लेखक ने कुएँ में से चिट्ठियाँ निकलने का निर्णय क्यों लिया? - lekhak ne kuen mein se chitthiyaan nikalane ka nirnay kyon liya?

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Smriti Questions and Answers

प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर: सायंकाल के 3:30 या 4:00 बजे होंगे। लेखक अपने साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़- तोड़कर खा रहा था। जब गांव के एक आदमी ने जोर से पुकारा कि तुम्हारा भाई बुला रहा है, तो लेखक को लगा कि बेर तोड़कर खाने के लिए उसका भाई उन्हें डांटेगा और खूब पीटेगा।

प्रश्न 2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएं में ढेला क्यों फेंकती थी?

उत्तर: लेखक के गांव से 4 फर्लांग दूर एक कुआं था, जिसमें अति भयंकर काला सांप पड़ा हुआ था। कुआं कच्चा था और 24 हाथ गहरा था। उस कुएं में पानी नहीं था। मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली उस कुएं में इसलिए ढेले फेंकती थी ताकि सांप क्रुद्ध होकर फुसकारे और बच्चे उसको फुसकार को सुन सके।

प्रश्न 3. ‘सांप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’ – यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

उत्तर: जैसे ही लेखक ने टोपी उतार कर कुएं में ढेला फेंका, उनके बड़े भाई द्वारा दी गई चिठियां भी गलती से कुएं में गिर गई, उन्हें कुएं में गिरता देख वह भौचक्का रह गया और डर के कारण उसका ध्यान उन चिट्ठियों को बचाने में लग गया। इसलिए वह यह देखना भूल गया कि सांप को ढेला लगा या नहीं और वह फुसकारा मारी या नहीं।

प्रश्न 4. किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएं से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तर: क्योंकि लेखक ने पहले भी कई सांप मारे थे और सांपों को मारना वह अपने बाएं हाथ का खेल समझता था और उसे झूठ बोलना नहीं आता था। अगर उसके बड़े भाई को यह पता चल जाता, कि लेखक ने चिट्ठियों को कुएं में गिरा दिया है, तो उसकी बहुत पिटाई होती। इसी भय के कारण उसने चिट्ठियों को कुएं से निकालने का निर्णय लिया।

प्रश्न 5. सांप का ध्यान बांटने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियां अपनाई?

उत्तर: सांप का ध्यान बांटने के लिए लेखक ने अपने हाथ का प्रहार करने की बजाय उसकी तरफ डंडा बढ़ा दिया, सांप ने सारा विश्व डंडे पर डंक मार कर उगल दिया। और जब सांप डंडे पर लिपट गया तो लेखक ने कुएं की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर उसकी दाएं और फेंकी, जिससे वह उस मिट्टी पर झपटा और उसकी बाईं ओर से लेखक ने बड़ी ही चालाकी से डंडा खींच लिया।

प्रश्न 6. कुएं में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधि साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: लेखक आप एक साहसी व्यक्ति है, क्योंकि चिट्ठियों के कुएं के अंदर गिर जाने पर लेखक ने रोना-धोना छोड़ कर कुएं के अंदर जाने का साहसी निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की पांचों धोतियों को लिया और उन्हें आपस में बांधकर कुएं में उतर गया। कुएं की धरती से 5 गज की दूरी पर लटककर सांप के पास से चिट्ठियों को निकालने लगा। और जब सामने लाठी पर डंक मारा तब भी उसने हौसला नहीं खोया और बड़ी ही चालाकी से कुएं की दीवार की मिट्टी फेंक कर सांप का ध्यान उस मिट्टी की तरफ कर दिया और उसकी दूसरी तरफ से सारी चिट्ठिया निकाल दी। और बाद में 36 फीट ऊंची कुएं की दीवारों पर जैसे तैसे हाथ के बल चढ़कर कुएं से बाहर निकला।

प्रश्न 7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर: बालक प्रायः शरारती प्रवृत्ति के होते हैं जैसा कि इस कहानी में लेखक को भी दर्शाया गया है की वह कुएं में गिरे उसका काले सांप को मिट्टी के ढेले फेंककर व्यर्थ में ही परेशान करते थे और उसकी फुफकार सुनकर प्रसन्न होते थे। और बालकों को स्वच्छंद वातावरण में घूमना भी बहुत पसंद होता है और फल खाना जैसा कि इस कहानी में लेखक को भी बेर खाते हुए दर्शाया गया है।

