न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझेत है? - nyaayik punarnireekshan se aap kya samajhet hai?

न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं?

न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ यह वह प्रकिया है, जिसके द्वारा कार्यपालिका व विधायिका के कार्यों का पुनर्निरीक्षण किया जाता है । न्यायिक पुनरावलोकन वह शक्ति है, जिसके द्वारा विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों, कार्यपालिका द्वारा जारी किए गए आदेशों तथा प्रशासन द्वारा किए गए कार्यों की जांच की जाती है ।

पुनर्निरीक्षण क्या है?

कोर्विन के अनुसार-”न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अर्थ न्यायालयों की उस शक्ति से है, जो उन्हें अपने न्याय के क्षेत्र के अन्तर्गत लागू होने वाले व्यवस्थापिका के कानूनों की वैधानिकता का निर्णय देने के बारे में तथा कानूनोंं को लागू करने के बारे में प्राप्त है, जिन्हें वे अवैध या व्यर्थ समझें।”

न्यायिक समीक्षा से आप क्या समझते हैं?

न्यायिक समीक्षा का अर्थ है:– एक कानून या आदेश की समीक्षा और वैधता निर्धारित करने के लिए न्यायपालिका की शक्ति को प्रर्दशित करना। दूसरी ओर, न्यायिक सक्रियता इस बात को संदर्भित करती है कि न्यायिक शक्ति का उपयोग मुखर और लागू होने से क्या इसका लाभ बडे पैमाने पर सामान्य लोगों और समाज को मिला पा रहा है कि नहीं।

न्यायिक पुनर्विलोकन के सिद्धांत का प्रतिपादक कौन थे?

न्यायिक पुनरावलोकन सिद्धांत की उत्पत्ति न्यायिक समीक्षा के सिद्धांत की उत्पत्ति एवं विकास अमेरिका में हुआ। इसका प्रतिपादन पहली बार मारबरी बनाम मैडिसन (1803) के जटिल मुद्दों में हुआ जॉन मार्शल द्वारा, जो कि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश थे

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