जल प्रदूषण का मानव जीवन पर प्रभाव - jal pradooshan ka maanav jeevan par prabhaav

प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। यहाँ पर हम जल प्रदूषण के विषय पर चर्चा करना चाहेंगे। जल प्रदूषण आम लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। जल प्रदूषण की समस्या सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश का बहुत बड़ा भाग इससे प्रभावित हो रहा है।

यहाँ पर हम दिल्ली शहर का उदाहरण लेते हैं। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे नजफगढ़ और मेहरौली औद्योगिक कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ विभिन्न नालों के जरिये नदी में बहाया जा रहा है। जिसकी वजह से जल प्रदूषण बहुत ज्यादा फैल रहा है।

पीने का साफ पानी मानव की पहली आवश्यकता है। जबकि अब यह दूषित हो रहा है। यह बात साबित हो चुकी है कि दुनिया में विकसित देशों में रहने वाले लोग खतरनाक रसायनों के कारण ज्यादा प्रभावित हैं। पीने के पानी में रसायन की मौजूदगी की वजह से जमीन की ऊपरी और अन्दरूनी सतह पर प्रदूषण का बढ़ रहा है। जिनके उदाहरण निम्नलिखित हैं-

पेस्टीसाइड के जरिये जल प्रदूषण

पेस्टीसाइड (कीटनाशक दवायें) यह पहले मिट्टी में और फिर मिट्टी से पानी में मिल जाती हैं जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है। इसी प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों की कई प्रजातियाँ खतरे में हैं।

निकास (Sewage)

शहरों के जैविक पदार्थ और मल-मूत्र नदियों और झीलों में बहाया जा रहा है जिसके कारण पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ रहा है। यह सीवेज अपने साथ माइक्रोबियल पेथोजिन लाता है जिसके कारण से रोग फैलते हैं।

न्यूट्रियेन्ट (Nutrient)

घर का कूड़ा और औद्योगिक इकाइयों से पैदा होने वाली गन्दगी, जिसमें फास्फोरस और नाइट्रोजन उर्वरक सम्मिलित हैं, नदियों में बहाया जाता है। फास्फोरस व नाइट्रोजन जैसे तत्वों के पानी में मौजूद होने के कारण इसकी उर्वरता तो बढ़ जाती है किन्तु ऐसा पानी पीने लायक नहीं होता।

सिंथेटिक ऑर्गैनिक (Synthetic organic)

औद्योगिक रसायन और कीटनाशक जब मछलियों में जज्ब हो जाते हैं तो मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालते हैं चूँकि इन मछलियों को मानव खाता है और इन मछलियों के खाने से मानव प्रभावित होता है। जहाँ कीटनाशक का प्रयोग अधिक होता है वहाँ जमीन के अन्दर पानी प्रदूषित हो जाता है और यह प्रदूषण पीने के पानी तक बड़ी आसानी से पहुँच जाता है।

अम्लीयता (Acidification)

ऊर्जा संयंत्रों व भारी संयंत्रों जैसे कि इस्पात या मोटरयान के कारखानों से निकलने वाला खतरनाक रसायन सल्फर डाइ ऑक्साइड झीलों व नदियों में बहा दिया जाता है जिससे झीलें अम्लीय हो रही हैं। अमेरिका में इस तरह की समस्या बहुतायत में पाई जाती है।

पीने के पानी में रसायन

पीने के पानी में दो प्रकार के रसायन पाये जाते हैं। एक तो प्राकृतिक और दूसरे बाहर से शामिल किये गये। इन दोनों का दुष्प्रभाव स्वास्थ्य के लिये बहुत खतरनाक हो सकता है।

फ्लोराइड (Fluoride)

फ्लोराइड का पीने के पानी में होना बहुत आवश्यक है क्योंकि इससे दाँतों और हड्डियों दोनों को मजबूती प्राप्त होती है। अगर फ्लोराइड अधिक मात्रा में है तो इसका मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। भारत में अधिक फ्लोराइड राजस्थान के पानी में पाया जाता है। इसीलिये यहाँ के लोगों के दाँत पीले पाये जाते हैं।

पानी में अधिक फ्लोराइड होने से दाँत पीले पड़ जाते हैं और मेरुदंड पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।

आर्सेनिक (Arsenic)

पानी में आर्सेनिक का अधिक मात्रा में पाया जाना मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। कुछ साल पहले पश्चिमी बंगाल में पीने के पानी में आर्सेनिक ज्यादा मात्रा में पाया गया। जिसकी वजह से वहाँ के ज्यादातर लोग त्वचा रोग से परेशान थे।

पेट्रोकेमिकल्स (Petro Chemicals)

जमीन के अन्दर पेट्रोलियम खनन के कारण जमीन के अन्दर जो पानी होता है उसमें प्रदूषण फैल जाता है।

भारी धातु

जमीन के अन्दर पाई जाने वाली भारी धातुएँ भी जमीन के अन्दर सुरक्षित पीने के पानी को दूषित कर देती हैं।

रोग (Disease)

