जयपुर में कौन सा त्यौहार मनाया जाता है? - jayapur mein kaun sa tyauhaar manaaya jaata hai?

Jaipur Famous Festival: गुलाबी शहर के रूप में लोकप्रिय जयपुर अपने जीवंत संस्कृति, विरासत महलों और किलों के लिए जानी जाती है. यहां पर लोग रोमांचक और आकर्षक मेलों के साथ-साथ साल भर के विभिन्न त्योहारों का आनंद उठाते हैं. राजस्थान के हर क्षेत्र में आपको लोक मनोरंजन, गीत, परंपराएं दिखेगी जो वास्तविक भारतीय विविधता को दर्शाता है. शहर के इन त्योहारों की जड़ें जयपुर की पुरानी परंपराओं और संस्कृति में हैं. यहां पर त्यौहार रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है. अगर आप राजस्थान में एक मनोरंजक छुट्टी की योजना बना रहें हैं तो आप जयपुर के इन रंग बिरंगे त्योहारों का आनंद उठा सकते हैं

तीज महोत्सव

तीज महोत्सव जयपुर का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है. तीज में महिलाएं और लड़कियां पारंपरिक पोशाक और गहने पहनती हैं और और अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी (मेंहदी) से डिजाइन बनाती हैं. यह त्योहार हिंदू भगवान और देवी शिव और पार्वती को समर्पित है. आमतौर पर महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं. विवाहित महिलाएं अपने पति के लिए प्रार्थना करती हैं जबकि लड़कियां अपने होने वाले पति के लिए प्रार्थना करती हैं. महिलाएं और लड़कियां लोक नृत्य करती हैं, पारंपरिक तीज गीत गाती हैं और झूले का आनंद लेती हैं. यह त्योहार जुलाई-अगस्त के महीने में मानसून के दौरान मनाया जाता है.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल

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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल एक वार्षिक उत्सव है. यह उत्सव 2006 से हर साल जनवरी के महीने में जयपुर में होता है. अब यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र का सबसे बड़ा साहित्यिक उत्सव बन गया है. इस उत्सव में भारत और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से हजारों लोग शामिल होते हैं. यह नए लेखकों के लिए पढ़ने और लिखने के सत्रों में शामिल होने का एक बेहतरीन मंच है. इन सबके अलावा, इस उत्सव में शाम के समय हस्तशिल्प, स्थानीय भोजन और विभिन्न संगीत नृत्य कार्यक्रमों के स्टाल लगते हैं. 

गणगौर उत्सव

गणगौर गुलाबी शहर जयपुर का सबसे रंगीन त्योहार है. इस त्योहार को राजस्थान में और गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस शुभ अवसर के दौरान, महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती या गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती हैं.विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं और अविवाहित लड़कियां सुंदर और बुद्धिमान जीवन साथी के लिए पूजा करती हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार मार्च और अप्रैल के महीनों के बीच चैत्र के हिंदू महीने में मनाया जाता है.गणगौर पूरे राजस्थान में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है और विशेष रूप से शहरी यात्रियों को यह कार्यक्रम अवश्य देखना चाहिए

जयपुर ज्वैलरी शो

जयपुर ज्वैलरी शो एक वार्षिक ज्वेलरी एंड जेम्स ट्रेड शो है. यह उत्तरी भारत का सबसे बड़ा ज्वैलरी इवेंट है और भारत में दूसरा सबसे बड़ा शो है. यह वार्षिक शो दिसंबर में आयोजित किया जाता है. प्रदर्शनी हर साल एक थीम पर आधारित होती है. इसका नवीनतम थीम "रूबी-रेड, रॉयल, रेयर" था. दुनिया भर से हर साल लगभग 30,000 यात्री इसे देखने आते हैं.

