निम्नलिखित में से कौन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है? - nimnalikhit mein se kaun suraksha parishad ka sthaayee sadasy nahin hai?

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Solution

The correct option is B
1 and 2 only
केवल 1 और 2

Explanation:

Statement 1 is incorrect: Recently, India has been elected to the United Nation Security Council (UNSC) as a non permanent member for the 2021-22 term. Previously, India had been elected as a non-permanent member of the UNSC in 1950, 1967, 1972, 1977, 1984, 1991 and 2011. Hence the membership for India has not been consecutive.

Statement 2 is incorrect: The UN Security Council has five permanent members – China, France, Russia, the United Kingdom, and the United States.

Statement 3 is correct: Mexico, Kenya, Norway and Ireland also joined India as non-permanent members to UNSC.


व्याख्या:

कथन 1 गलत है: हाल ही में, भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में 2021-22 के कार्यकाल के लिए एक अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया है। इससे पहले, भारत को 1950, 1967, 1972, 1977, 1984, 1991 और 2011 में UNSC के अस्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था। इसलिए भारत इसका लगातार सदस्य नहीं रहा है।

कथन 2 गलत है: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।

कथन 3 सही है: मेक्सिको, केन्या, नॉर्वे और आयरलैंड भी अस्थायी सदस्य के रूप में भारत के साथ UNSC में निर्वाचित हुए हैं।


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द बिग पिक्चर : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार

संदर्भ

फ्राँस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council-UNSC) में स्‍थायी सदस्‍यता के लिये भारत के दावे का समर्थन किया है। फ्राँस ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव की वकालत भी की है। उसने सुरक्षा परिषद में बड़े बदलाव की ज़रूरत पर ज़ोर देते कहा कि मौजूदा समय में भारत, जर्मनी, ब्राज़ील और जापान जैसे राष्‍ट्र स्‍थायी सदस्‍य बनने के हकदार हैं।

  • संयुक्त राष्ट्र की महत्त्वपूर्ण संस्था में इन प्रमुख सदस्यों को शामिल करने के साथ सुरक्षा परिषद को वृहद् बनाना फ्राँस की ‘रणनीतिक’ प्राथमिकताओं में शामिल है।

प्रस्तावित सुधार

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाँच प्रमुख मुद्दों पर सुधार किया जाना प्रस्तावित है:

  1. सदस्यता की श्रेणी
  2. पाँच स्थायी सदस्यों द्वारा प्राप्त वीटो पावर का प्रश्न
  3. क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व
  4. सुरक्षा परिषद के आकार का विस्तार
  5. प्रक्रियात्मक सुधार तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद व संयुक्त राष्ट्र महासभा के बीच संबंध। इसके साथ ही अधिक स्थायी सदस्यों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?

  • सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में हुआ था।
  • सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य  हैं-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन। सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है।
  • इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है। 
  • गौरतलब है कि इन स्थायी सदस्य देशों के अलावा 10 अन्य देशों को दो साल के लिये अस्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाता है।
  • स्थायी और अस्थायी सदस्य बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद  के अध्यक्ष बनाए जाते हैं।
  • अस्थायी सदस्य देशों को चुनने का उदेश्य सुरक्षा परिषद में क्षेत्रीय संतुलन कायम करना है।
  • अस्थायी सदस्यता के लिये सदस्य देशों द्वारा चुनाव किया जाता है। इसमें पाँच सदस्य एशियाई या अफ्रीकी देशों से, दो दक्षिण अमेरिकी देशों से, एक पूर्वी यूरोप से और दो पश्चिमी यूरोप या अन्य क्षेत्रों से चुने जाते हैं।

भूमिका तथा शक्तियाँ

  • सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे शक्तिशाली निकाय है जिसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा कायम रखना है।
  • इसकी शक्तियों में शांति अभियानों का योगदान, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करना तथा सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के माध्यम से सैन्य कार्रवाई करना शामिल है।
  • यह सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार वाला संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र निकाय है।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सभी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिये बाध्य हैं।
  • मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों के पास वीटो पॉवर है। वीटो पॉवर का अर्थ होता है ‘मैं अनुमति नहीं देता हूँ।’
  • स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है।
  • मसूद अज़हर के मामले में यही हुआ था। सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्य उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के समर्थन में थे लेकिन चीन इस फैसले के विरोध में था और उसने वीटो लगा दिया। हालाँकि हाल ही में चीन द्वारा मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने का समर्थन किये जाने के बाद उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया गया है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता क्यों दी जानी चाहिये?

  • भारत संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्यों में शामिल था।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र पीसकीपिंग अभियानों में सर्वाधिक योगदान देने वाला देश है। वर्तमान में विश्व भर में 8,500 से अधिक शांति सैनिक तैनात हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की पाँच बड़ी शक्तियों के सैनिकों की संख्या के दोगुने से अधिक हैं।
  • भारत लंबे समय से UNSC के विस्तार और इसमें स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किये जाने की मांग कर रहा है।
  • भारत 1.3 बिलियन की आबादी और एक ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक की अर्थव्यवस्था वाला एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है।
  • जनसंख्या, क्षेत्रीय आकार, जीडीपी, आर्थिक क्षमता, संपन्न विरासत और सांस्कृतिक विविधता इन सभी पैमानों पर भारत खरा उतरता है।
  • यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • भारत को चीन के अलावा चार स्थायी सदस्यों और अफ्रीकन यूनियन, लैटिन अमेरिका, मध्य-पूर्वी देशों और दुनिया के विभिन्न हिस्सों के अन्य कम विकसित देशों (LDCs) सहित प्रमुख शक्तियों का समर्थन प्राप्त है।
  • भारत सात बार UNSC, जी -77 और जी -4 का सदस्य रहा है इसलिये स्थायी सदस्यता की उसकी मांग तार्किक है।

UNSC के सुधार में बाधाएँ

  • 5 स्थायी सदस्य देश अपने वीटो पावर को छोड़ने के लिये सहमत नहीं हैं और न ही वे इस अधिकार को किसी अन्य देश को देने पर सहमत हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन सुरक्षा परिषद में किसी भी बड़े बदलाव के विरोध में हैं।
  • जी-4 (भारत, ब्राज़ील, जर्मनी, जापान) सदस्यों के बीच सुधार के एजेंडे के संदर्भ में मतभिन्नता है, उनके क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी भी जी-4 के स्थायी सदस्य बनने के विरोध में हैं।
  • UNSC की संरचना में किसी भी बदलाव के लिये संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन की आवश्यकता होगी जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से हस्ताक्षरित और समर्थन प्रदान करना होगा और इसके लिये वर्तमान पाँचों स्थायी सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होगी। एक स्थायी सदस्य का वीटो भी भारत की स्थायी सदस्यता के सपने को धूमिल कर सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र के भीतर दबाव समूह हैं जैसे सर्वसम्मति के लिये एकजुट होना (Uniting for Consensus-Ufc) जो वीटो पॉवर के साथ स्थायी सदस्यता में किसी भी विस्तार के खिलाफ हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता क्यों?

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वर्तमान समय में भी द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की भू-राजनीतिक संरचना को दर्शाती है।
  • परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन को 7 दशक पहले केवल एक युद्ध जीतने के आधार पर किसी भी परिषद के प्रस्ताव या निर्णय पर वीटो का विशेषाधिकार प्राप्त है।
  • विदित हो कि सुरक्षा परिषद का विस्तार वर्ष 1963 में 4 गैर-स्थायी सदस्यों को इसमें शामिल करने हेतु किया गया था।
  • तब 113 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य थे लेकिन आज इनकी संख्या 193 तक बढ़ गई है, फिर भी आज तक इसका विस्तार नहीं किया गया है।
  • परिषद की वर्तमान संरचना कम-से-कम 50 वर्ष पहले की शक्ति संतुलन की व्यवस्था पर बल देती है। उदाहरण के लिये यूरोप जहाँ दुनिया की कुल आबादी का मात्र 5 प्रतिशत जनसंख्या ही निवास करती है, का परिषद में स्थायी सदस्य के तौर पर सर्वाधिक प्रतिनिधित्व है।
  • गौरतलब है कि अफ्रीका का कोई भी देश सुरक्षा परिषद का  स्थायी सदस्य नहीं है। जबकि संयुक्त राष्ट्र का 50 प्रतिशत से अधिक कार्य अकेले अफ्रीकी देशों से संबंधित है।
  • पीसकीपिंग अभियानों (Peacekeeping Operations) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावज़ूद मौजूदा सदस्यों द्वारा उन देशों के पक्ष को नज़रंदाज़ कर दिया जाता है। भारत इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

UNSC में स्थायी सीट से भारत को क्या लाभ होंगे?

