Marne के बाद Body को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता? - marnai ke baad body ko akela kyon nahin chhoda jaata?

Garuda purana: हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता. रात में यानी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने पर मान्यता है कि स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं. ऐसे में जीव की आत्मा को नरक का कष्ट भोगना पड़ता है. मृत्यु के बाद व्यक्ति के शव को अकेला भी नहीं छोड़ा जाता है. दरअसल इसका संबंध गरुड़ पुराण से है. आइए समझते हैं इसके पीछे का कारण.

इसलिए शव को नहीं छोड़ते अकेला:

  1. गरुड़ पुराण के अनुसार रात में शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो आसपास भटक रही बुरी शक्तियां उसमें प्रवेश कर सकती हैं. ऐसे में घर पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव पड़ सकता है. पूरे परिवार के लिए मुसीबत की वजह बन सकती हैं.
  2. कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा घर में 13 दिन तक रहती है. ऐसे में जब तक दाह संस्कार न हो जाए शव को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.
  3. गुरुड़ पुराण के अनुसार शव को अकेला छोड़ने पर लाल चींटियां या अन्य कीड़े उसके पास आने का डर बना रहता है. ऐसे में जरूरी है कि शव की रखवाली के लिए कोई पास हो.
  4. रात में तांत्रिक क्रियाओं का प्रभाव तेज हो जाता है. ऐसे में शव को अकेला छोड़ने से उसका इस्तेमाल तंत्र साधना के लिए किया जा सकता है. आत्मा को नुकसान पहुंच सकता है.
  5. अगर ज्यादा देर तक शव को घर में रखा जाए तो बैक्टीरिया फैलने के आसार बढ़ जाते हैं. शव के चारों ओर अगरबत्ती जलाने के लिए किसी का पास होना जरूरी है.

Shiva Damru Benefit: शिव जी के डमरू की आवाज में है इतनी ताकत, घर में रखने से मिलेंगे ये 4 फायदे

Sashtang Pranam: महिलाओं को क्यों नहीं करना चाहिए साष्टांग दंडवत प्रणाम, ये है वजह

ताज़ा वीडियो

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

जिस तरह जीवन एक सत्य है, ठीक प्रत्येक व्यक्ति को ये भी भली-भांति पता है कि मृत्यु भी एक ऐसा सत्य है, जिसे कोई जितना मर्जी झुठला दें, परंतु इस बदला नहीं जा सकता। कहने का

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

जिस तरह जीवन एक सत्य है, ठीक प्रत्येक व्यक्ति को ये भी भली-भांति पता है कि मृत्यु भी एक ऐसा सत्य है, जिसे कोई जितना मर्जी झुठला दें, परंतु इसे बदला नहीं जा सकता। कहने का अर्थ है कि जिस ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया है उसे एक न एक दिन अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ती है। इस बारे में हम में से बहुत से लोगों ने कई बार अपने बड़े बुजुर्गों से कहते सुना होगा कि कि मृत्यु के बाद मनुष्य शरीर की आत्मा 13 दिनों तक अपने घर में रहती है। मगर ऐसा क्यों, इस बारे में क्या किसी ने सोचा है? अगर नहीं तो चलिए आज आपको इससे संबंधित जानकारी बताते हैं और जानते हैं कि आखिर क्यों मृतक शरीर की आत्मा 13 दिनों तक अपने घर में भटकती रहती साथ ही साथ ये बी बताएंगे कि 13 दिनों तक मृतक के नाम का पिंडदान क्यों किया जाता है।

बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। यहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और फिर 24 घंटे के अंदर यमदूत उस प्राणी की आत्मा को वापिस घर छोड़ जाते हैं। यमदूत के द्वारा आत्मा को वापिस छोड़ जाने के बाद मृतक की आत्मा अपने परिजनों के बीच भटकती रहती है और अपने परिजनों को पुकारती रहती है लेकिन उसकी आवाज को कोई नहीं सुन पाता। यह देखकर मृत व्यक्ति की आत्मा बेचैन हो जाती है और जोर जोर से चिलाने लगती है। इसके बाद आत्मा अपने शरीर के अंदर प्रवेश करने की कोशिश करती है लेकिन यमदूत के पास बंदिश होने के कारण वह मृत शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती। इसके अलावा गरुड़ पुराण की मानें तो जब यमदूत आत्मा को उसके परिजनों के पास छोड़ जाती है तो उस समय उस आत्मा में इतना बल नहीं होता कि वो यमलोक की यात्रा तय कर पाए। गरुड़ पुराण के अनुसार किसी भी मनुष्य के मृत्यु के बाद जो 10 दिनों तक मकिया जाता है उससे मृतक आत्मा के विभिन्न अंगों की रचना होती है और जो ग्यारहवें और बारहवें दिन पिंडदान किया जाता है उससे मृतक आत्मा रूपी शरीर का मास और त्वचा का निर्माण होता है और जब 13वें दिन 13वीं की जाती है तो उस दिन मृतक के नाम का पिंडदान किया जाता है। उसी से ही वो यमलोक तक की यात्रा तय करते हैं। अर्थात मृत्यु के बाद मृतक के नाम का जो पिंडदान किया जाता है। उसी से ही आत्मा को मृत लोक से यमलोक तक यात्रा करने का बल मिलता है। इसलिए ही गुरुड़ पुराण में बताया गया है जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के पास घर में भटकती रहती है और उसके बाद आत्मा मृत लोक से यमलोक की ओर निकल पड़ती है जिसे पूरा करने के लिए उसे 12 महीने यानि कि 1 साल का वक्त लगता है इतना ही नहीं मान्यता के अनुसार 13 दिनों तक मृतक के नाम का किया गया पिंडदान उसके 1 वर्ष के भोजन के समान होता है।

