‘कला और कलाकार का सम्मान करना हमारा दायित्व है’, इस कथन पर अपने विचारों काे शब्दबद्ध कीजिए।
हमारे देश की संस्कृति में लोक कलाओं की सशक्त पहचान रही है। ये मूलतः ग्रामीण अंचलों में अनेक जातियों व जनजातियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संरक्षित पारंपरिक कलाएँ हैं। लोक कला का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना कि भारतीय ग्रामीण सभ्यता का। लोक कथाओं में लोकगीत, लोकनृत्य, गायन, वादन, अभिनय, मूर्तिकला, काष्ठ कला, धातु कला, चित्रकला, हस्तकला आदि का समावेश होता है। हस्तकला ऐसे कलात्मक कार्य को कहते हैं, जो उपयोगी होने के साथ-साथ सजाने के काम आता था जिसे मुख्यतः हाथ से या साधारण औजारों की सहायता से ही किया जाता है। ऐसी कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व होता है। वर्तमान में लोक कलाओं और कलाकारों को उचित प्रश्रय न मिलने के कारण अनेक लोक कलाओं पर संकट उत्पन्न हो गया है। धीरे-धीरे समय परिवर्तन, भौतिकतावाद, पश्चिमीकरण तथा आर्थिक संपन्नता के कारण परंपरागत लोक कलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जनता व प्रशासन दोनों को ही लोक कलाओं और कलाकारों की पहचान नष्ट होने से बचाने के प्रयास करने चाहिए।