  • UNSC, UN की प्रमुख निर्णय लेने वाली संस्था है। प्रतिबंध लगाने या अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को लागू करने के लिये UNSC के समर्थन की आवश्यकता होती है।
  • स्थायी सीट भारत को वैश्विक भू-राजनीति में अधिक मज़बूती से अपनी बात कहने में सक्षम बनाएगी।
  • UNSC की स्थायी सदस्यता भारत को वीटो पॉवर प्रदान करेगी।
  • UNSC की स्थायी सीट भारत को ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में औपचारिक समर्थन देगी। सभी पाँच स्थायी सदस्य परमाणु शक्ति संपन्न हैं।
  • UNSC की स्थायी सीट वैश्विक परिदृश्य में भारत का कद बढ़ाएगी। इससे भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
  • UNSC की स्थायी सीट द्विपक्षीय वार्ता में एक नया अवसर प्रदान करेगी। चूँकि वीटो पॉवर प्राप्त होने के कारण स्थायी सदस्य देश अपनी बात बेहतर ढंग से रख सकते हैं, इसलिये अन्य देश स्थायी सदस्य देशों के साथ बेहतर संबंध की इच्छा रखते हैं।
  • UNSC की स्थायी सदस्यता बाह्य सुरक्षा खतरों और भारत के खिलाफ राज्य प्रायोजित आतंकवाद के समाधान के लिये तंत्र को मज़बूत करने में सहायक सिद्ध होगी।
  • यह हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर जैसे उपमहाद्वीपीय क्षेत्रों में चीन के प्रभुत्व को कम करने में भारत की मदद करेगा।

आगे की राह

  • हाल के दिनों में UNSC की विश्वसनीयता को गहरा आघात लगा है क्योंकि यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों जैसे-सीरिया, यूक्रेन आदि में संघर्षों से निपटने में अप्रभावी तथा अक्षम रहा है। वह केवल मूक दर्शक ही बना रहा है।
  • इसलिये अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने तथा विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बहाल करने के लिये सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाना आवश्यक हो गया है।
  • हालाँकि वर्तमान में परिषद का संरचनात्मक सुधार किया जाना एक कठिन काम है, क्योंकि यह केवल तभी हो सकता है जब संयुक्त राष्ट्र के दो-तिहाई सदस्य पक्ष में वोट देते हैं, साथ ही सभी स्थायी सदस्यों से सकारात्मक वोट की उम्मीद हो। इसके लिये सकारात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

दुनिया में किसी भी अन्य बहुपक्षीय निकाय को यूएनएससी की तुलना में सुधार की अधिक आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह अभी भी 1945 की भू-राजनीतिक आर्किटेक्चर के अनुसार गठित है। यदि किसी आतंकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने में 10 साल का समय लगता है तो इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें सुधार की कितनी आवश्यकता है। यूएनएससी के विस्तार पर बहस काफी समय से चल रही है किंतु अभी भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और स्थायी सदस्यों के बीच आम सहमति का न होना चिंता का विषय है। कथनों को मूर्त रूप देने और संयुक्त राष्ट्र की बहुसंख्यक सदस्यता की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेने का यह उपयुक्त समय है।

प्रश्न : वर्तमान परिदृश्य में समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित करने हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तर्कसंगतता पर प्रकाश डालें। साथ ही हालिया घटनाक्रम के संदर्भ में भारत द्वारा स्थायी सदस्यता की दावेदारी और संबंधित चुनौतियों को उजागर करें।

निम्न में से कौन सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य नहीं है?

सही उत्तर भारत है । विकल्पों में से केवल भारत ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं है।

सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के नाम क्या हैं?

सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य हैं-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन।

सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य कितने होते हैं?

अन्तरराष्ट्रीय कानून द्वारा केवल सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों की नाभिकीय योग्यताएँ अनुमोदित हैं। इन सदस्यों को प्रतिनिषेध शक्ति भी दी गई है।

निम्न में से कौनसे पांच देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा के स्थायी सदस्य है?

फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, चीन और यूनाइटेड किंगडम पांच स्थायी सदस्य हैं। आठवीं बार, भारत पिछले साल (2021) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल हुआ और 2021 से 2022 तक दो साल तक सेवा करेगा।

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