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मूर्तिकार मोतीलाल कितने समय में मूर्ति बनाकर पटक देने का विश्वास दिला रहे थे?
इसे सुनेंरोकेंमूर्ति बनाने में कुल कितना समय लगा था? छ:महीने।
मूर्तिकार ने मूर्ति को कितने समय में पूरा किया?
इसे सुनेंरोकेंमूर्ति बनाने में कुल कितना समय लगा था? दस दिन
कस्बे के इकलौते ड्राइंग मास्टर कौन थे *?
इसे सुनेंरोकें✎… कस्बे के इकलौते ड्राइंग मास्टर को नेताजी मूर्ति बनाने का काम इसलिए सौंपा गया, क्योंकि मूर्ति बनवाने से संबंधित सरकारी विभाग के अधिकारी जल्दबाजी में थे। सरकारी विभाग के अधिकारी ने फाइल और अन्य कई सरकारी प्रक्रिया में काफी समय ले लिया, जिसके कारण मूर्ति निर्माण संबंधी कार्य में विलंब हो गया।
मूर्ति बनाकर पटक देने से लेखक का क्या भाव है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: मूर्तिकार द्वारा मूर्ति बनाकर पटक देने का भाव यह है कि मूर्ति में सूक्ष्म बारीकियों का ध्यान अधिक नहीं रखा गया था। उसे देखने से लगता है कि इस मूर्ति को बनानेवाला कलाकार बहुत उच्च दर्जे का नहीं था और इसे बनाने के लिए उसे पर्याप्त समय भी नहीं मिला होगा।
मूर्ति बनाकर पटक देने से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंमूर्ति बनाकर पटक देने से अर्थ है, किसी युक्ति से, किसी भी प्रकार एक महीने में नेताजी की मूर्ति बनाकर सौंप देना है । मूर्ति बनाकर पटक देने से यह भी अर्थ है कि मूर्ति बनाने में कोई भाव नहीं है केवल कार्य पूरा करने के लिए मूर्ति को जैसे तैसे बना दिया जाए ।
स्थानीय कलाकार ने कितने समय में मूर्ति बनाकर देने का वायदा किया?
इसे सुनेंरोकेंउन्होंने नगरपालिका के सदस्यों को यह विश्वास दिलाया कि वह एक महीने के अंदर मूर्ति तैयार कर देंगे। इस प्रकार का कार्य मिलने से कलाकार में नया उत्साह जागृत हुआ। उन्हें ऐसा लगा कि नगरपालिका ने उनकी कला को प्रोत्साहन देने के लिए यह कार्य उन्हें सौंपा है। इसीलिए उन्होंने अपनी बात के अनुसार एक महीने में मूर्ति पूरी कर दी।
मूर्ति कितने दिन में बनकर तैयार हुई?
इसे सुनेंरोकेंस्पष्टीकरण: ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में मूर्ति एक महीने में ही बनकर तैयार हो गई थी।
कस्बे में लड़कों के कितने स्कूल थे?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न (ग)-कस्बे में क्या-क्या था? उत्तरः कस्बे में लड़कों का एक स्कूल, लड़कियों का एक स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी। 2.