आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव स्तुति पर कई श्रद्धालुओं ने व्रत रखा है। धार्मिक महत्व से अलग अगर व्रत रखने को सेहत के नजरिए से देखा जाए, तो इससे आपकी बॉडी डिटॉक्स होती है। साथ ही आपकी पाचन क्रिया को भी कुछ समय का आराम मिलता है लेकिन व्रत रखने के दौरान जितनी सावधानियां रखनी चाहिए, उससे कहीं ज्यादा व्रत खोलते समय अपनी डाइट को सोच-समझकर लेना चाहिए-
देवों के देव महादेव का महाशिवरात्रि व्रत भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। 13 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर भोलेनाथ का अनूठा शृंगार किया जाएगा। बिजली की रंग-बिरंगी रोशनी से शिवालय जगमगाएंगे। इस पावन अवसर पर मंदिरों में शिवभक्तों की भारी भीड़ शिवलिंग के दर्शन को उमड़ती है।
कहा जाता है कि इस दिन शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है। हज़ारों भक्त इस दिन कांवड़ में गंगा जल लाकर भगवान शिव को स्नान कराते हैं। शिवरात्रि को मंदिरों में चारों पहर विशेष पूजा की जाती है।
भगवान शिव को पाने के लिए पहनें रुद्राक्ष
कालरात्रि को पूरी रात मंदिर में शिवभक्त भजन-कीर्तन करते हैं। कई मंदिरों में शिव-पार्वती के विवाह का भी आयोजन किया जाता है। महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व ही शिवनगरी में विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले सा नजारा देखने को मिलता है। काशी नगरी के इस पवित्र स्थान में देश-विदेश से श्रद्धालु भोले बाबा की कृपा पाने के लिए आते हैं।
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पंडित व पुरोहित शिवमंदिर में एकत्रित हो बड़े-बड़े अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। कुंवारी कन्याएं महाशिवरात्रि का व्रत कर के भगवान शिव से अच्छे वर की कामना करती हैं। पुराणों में उल्लेख है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए इसी दिन तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप जो भी कुंवारी कन्या महाशिवरात्रि का व्रत रखती है उसे शिवशक्ति के आशीर्वाद से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
शिव की महिमा
कहते हैं भोलेनाथ बड़े भाले हैं, वे अपने भक्तों की भक्ति से बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। उनकी कृपादृष्टि जिस पर पड़ जाए उसके जीवन का उद्धार हो जाता है।
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भक्तों का विश्वास है कि शिवरात्रि के अवसर पर शिवजी का सच्चे मन से व्रत एवं पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्रि की रात में देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था इसलिए यह शिवरात्रि वर्ष भर की शिवरात्रि से उत्तम है। इस दिन शिव जी की उपासना और पूजा करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं।
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पूजन विधि
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर “ऊं नमो नम: शिवाय” मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा कर अगले दिन प्रात: काल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
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शिव के फलदायी मंत्र
शिव को पंचामृत से अभिषेक कराते हुए ‘ऊं ऐं ह्रीं शिव गौरीमव ह्रीं ऐं ऊं’ मंत्र का जाप करें।
- स्त्रियां सुख-सौभाग्य के फल हेतु ‘ऊं ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ऊं’ मंत्र का उच्चारण करें।
- अखंड लक्ष्मी प्राप्ति हेतु ‘ऊं श्रीं ऐं ऊं’ मंत्र की दस माला का जाप करें।
- विवाह में आ रही रूकावटों को दूर करने के लिए शिवशक्ति के मंत्र ‘हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी कान्तकांता सुदुर्लभाम’ का जाप करें।
- संपूर्ण पारिवारिक सुख-सौभाग्य हेतु ‘ऊं साम्ब सदा शिवाय नमः’ मंत्र का उच्चारण करें।
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ओम नमः शिवाय।। भगवान शिव के अत्यंत प्रिय पावन त्यौहार शिवरात्रि पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। महाशिवरात्रि पर्व वर्ष में दो बार आता है जिसमें कि फाल्गुन मास वाली शिवरात्रि सर्वश्रेष्ठ एवं सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाली मानी जाती है।
शिव के भक्तों के लिए यह शिवरात्रि वरदान के समान है। भगवान शिव के भक्त इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं एवं महाशिवरात्रि का विशेष व्रत भी रखते हैं।
शिवरात्रि के व्रत से जुड़ी कुछ विशेष बातें हम आज आपको बताने वाली हैं। शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है, इसका सही समय क्या है और व्रत कब से शुरू किया जाता है, व्रत में क्या-क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए व्रत के क्या नियम है-
