कन्यादान कविता में कवि वस्त्र आभूषणों को नारी जीवन का बंधन क्यों मानता है? - kanyaadaan kavita mein kavi vastr aabhooshanon ko naaree jeevan ka bandhan kyon maanata hai?


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Hindi (Course A) Solved Paper 2019

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कन्यादान' कविता में वस्त्र और ...

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Solution :  कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।

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कन्यादान कविता में कवि वस्त्राभूषणों को नारी जीवन का बंधन क्यों मानता है?

इसलिए वस्त्राभूषणों को शाब्दिक भ्रम कहा गया है। सामाजिक व्यवस्था के तहत स्त्रियों के प्रति जो आचरण किया जा रहा है | उसके चलते अन्याय न सहन करने के लिए सचेत किया गया है क्योंकि समाज में लड़कियों के साथ में इतना अन्याय होता है कि वह उनको चुपचाप चारदीवारी के अंदर ही सहकर घुट घुट कर अपना जीवन जीती हैं।

वस्त्र और आभूषण को स्त्री जीवन का बंधन क्यों कहा गया है?

स्त्री वस्त्र और आभूषणों से स्वयं को सजाने में व्यस्त रहती है तथा इनके मध्य इतना उलझ जाती है कि वह स्वयं के अस्तित्व और विकास को भूल जाती है। यही कारण है इन्हें स्त्री जीवन के लिए बंधन माना गया है।

कवि का स्त्री जीवन के बंधन से क्या अभिप्राय है?

कवि के अनुसार पुरूष लोग स्त्रियों को कीमती वस्त्र और मूल्यवान आभूषण देकर भ्रमित कर देते हैं और उन्हें अपने बंधन में बांध लेते हैं। इस तरह वस्त्र-आभूषणों के मोह में पड़कर स्त्रियां अनेक तरह के बंधनों को स्वीकार कर लेती हैं। इससे उनका स्वयं का स्वतंत्र व्यक्तित्व और आत्मविश्वास संकट में पड़ जाता है।

माँ ने वस्त्रों और आभूषणों के बारे में क्या और क्यों कहा?

Explanation: माँ कहती है कि वस्त्र-आभूषण के मोह में कभी ना पड़ना, यह केवल एक बंधन है, जिसमें कभी भी नहीं बंधना चाहिए। इसके चक्कर में बसा-बसाया संसार भी उजड़ सकता है।

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