जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं हो सकता है उन्हें क्या कहते हैं? - jin varnon ka uchchaaran svaron kee sahaayata ke bina nahin ho sakata hai unhen kya kahate hain?

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का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है उसे हम व्यंजन वर्ण कहते हैं कौन सा धन्यवाद

Romanized Version

हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण में दो भागों में विभक्त किया गया है — स्वर और व्यंजन।

स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ

व्यञ्जन:- अनुस्वार- अं विसर्ग: अ:

क, ख, ग, घ, ङ (क़, ख़, ग़ )

च, छ, ज, झ, ञ (ज़, झ़)

ट, ठ, ड, ढ, ण (ड़, ढ़)

त, थ, द, ध, न

प, फ, ब, भ, म (फ़)

य, र, ल, व

श, ष, स, ह

संयुक्त व्यञ्जन- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

स्वर : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें 'स्वर' कहा जाता है।

व्यञ्जन : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें 'व्यञ्जन' कहा जाता है।

प्राय: व्यञ्जनों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है। हिन्दी वर्णमाला के समस्त वर्णों को व्याकरण में दो भागों में विभक्त किया गया है — स्वर और व्यञ्जन।

पञ्चमाक्षर अर्थात वर्णमाला में किसी वर्ग का पाँचवाँ व्यञ्जन। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण', 'न', 'म' आदि। आधुनिक हिन्दी में पञ्चमाक्षरों का प्रयोग बहुत कम हो गया है और इसके स्थान पर अब बिन्दी (ं) का प्रचलन बढ़ गया है।

विशेष :- भाषा की सार्थक इकाई वाक्य हैं। वाक्य से छोटी इकाई उपवाक्य , उपवाक्य से छोटी इकाई पदबन्ध , पदबन्ध से छोटी इकाई पद , पद से छोटी इकाई अक्षर और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि होती है ध्वनि को वर्ण भी कहते हैं।

जैसे :- पुन: = इसमें दो अक्षर हैं – पु , नः । लेकिन इसमें वर्ण ५ हैं = प् , उ , न्, अ, ह् ।

हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है। इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है। वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर ५२ वर्ण होते हैं। इनमें ११ स्वर और ४१ व्यञ्जन होते हैं। लेखन के आधार पर ५६ वर्ण होते हैं इसमें ११ स्वर , ४१ व्यञ्जन तथा ४ संयुक्त व्यञ्जन होते हैं।

वर्णमाला के दो भाग होते हैं —

१. स्वर २. व्यञ्जन

1. स्वर क्या होता है :- जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं।

व्यञ्जन क्या होता है :- जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं उन्हें व्यञ्जन कहते हैं। हर व्यञ्जन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता है। अ के बिना व्यञ्जन का उच्चारण नहीं हो सकता। वर्णमाला में कुल ४५ व्यञ्जन होते हैं।

क वर्ग : क , ख , ग , घ , ङ

च वर्ग : च , छ , ज , झ , ञ

ट वर्ग : ट , ठ , ड , ढ , ण

त वर्ग : त , थ , द , ध , न

प वर्ग : प , फ , ब , भ , म

अन्तस्थ : य , र , ल , व

उष्म : श , ष , स , ह

संयुक्त व्यञ्जन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र

देवनागरी लिपि के वह व्यञ्जन जिसके नीचे नुक़्ता लगाया जाता है — क़, ख़, ग़, ज़, झ़, ड़, ढ़, थ़, द़, फ़, ब़

यह वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत , मराठी , कोंकणी , नेपाली , मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं। हिन्दी वर्णमाला में ॠ , ऌ , ॡ , ळ का प्रयोग नहीं किया जाता है।

यह चीनी भाषा का एक चित्रलिपि-आधारित शब्द है, जिसका अर्थ 'किताब' या 'लेख' होता है - यह अक्षर नहीं है और इसका सम्बन्ध किसी ध्वनि से नहीं है - जापान में इसे "काकू" पढ़ा जाता है जबकि चीन में इसे "शू" पढ़ा जाता है

किसी एक भाषा या अनेक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला (वर्णों की माला या समूह) कहते हैं। उदाहरण के लिए देवनागरी की वर्णमाला में अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः  क  ख  ग  घ  ङ। च  छ  ज  झ  ञ। ट  ठ  ड  ढ  ण। त  थ  द  ध  न। प  फ  ब  भ  म। य  र  ल  व। श  ष  स  ह को 'देवनागरी वर्णमाला' कहते हैं और a b c d ... z को रोमन वर्णमाला (रोमन ऐल्फ़बेट) कहते हैं।

वर्णमाला इस मान्यता पर आधारित है कि वर्ण, भाषा में आने वाली मूल ध्वनियों (स्वनिम या फ़ोनीम) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये ध्वनियाँ या तो उन अक्षरों के वर्तमान उच्चारण पर आधारित होती हैं या फिर ऐतिहासिक उच्चारण पर। किन्तु वर्णमाला के अलावा लिखने के अन्य तरीके भी हैं जैसे शब्द–चिह्न (logography), सिलैबरी आदि। शब्द-चिह्नन में प्रत्येक लिपि चिह्न पूरे-के-पूरे शब्द, रूपिम (morpheme) या सिमान्टिक इकाई को निरूपित करता है। इसी तरह सिलैबरी में प्रत्येक लिपि चिह्न किसी अक्षर (syllable (वर्ण नहीं)) को निरूपित करता है।

वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे- अ, ई, व्, च्, क्, ख् इत्यादि।

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, इसके और खंड नहीं किये जा सकते। वर्णमाला- वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

अन्य विधियों में भावचित्रों का इस्तेमाल होता है (जैसा की चीनी भावचित्रों में) या फिर चिह्न शब्दांशों को दर्शाते हैं। इसी तरह, प्राचीन मिस्री भाषा एक चित्रलिपि थी जिसमें किसी वर्णमाला का प्रयोग नहीं होता था क्योंकि उसकी लिपि का हर चिह्न एक शब्द या अवधारणा (Concept) दर्शाता था।

प्रकार[संपादित करें]

प्रत्येक वर्णमाला में दो प्रकार के वर्ण होते हैं स्वर वर्ण तथा व्यंजन वर्ण। व्यंजनों के साथ स्वर लगाने के भिन्न तरीक़ों के आधार पर वर्णमालाओं को तीन वर्गों में बांटा जाता हैं:[1]

  • रूढ़ी वर्णमाला (simple or 'true' alphabet) - जैसी कि यूनानी वर्णमाला, जिसमें स्वर भिन्न अक्षरों के साथ ही लगते हैं, जैसे कि 'पेमिर' शब्द को 'πεμιρ' लिखा जाता है (जिसमें ε और ι के स्वर वर्ण स्पष्ट रूप से जोड़ने होते हैं)।
  • आबूगिदा (abugida) - जैसे कि देवनागरी जिसमें मात्रा के चिह्नों के ज़रिये व्यंजनों के साथ स्वर जोड़े जाते हैं। मसलन 'पेमिर' को 'प​एमइर' नहीं लिखते बल्कि 'प' के साथ चिह्न लगाकर उसे 'पे' और 'म' के साथ चिह्न लगाकर उसे 'मि' कर देते हैं। इन मात्रा चिह्नों को अंग्रेज़ी में 'डायाक्रिटिक' (diacritic) कहा जाता है।
  • अबजद (abjad) - जैसे कि फ़ोनीशियाई वर्णमाला जिसमें व्यंजनों के साथ स्वरों के न तो वर्ण लगते हैं और न ही मात्रा चिह्न बल्कि पढ़ने वाले को सन्दर्भ देखकर अंदाजा लगाना होता है कि कौनसे स्वर इस्तेमाल करे। वैसे तो अरबी-फ़ारसी लिपि में मात्रा चिह्नों की व्यवस्था है लेकिन कभी-कभी उन्हें नहीं लिखा जाता, जिस से वे लिपियाँ प्रयोग में कुछ हद तक अबजदों जैसी बन जाती हैं। 'بنتی‎' को 'बिनती' भी पढ़ा जा सकता है और 'बुनती' भी क्योंकि शुरू के 'ب‎' ('ब') व्यंजन के साथ कोई स्वर चिह्न नहीं लगा हुआ है।

अन्य भाषाओं में[संपादित करें]

'वर्णमाला' को अंग्रेजी में 'अल्फाबेट' (alphabet) कहते हैं। अरबी, फ़ारसी, कुर्दी और मध्य पूर्व की अन्य भाषाओं में इसे 'अलिफ़-बेई' या सिर्फ 'अलिफ़-बे' कहते हैं (जो अरबी-फ़ारसी लिपि के पहले दो अक्षरों का नाम है)।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • अक्षर (Syllable)
  • देवनागरी
  • हिन्दी वर्णमाला
  • यूनानी वर्णमाला
  • फ़ोनीशियाई वर्णमाला
  • शब्दांश-माला

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Writing systems: a linguistic approach, Henry Rogers, Wiley-Blackwell, 2005, ISBN 978-0-631-23464-7, ... an alphabet is a writing system in which all phonemes, both consonant and vowels, are represented ... an abjad is like an alphabet, but only consonants are written, not vowels ... in an abugida, the vowels are written as diacritics on the consonants ...

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं हो सकता उन्हें क्या कहते हैं?

अन्तिम चार वर्णों को संयुक्त वर्ण (स्वर) भी कहते हैं, क्योंकि ए, ऐ, ओ तथा औ दो स्वरों के मेल से बने हैं। 3. प्लुत स्वर – जिस स्वर के उच्चारण में तीन या उससे अधिक मात्राओं का समय लगे उसे प्लुत कहते हैं

जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है उन्हें क्या कहा जाता है?

Answer. Explanation: जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं।

जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है उन्हें क्या कहते हैं?

दूसरे शब्दों में स्वर उन वर्णों को कहते हैं जिनका उच्चारण बिना किसी अवरोध तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है।

उच्चारण स्थान कितने प्रकार के होते हैं?

उच्चारणस्थान 1. कण्ठ-अ, आ, कवकीय वर्ण (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्), ह, विसर्ग(ः)। 2.

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