शिवरात्रि व्रत से जुड़ी विभिन्न जानकारी इस आर्टिकल में दी जा रही है। भगवान शिव के लिए और मां आदिशक्ति के लिए इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़िए। जय शिव शंकर की, जय मां गौरा की।
शिवरात्रि व्रत कब शुरू किया जाता है 🤔
भगवान शिव का अत्यंत प्रिय त्योहार हम सभी के लिए अति आनंद का विषय है। तथा ऐसे समय में हमें भगवान शिव के लिए महाशिवरात्रि का व्रत अवश्य लेना चाहिए।
सवाल यह होता है कि शिवरात्रि का व्रत कब से शुरू किया जाता है। अर्थात किस तिथि से शुरू किया जाता है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाशिवरात्रि व्रत चतुर्दशी तिथि की सुबह से शुरू किया जाता है। इस वर्ष 2022 में 1 मार्च को शिवरात्रि व्रत है।
अतः 1 मार्च को ही चतुर्दशी तिथि भी है। ऐसी स्थिति में शिवरात्रि से पूर्व के दिन भी शिव के भक्तों को प्याज लहसुन आदि चीजों का त्याग कर देना चाहिए।
शिवरात्रि व्रत के दिन अर्थात चतुर्दशी की सुबह भगवान शिव की पूजा अर्चना करके शिवरात्रि व्रत का संकल्प लेना चाहिए। महाशिवरात्रि के व्रत में कुछ विशेष बातों का विशेष ध्यान रखें।
जैसे कि महाशिवरात्रि के व्रत में क्या क्या खा सकते हैं, क्या नहीं खा सकते हैं इत्यादि बहुत सारी बातें। यदि आप महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाया जा सकता है- यह जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें। शिवरात्रि के व्रत में क्या खाया जाता है- भूल से भी न खाएं ये 05 चीजें चतुर्दशी की तिथि के दिन सुबह भगवान गणेश जी की पूजा कर, मां गौरा की पूजा कर, शिव भगवान का दूध दही आदि पंचामृत से लिंग रूप में रुद्राभिषेक करना चाहिए।
आइए जानते हैं, शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है, इसका सही समय क्या है, रात को खोलना चाहिए अथवा कब खोलना चाहिए। सही समय।
शिवरात्रि का व्रत कब खोला जाता है
महाशिवरात्रि व्रत चतुर्दशी तिथि को शुरू होता है एवं अगले दिन प्रातः काल इसको खोला जाता है। वास्तविक विधान यही है कि आपको पूरी चतुर्दशी तिथि का व्रत रखना चाहिए और विशेष रूप से रात्रि के चार प्रहर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि का व्रत विशेष रूप से रात्रि के लिए ही होता है। इसीलिए इसको शिवरात्रि कहा जाता है। तीन प्रकार की रात्रि होती हैं- शिवरात्रि, कालरात्रि एवं मोहरात्रि। यह सभी व्रत रात को ही किए जाते हैं।
विशेष रूप से शिव के भक्तों को ध्यान रखना चाहिए कि शिवरात्रि का व्रत विशेष नियमों के साथ में लेना चाहिए। चतुर्दशी की सुबह से अगले दिन सुबह तक इस व्रत को रखना चाहिए। इसमें चार पहर की पूजा होती है।
शिवरात्रि के चार पहर की पूजा का समय
शिवरात्रि व्रत व पूजा समय (चार प्रहर पूजा)- प्रथम प्रहर पूजा : शाम 06:21 से रात्रि 09:27 बजे तक
- द्वितीय प्रहर पूजा : रात्रि 09:27 से रात्रि 12:33 -02 मार्च
- तृतीय प्रहर पूजा : रात्रि 12:33 से सुबह 03:39 बजे तक (02 मार्च)
- चतुर्थ प्रहर पूजा : सुबह 03:39 बजे से 06:45 बजे तक (02 मार्च)
शिवरात्रि व्रत का विशेष विधान यही है। चतुर्दशी तिथि के दिन ही शिवरात्रि का पूरा व्रत किया जाता है। जब से चतुर्दशी तिथि शुरू होती है तब से व्रत शुरू किया जाता है, और जब चतुर्दशी का समापन होता है तब तक व्रत को रखा जाता है।
उसके बाद ही व्रत खोला जाता है। इसलिए रात्रि के 04 पहर भगवान शिव की पूजा एवं उनका व्रत रखना विशेष अनिवार्य है। इस प्रकार व्रत करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। जय शिव शंकर की। जय माँ गौरा की।
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- शिवरात्रि का व्रत कब खुलता है?
शिवरात्रि व्रत खोलने का सही समय चतुर्दशी तिथि का अन्तिम प्रहर होता है। अर्थात् अगले दिन की शुबह शिवरात्रि व्रत खोला जाता है।
- क्या शिवरात्रि के व्रत में नमक खा सकते हैं?
शिवरात्रि के व्रत में नमक बिल्कुल खा सकते हैं। शिवरात्रि के व्रत में केवल सेंधा नमक खाना चाहिए। साधारण नमक बिल्कुल न खाएं।
- शिवरात्रि व्रत में क्या क्या खाना चाहिए?
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि शिवरात्रि व्रत में क्या क्या खा सकते हैं व किन चीजों का परहेज़ करना चाहिए तो- यंहा क्लिक करें- शिवरात्रि के व्रत में क्या खाया जाता है- भूल से भी न खाएं ये 05 चीजें शिवरात्रि के व्रत में खायी जाने वाली सभी चीजों की लिस्ट यंहा 👆👈👆 दी गयी है।
- शिवरात्रि का व्रत कैसे खोला जाता है?
महा शिवरात्रि व्रत विशेष ध्यानपूर्वक व नियम पूर्वक विधि विधान से खोलना चाहिए। अगले दिन शुबह भगवान शिव की यथाशक्ति यथाभक्ति पूजा करके , भगवान गणेश व महागौरी का पंचोपचार पूजन कर शिव भगवान का लिंग रूप में अभिषेक करना चाहिए। भोग प्रसाद , आरती आदि कर शिवरात्रि का व्रत खोलें।