प्रति व्यक्ति आय का अर्थ लिखिए।
In article ads उत्तर प्रति व्यक्ति आय का अर्थ
प्रति व्यक्ति आय एक देश की प्रति व्यक्ति औसत आय होती है जब किसी देश की कुल राष्ट्रीय आय में वहां की जनसंख्या का भाग दे दिया जाता है तो उस देश की प्रति व्यक्ति आय ज्ञात हो जाती है।
आर्थिक विकास के मापदंडों के रूप में अर्थशास्त्री प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग करते हैं।
प्रति व्यक्ति आय कैसे ज्ञात की जाती है?
प्रति व्यक्ति आय जानने का सूत्र
कुल राष्ट्रीय आय
प्रति व्यक्ति आय =--------------------
देश की कुल जनसंख्या
What is per capita income? Define per capita income.
Write the meaning of per capita income.
Meaning of per capita income
Per capita income is the average per capita income of a country when the total national income of a country is divided by its population, then the per capita income of that country becomes known. In article ads
Economists use per capita income as one of the parameters of economic development.
How is per capita income calculated?
formula for per capita income
Total National Income
Per Capita Income =---------
total population
व्यष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण हल
समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण हल
वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर MCQ
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प्र01. राष्ट्रीय आय किसे कहते है ?
उ0 प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पति का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है"।
प्र02. प्रति व्यक्ति आय किसे कहते है ?
उ0 कल आय को कुल जनसंख्या से भाग देने से जो आय
प्राप्त होती है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते है।
प्र03. हस्तान्तरण आय किसे कहते है ?
उ0 यह एकपक्षीय भुगतान है। यह बिना किसी वस्तु या सेवा क बदले प्राप्त होती है।
प्र04. वैयक्तिक आय क्या है ?
उ0 एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है उन सभी आय के योग को वैयक्तिक आय कहते
है।
प्र05. राष्ट्रीय प्रयोज्य आय क्या है ?
उ0 राष्ट्रीय प्रयोज्य आय राष्ट्रीय आय, अप्रत्यख कर तथा शेष विश्व से प्राप्त शुद्ध आय का योग होता है।
प्र05. भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था द्वारा की जाती है ?
उ0 केन्द्रीय संाख्यिकीय संगठन द्वारा है।
प्र06. हृास व्यय किसे कहते है
?
उ0 एक लेखा वर्ष में उत्पादन प्रक्रिया के दौरान पँूजीगत वस्तुओं के मूल्य में सामान्य टूट-फूट और धिसावट को हृास व्यय कहते है।
प्र0 1 - राष्ट्रीय आय किसे कहते है। राष्ट्रीय आय और आर्थिक विकास में क्या सम्बन्ध है ?
राष्ट्रीय आय का अर्थ, परिभाषा तथा विशेषताएॅ-एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा
सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। यह गणना प्रचलित कीमतों पर की जाती है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन सम्मिलित की जाती है।
अन्य परिभाषा -
प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पति
का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है।"
राष्ट्रीय आय की विशेषताएॅ -
1. यह पैदा की गई सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य होता है।
2. यह देश के सभी निवासियों की आय को शामिल किया जाता है।
3. आय की गणना दोहरी गणना के बिना की जाती है।
4. एक लेखा वर्ष के लिए की जाती है।
5. इसमें अप्रत्यक्ष
कर शामिल नहीं होते।
राष्ट्रीय आय एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक प्रगति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है।राष्ट्रीयआय एवं आर्थिक विकास में धनिष्ठ सम्बन्ध पाया जाता है। उच्च प्रति व्यक्ति आय वाला देश निम्न प्रति व्यक्ति आय वाला देश की अपेक्ष अधिक विकासित माना जाता है। राष्ट्रीय आय में वृद्वि से किसी भी देश के आर्थिक कल्याण में वृद्वि होती है। जिससे उपभोग के लिए अधिक मात्रा में वस्तुएॅ व सेवाएॅ उपलब्ध हो जाती है इससे अधिक आर्थिक कल्याण में वृद्वि होती है। इसके विपरित राष्ट्रीय आय में कमी से किसी भी देश के आर्थिक कल्याण में कमी होती है जिससे उपभोग के लिए कम मात्रा में वस्तुएॅ व सेवाएॅ उपलब्ध हो जाती है जिसका देश की अर्थव्यवस्था तथा आर्थिक विकास में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और देश की विकास दर धीमी हो जाती है जिससे देश के उधोग, रोजगार, कीमतों, व्यापार आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्र02 राष्ट्रीय आय की विभिन्न संकल्पनाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए ?
राष्ट्रीय
आय की विभिन्न संकल्पनाएॅ-
1. कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) - एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी
गणना के बिना की जाती है। यह गणना बाजारी प्रचलित कीमतों पर की जाती है।
2. कुल धरेलू उत्पाद (GDP) - किसी देश में एक वर्ष की अवधि में जिन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है, उनके मौद्रिक मूल्य को ही धरेलू उत्पाद कहते है। इस मूल्य में से विदेशियों द्वारा अर्जित आय को धटा दिया जाता हैं और विदेशों से प्राप्त आय को जोड़ दिया जाता है।
सूत्र - कुल धरेलू उत्पाद
(GDP) = कुल राष्ट्रीय उत्पाद - (निर्यात - आयात मूल्य)
3. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) - कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्यहृस को धटा देने से शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहते है।
सूत्र - शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद - मूल्यहृस
4.
शुद्ध धरेलू उत्पाद (NDP) - किसी देश में एक वर्ष की अवधि में देश के अपने ही साधनों द्वारा उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य में से यदि धिसावट व्यय अथवा मूलयहृास व्यय धटा दिया तो जो शेष बचता है, उसे शुद्ध धरेलू उत्पाद कहते है।
सूत्र - शुद्ध धरेलू उत्पाद (NDP) = कुल धरेलू उत्पाद - धिसावट व्यय
5. साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय आय
(NNIFC) - बाजार मूल्यों पर विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में से परोक्ष कर धटाने व आर्थिक सहायता जोड़ने से जो राशि आती है, वह साधन लागत पर विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहलाती है। इसे ही देश की राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
सूत्र - राष्ट्रीय आय = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद -
परोक्ष कर + आर्थिक सहायता
6. वैयक्तिक आय
(Personal Income) - एक वर्ष की अवधि में एक देश के सभी व्यक्ति या परिवार जितनी आय वास्तव में प्राप्त करते है, उन सभी आयों के योग को वैयक्तिक आय कहते है। इसके अन्र्तगत हम मजदूरी, वेतन, ब्याज, लगान तथा लाभांश आदि को सम्मिलित करते है।
राष्ट्रीय आय में से वैयक्ति आय निकालने के लिए।
सूत्र - वैयक्तिक आय = राष्ट्रीय आय - (सामाजिक सुरक्षा कटौती + संयुक्त पूॅजी वाली कम्पनिया के लाभ - हस्तान्तरित भुगतान।
7 उपभोग आय (Disposable Income)
- व्यक्ति तथा परिवारों के पास जो वैयक्तिक आय होती है, वह सब उपभोग कार्यो पर व्यय नहीं की जाती, आय का एक भाग वैयक्तिक करों के रूप में सरकार को भुगतान करना होता है और जो भाग शेष
बचा रहता है, उपभोग के काम आता है।
सूत्र - उपभोग्य आय = वैयक्तिक आय - वैयक्तिक कर
परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि उपभोग्य आय पूरी तरह से उपभोग पर व्यय कर दी जाए। जो व्यक्ति अपनी आय का कुछ भाग बचा लेते है उसे बचत कहते है।
सूत्र - उपभोग्य आय = उपभोग्य + बचत
प्र0 3 - राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए। इसके मापने में किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ?
राष्ट्रीय आय का अर्थ तथा परिभाषा
"एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। यह गणना प्रचलित कीमतों पर की जाती है तथा इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन सम्मिलित की जाती
है।"
अन्य परिभाषा -
प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "
आय गणना में होने वाली
कठिनाइयाॅ-
1. पर्याप्त एवं विश्वसनीय आॅकड़ों का अभाव।
2. व्यावसायिक विशिष्टीकरण का अभाव।
3. उत्पादन के कुछ भाग की गणना करना कठिन होना।
4. कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं का राष्ट्रीय आय के अन्र्तगत निर्धारण का अभाव।
5. देश में औद्योगिक श्रमता का पूर्ण उपयोग न होना।
6. सरकार द्वारा लगाये गये कर तथा व्यय के कारण राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाई उत्पन्न होना।
7. देश में प्राकृतिक तथा मानवी संसाधनों का समुचित उपयोग न होना।
8. सामाजिक व आर्थिक पिछड़ापन तथा शिक्षा तथा जगरूकता
का अभाव।
9. दोहरी गणना की समस्या।
10.अमौद्रिक क्षेत्र का प्रभाव।
प्र0 4 - राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में क्या अन्तर होता है ?
राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय में अन्तर
राष्ट्रीय आय
एक अर्थव्यवस्था में, एक वर्ष में पैदा सभी अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जिसकी गणना, दोहरी गणना के बिना की जाती है। राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था में उत्पादित विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओें की मात्रा का योग होती है।
अन्य परिभाषा -
प्रौ0 मार्शल के अनुसार - "देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूॅजी द्वारा कार्य करने पर प्रतिवर्ष भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इन सबकी शुद्ध उत्पादन का योग राष्ट्रीय आय कहलाती है।"
राष्ट्रीय आय आय व प्रति व्यक्ति आय में अन्तरप्रति व्यक्ति आय - प्रति व्यक्ति आय अर्थव्यवस्था की औसत आय के बारे में बताती है। अर्थव्यवस्था की कुल आय से कुल जनसंख्या को भाग देकर प्रति व्यक्ति आय को ज्ञात किया जाता है।
कुल राष्ट्रीय आय
सूत्र - प्रति व्यक्ति आय = -------------------------
कुल जनसख्या
प्र05. राष्ट्रीय आय की गणन विधियाॅ लिखिए ।
राष्ट्रीय
आय की गणन विधियाॅ
1. उत्पादन प्रणाली - इस प्रणाली में देश के समस्त उद्योगों, कृषि
तथा अन्य प्रकार के व्यवसायों की कुल उपज का मूल्य चालू कीमतों पर निकाला जाता है और इससे चल व अचल प्रतिस्थापन धटाकर जो शुद्ध उत्पाद बचती है, वही उस वर्ष की राष्ट्रीय आय होती है। इसका प्रयोग वहाॅ किया जाता है जहाॅ पर आॅकड़े उपलब्ध होतो है।
2. आय प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय का अनुमान देश के विभिन्न वयक्तियों के दो वर्गो की आय जोड़कर किया जाता है। इसमें सर्वप्रथम आय को पाॅच वर्गो में विभाजित किया जाता
है।
1. कर्चचारियों का वेतन
2. गैर-कम्पनी व्यापारों की आय
3. व्यक्तियों की किराए की आय
4. कम्पनियों के लाभ
5. ब्याज से आय
उपरोक्त सभी आय को जोड़कर राष्ट्रीय आय ज्ञात कर ली जाती है।
3. मिश्रित प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादन रीति व आय रीति दोनों का ही प्रयोग किया जाता हैं । जिन उद्योगों व्यवसायों में उत्पादन से सम्बन्धित आॅकड़े उपलब्ध होते है उनकी उपज का मूल्य को ज्ञात करने के लिए उत्पादन प्रणाली का प्रयोेग किया जाता है तथा जिन व्यवसायों में ये आॅकड़ें उपलब्ध नहीं होते, उनमें आय ज्ञात करने के लिए आय प्रणाली का प्रयोग किया जाता है।
4. व्यय प्रणाली - इस प्रणाली के अन्तर्गत राष्ट्रीय आय को ज्ञात करने के लिए वर्ष भर में वस्तुओं व सेवाओं पर किए जाने वाले कुल व्यय को जोड़ा को जोड़ा जाता है। व्यय दो मदों पर किया जाता है।
1. उपभोग वस्तु पर व्यय
2. निवेश वस्तुओं पर व्यय।
प्र0 6 - राष्ट्रीय आय की गणना का क्या महत्तव है ?
1.
राष्ट्रीय आय किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के बारे सही जानकारी देता है। इससे उद्योगों, कृषि, सेवाओं आदि की जानकारी प्राप्त होती है।
2. राष्ट्रीय आय की सहायता से दो या दो से अधिक देशों की अर्थवयवस्था, प्रतिव्यक्ति आय, राष्ट्रªीय आय
आदि का तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है।
3. राष्ट्रीय आय के आँकड़े किसी देश की आर्थिक प्रगति के सूचक होते है। इनके द्वारा उत्पादन तथा अन्य
क्षेत्रों में हुई प्रगति का अनुमान लगाया जा सकता है।
4. राष्ट्रीय आय से हम किसी देश के निवासियों के रहन-सहन के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त होता है।
5. राष्ट्रीय आय के अनुमान के अधार पर किसी भी देश की सरकार भावी योजनाओं का निर्माण करती है।
6. सरकार की आर्थिक नीति देश की राष्ट्रीय आय पर निर्भर करती है।
7. राष्ट्रीय आय के आँकड़ों
के आधार पर ही बजट का निर्माण किया जाता है।
8. राष्ट्रीय आय से देश के आर्थिक विकास की भावी प्रवृत्ति का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके साथ-साथ रोजगार व आय के स्तर के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
9. स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए ?