खाने की नली में सूजन हो तो क्या करें? - khaane kee nalee mein soojan ho to kya karen?

★ गले से पेट तक जो प्रणालिका होती है उससे होकर भोजन तथा पानी पेट में जाता है। इस प्रणालिका को अंग्रेजी में गुलेट (Gullet) या इसोफेगस (Qesophagus या Esophagus) कहते हैं। जब इसमें सूजन होती है तो भोजन को निगलना कठिन हो जाता है तथा इस प्रणालिका में जलन होने लगती है।

★ यह एक प्रकार का पुराना रोग है। इस रोग से पीड़ित रोगी के भोजननली से लेकर मलद्वार तक पूरी अन्ननली में जलन होती है, जीभ और गले के कोषों में दर्द होता है, जीभ और मसूढ़ों में जख्म हो जाता है, यकृत की क्रिया गड़बड़ा जाती है। यह रोग पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों को अधिक होता है।

★ इस रोग से पीड़ित रोगी को दिन में लगभग 3 बजे बार-बार पानी की तरह पीले रंग का कीच के समान या फेन-भरे दस्त आते हैं, दस्त से खट्टी बदबू आती है।

★ रोगी के जीभ और मसूढ़ों पर घाव हो जाता है या अजीर्ण रोग भी हो जाता है। रोगी के यकृत का आकार धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। जीभ लाल हो जाती है तथा उस पर दर्द होता है, जीभ में स्वाद लेने की शक्ति खत्म हो जाती है या सूंघने की शक्ति नहीं रहती ।

★ कभी-कभी तो शरीर की गर्मी बढ़ जाती है। इसके बाद रोगी के शरीर में खून की कमी हो जाती है, बहुत अधिक पसीना आता है और रोगी सुस्त हो जाता है। कभी-कभी तो यह रोग कई वर्षो तक चलता रहता है।

मनुष्य के शरीर में स्थित आहार नली, मुंह से पेट तक भोजन ले जाने का काम करती है। जब यह नली कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसे इसोफेगल कैंसर कहते हैं। आज हम इस वीडियो में आहार नली कैंसर विशेषज्ञ डाॅ पारस खन्ना से बात करेंगे और इससे जुड़े कुछ सवालों के जवाबों के बारे में जानेंगे।

आहार नली का कैंसर क्या है? 

आहार नली एक ट्यूब है जो हमारे मुंह से होकर पेट तक जाती है। जब इसमें कैंसर पनपता है, तो वह इसके रास्ते को बंद कर देता है। जिससे मरीज को खाना खाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। खाने की मात्रा कम होने के कारण मरीज कमजोर होता चला जाता है, जिससे जाहिर तौर पर उसकी सेहत पर असर पडता है। 

आहार नली कैंसर के सबसे आम जोखिम कारक क्या हैं?

इस कैंसर के जोखिम कारकों में सबसे अहम है तंबाकू का सेवन। तंबाकू किसी भी तरह से लेना किसी भी जोखिम से कम नहीं है। इसके साथ ही गर्म तरल पदार्थों का सेवन, शरीर का मोटापा, ज्यादा मसाले वाला भोजन का सेवन, स्मोक्ड फूड का सेवन करना इस कैंसर के कुछ आम जोखिम कारक हैं। यदि हम लंबे समय तक ऐसी जीवनशैली को बनाए रखते हैं, तो आहार नली कैंसर होने की संभावना बढ जाती है। यह सभी जोखिम कारक एक साथ मिलकर इस कैंसर की संभावना को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। आमतौर पर ठंडे इलाके में लोग खाने की चीजों को तेज मसालों में मिलाकर रखते हैं, जिससे वह खराब न हो ऐसा करने ने उनमें एक तरह के फंगस लगने की आशंका होती है, जो हमारे लिए काफी परेशानी भरा हो सकता है।

आहार नली कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है?

जब किसी व्यक्ति को गले से खाना निगलने में परेशानी महसूस हो और यदि ऐसा 10 से 15 दिन तक लगातार रहे तो आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इसका पता लगाने के लिए आहार नली की एंडोस्कोपी से जांच की जाती है, जिसके बाद वहां से एक छोटा सा नमूना लेकर उस टुकडे की बायोप्सी की जाती है। जिससे पता चलता है कि आपको कैंसर है या नहीं। जिसके बाद कैंसर आहार नली से बाहर और जगहों पर तो नहीं फैल गया है, यह देखने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं के बाद इलाज शुरू किया जाता है। यदि किसी मरीज का शुरूआती स्टेज में ही कैंसर के बारे में पता चल जाए तो उसकी सर्जरी करके उसे ठीक किया जा सकता है। यदि मरीज का कैंसर दूसरी या तीसरी स्टेज में हो या फिर कैंसर दूसरी जगह पर फैल गया होता है। ऐसे में मरीज को सर्जरी से पहले रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी या फिर दोनों का संयोजन दिया जाता है। जिससे उस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है और सर्जरी करके ठीक किया जा सकता है। 

 

 

आहार नली के उपचार के संभावित दुष्प्रभाव क्या हैं? 

आहार नली के कई ऐसे मरीज होते हैं, जिनका इलाज दवा के माध्यम से किया जाता है। वहीं 10 से 15 प्रतिशत मरीजों का इलाज सर्जरी से किया जाता है। इन मरीजों में इलाज के बाद कुछ वक्त के लिए अल्सर बन जाते हैं। उपचार के बाद मरीज को छाती में जलन महसूस होती है, जिससे उसे खाना निगलने में परेशानी होती है। साथ ही खाना निगलने में दर्द महसूस होता है। हालांकि वक्त के साथ यह परेशानी कम होकर खत्म हो जाती है। सर्जरी के बाद मरीज एक वक्त पर बहुत सारा खाना नहीं खा सकता है। जिस कारण मरीज को थोड़े-थोड़े अंतराल के बीच में कम मात्रा में खाने का सेवन करना होता है। कीमोथेरेपी के बाद उल्टी की समस्या काफी होती है। 

अगर गले में खराश है, सांस लेने में सीटी की आवाज आ रही है, घरघराहट की आवाज आती है, सांस लेने में तकलीफ हो रही है, छाती में बेचैनी महसूस हो रही है, कफ जमा है, तेज खांसी आ रही है, स‍िर में दर्द, थकान, शरीर में दर्द जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो समझ जाइए क‍ि श्वास नली में सूजन है। समस्‍या बढ़ने से पहले इलाज करवाएं।

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श्वास नली में सूजन क्‍यों होती है? (Causes of swelling in windpipe)

वायरस या बैक्‍टीर‍िया के अटैक के कारण श्वास नली में सूजन की समस्‍या को दूर करने के ल‍िए आराम करें, धूल-म‍िट्टी से दूर रहें और तरल पदार्थ का सेवन करते रहें।

जब किसी भी व्यक्ति को खाने, पीने या किसी चीज को निगलने में परेशानी होती है तो इस स्थिति में खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। खाने की नली में होने वाला इन्फेक्शन बैक्टीरियल, वायरल और फंगल अटैक के कारण हो सकता है। खाने की नली में होने वाले इन्फेक्शन को इसोफेगाइटिस (Esophagitis) कहते हैं। अगर इस समस्या का समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो यह गंभीर रूप ले सकती है। आइये विस्तार से जानते हैं खाने की नली में होने वाले इन्फेक्शन के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में।

क्यों होती है खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या? (What Causes Infection In Food Pipe?)

खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या कई कारणों से हो सकती है। इसमें खानपान से जुड़े कारकों के अलावा शरीर की कुछ स्थितियों का भी योगदान होता है। एम्स अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ एम के अग्रवाल के मुताबिक आमतौर पर खाने की नली में एसोफेजियल स्फिंक्टर नामक एक वाल्व पेट की अम्लीय सामग्री को इस नली से बाहर रखने का काम करती है। कई बार कुछ वजहों से यह वाल्व ठीक से बंद नहीं हो पाता है जिसकी वजह से पेट की अम्लीय सामग्री वापस नली में आया जाती है और इसकी वजह से नली में सूजन के साथ-साथ इन्फेक्शन की समस्या भी हो सकती है। अलग-अलग कारणों से होने वाली खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या को अलग-अलग प्रकार में विभाजित किया गया है। इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।

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  • वाल्व के सही से बंद न होने के कारण।
  • खाने की एलर्जी की वजह से।
  • सांस में किसी तरह के दूषित कणों की वजह से।
  • दवाओं के सेवन से इन्फेक्शन की समस्या।
  • संगल इन्फेक्शन के कारण संक्रमण।
  • सोने से तुरंत पहले भोजन करने की वजह से।
  • अधिक शराब, कैफीन, चॉकलेट और पुदीने के स्वाद वाले खाद्य पदार्थ का सेवन।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन।
  • अत्यधिक फैट से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन।
  • खट्टे फलों का अधिक सेवन।

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खाने की नली में इन्फेक्शन के लक्षण (Food Pipe Infection Symptoms)

जैसे कि ऊपर हमने बताया कि खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या कई कारणों से हो सकती है। सामान्य रूप से बैक्टीरियल, फंगल और वायरल इन्फेक्शन की वजह से खाने की नली में संक्रमण होने पर भोजन करने में परेशानी, नली में सूजन आदि की समस्या होती है लेकिन जब यह समस्या अन्य कारणों से होती है तो इसके लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं। खाने की नली में इन्फेक्शन या इसोफेगाइटिस की समस्या में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।

  • भोजन निगलने में परेशानी।
  • भोजन करते समय दर्द।
  • सीने में दर्द (विशेष रूप से ब्रेस्टबोन) के पीछे।
  • भोजन का ग्रासनली में फंसना।
  • पेट में अत्यधिक जलन।
  • बच्चों को दूध पीने में समस्या।

खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या से बचाव और इलाज (Food Pipe Infection Treatment And Prevention Tips)

खाने की नली या ग्रासनली में इन्फेक्शन होने पर मरीज को ऊपर बताये गए लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों के आधार पर चिकित्सक इस समस्या में जांच कर दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही मरीजों को इस समस्या में इलाज के लिए कदम उठाने चाहिए। खाने की नली में इन्फेक्शन होने पर डॉक्टर इस बात की जांच कर सकते हैं कि मरीज की पहले से कोई और दवा तो नहीं चल रही है? दरअसल ऐसा इसलिए है कि कई बार कुछ दवाओं के सेवन से भी मरीजों में यह समस्या हो जाती है। इस समस्या से बचाव के लिए आपको इन्फेक्शन होने के कारणों का ध्यान रखना चाहिए। खानपान में सुधार और दवाओं का सेवन करते समय डॉक्टर द्वारा बताई गयी बातों को ध्यान में रखकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।

क्या खाने की नली में सूजन आ सकती है?

संजीव मिगलानी ने कहा कि जीईआरडी (खाने की नली में सूजन) बीमारी पश्चिमी देशों में 15 प्रतिशत तथा अकेले भारत में 7 प्रतिशत है। यह बीमारी खासकर उन लोगों में होती है जो सिगरेट, शराब का अधिक सेवन, मिर्च, चॉकलेट, खट्टे फल, चायनीज व जंक फूड का अधिक प्रयोग करते हैं।

श्वास नली की सूजन को कैसे कम करें?

यदि श्वास नली में सूजन की समस्या पुरानी है तो मिक्सर में प्याज को पीसकर इसका रस निकाल लें एवं मिश्री मिलाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में इसका सेवन करें और बुजुर्गों को यदि ये समस्या हो रही है तो रस का सेवन करने की बजाय प्याज को सब्जी के रूप में बनाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से श्वास नली की सूजन कम होने लगती है।

सांस की नली में सूजन क्यों आती है?

दरअसल वायरस, बैक्टीरिया या अन्य कणों के व‍िंड पाइप में जमने के कारण सांस लेने की नली में सूजन या जलन की समस्‍या होती है, मेड‍िकल भाषा में इसे ब्रोंकाइटिस के नाम से जाना जाता है। ज‍िन लोगों को श्वास नली में सूजन की समस्‍या होती है उन्‍हें सांस लेने में मुश्‍क‍िल होती है, गले में कफ जम जाता है।

खाने की नली की जांच कैसे होती है?

इसका पता लगाने के लिए आहार नली की एंडोस्कोपी से जांच की जाती है, जिसके बाद वहां से एक छोटा सा नमूना लेकर उस टुकडे की बायोप्सी की जाती है। जिससे पता चलता है कि आपको कैंसर है या नहीं। जिसके बाद कैंसर आहार नली से बाहर और जगहों पर तो नहीं फैल गया है, यह देखने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है।

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