पिंडदान न किया जाए तो क्या होगा-
इसके अलावा बता दें अक्सर लोगों के मन में ये सवाल भी ज़रूर आता है कि अगर किसी मृत व्यक्ति के नाम का पिंडदान नहीं किया गया तो क्या होता है  तो दोस्तों आपको बता दें कि इसका भी वर्णन गरुड़ पुराण में किया गया है। जी हां, जिस मृतक व्यक्ति का पिंडदान नहीं किया जाता। यमदूत उसे 13वें दिन जबरदस्ती घसीते हुए यमलोक की ओर ले जाते हैं और मृतक व्यक्ति की आत्मा को इस दौरान काफी कष्ट उठाना पड़ता है इसलिए हिंदू धर्म में मनुष्य की मृत्यु के बाद 13 दिनों तक पिंडदान करना आवश्यक माना गया है। इसके अलावा आपको बता दें कि 13वें दिन परिजनों के द्वारा मृतक व्यक्ति के नाम का जो भोज करवाया जाता है। अगर वह कर्ज लेकर किया जाए तो मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती। इतना ही नहीं गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया कि जो व्यक्ति जीवित रहते हुए अच्छे कर्म करता है.. मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को यात्रा के दौरान यमदूत कोई कष्ट नहीं देते और जो व्यक्ति बुरे कर्म करते हैं। उसकी आत्मा को यमदूत यात्रा के दौरान कई यातनाएं देता है और आत्मा को कई कष्ट भोगने पड़ते हैं।

और ये भी पढ़े

  • आज जिनका जन्मदिन है, जानें कैसा रहेगा आने वाला साल

  • Peony Flower Vastu Benefits: शादी का लड्डू खाने को है बेकरार, आज ही घर में लगाएं ये फूल

  • आज का राशिफल 4 नवंबर, 2022- सभी मूलांक वालों के लिए कैसा रहेगा

  • Currency Rate
  • Crypto Currency

BTC$ 20332.83

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

ETH$ 1549.53

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

USDT$ 1

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

BNB$ 342.12

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

usd-coin$ 1

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

XRP$ 0.46

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

terra-luna$ 2.51

Tue, Oct 18, 2022 03.06 PM UTC

solana$ 31.8

Fri, Nov 04, 2022 04.37 AM UTC

Trending Topics

Zimbabwe

India

Match will be start at 06 Nov,2022 03:00 PM

Most Read Stories

मरे हुए इंसान को अकेला क्यों नहीं छोड़ते हैं?

शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता इसके पीछे कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु सूर्योस्त के बाद होती है। तो शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता है और शव के पास कोई न कोई व्यक्ति जरूर मौजूद रहता है। क्योंकि गरुड़ पुराण के अनुसार अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो उसमें से गंध आ सकती है।

रात में लाश को क्यों नहीं छोड़ा जाता है?

इसके इलावा शास्त्रों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसका शरीर एकदम खाली हो जाती है. ऐसे में रात के समय जो दूसरी भटकती आत्माएं होती है, वो उसके खाली शरीर में प्रवेश कर सकती है. यही वजह है कि मृत्यु के बाद रात के समय लाश को नहीं छोड़ा जाता अकेला.

मनुष्य के मरने का शुभ समय कौन सा है?

- मृत्यु जीवन का अटल सत्य हैं, जिसने जन्म लिया उसे एक ना एक दिन मरना भी है, लेकिन अगर परिवार किसी की मृत्यु हो जाती हैं तो लोग उसके अंतिम संस्कार की बहुत जल्दबाजी करने लगते है, लेकिन शास्त्रों में उल्लेख आता हैं कि शव का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में बिलकुल भी नहीं करना चाहिए, अगर किसी व्यक्ति की सूर्योदय से लेकर ...

मरने के बाद आत्मा कितने दिन तक घर में रहती है?

इसलिए ही गुरुड़ पुराण में बताया गया है जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के पास घर में भटकती रहती है और उसके बाद आत्मा मृत लोक से यमलोक की ओर निकल पड़ती है जिसे पूरा करने के लिए उसे 12 महीने यानि कि 1 साल का वक्त लगता है इतना ही नहीं मान्यता के अनुसार 13 दिनों तक मृतक के नाम का ...

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग