प्रेमचंद ने किस समाचार पत्र का सम्पादन किया था ? - premachand ne kis samaachaar patr ka sampaadan kiya tha ?

विषयसूची

  • 1 हंस कौन से युग की पत्रिका है?
  • 2 प्रेमचंद जी ने सन् 1930 से 1936 में कौन सी पत्रिका निकाली थी?
  • 3 संपादन के अतिरिक्त प्रेमचंद ने आजीविका के लिए क्या क्या किया था?
  • 4 प्रेमचंद ने कौन सी पत्रिका बंद कर दी थी?

हंस कौन से युग की पत्रिका है?

इसे सुनेंरोकेंछायावाद युगीन पत्रिकाओं में हंस पत्रिका के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। प्रेमचंद ने हंस पत्रिका के प्रकाशन से हिंदी पत्रकारिता को नई ऊँचाई प्रदान की है। ‘हंस’ छायावाद की सर्वश्रेष्ठ पत्रिकाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसका प्रकाशन मासिक पत्रिका के रूप में काशी से सन 1930 में प्रारम्भ किया गया।

प्रेमचंद जी ने सन् 1930 से 1936 में कौन सी पत्रिका निकाली थी?

इसे सुनेंरोकेंप्रगतिशील चेतना की साहित्यिक मासिक पत्रिका हंस प्रेमचंद ने सन् 1930 से 1936 तक निकाली थी। पुनः सन् 1986 से यह साहित्यिक पत्रिका निकल रही है और इसके संपादक राजेंद्र यादव हैं।

हंस पत्रिका के संपादक एवं संस्थापक कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंहंस का प्रकाशन सन् 1930 ई० में बनारस से प्रारम्भ हुआ था। इसके सम्पादक मुंशी प्रेमचन्द थे। प्रेमचन्द के सम्पादकत्व में यह पत्रिका हिन्दी की प्रगति में अत्यन्त सहायक सिद्ध हुई।

सरस्वती पत्रिका के प्रथम संपादक कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंसरस्वती हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध रूपगुणसम्पन्न प्रतिनिधि पत्रिका थी। इस पत्रिका का प्रकाशन इण्डियन प्रेस, प्रयाग से सन १९०० ई० के जनवरी मास में प्रारम्भ हुआ था। ३२ पृष्ठ की क्राउन आकार की इस पत्रिका का मूल्य ४ आना मात्र था। १९०३ ई० में महावीर प्रसाद द्विवेदी इसके संपादक हुए और १९२० ई० तक रहे।

संपादन के अतिरिक्त प्रेमचंद ने आजीविका के लिए क्या क्या किया था?

इसे सुनेंरोकेंसंपादन प्रेमचन्द ने ‘जागरण’ नामक समाचार पत्र तथा ‘हंस’ नामक मासिक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन किया था। उन्होंने सरस्वती प्रेस भी चलाया था। वे उर्दू की पत्रिका ‘जमाना’ में नवाब राय के नाम से लिखते थे।

प्रेमचंद ने कौन सी पत्रिका बंद कर दी थी?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा।

सरस्वती पत्रिका के संपादक कौन हैं?

इसे सुनेंरोकें१९०३ ई० में महावीर प्रसाद द्विवेदी इसके संपादक हुए और १९२० ई० तक रहे। इसका प्रकाशन पहले झाँसी और फिर कानपुर से होने लगा था। श्यामसुन्दर दास के बाद महावीर प्रसाद द्विवेदी तथा उनके पश्चात् पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, देवी दत्त शुक्ल, श्रीनाथ सिंह, और श्रीनारायण चतुर्वेदी सम्पादक हुए।

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प्रेमचंद का पत्रकार रूप

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राजेंद्र परदेस

अपनी इस प्रथम संपादकीय घोषणा के अनुसार उन्होंने 'हंस' को राष्ट्र की अस्मिता और राष्ट्रीय आंदोलन का मुखपत्र बनाए रखा। उनकी संपा‍दकीय टिप्पणियों में प्रखर राष्ट्रीय चेतना भरी रहा करती थी। इस कारण उन्हें शासन का कोपभाजन भी बनना पड़ा।


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प्रेमचंद ने कौन सी पत्रिका का संपादन किया था?

संपादन प्रेमचन्द ने 'जागरण' नामक समाचार पत्र तथा 'हंस' नामक मासिक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन किया था। उन्होंने सरस्वती प्रेस भी चलाया था। वे उर्दू की पत्रिका 'जमाना' में नवाब राय के नाम से लिखते थे।

प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय द्वारा प्रेमचंद पर लिखी गई जीवनी का नाम क्या है?

'कलम का सिपाही' का पहला संस्करण 1962 में प्रकाशित हुआ था. 'कलम का सिपाही' के जीवनीकार प्रेमचंद के पुत्र और ख्यात लेखक-कथाकार अमृतराय हैं. लेकिन उन्होंने यह जीवनी पुत्र होने के नाते नहीं, बल्कि एक लेखक की निष्पक्षता के साथ लिखी है.

हंस पत्रिका के प्रथम सम्पादक कौन थे?

हंस का प्रकाशन सन् 1930 ई० में बनारस से प्रारम्भ हुआ था। इसके सम्पादक मुंशी प्रेमचन्द थे। प्रेमचन्द के सम्पादकत्व में यह पत्रिका हिन्दी की प्रगति में अत्यन्त सहायक सिद्ध हुई। सन् 1933 में प्रेमचन्द ने इसका काशी विशेषांक बड़े परिश्रम से निकाला।

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