हाइलाइट्स
मंदोदरी ने सीता हरण के बाद रावण से कहा था कि वह गलती कर रहा हैरावण की मृत्यु के बाद वह सती भी होना चाहती थीबाद में उसे क्यों महसूस हुआ कि देवर विभीषण से विवाह कर लेना चाहिएदशहरा खत्म हो चुका है. देश में जगह जगह रावण दहन हो गया है. युद्ध में रावण की मृत्यु के साथ ही जब राम की जीत होती है तो उस दिन ही हिंदू धर्म में जीत की इस खुशी दशहरा त्योहार के जरिए जाहिर किया जाता है. रावण के परिवार में दो लोग सीता के अपहरण और युद्ध के खिलाफ थे. वो थे भाई विभीषण औऱ पटरानी मंदोदरी. दोनों बिल्कुल युद्ध नहीं चाहते थे और लगातार रावण को सीता को सम्मानपूर्वक राम को लौटा देने के पक्ष में थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लड़ाई हुई. उसमें रावण मारा गया. इसके बाद राम ने लंका का राजपाट रावण के छोटे भाई विभीषण को सौंप दिया लेकिन क्या आपको मालूम है कि रावण की पटरानी मंदोदरी का क्या हुआ? आखिर क्यों उसने विभीषण से शादी का फैसला किया.
कौन थी मंदोदरी
पुराणों की एक कथा के मुताबिक मधुरा नाम की एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर भगवान
शिव की तलाश में पहुंची. तलाशते हुए जब वो भगवान शिव के पास पहुंची तो उसने वहां पार्वती को न देखकर शिव को रिझाने के प्रयास शुरू कर दिए. जब कुछ समय बाद वहां पार्वती पहुंचीं तो उन्होंने मधुरा के शरीर पर शिव की भस्म देखी और फिर वो क्रोधित हो गईं. पार्वती ने मधुरा को शाप दिया कि वो 12 साल तक मेंढक बनी रहेगी और कुंए में उसका वास होगा. मधुरा को अपनी गलती की कीमत चुकानी पड़ी और असह्य कष्ट का जीवन शुरू हो गया.
इस तरह मधुरा मंदोदरी बनी
जिस समय ये सारी घटनाएं घट रही थीं उसी समय कैलाश पर असुर राजा मायासुर अपनी पत्नी के साथ तपस्या कर रहे थे. दोनों एक बेटी की कामना के लिए तपस्या कर
रहे थे. 12 वर्षों तक दोनों तप करते रहे. इधर मधुरा के शाप का जब अंत हुआ तो वो कुंए में ही रोने लगी. सौभाग्य से असुरराज और उनकी पत्नी दोनों कुंए के नजदीक ही तपस्या में लीन थे. जब उन्होंने रोने की आवाज सुनी तो कुंए के पास गए. वहां उन्हें मधुरा दिखी जिसने पूरी कहानी सुनाई. असुरराज ने तपस्या छोड़कर मधुरा को ही अपनी बेटी मान लिया. मधुरा का नाम बदलकर मंदोदरी कर दिया गया.
महल का जीवन और रावण से मुलाकात
असुरराज के महल में मंदोदरी को राजकुमारी का जीवन मिला. वो अपनी नई जिंदगी में
बेहद खुश थीं. लेकिन इसी बीच उसकी जिंदगी में रावण की एंट्री हुई. मंदोदरी के पिता मायासुर से मिलने रावण पहुंचा. वहीं उसने मंदोदरी को देखा और मोहित हो गया. उसने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा.
मायासुर ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया तो क्रोधित रावण मंदोदरी का अपहरण कर लाया. दोनों राज्यों में युद्ध की स्थिति बन गई. लेकिन मंदोदरी जानती थी कि रावण उसके पिता से ज्यादा शक्तिशाली शासक है. इसलिए मंदोदरी ने रावण के साथ रहना स्वीकार किया.
सीता अपहरण का विरोध
मंदोदरी का चरित्र
रामायण में बेहद नैतिक दिखाया गया है. जब रावण ने सीता का अपहरण किया था तब मंदोदरी ने इसका विरोध किया. मंदोदरी बार-बार रावण को ये समझाने का प्रयास करती रही कि दूसरे की पत्नी का अपहरण अपराध है. लेकिन रावण नहीं माना. आखिरकार राम के साथ युद्ध में रावण की बुरी पराजय हुई. वह मारा गया और मंदोदरी विधवा हो गई.
विभीषण के साथ विवाह
रावण की मौत के बाद भगवान राम ने मंदोदरी को विभीषण
से शादी का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने समझाया कि विभीषण के साथ मंदोदरी की जिंदगी बेहतर रहेगी. लेकिन मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. कहा जाता है कि इसके बाद एक बार भगवान राम, सीता और हनुमान के साथ मंदोदरी को समझाने गए.
तब ज्योतिष की प्रकांड विद्वान मंदोदरी को महसूस हुआ कि धार्मिक और तार्किक तौर पर नैतिक तौर पर सही देवर विभीषण से विवाह करना गलत नहीं होगा. ये महसूस होने पर उसने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया. विभीषण से उसकी शादी हुई.
हालांकि रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी के बारे में वाल्मीकि की रामायण ज्यादा कुछ नहीं कहती लेकिन रामायण के दूसरे वर्जन में जरूर इस बारे में काफी कुछ कहा गया है.
विभीषण भी पहले शादी के लिए तैयार नहीं थे
रावण के मरने के बाद जब मंदोदरी विधवा हो जाती है तब भगवान राम विभीषण को सलाह देते हैं कि उसे अपनी भाभी से विवाह कर लेना चाहिए. ये परंपरा उन दिनों मान्य थी लेकिन विभीषण के पहले से कई रानियां थीं और वह इसके लिए तैयार नहीं थे. ये भी कहा जाता है कि अगर विभीषण ये शादी कर लेते तो उन्हें भाई की
जगह लंका पर शासन का नैतिक अधिकार भी हासिल हो जाता.
विवाह राजनीतिक और राजकाज से ज्यादा जुड़ा था
हालांकि ये भी कहा जाता है कि ये विवाह शारीरिक तौर पर पति पत्नी के तौर पर एक दूसरे के सांथ यौन संबंधों की बजाए विशुद्ध राजकाज से जुड़ा था. क्योंकि मंदोदरी भी चाहती थी कि उसके पति के निधन के बाद लंका में स्थायित्व और समृद्धि रहे. वह राम से शत्रुता की बजाए मित्रता चाहती थी. रावण की मृत्यु के लिए उसने राम को कभी जिम्मेदार भी नहीं ठहराया.
एक वजह ये भी बताई जाती है कि रावण के निधन के बाद मंदोदरी भी उसकी चिता के साथ सती होने जा रही थी लेकिन राम ने उसे रोक लिया, इसके बाद मंदोदरी के पास देवर से विवाह करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
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Tags: Lord rama, Ramayan, Ramayana, Ravana Dahan, Sita
FIRST PUBLISHED : October 06, 2022, 15:30 IST