हाथी महोत्सव 

हाथी महोत्सव एक वार्षिक उत्सव है जो हर साल गुलाबी शहर, जयपुर में आयोजित किया जाता है.  यह अनुपम पर्व  फाल्गुन पूर्णिमा की पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है जो फरवरी और मार्च के महीने में आता है. यह रंगों के त्योहार यानी होली से एक दिन पहले मनाया जाता है.इस आयोजन के लिए, कई हाथियों को रंगीन मखमली और कालीनों के साथ अच्छी तरह से तैयार किया जाता है.  प्राचीन काल से ही हाथी भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है. यह त्योहार हाथी के सिर वाले भगवान, भगवान गणेश को समर्पित होता है. हाथियों को भारी चांदी के गहनों जैसे झूलों और पायल से सजाया जाता है. यह उत्सव जयपुर के पोलो ग्राउंड में मनाया जाता है जो सवाई मान सिंह स्टेडियम के सामने है.

पतंग उत्सव

पतंग उत्सव को हर साल मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी को  मनाया जाता है. यह राजस्थान का सबसे सुंदर और रंगीन त्योहार है. इस उत्सव के दौरान पूरे भारत से पतंग प्रेमी जयपुर आते हैं. पूरा आकाश सुंदर, बड़ी और छोटी रंगीन पतंगों से सुशोभित दिकता है.  जयपुर में इस त्योहार के दिन राजकीय अवकाश घोषित किया जाता है. जयपुर के साथ-साथ राज्य भर में विभिन्न पतंग प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध राज्य सरकार द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव है जो तीन दिनों तक चलता है. इस आयोजन में दुनिया भर से कई प्रतियोगी भाग लेते हैं.

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नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आप राजस्थान के प्रमुख त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें साथ ही PDF notes free download करे

Rajasthan ke Pramukh Festival | राजस्थान के प्रमुख त्यौहार

राजस्थान में हर महीने में कोई ना कोई त्यौहार जरूर होता है यहां हर महीने के प्रमुख त्यौहार दिए गए है

चैत्र

धुलंडी ( चैत्र कृष्ण प्रतिपदा )

  • चैत्र माह की कृष्ण प्रतिपदा को होली के दूसरे दिन धुलंडी मनायी जाती है । 
  • इस दिन होली की अवशिष्ट राख की वंदना की जाती है व रंग व गुलाल आदि से सभी होली खेलते है 

भिनाय की होली 

  • यह भीलवाडा व अजमेर के बीच मनाई जाती है । 
  • इसमें दो दल एक दूसरे को कोडा मारते है । 

ब्यावर की होली 

  • मोची जाति के देवर-भाभी के बीच खेली जाती है ।
  •  इसमें देवर रंग लगाता है तथा भाभी कोडा मारती है ।  

श्री महावीर जी की लट्ठमार होली

  • इसमें पुरुष महिलाओं के साथ खेलते है । महिलाएँ लट्ठ मारती है । 

बाडमेर की होली 

  • यह पत्थर-मार होली के रूप में प्रसिद्ध है । इस अवसर पर ' इलोजी ' की सवारी निकाली जाती है ।

मेवाड़ की होली 

  • यहाँ पर आदिवासियों के द्वारा भगोरिया होली खेली जाती है ।
  • इस दिन कोटा के आवां का न्हान तथा शेखावाटी का गीदड नृत्य प्रसिद्व है ।

शीतलाष्टमी ( चैत्र कृष्ण अष्टमी ) 

  • शीतला अष्टमी को ठण्डा भोजन खाया जाता है, जिसे 'बासिड़ा' कहा जाता है । 
  • इसी दिन शीतला माता की पूजा भी की जाती है । 
  • इसे (चेचक) के प्रकोप को दूर करने वाली देवी माना जाता है । 
  • शीतलामाता का मंदिर चाकसू-जयपुर में है ।

घुड़ला ( चैत्र कृष्ण अष्टमी )

  • यह जोधपुर के राव सातलदेव की याद में मनाया जाता है ।

चैत्र शुक्ल एकम 

  • हिन्दुओं का नव वर्ष इस दिन से शुरू होता है । नवरात्रों का प्रारम्भ इसी दिन होता है ।

सिंजारा ( चैत्र शुक्ल द्वितीया ) 

  • यह त्यौहार पुत्री और पुत्रवधू के प्रति प्रेम का प्रतीक है । 
  • गणगौर व छोटी तीज के एक दिन पूर्व सिंजारा निकाला जाता है ।

गणगौर ( चैत्र शुक्ल तृतीया ) 

  • यह गण (शिव) , गौर (पार्वती) के अखण्ड प्रेम का प्रतीक है ।
  • इस दिन कुंवारी कन्याएँ मन पसन्द 'वर' प्राप्ति की कामना करती है ।
  • इस दिन गणगौर की सवारी निकाली जाती है तथा जयपुर उदयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है ।
  • गणगौर का त्यौहार 16 दिनो तक चलता है ।
  • राज्य में सर्वाधिक गीत गणगौर के अवसर पर गाये जाते है ।
  • धींगा गवर जोधपुर की प्रसिद्ध है ।
  • नाथद्वारा (राजसमंद) की गुलाबी गणगौर (चैत्र शुक्ल पंचमी) प्रसिद्ध है ।
  • रामनवमी ( चैत्र शुक्ल नवमी) इस दिन भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है ।

बैशाख

आखा तीज या अक्षय तृतीया ( बैशाख शुक्ल तृतीया )

  • राज्य में कृषक वर्ग में सात अन्नों तथा हल का पूजन करके शीघ्र वर्षा कामना के साथ यह त्यौहार मनाया जाता है । 
  • शास्त्रों के अनुसार इस दिन सतयुग, त्रेतायुग का आरम्भ माना जाता है । 
  • सम्पूर्ण वर्ष में यह एक बडा अबूझ सावा है । 
  • इस दिन राज्य में हजारों विवाह विशेषत: बाल विवाह होते है ।

बैशाख पूर्णिमा 

  • महात्मा बुद्ध का जन्म उन्हें ज्ञान की प्राप्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति इसी दिन हुई ।

ज्येष्ठ

ज्येष्ठ माह के त्योहार

वट सावित्री व्रत या बड़मावस ( ज्येष्ठ अमावस्या ) 

  • इस व्रत से स्त्री को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
  • इस दिन स्त्रियाँ  बड/बरगद की पूजा करती है । 

निर्जला एकादशी ( ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी )

  • इस एकादशी को व्रत रखने से वर्ष की शेष सभी एकादशियो के व्रत का फल मिल जाता है ।
  • इस दिन बिना जल के व्रत किया जाता है ।

पीपल पूर्णिमा ( ज्येष्ठ पूर्णिमा ) 

  • यह ज्येष्ठ पूर्णिमा को मनाई जाती है । 
  • इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है 

आषाढ

आषाढ़ माह के त्योहार

योगिनी एकादशी  (आषाढ कृष्ण एकादशी )

  • इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है

देवश्यनी एकादशी ( आषाढ कृष्ण एकादशी )

  • इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए सो जाते हैं । 
  • इस दिन से चार माह तक कोई भी मांगलिक कार्य सम्पन्न नहीं किये जाते हैं ।

गुरु पूर्णिमा  (आषाढ पूर्णिमा)

  •  इस दिन गुरू का पूजन होता है । 
  • इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।

 श्रावण

सावन माह के त्योहार

नाग पंचमी ( श्रावण कृष्ण पंचमी ) 

  • इस दिन नाग की पूजा की जाती है ।
  • इस दिन घर के दरवाजे के दोनों और गोबर से नाग का चित्र अंकित किया जाता है ।
  • कहीं-कहीं यह त्यौहार श्रावण शुक्ला पंचमी को भी मनाया जाता है ।
  • जोधपुर में नागपंचमी का मेला लगता है ।

कामिका एकादशी व्रत ( श्रावण कृष्ण एकादशी )

  • कामिका एकादशी व्रत निम्बार्को का रोहिणी व्रत है । 
  • कामिका व्रत को वैष्णव का व्रत भी कहा जाता है
  • इस व्रत मे भगवान विष्णु की पूजा की जाती है ।

हरियाली अमावस्या ( श्रावण अमावस्या ) 

  • इस दिन खीर और मालपुए भोजन में बनाते है ।
  • अजमेर के मांगलियावास गाँव में हरियाली अमावस्या को वृक्ष मेला लगता है ।
  • श्रावणी अमावस्या को बुड्डा जोहड़ मेला तथा डिग्गीपुरी का राजा मेला लगता है ।

श्रावणी सोमवार 

  • श्रावण के सभी सोमवार को लडकियाँ भगवान शिव की पूजा करके खाना खाती है ।

छोटी तीज ( श्रावण शुक्ल तृतीया ) 

  • तीज के साथ ही त्यौहार का आगमन माना जाता है जो गणगौर के साथ समाप्त होता है । 
  • इस दिन झूलाझूलने की परम्परा है । 
  • तीज के दिन जयपुर में तीज माता की सवारी निकाली जाती है ।
  • छोटो तीज के लिए कहाँ गया है तीज त्यौहारा बावडी, ले डूबी गणगौर
  • श्रावण तीज त्यौहार का वर्णन सुंधा अभिलेख से मिलता है

रक्षा बन्धन  (श्रावण पूर्णिमा ) 

  • यह मुख्यत ब्राह्मणों का त्यौहार माना जाता है ।
  • रक्षा बन्थन को नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है ।
  • प्राचीन काल में इस दिन बच्चों की पढाई प्रारम्भ की जाती थी । 
  • अत: श्रावणी का दिन विद्या आरम्भ का प्रथम दिन माना जाता है।
  • इस दिन घर के प्रमुख द्वार के दोनों ओर श्रवण कुमार के चित्र बनाकर पूजन करते है ।
  • इसे नारियल पूर्णिमा या सत्य पूर्णिमा भी कहा जाता है ।
  • रक्षा बंधन के दिन भारत के प्रसिद्व तीर्थ अमरनाथ में बर्फ का शिवलिंग बनता है ।

भाद्र

राजस्थान के प्रमुख त्यौहार

बडी तीज/सातुडी तीज/कजली तीज/बूढी तीज ( भाद्र कृष्ण तृतीया) 

  • इस दिन व्रत रखकर गायों का पूजन करते है । 
  • सात गायों के लिए आटे की सात रोटी बनाकर उन्हें खिलाकर ही भोजन ग्रहण किया जाता है ।
  • कजली तीज मेला बूंदी में लगता है ।
  • बडी तीज को नीम की पूजा की जाती है ।

कृष्ण जन्माष्टमी ( भाद्र कृष्ण अष्टमी )

  • इसे कृष्ण जन्मोत्सव के रूप मे मनाया जाता है ।
  • नाथद्वारा (राजसमद) में जन्माष्टमी का मेला लगता है ।
  • भाद्र कृष्ण अष्टमी के दिन जाम्भोजी का जन्म हुआ तथा इसी दिन नरहड़ के पीर का उर्स लगता है ।

गोगा नवमी ( भाद्र कृष्ण नवमी ) 

  • इस दिन गोगा जी तथा मांगलिया मेहाजी की पूजा की जाती है। 
  • इस दिन हनुमानगढ़ जिले में गोगामेडी नामक स्थान पर मेला भरता है ।

हरतालिका तीज ( भाद्र शुक्ल तृतीया )

  • इस पर्व को गौरी शंकर का पूजन करके मनाया जाता है । 
  • इस व्रत को सभी स्त्रियाँ कर सकती है । पूरे दिन निराहार रहकर सायंकाल स्नानादि के पश्चात् पार्वती व शिव की पूजा की जाती है ।
  •  तेरह प्रकार के व्यंजन बनाकर कल्पे जाते हैं ।

शिवा चतुर्थी ( भाद्र शुक्ल चतुर्थी ) 

  • इस दिन स्त्रियाँ उपवास करती हैं तथा अपने सास-ससुर को घी गुड़, लवण आदि से बना भोजन कराती हैं ।

गणेश चतुर्थी ( भाद्र शुक्ल चतुर्थी) 

  • इस पर्व को गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाते है ।
  • महाराष्ट्र में यह पर्व विशिष्ट रूप से मनाया जाता है ।
  • गणेश चतुर्थी को चतरा/चतडा चौथ भी कहते हैं ।
  • शेखावाटी में इस दिन लड़कों के सिंजारे आते है ।
  • इस दिन रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) का मेला प्रसिद्ध है 
  • चतड़ा/चतरा चौथ, गणेश चतुर्थी के दिन नव विवाहित युवकों को सिंजारा भेजा जाता है ।

ऋषि पंचमी ( भाद्र शुक्ल पंचमी ) 

  • इस दिन गंगा स्नान का विशेष महात्म्य है यह व्रत जाने-अनजाने हुए पापों के प्रक्षालन हेतु किया जाता है 
  • गणेशजी का कलश, नवग्रह तथा सप्तऋषि व अरुंधति की पूजा करके कथा सुनी जाती है ।
  • माहेश्वरी समाज में राखी इसी दिन मनाई जाती है  

राधाष्टमी ( भाद्र शुक्ल अष्टमी ) 

  • यह राधा जी के जन्म के रूप में मनाया जाता है । 
  • इस दिन अजमेर की निम्बार्क पीठ सलेमाबाद में मेला भरता है । 

विश्व कर्मा जयन्ती (भाद्रपद शुक्ल दशमी)

  • इस दिन यंत्र और औजारों की पूजा की जाती है ।
  • इस दिन तेजा दशमी का त्यौहार भी मनाया जाता है । 

रामदेव जयन्ती (भाद्रपद शुक्ल दशमी) 

  • बाबा रामदेव का जन्मोत्सव रामदेवरा रूणेचा (जैसलमेर) में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है । 

जलझूलनी/देवझूलनी (भाद्र शुक्ल एकादशी)

  • इस दिन देवों की मूर्तियों को पालकियों तथा विमानों में गाजे-बाजे के साथ लेकर जलाशय के पास जाते है तथा स्नान करवाया जाता है ।
  • जलझूलनी को ढोला ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है 

श्राद्धपक्ष (भाद्र पूर्णिमा)

  • इस दिन से सर्पपितृ श्राद्ध पक्ष प्रारभ हो जाता है तथा आश्विन अमावस्या तक चलता है । 
  • इस अवधि मे श्राद्ध किया जाता है । 
  • बुजुर्गों की मृत्यु तिथि के दिन श्रद्धापूर्वक तर्पण और ब्रह्मण को भोजन कराना ही श्राद्ध है । इस संस्कार को कनागत कहते है ।

साँझी

  • इस त्यौहार में 15 दिन (भाद्र पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या) तक कुँवारी कन्याएँ भांति-भांति की सांझियाँ बनाती है व पूजा करती हैं ।

सतिया अमावस्या (भाद्रपद अमावस्या) 

  • भाद्रपद की अमावस्या को सतियां अमावस के नाम से जाना जाता है ।

बछबारस (भाद्र कृष्ण द्वादशी) 

  • भाद्र कृष्ण द्वादशी के दिन पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की मंगलकामना के लिए व्रत करती है । इस दिन गाय व बछडों की सेवा की जाती है ।

आश्विन

दुर्गाष्टमी (आश्विन शुक्ल अष्टमी) 

  • सम्पूर्ण भारत में विशेषत: पश्चिम बंगाल में उल्लासपूर्वक मनाई जाती है ।
  • नवरात्रा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रा मनाये जाते है । 
  • इस अवसर पर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है तथा नौ कुंवारी कन्याओँ को भोजन करवाया जाता है । 
  • इस अवसर पर जयपुर में शीलादेवी के मंदिर में पूरे नौ दिन तक मेला लगता है । 
  • राजपूत लोग इस अवसर पर अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं । 
  • इसे शरदीय नवरात्रा के नाम से भी जाना जाता है ।

दशहरा (आश्विन शुक्ल दशमी) 

  • इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर विजय पाईं, इसलिए इसे विजयादशमी कहते है ।
  • राजस्थान में कोटा तथा भारत में मैसूर शहर में दशहरे के दिन सबसे बडा मेला लगता है । 
  • दशहरे के दिन शमी वृक्ष (खेजडी) की पूजा की जाती है तथा लीलटास पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है ।
  • एक पुरानी परम्परा के अनुसार राजस्थान दो शासक इसी दिन शिकार का बहाना बनाकर पडोसियों के विरुद्ध अभियान शुरू करते थे ।
  • मुगल सम्राटों में जहांगीर दशहरा देखने का शौकीन था ।

शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा)

  • इसे रास पूर्णिमा भी कहते है
  • ज्योतिषियों के अनुसार सम्पूर्ण वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा षोडश कलाओं से परिपूर्ण होता है । रात्रि को खीर बनाकर पूरी रात चांदनी रात में रखकर सुबह खाईं जाती है ।

