इस महंगाई से जिले की 818 सरकारी राशन दुकानों के लिए सहकारी समितियों ने तीन माह से केरोसिन का उठाव एक लीटर भी नहीं किया है। केरोसिन का व्यापार पूरी तरह से खत्म होने से डीलर्स टैंकर भी सरेंडर कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि केरोसिन का उपयोग ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के लोग ही करते हैं। कीमतें महंगी होने से खरीदारी कम कर दी गई है।
बता दें कि 2021-22 के केंद्रीय बजट में केरोसिन परसब्सिडी का प्रावधान नहीं था। एक अप्रेल 2021 से सब्सिडी न मिलने से केरोसिन की दरें लगातार बढ़ रही हैं। बढ़ी कीमतों के फेर में पहले कालाबाजारी करने वाले डीलर्स की यह दुकान भी बंद हो गई है। बताया जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने से दाम बढ़े हैं।
डीजल की रेट 96 तो मिट्टी का तेल 101 रुपए लीटर
सरकारी राशन दुकानों में मई में केरोसिन 79 रुपए प्रति लीटर मिल रहा था। जून में 6 रुपए की बढ़ोतरी हुई और दाम 85 रुपए हो गया। जुलाई में 13 रुपए बढ़कर 98 रुपए प्रति लीटर हो गया। डीलर्स से बिलिंग के बाद केरोसिन 99 रुपए व दुकानों में उपभोक्ताओं को 100-101 रुपए
प्रति लीटर के हिसाब से वितरण होगा।
ये भी नहीं खरीद रहे केरोसिन
शासन से जिले की 818 राशन दुकानों को 4.83 लाख लीटर केरोसिन का आवंटन होता है। दाम अधिक होने से केरोसिन का उठाव समितियां पिछले तीन माह से नहीं कर रही हैं। 2.90 लाख परिवार केरोसिन से वंचित हैं। जिन्हें उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिला, वो अब महंगा केरोसिन नहीं खरीद पा रहे। हितग्राही विद्या कोल ने बताया, उज्जवला गैस कनेक्शन नहीं है। महंगा केरोसिन खरीदने की हालत नहीं है।
डीएसओ केके सिंह ने बताया कि केरोसिन का आवंटन 482 केएल है, लेकिन रेट बहुत ज्यादा है। इसलिए तीन माह से उठाव नहीं हो रहा। समितियां दुकानों के लिए केरोसिन नहीं मंगा रहीं। डीलर राजेश खंडेलवाल ने बताया कि जुलाई में सरकार ने केरोसिन के दाम 13 रुपए प्रति लीटर बढ़ाए हैं। इसलिए सहकारी समितियां तेल नहीं मंगा रही हैं। हमने सरकार से मांग की थी कि यह व्यापार बंद होता है तो इसे गैस एजेंसी में कन्वर्ट कर कर दें, पर ऐसा नहीं हुआ।
एक साल में 50 रुपए बढ़े दाम
केरोसिन के दाम में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। दो माह में
केरोसिन की कीमतें 18 रुपए लीटर बढ़ी हैं। एक साल में 50 रुपए लीटर दाम बढ़े हैं। दाम ज्यादा होने से पीडीएस के लिए समितियां केरोसिन नहीं लेतीं। गरीब परिवार, जिन्हें उज्ज्वला भी नहीं मिला, उन्हें ज्यादा समस्या है।
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HR BREAKING NEWS (ब्यूरो)। आखिरी बार आपने केरोसिन (kerosene) का प्रयोग कब किया था? अरे, वही, जिसे कहीं घासलेट तो कहीं मिट्टी का तेल भी कहा जाता है। पहले सरकारी राशन की दुकानों पर इसकी ही डिमांड रहती थी। आज एलपीजी और बिजली इतने सर्वसुलभ हैं कि लोग इसको भूल ही गए। इसकी याद तब आती है, जब डेंगू मच्छर के लार्वा को मारने के उपाय पता करते हैं।
कहां मिलता है केरोसिन
दिल्ली केरोसिन मुक्त घोषित हो चुका है और मुंबई में यह पेट्रोल के रेट से थोड़ा ही सस्ता है। कोलकाता
में भी पहुंच से बाहर है, लेकिन चेन्नई लगता है अभी भी केरोसिन के सहारे चल रहा है। यही वजह है कि सब्सिडी के साथ यहां मिट्टी का तेल 15 रुपए लीटर है।
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एक लीटर केरोसिन की क्या है कीमत
इंडियन
ऑयल के मुताबिक कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल की कीमत जहां 106.03 रुपये है वहीं, डीजल 92.76 रुपये में मिल रहा है। इसकी तुलना में केरोसिन की कीमत भी यहां कम नहीं है। यहां एक लीटर केरोसिन के लिए 84.54 रुपये चुकाने पड़ेंगे।
लगातार बिजली कटौती ने याद दिलाई
दरअसल, आज बात मिट्टी के तेल की इसलिए हो रही है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बिजली सप्लाई योगी सरकार के पहले कार्यकाल की तुलना में डगमगाई हुई है। लोकल फॉल्ट और कटौती के
चलते लोग अब ढिबरी, लालटेन को याद कर रहे हैं।
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अगर मिट्टी के तेल की कीमत की बात करें तो इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर दिए गए रेट लिस्ट के मुताबिक दिसंबर 2014 में दिल्ली में 14.96 रुपए, कोलकाता में 16 रुपए, मुंबई में 15.14 रुपए और चेन्नई में 13.70 रुपए था।
आठ साल में इतना बढ़ा दाम
करीब आठ सालों में मुंबई में केरोसिन 84.69 रुपए, कोलकाता में 88.51 और चेन्नई में महज 16 रुपए पर पहुंचा है। इन आठ सालों में कोलकाता में केरोसिन की कीमत 5 गुना से अधिक बढ़ी है। वहीं मुंबई में करीब साढ़े पांच गुना रेट में इजाफा हुआ है। जबकि, चेन्नई में केवल दो रुपए 30 पैसे। दिल्ली 1 सितंबर 2017 से केरोसिन मुक्त हो गई है।