मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 20 जनवरी से डावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूइएफ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जब अपनी सालाना यात्रा पर होंगे, तब उनके सामने बड़ी चुनौती यह होगी कि राज्य में कारोबार कैसे लेकर आएं. प्रदेश मुख्य रूप से कृषि राज्य है, वहीं राज्य की अर्थव्यवस्था को मैन्युफैक्चरिंग और सेवा आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने को लेकर लंबे समय से आम सहमति रही है. दिसंबर 2018 में कमलनाथ के कमान संभालने के बाद नीतिगत बदलावों और विधायिका के समर्थन की शक्ल में जो कोशिशें की गईं, उनके नतीजे अब आने लगे हैं.
उनकी सरकार ने शुरुआत में ही रियल एस्टेट को ऐसे क्षेत्र के रूप में पहचाना, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है, और सर्कल रेट में 20 फीसद की कटौती कर दी. भवन निर्माण और नक्शा पास करवाने के लिए जरूरी दस्तावेजों की संख्या भी 27 से घटाकर पांच कर दी गई. अक्तूबर, 2019 में राज्य के कारोबारी समागम मैग्निफिसेंट मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने कहा, ''कॉलोनाइजर काम शुरू कर सकते हैं, उन्हें पहले से इजाजत की कोई जरूरत नहीं है. हम तीन साल बाद नियम-कायदों के अनुपालन की जांच करेंगे.''
जीएसटी लागू होने के बाद के दौर में मध्य प्रदेश को अपनी भौगोलिक स्थिति का फायदा मिल रहा है. राज्य के मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती कहते हैं, ''मध्य प्रदेश की सीमाएं पांच राज्यों से मिलती हैं...यहां से करीब 50 करोड़ की आबादी तक पहुंचा जा सकता है.'' वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स की अलग नीति के तहत राज्य संयंत्र और मशीनों पर 15 करोड़ रुपए तक की निवेश सहायता देगा. राज्य स्टांप ड्यूटी में छूट और फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) में बढ़ोतरी की पेशकश कर रहा है.
इन सुविधाओं के मद्देनजर रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. (आरआइएल) यहां अपने राष्ट्रीय वितरण केंद्र की स्थापना कर रही है. आरआइएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने मैग्निफिसेंट मध्य प्रदेश में घोषणा की, ''रिलायंस 45 स्थलों पर 1 करोड़ वर्गफुट जगह का इस्तेमाल करेगा.'' औद्योगिक नीति और निवेश संवर्धन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजेश राजौरा कहते हैं, ''वॉलमार्ट, रिलायंस और अमेजन ने भी राज्य में लॉजिस्टिक हब और वेयरहाउस बनाने में दिलचस्पी जाहिर की है.''
राज्य ने अपनी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में बदलाव किया है. प्रमुख संशोधनों में निवेश प्रोत्साहन सहायता की सीमा 150 करोड़ रु. से बढ़ाकर 200 करोड़ रु. करना और कचरा प्रबंधन, प्रदूषण, सुरक्षा तथा जल संरक्षण उपकरण लगाने के लिए 1 करोड़ रुपए या लागत का 50 फीसद तक प्रोत्साहन लाभ देना शामिल है.
चूंकि जोर ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों पर है, इसलिए पर्यटन को खास तौर पर सहायता दी जा रही है. पर्यटन की परियोजनाओं पर 15-30 फीसद पूंजी निवेश सब्सिडी और रोपवे तथा अगम्य पर्यटक और वन क्षेत्रों के लिए 40 फीसद सब्सिडी की पेशकश शुरू की गई है. राज्य में बाघ पर्यटन का फायदा उठाने के लिए टाइगर रिजर्व की धारक क्षमता बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं.
जहां जमीन मालिक अपनी जमीन छोडऩे के लिए तैयार हैं, वहां राज्य सरकार लैंड पूलिंग नीति भी लेकर आई है और मंजूरियों में होने वाली देरी कम करने के मकसद से व्यवसायों के लिए मध्य प्रदेश समयबद्ध स्वीकृति विधेयक पेश किया गया है. सेवा क्षेत्र के लिए भी ऐसे ही कानून की तैयारियां चल रही हैं. इन सबसे उत्साहित पीथमपुरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट गौतम कोठारी कहते हैं, ''मुख्यमंत्री ने हमें अपनी ई-मेल आइडी दे दी. जब भी हमने अपनी समस्याओं के बारे में उन्हें लिखा, सुधार के कदम उठाए गए हैं.''
मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल राज्य में 64 बड़ी—यानी 7,188 करोड़ रुपए के निवेश वाली—औद्योगिक इकाइयां लगाई गईं या उनका विस्तार किया गया, जिनसे 22,000 नौकरियों का सृजन हुआ है. इसके अलावा, 31,425 करोड़ रुपए के 545 निवेश प्रस्तावों को एकल खिड़की प्रणाली से मंजूरी दी गई है.
इन शुरुआती कामयाबियों के बावजूद चुनौतियां कायम हैं. इनमें सबसे ऊपर हैं मध्य प्रदेश की कुख्यात नौकरशाही, सामान्य आर्थिक धारणा और लडख़ड़ाता कृषि क्षेत्र. फसलों को बहुत ज्यादा मॉनसून की कीमत चुकानी पड़ी है और बासमती चावल सरीखे प्रमुख उत्पादों की निर्यात कीमतों में गिरावट ने खेती-किसानी की आमदनी को चोट पहुंचाई है. राज्य की वित्तीय हालत भी चिंता का विषय है. विश्लेषकों का कहना है कि कमलनाथ जो बदलाव लाए हैं, उनका असर दिखाई देने में दो साल लगेंगे. अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.
तीव्र गति से औद्योगिकरण के उद्देश्य से शासन द्वारा उद्यमियों को अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की गयी है जैसे - सस्ती दर पर भूमि , ब्याज अनुदान , पूंजी अनुदान एवं बिक्री कर अनुदान।उद्योग संवर्द्धन नीति - 2004
- राज्य में औद्योगिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने प्रथम उद्योग संवर्द्धन नीति - 2004 की घोषणा की।
- वर्ष 2007 में इस नीति में संशोधन किया गया , ताकि इसे और अधिक प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
उद्योग संवर्द्धन नीति - 2004 प्रमुख उद्देश्य
- इस नीति का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन करना था।
- औद्योगिकरण में तीव्र गति लाना, जिससे मध्य प्रदेश एक अग्रणी राज्य बन सके ।
- विदेशी निवेशक तथा प्रवासी भारतीय को आकर्षित करने के लिए विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना का विकास करना।
- गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार का सृजन करना , जिसमें क्षेत्रीय विषमता को कम किया जा सके।
- औद्योगिक रुग्णता के लिए विशेष सहायता राशि उपलब्ध कराना।
- राज्य के औद्योगिकरण हेतु निजी क्षेत्र की सहभागिता सुनिश्चित करना।
उद्योग संवर्द्धन नीति - 2010 Industry Promotion Policy - 2010
यह नीति 1 नवंबर 2010 को 1 पारित की गई थी , किंतु 28 अगस्त , 2012 को इसमें कुछ संशोधन करके इसे और अधिक प्रभावी रूप से लागू किया गया ।
उद्योग संवर्द्धन नीति - 2010 प्रमुख उद्देश्य
- इस नीति के द्वारा राज्य के समग्र विकास के लिए कुछ विशेष क्षेत्रों , जैसे -कृषि आधारित उद्योग , खाद्य प्रसंस्करण , ऑटोमोबाइल , पर्यटन , औषधि, स्वास्थ्य , संचार , कौशल विकास को प्रोत्साहन देना, भंडार ग्रहों के निर्माण।
- तीव्र आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन के साथ-साथ राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का सतत् उपयोग प्राकृतिक संसाधनों का सतत् उपयोग करना।
- मध्यप्रदेश निवेश संवर्द्धन अधिनियम - 2008 के द्वारा निवेश प्रस्ताव को तीव्र गति से अनुमोदन (Approval) देना।
- राज्य के नियम और कानूनों को उद्योगों के अनुकूल बनाना , जिससे राज्य को को अग्रणी औद्योगिक प्रदेश के रूप में स्थापित किया जा सके।
- औद्योगिक क्षेत्रों का विकास करना , जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त हो एवं स्वरोजगार योजनाओं को लागू करना। को लागू करना।
- औद्योगिक रुग्णता (Industrial Sickness) से ग्रस्त इकाइयों इकाइयों के लिए विशेष योजना लागू करना एवं निजी क्षेत्र के सहयोग से उद्योगों के लिए आधारभूत संरचना का विकास करना।
मध्य प्रदेश में नई औद्योगिक नीति कब से आरंभ हुई?
सही उत्तर 1972 है। मध्य प्रदेश की पहली औद्योगिक नीति 1972 में बनाई गई थी। मध्य प्रदेश की नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2014 में तैयार की गई थी।प्रथम औद्योगिक नीति कब शुरू हुई थी?
Solution : स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, भारत सरकार ने 6 अप्रैल, 1948 को अपने पहली औद्योगिक नीति घोषित की। औद्योगिक नीति 1948 को तत्कालीन उद्योग मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संसद में पेश किया था।मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है?
मौजूदा औद्योगिक विकास केन्द्रों में औद्योगिक अधोसंरचना का उन्नयन । स्थानीय उद्यमियों को सुदृढ़ बनाने हेतु अनुषंगीकरण को प्रोत्साहन । कौशल विकास प्रयासों द्वारा युवाओं में रोजगार बढ़ाना । प्रोत्साहनों और रियायतों के आकर्षक पैकेज के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र को सुदृढ़ बनाना।मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम की स्थापना कब हुई थी?
सही उत्तर सितंबर 1965 है। औद्योगिक विकास केंद्र की स्थापना 13 सितंबर 1965 को हुई थी। यह बड़े और मध्यम उद्यमों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। औद्योगिक विकास केंद्र का मुख्यालय भोपाल में है।