योग (Bhadrapad Guru Pradosh Vrat 2022 shubh yoga)
महादेव की पूजा प्रदोष व्रत में शाम के समय उत्तम मानी जाती है. इस दिन रवि योग का संयोग भी बन रहा है. रवि योग में सूर्य का प्रभाव तेज होता है, इसमें की गई शिव-पार्वती की पूजा कार्यों में सफलता प्रदान करती है.
रवि योग- 01:46 PM - 06:10 PM (9 सितंबर 2022)
गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि (Bhadrapad Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi)
- गुरु प्रदोष के दिन प्रात: काल स्नान के बाद शिव जी के समक्ष व्रत का संकल्प लें. प्रतिदिन की तरह ही भोलेनाथ की पूजा करें.
- प्रदोष व्रत की पूजा संध्या में शुभ मानी जाती है. सुबह की पूजा के बाद शाम को भी नहाकर साफ वस्त्र पहने. फिर शिवलिंग की पूजा शुरु करें.
- प्रदोष काल शुभ मुहूर्त में शिवलिंग का अभिषेक करें. भोलेनाथ को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद चढ़ाएं. अब उन्हें भांग, बेलपत्र, धतूरा, आंक के फूल, अर्पित करें. मां पार्वती का भी पूजन करें.
- भोग लगाएं और धूप, दीप जलाकर शिव चालीसा का पाठ करें. साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. अब प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और अंत में महादेव की आरती करें.
- जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए. साथ ही चावल की खीर का भोग महादेव को अर्पित कर गरीबों को बांटना चाहिए.
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