प्रश्न 8. मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएं कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती है– का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मनुष्य किसी कठिन काम को करने के लिए अपनी बुद्धि से योजनाएँ तो बहुत बनाता है, किंतु समस्याओं का वास्तविक सामना होते ही ये योजनाएँ धरी की धरी रह जाती हैं। तब उसे यथार्थ स्थिति को देखकर काम करना पड़ता है। इस पाठ में लेखक ने सोचा था कि कुएँ में उतरकर वह डंडे से साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ उठा लेगा, परंतु नीचे कुएँ में उतर कर उसके कम व्यास के बारे में उसे पता लगा कि यहाँ तो डंडा चलाया ही नहीं जा सकता है। उसने जब साँप को फन फैलाए अपनी प्रतीक्षा करते पाया तो साँप को मारने की योजना उसे एकदम मिथ्या और उलटी लगने लगी।

प्रश्न 9. ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जैसा कि इस कहानी में लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए उसमें उतरने का दृढ़ निश्चय कर लिया। उसे लगा होगा कि कुएँ में उतरने तथा साँप से लड़ने का फल क्या होगा, यह सोचना उसका काम नहीं है। परिणाम तो प्रभु-इच्छा पर निर्भर है। इसलिए वह फल की चिंता छोड़कर कुएँ में उतर गया।

विषयसूची

  • 1 कुएँ में क्या गिरा था जिसे उठाने के लिए लेखक को कुएँ में उतरना पड़ा?
  • 2 लेखक कुएं में से क्या निकलना चाहता था?
  • 3 कुएँ में साँप से हुई मुठभेड़ से लेखक के विषय में क्या पता चलता है?
  • 4 5 साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या युक्तियाँ अपनाई?
  • 5 लेखक ने कुएँ में जाने के लिए रस्सी के साथ साथ कितनी धोतियों का प्रयोग किया?
  • 6 गाँव से चार फलांग की दूरी पर कच्चे कुएँ के पास पहुँचकर लेखक के साथ क्या घटना घटी स्मृति पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
  • 7 कुएँ से चिट्ठी निकलने की घटना सुनकर लेखक की माँ की क्या प्रतिक्रिया थी?

कुएँ में क्या गिरा था जिसे उठाने के लिए लेखक को कुएँ में उतरना पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंभाई द्वारा दी गई चिट्ठियाँ लेखक से कुएँ में गिर गई थी और उन्हें उठाना भी ज़रुरी था। लेकिन कुएँ में साँप था, जिसके काटने का डर था। परन्तु लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की धोतियाँ कुछ रस्सी मिलाकर बाँधी और धोती की सहायता से वह कुएँ में उतरा।

बच्चे कुएं में ढेला क्यों फेंकते थे?

इसे सुनेंरोकेंबच्चे स्वभाव से नटखट होते हैं। मक्खनपुर पढ़ने जाने के रास्ते में एक सूखा कुआँ था। उसमें एक साँप गिर गया था। अपने नटखट स्वभाव के कारण साँप को तंग करने और उसकी फुसकार सुनने के लिए बच्चे कुएँ में ढेले फेंका करते थे।

लेखक कुएं में से क्या निकलना चाहता था?

इसे सुनेंरोकेंलेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था और वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया।

लेखक मक्खनपुर देर से क्यों पहुँचा?

इसे सुनेंरोकेंसन् 1908 ई० में दिसंबर या जनवरी के महीने में शाम के साढ़े तीन या चार बजे जब लेखक अपने छोटे भाई के साथ झरबेरी से बेर तोड़कर खा रहा था, उन्हें (लेखक को) उनके बड़े भाई ने बुलवाया। लेखक पिटाई के भय से डर गया, परंतु भाई साहब ने लेखक को मक्खनपुर डाकखाने में पत्र डालने के लिए दिए जो बहुत आवश्यक थे।

कुएँ में साँप से हुई मुठभेड़ से लेखक के विषय में क्या पता चलता है?

इसे सुनेंरोकेंउन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप रहता है। लेखक ढेला फेंककर साँप से फुसकार करवा लेना बड़ा काम समझता था। बच्चों में ढेला फेंककर फुसकार सुनने की प्रवृत्ति जाग्रत हो गई थी। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज तथा उससे सुनने के बाद अपनी बोली सुनने की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

लेखक की मां ने चने उसकी धोती में क्यों बांधे थे *?

इसे सुनेंरोकेंलेखक ने धोतियों में गाँठ बाँध कर रस्सी बनाकर कुएँ में उतरने की योजना बना ली। लेखक को स्वयं पर भरोसा था कि वह नीचे जाते ही डंडे से दबाकर साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ लेकर ऊपर आ जाएगा क्योंकि वह पहले भी कई साँप मार चुका था।

5 साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या क्या युक्तियाँ अपनाई?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाई। पहले उसने थोड़ी मिट्टी लेकर साँप की ओर फेंक दिया। उसके बाद उसने डंडे से साँप का ध्यान बँटाया। इससे लेखक को कुछ सफलता जरूर मिली।

कुएँ में पहुँचकर लेखक की अक्ल क्यों चकरा गई थी?

इसे सुनेंरोकेंकुएँ में पहुँचकर लेखक की अक्ल क्यों चकरा गई थी? Aक्योंकि वहाँ की परिस्थितियाँ सही नहीं थी।

लेखक ने कुएँ में जाने के लिए रस्सी के साथ साथ कितनी धोतियों का प्रयोग किया?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने पाँचों धोतियाँ मिलाकर कसकर गाँठ बाँध कर रस्सी बनाई। धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा, तो दूसरा सिरा चरस के डेंग पर कसकर बाँध दिया और उसके चारों ओर चक्कर लगाकर एक और गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। लेखक धोती के सहारे कुएँ के बीचों-बीच उतरने लगा।

कुएँ से चिट्ठी निकालने की घटना लेखक ने अपनी माँ को कब बताई?

इसे सुनेंरोकेंऊपर आकर वह थोड़ी देर पड़ा रहा तथा किशनपुर के जिस लड़के ने उसे ऊपर चढ़ते देखा था उसे कहा कि इस घटना के बारे में किसी से न कहे। सन 1915 में मैट्रीक्युलेशन उत्तीर्ण करने के बाद लेखक ने यह घटना अपनी माँ को बताई और माँ ने लेखक को अपनी गोद में छुपा लिया।

गाँव से चार फलांग की दूरी पर कच्चे कुएँ के पास पहुँचकर लेखक के साथ क्या घटना घटी स्मृति पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंलेखक जानता था कि जिस कुएँ में उससे चिट्ठियाँ गिर गई हैं, उसमें जहरीला साँप रहता था। उसके पास से चिट्ठियाँ उठाना अत्यंत जोखिम भरा था। वह चिट्ठियों के बारे में घर आकर झूठ-भी बोल सकता था, पर उसने झूठ बोलने के बजाय कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का जोखिम भरा कार्य किया।

बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में क्या फेंका करती थी?

कुएँ से चिट्ठी निकलने की घटना सुनकर लेखक की माँ की क्या प्रतिक्रिया थी?

इसे सुनेंरोकेंकुएँ वाली घटना सुनकर लेखक की माँ भयभीत हो गई। ममता के कारण उसकी आँखें आँसुओं से भर गई। उसने लेखक को अपनी गोद में बिठाकर अपने से सटा लिया। ऐसा करके वह अपने बेटे तथा स्वयं की सुरक्षा को अनुभव करना चाहती थी।

इसे सुनेंरोकेंभाई द्वारा दी गई चिट्ठियाँ लेखक से कुएँ में गिर गई थी और उन्हें उठाना भी ज़रुरी था। लेकिन कुएँ में साँप था, जिसके काटने का डर था। परन्तु लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया।

लेखक ने कुएं से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय क्यों लिया?

लेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था और वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया

लेखक ने कुएँ में गिरी चिट्ठियों को कैसे निकाला स्मृति पाठ के आधार पर स्पष्ट करें?

साँप का आसन बदला तो उसने चिट्ठियाँ भी उठा लीं और उन्हें धोतियों में बाँध दिया। इस प्रकार लेखक ने अपनी बुद्धि का पूरा सदुपयोग करके तथा युक्तियों का सहारा लेकर कुएँ में गिरी हुई चिट्ठियों को निकाला। यह उसकी साहसिकता का स्पष्ट परिचय देता है। कुएँ में चिट्ठियाँ गिर जाने पर दोनों भाई सहम गए और डरकर रोने लगे।

कुएँ से चिट्ठियाँ हासिल करने के बाद लेखक ने कितनी ऊँची चढ़ाई चढ़ी *?

लेखक ने कुएं के बगल से थोड़ी सी मिट्टी मुट्ठी में लेकर सांप के दाई और फेंकी। सांप तुरंत उस मिट्टी पर झपटा और लेखक ने तेज़ी से डंडा उठा लिया। इसके बाद वह डंडा लेकर ३६ फुट ऊपर चढ़कर कुएं के बाहर सही सलामत पहुंच गया।

लेखक को इस बात का एहसास कब हुआ कि कुएं से चिट्ठियाॅं लेना आसान नहीं होगा?

उत्तर:- यह घटना १९०८ में घटी थी और लेखक ने इसे अपनी माँ को १९१५ में सात साल बाद बताया था। उन्होंने इसे लिखा तो और भी बाद में होगा। अतः उन्हें पूरी घटना का स्मरण नहींलेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब टोपी में रखी चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गई।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग