मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
कवि ने दधीचि, कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है ।
इन लोगों ने अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यों में बिता दिया।
दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दीं, कर्ण ने अपने सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रंतिदेव ने अपना भोजन का थाल ही दे डाला, राजा उशीनर
ने कबूतर के लिए अपना माँस दे दिया।
इस तरह इन महापुरुषों ने मानव कल्याण के लिए जीवन दे दिया।
संसार में अत्मीयता और भाईचारा का संचार करना ही सच्ची मनुष्यता है।
दधीचि कर्ण और रंतिदेव के उदाहरण द्वारा क्या संदेश दिया गया है?
Solution : कवि “मैथिलीशरण गुप्त” ने दधीचि, कर्ण, रंतिदेव, उशीमर-पुत्र शिबि आदि महान व्यक्तियों के उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए यह संदेश दिया है कि परोपकार के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देना चाहिए। इन लोगों ने समाज के लिए अपने शरीर तक का त्याग कर दिया और उन्होंने यह काम खुशी-खुशी किया।
कवि ने दधीचि कर्ण आदि महान ब्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर सारी मनुष्यता को त्याग और बलिदान का संदेश दिया है। अपने लिए तो सभी जीते हैं पर जो परोपकार के लिए जीता और मरता है उसका जीवन धन्य हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दधीचि ऋषि ने वृत्रासुर से देवताओं की रक्षा करने के लिए अपनी अस्थियों तक का दान कर दिया।
राजा रंतिदेव उशीनर राजा शिवि आदि का उल्लेख किस संदर्भ मेंकिया गया है इनके कार्यों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दीं, कर्ण ने अपने सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रंतिदेव ने अपना भोजन का थाल ही दे डाला, राजा उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दे दिया। इस तरह इन महापुरुषों ने मानव कल्याण के लिए जीवन दे दिया। संसार में अत्मीयता और भाईचारा का संचार करना ही सच्ची मनुष्यता है।
कवि ने कविता में दधीचि उशीनर व कर्ण का उल्लेख क्यों किया है?
कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है । इन लोगों ने अपने पूरे जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिताया। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजनथाल ही दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया।