मंगलसूत्र पहनने के लिए कौन सा दिन शुभ है? - mangalasootr pahanane ke lie kaun sa din shubh hai?

मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक गले में धारण करती हैं। महिलाएं इसे अपने से अलग तभी करती हैं जब पति इस दुनिया में न हो या दोनों के बीच संबंध समाप्त हो जाए। मंगलसूत्र धारण करने का यह नियम परंपरागत तौर पर सदियों से चला आ रहा है। इसके पीछे मंगलसूत्र में मौजूद चमत्मकारी गुण का होना है।

बुरी नजर से बचाता है मंगलसूत्र
विवाह के समय दुल्हन पर सबकी नजर टिकी होती है। इससे दुल्हन को नज़र लगने का भय रहता है। मंगलसूत्र में पिरोए गये काले मोती से काल यानी अशुभ शक्तियां दूर रहती है। मंगलसूत्र बुरी नज़र से रक्षा करता है इस मान्यता के कारण विवाह के समय दुल्हन को मंगलसूत्र पहनाया जाता है। मंगल सूत्र के विषय में यह भी मान्यता है कि इससे पति पर आने वाली विपत्तियां दूर होती है।

पति के प्रति प्रेम का चिह्न
मंगलसूत्र में सोने का पेंडेंट लगा होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि स्वर्ण धारण करने से शरीर शुद्ध होता है। स्नान के समय सोने का स्पर्श करके जो पानी शरीर पर गिरता है उससे पापों से मुक्ति मिलती है। मंगलसूत्र में मोर का चिन्ह बना होता है जो पति के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाता है। पेंडेंट पर कुछ अन्य चिह्न भी बने होते हैं जो बुरी नज़रों से बचाने वाले माने जाते हैं।

निष्ठा बढ़ाता है मंगलसूत्र
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सोना गुरू के प्रभाव में होता है। गुरू ग्रह को वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति एवं ज्ञान का कारक माना जाता है। यह धर्म का कारक भी है। काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है। शनि स्थायित्व एवं निष्ठा का कारक ग्रह होता है। गुरू और शनि के बीच सम संबंध होने के कारण मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन में सुख एवं स्थायित्व लाने वाला माना जाता है।

हिंदू धर्म में विवाह के दौरान कई तरह के रीति-रिवाज़ निभाए जाते हैं जिनमें से एक है वर का वधू को मंगलसूत्र पहनाना। हिंदू धर्म में इस रस्‍म के बिना विवाह अधूरा माना जाता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र में मंगलसूत्र को मंगलकारक माना गया है। इसमें लगा सोना बृहस्‍पति ग्रह को मजबूत करता है एवं बृहस्‍पति खुशहाल और सुखी दाम्‍पत्‍य का कारक है।

सुहागिन स्‍त्रियां चाहे कोई जेवर पहनें या ना पहनें लेकिन मंगलसूत्र तो उन्‍हें पहनना ही होता है। इसे सुहाग की निशानी समझा जाता है। जब तक स्‍त्री का पति उसके साथ रहता है या जीवित रहता है तक तक उसे अपने गले में मंगलसूत्र पहनना होता है।

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मंगलसूत्र किसका है प्रतीक

मंगलसूत्र में सोना और काले रंग के मोती लगे होते हैं। सोने को मां पार्वती और काले मोतियों को भगवान शिव क प्रतीक माना गया है। इसी कारण से कभी भी मंगलसूत्र को गले से उतारा नहीं जाता है। अगर कोई सुहागिन स्‍त्री मंगलसूत्र को पहने रहे तो इससे उसका दाम्‍पत्‍य जीवन सफल होता है। काले मोती शनि, राहू और केतु के साथ-साथ मंगल ग्रह के कुप्रभाव को विवाहित दंपत्ति से दूर रखता है।

आइए जानते हैं मंगलसूत्र से जुड़ी कुछ खास बातें। अगर आप मंगलसूत्र से संबंधित ये गलतियां करते हैं तो इन्‍हें समय रहते ही सुधार लीजिए।

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मंगलसूत्र से जुड़ी खास बातें

  • जब विवाह के समय कोई स्‍त्री मंगलसूत्र पहनती है तो उसके बाद से उसे उस सूत्र को उतारना नहीं चा‍हिए। लेकिन अगर किसी स्थितिवश या मजबूरी में इसे उतारना पड़े तो अपने गले में काला धागा जरूर डालकर रखें।
  • किसी भी सुहागिन स्‍त्री को किसी अन्‍य महिला का मंगलसूत्र नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने से पति की आयु कम होती है एवं पति-पत्‍नी के बीच तनाव भी रहता है।
  • जिस तरह किसी स्‍त्री के जीवन में सिंदूर और बिछिया का महत्‍व होता है उसी तरह स्त्रियां मंगलसूत्र को भी धारण करती हैं। ये उनके सुहाग को बुरी नज़र से बचाता है और पति की आयु लंबी करता है।
  • मंगलसूत्र में काले मोती होना जरूरी होता है। काले मोतियों से बना मंगलसूत्र बहुत शुभ माना जाता है। यही काले मोती बुरी नज़र से पति की रक्षा करते हैं।
  • मंगलसूत्र में सोने का रहना आवश्‍यक होता है। सोना गुरु के बुर प्रभाव को कम करता है और वैवाहिक जीवन में सुख और ऊर्जा देता है। सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक मंगलसूत्र शुद्ध सोने का होना चाहिए।

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हर सुहागिन स्‍त्री को मंगलसूत्र का महत्‍व पता है और अब आप ये भी जान गईं हैं कि किस तरह मंगलसूत्र को पहनने से आपके पति की आयु लंबी होगी। इन आसान सी बातों को ध्‍यान में रखकर आप अपने वैवाहिक जीवन को प्रेम और सुख से भर सकती हैं।

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मंगलसूत्र कब धारण करना चाहिए?

मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धापूर्वक गले में धारण करती हैं। महिलाएं इसे अपने से अलग तभी करती हैं जब पति इस दुनिया में न हो या दोनों के बीच संबंध समाप्त हो जाए।

मंगलसूत्र नहीं पहनने से क्या होता है?

इसे गले में पहनने से गुरु और शनि के दोष दूर होते हैं। दूसरी बात : कभी भी किसी अन्य महिला से मांगकर मंगलसूत्र नहीं पहनना चाहिए। साथ ही, अपना मंगलसूत्र किसी को देना नहीं चाहिए। ये वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

मंगलसूत्र का टूटना क्या संकेत देता है?

इसे सुनेंरोकेंहर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह पर पति द्वारा पहनाया जाता है जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु पर ही उतार कर पति को अर्पित करती है। उसके पूर्व किसी भी परिस्थिति में मंगलसूत्र को उतारना मना है। इसका खोना या टूटना अपशकुन माना गया है। मंगलसूत्र पति के प्रति प्रेम और आदर का चिह्न होता है।

मंगलसूत्र कैसे पहना जाता है?

मंगलसूत्र से जुड़ी खास बातें.
जब विवाह के समय कोई स्‍त्री मंगलसूत्र पहनती है तो उसके बाद से उसे उस सूत्र को उतारना नहीं चा‍हिए। ... .
किसी भी सुहागिन स्‍त्री को किसी अन्‍य महिला का मंगलसूत्र नहीं पहनना चाहिए। ... .
जिस तरह किसी स्‍त्री के जीवन में सिंदूर और बिछिया का महत्‍व होता है उसी तरह स्त्रियां मंगलसूत्र को भी धारण करती हैं।.

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