महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि किसने दी थी - mahaatma gaandhee ko mahaatma kee upaadhi kisane dee thee

(फाइल फोटो- 51वें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन के मौके पर सुभाष चंद्र बोस और सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ महात्मा गांधी )

नेशनल डेस्क। 2 अक्टूबर गुरुवार को महात्मा गांधी की 144वीं जयंती है। ये तो सभी जानते हैं कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता और बापू के नाम से लोग जानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि गांधी जी के ये नाम पड़े कैसे। बापू, राष्ट्रपिता और महात्मा पहली बार किसने और क्यों पुकारा। चलिए हम आज आपको बताते हैं इनके पीछे की कहानी।

उपाधि – ‘राष्ट्रपिता’

किसने दी थी - 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ‘देश का पिता’ (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि 'राष्ट्रपिता अब नहीं रहे'।

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जानिए किसने और कब महात्मा गांधी को पहली बार 'राष्ट्रपिता' की उपाधि दी थी

| Updated: 6 Jul 2018, 1:30 pm

यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी?

नई दिल्ली
यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।

बताया जाता है कि नेताजी और महात्मा गांधी एक-दूसरे का भरपूर सम्मान करते थे, लेकिन इसके साथ दोनों के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद भी थे। बताया जाता है कि नेता जी महात्मा गांधी के इस विचार से सहमत नहीं थे कि अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही स्वतंत्रता पाई जा सकती है। नेताजी का मानना था कि अहिंसा एक विचारधारा हो सकती है, लेकिन इसका किसी पंथ की तरह पालन नहीं किया जा सकता है। नेताजी का मानना था कि राष्ट्रीय आंदोलन को हिंसा मुक्ता होना ही चाहिए, लेकिन जरूरत पड़ने पर हथियार उठाने से पीछे नहीं हटा जा सकता है। वहीं इसके उलट महात्मा गांधी का मानना था कि अहिंसा ही देश को स्वतंत्र कराने का एकमात्र रास्ता है। महात्मा गांधी कई अहिंसा आंदोलनों से अंग्रेजों को कई मोर्चों पर झुका चुके थे।

अधिकारिक तौर पर 'राष्ट्रपिता' की घोषणा नहीं
भले ही देश भर के लोग महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' के तौर पर जानते हों, लेकिन भारत सरकार आधिकारिक तौर पर महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' घोषित नहीं कर सकती है। संविधान के आगे भारत सरकार भी मजबूर है। तभी तो गृह मंत्रालय ने लखनऊ की बाल आरटीआई कार्यकर्ता ऐश्वर्या पाराशर को दिए सूचना में कहा है कि सरकार महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' घोषित करने के संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं कर सकती है।

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महात्मा गांधी जी को महात्मा की उपाधि कैसे मिली?

गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी।

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि कब दी गई?

किसने दी थी - 4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को 'देश का पिता' (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी।

महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि क्यों दी गई?

महात्मा शब्द संस्कृत से लिया गया है। इस शब्द का मतलब होता है महान आत्मा। गांधी जी को पहली बार कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने महात्मा शब्द से संबोधित किया था। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गांधी जी को सबसे पहली बार 1915 में राजवैद्य जीवन राम कालिदास ने उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया था।

रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि कब दी?

महात्मा गांधी को महात्मा की उपाधि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने दी थी और रवीन्द्र नाथ टैगोर को गुरुदेव की उपाधि गांधी जी ने दी थी। 12 अप्रैल, 1919 को गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्हें 'महात्मा' का संबोधन दिया गया था।

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