कार्तिक

करवा चौथ (कार्तिक कृष्ण चतुर्थी )

  • यह त्यौहार स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय त्यौहार है । 
  • इस दिन स्त्रियां सुहाग की लंबी आयु के लिए व्रत करती है ।

अहोई अष्टमी (कार्तिक कृष्ण अष्टमी ) 

  • इस दिन पुत्रवती स्त्रियां निर्जल व्रत करती है ।
  • इस दिन दीवार पर स्याऊ माता व उसके बच्चों के चित्र बनाये जाते है । 

तुलसी एकादशी ( कार्तिक कृष्ण एकादशी )

  • इस दिन तुलसी की पूजा की जाती है । 
  • तुलसी नामक पौधे की महिमा वैद्यक ग्रंथों के साथ-साथ धर्मशास्त्रों में भी वर्णित की गई है । 
  • तुलसी को विष्णु प्रिया भी माना जाता है । 

धन तेरस (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी) 

  • इस दिन धनवन्तरि वैद्य जी का पूजन किया जाता है । 
  • यमराज का भी पूजन किया जाता है । 
  • यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर दीपक रखा जाता है । 
  • इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है ।

रूप चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) 

  • इस पर्व का सम्बन्थ स्वच्छता व सौंदर्य से है ।
  • इस दिन को छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है । 

दीपावली (कार्तिक अमावस्या) 

  • यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है ।
  • यह दिन आर्य समाज के संस्थापक दयानन्द सरस्वती तथा भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है । 
  • इस दिन व्यापारी लोग अपने बहिखातों की पूजा करते है 

गोवर्धन पूजा व अन्नकूट (कार्तिक शुक्ल एकम्) 

  • इस दिन प्रभात के समय गौ के गोबर से गोवर्धन की पूजा की जाती है । 
  • इस दिन मन्दिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है ।
  • यह नाथद्वारा (राजसमन्द) का प्रसिद्ध महोत्सव है ।

भैया दूज (कार्तिक शुक्ल द्वितीया) 

  • इस दिन भाई बहन के घर जाकर भोजन करता है । 
  • इसे यम द्वितीय के रूप मे मनाया जाता है

गोपाष्टमी ( कार्तिक शुक्ल अष्टमी )

  • इस दिन गाय व बछड़े की पूजा की जाती है । 
  • इस दिन गायों को ग्रास देकर, उनकी परिक्रमा करके थोडी दूर तक उनके साथ जाने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।

आंवला नवमी/अक्षय नवमी (कार्तिक शुक्ल नवमी) 

  • इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है । 
  • इस व्रत को करने से व्रत, पूजन, तर्पण आदि का फल अक्षय हो जाता है, इसलिए इसे अक्षय नवमी कहते है ।

देव उठनी ग्यारस (कार्तिक शुक्ल एकादशी) 

  • इसे प्रबोधिनी एकादशी कहते है ।
  • इस दिन भगवान विष्णु चार माह तक निद्रावस्था में रहने के बाद जागते है ।
  • इस दिन से समस्त मांगलिक कार्यं प्रारम्भ होते है
  • इस दिन बिष्णु भगवान का तुलसी के पौधे से विवाह किया जाता है ।
  • इस दिन ईख की पूजा कर उसे पहले-पहले चूसा जाता है ।

 कार्तिक पूर्णिमा 

  • कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान और पुष्कर स्नान का विशेष महत्व है ।
  • कोलायत (बीकानेर) चन्द्रभागा (झालावाड़) पुष्कर (अजमेर) में इस दिन विशाल मेले का आयोजन होता है ।
  • इस दिन भगवान का मत्स्य अवतार हुआ था ।
  • इस दिन गुरूनानक जी का जन्म हुआ था ।
  • इसे त्रिपुर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है । 
  • इस दिन भगवान शंकर के द्वारा त्रिपुरासूर राक्षस का वध किया गया ।

मकर सक्रांति 

  • इस दिन सूर्य की पूजा कर दान-पुण्य किया जाता है तथा बहुएं रूठी हुई सास को मनाती है ।
  •  इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ 13 वस्तुएँ दान करती है ।
  • मकर सक्रांति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है 

पौष

गुरू गोविन्द सिंह जयन्ती (पौष शुक्ल सप्तमी) 

  • इस दिन गुरू गोबिन्द सिंह जी ने गुरू परम्परा को समाप्त कर अपने धर्म ग्रंथ 'गुरू ग्रंथ साहिब' को गुरू घोषित किया ।

माघ

तिलचौथ (माघ कृष्ण चतुर्थी) 

  • इसे सकट चौथ भी कहते है ।
  • गणेशजी व चौथ माता को तिलकुट का भोग लगता है ।
  • सवाई माधोपुर जिले में चौथ का बरवाड़ा नामक स्थान पर चौथ माता के विशाल मेले का आयोजन किया जाता है ।

षट्तिला एकादशी ( माघ कृष्णा एकादशी )

  • इसके अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु है । 
  • इस दिन काली गाय और काले तिलों के दान का विशेष महत्त्व होता है । 6 प्रकार के तिलों का प्रयोग होने से इसे षट्तिला एकादशी भी कहते है ।

मौनी अमावस्या (माघ अमावस्या) 

  • इस दिन मौन व्रत किया जाता है क्योंकि मौन व्रत धारण करने से आत्मबल में वृद्धि होती है । 
  • यह भगवान मनु का जन्मदिन हैं ।

बसंत पंचमी ( माघ शुक्ला पंचमी )

  • भगवान श्रीकृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता है इसलिए ब्रज प्रदेश में इस दिन राधा और कृष्ण की लीलाएँ रचाई जाती है

माघ स्नान (माघ पूर्णिमा )

  • इस दिन से माघ स्नान प्रारंभ होता है । 
  • माघ पूर्णिमा को डूंगरपुर के नवाटापुरा नामक स्थान पर वेणेश्वर मेला लगता है ।

फाल्गुन

महाशिवरात्री (फाल्गुन कृष्ण तैरस) 

  • यह त्यौहार भगवान शिव के जन्मोत्सव में मनाया जाता  है ।

ग्यारस आमलकी (फाल्गुन शुक्ल एकादशी) 

  • पुत्र होने पर पीहर पक्ष की ओर से वस्त्र आदि भेजे जाते है, जिसे ढूंढ कहते है । खाटूश्याथ जी का मेला प्रारंभ होता है ।

होलिका दहन

  • यह फाल्युन की पूर्णिमा को भगत प्रहलाद की स्मृति में मनाईं जाती है ।

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जयपुर का प्रमुख त्यौहार कौन सा है?

गणगौर राजस्थान व जयपुर के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार होली के पन्द्रह दिन बाद मनाया जाता है। गणगौर शब्द का अर्थ है गौरी व पार्वती यह त्यौहार पार्वती के गौने का प्रतीक है

Rajasthan का मुख्य त्योहार क्या है?

महावीरजी मेला: महावीरजी मेला राजस्थान में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। उत्सव मुख्य रूप से 24 वें जैन तीर्थंकर, श्री महावीर स्वामी के सम्मान में आयोजित किया जाता है। राजस्थान में बहुत से मेले और उत्सव आयोजित होते हैं। ये मेले और त्यौहार राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किए जाते हैं।

जयपुर में तीज कब मनाई जाती है?

कजली तीज - 2022 यह तीन श्रावण माह में न होकर, भाद्रपद (जुलाई अगस्त) माह के तीसरे दिन मनाई जाती है। इससे सुसज्जित पालकियों में तीज का उल्लासमय जुलूस, मनोरम नवल सागर से शुरू होकर, कुंभा स्टेडियम पर समाप्त होता है।

राजस्थान में छोटी तीज कब मनाई जाती है?

तीज का पर्व राजस्थान के लिए एक अलग ही उमंग लेकर आता है जब महीनों से तपती हुई मरुभूमि में रिमझिम करता सावन आता है तो निश्चित ही किसी उत्सव से कम नहीं होता। श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन श्रावणी तीज, हरियाली तीज मनाई जाती है... इसे मधुश्रवा तृतीया या छोटी तीज भी कहा जाता है।

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