पानी से पैदा होने वाले रोग जो कि जल-जनित बीमारियाँ (Water borne disease) कहलाती हैं पानी के दूषित होने के कारण ही फैलते हैं। जैसे हेप्पटाइटिस, कॉलरा, दस्त, टाइफाइड आदि जल-जनित बीमारियाँ हैं जो कि क्षेत्र में तमाम आबादी को प्रभावित करती हैं।

पेस्टीसाइड (Pesticide)

पेस्टीसाइड (Pesticide) में ऑर्गेनोफास्फेट (Organophosphate) पाये जाते हैं जो मानव के दिमागी सन्तुलन को बिगाड़ देते हैं। इससे कैन्सर जैसी भयानक बीमारी हो सकती है।

नाइट्रेट्स (Nitrates)

पीने के पानी में नाइट्रेट्स छोटे बच्चों को नुकसान पहुँचाता है। बच्चे के दूध को हल्का करने के लिये यदि नाइट्रेट से दूषित पानी मिलाया जाय तो इस दूषित दूध को पीने से बच्चे को ब्लू-बेबी सिंड्रोम (Blue Baby Syndrome) हो सकता है, जिससे बच्चे की मौत भी हो सकती है।

पेट्रोकेमिकल्स (Petrochemicals)

बेंजीन (Benzine) और दूसरे पेट्रोकेमिकल्स के कारण कैन्सर हो सकता है।

क्लोरीनेटेड सॉल्वेन्ट (Chlorinated solvent)

इसकी वजह से प्रजनन तंत्र विकार (Reproductive system Disorder) हो सकता है।

अन्य भारी धातुएं

इनकी वजह से तंत्रिका तंत्र (Nervous system) और गुर्दा (Kidney) दोनों ही खत्म हो जाते हैं और मेटाबोलिक सिस्टम भी बिगड़ जाता है। जिससे इन्सान की मौत भी हो सकती है।

प्रदूषित पानी की रोकथाम

पानी से फैलने वाली बीमारियों को रोकने के लिये लोगों को चाहिए कि समय-समय पर पानी की जाँच करवायें। अगर पानी प्रदूषित है तो उसे साफ करवायें।

हेलो सूरज हमें आप पर कृष्ण के बनाए जल प्रदूषण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ठीक है तो नींद ही क्या होता है कि जल प्रदूषण होता क्यों है जब उसमें विषैले पदार्थ ठीक है या फिर कुछ भी प्रदूषक मिला हुआ होता है ठीक है तब जल प्रदूषण होता है अब यहां पर हमसे पूछ रहा है कि इस का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है तुम्हें लिए अगर हम कैसे जला गरम प्रदूषित जल पिएंगे तो बीमारियां होने का खतरा होता है ठीक है मैं तो रीजन अगर देखें तो यह उसके अलावा और भी कई प्रभाव है जो पढ़ते हैं जैसे कि परमाणु परीक्षण प्रदूषित जल का होना और वातावरण पर इसका प्रभाव पड़ना ठीक है और हमारे अंदर स्वच्छ जल की मात्रा की कमी होना ठीक है

पहला जो है वह क्या है परमाणु परीक्षण इसमें क्या होता है मेहंदी जो कुछ रासायनिक तत्व होते हैं ठीक है वह जनरल क्या होता है कि समुद्र में मिल जाते हैं तो जो समुद्री जीव जंतु है वह नष्ट हो जाते हैं ठीक है और जो पर्यावरण का संतुलन है वह भी बिगड़ जाता इसमें क्या-क्या पॉइंट्स जीत सकते हैं समुद्री जीवो का नष्ट होना जीवो का नष्ट होना और सेकंड क्या है पर्यावरण का जो संतुलन है वह भी बिगड़ जाता है पर्यावरण का और संतुलित हो जाना और क्या प्रभाव पड़ता है इसका अगर प्रदूषित जल

का सेवन करते हैं तो कई सारी बीमारियां हो जाती हैं ठीक है इसके द्वारा बीमारियां हो जाती हैं कौन सी बीमारियां जैसे की है जो पेचिश और पेट में दर्द होना ठीक है आधी बीमारियां हो जाती हैं और फीता कृमि और गोला परिणीति के इन रोगों से ग्रसित हो जाते हैं सीता प्रेमी रोगों से ग्रसित होना ठीक है इससे रोग ग्रस्त होना और क्या होता है कि वातावरण पर भी जल प्रदूषण का प्रभाव पड़ता

ठीक है मानव जीवन पर इसका प्रभाव पड़ता है क्या होता है कि दो कारखानों से निकलने वाला गंदा पानी होता जिस में विषैले पदार्थ हो गया मिले होते हैं तो उससे क्या होता है कि जो वनस्पति और जंतु है तो उसे इसकी भी कमी हो जाती है ठीक है और असंतुलन हो जाता है साथ ही में स्वच्छ जल की मात्रा की कमी होती है ठीक है यदि जल प्रदूषित होता है तो ठीक है तो इस प्रकार से जल प्रदूषण का मानव जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है थैंक यू

जल प्रदूषण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

जल प्रदूषण के प्रभाव जल प्रदूषण से व्यक्ति ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं मछली भी प्रभावित होते हैं । प्रदूषित जल पीने, पुनःसृजन कृषि तथा उद्योगों आदि के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं । यह झीलों एवं नदियों की सुन्दरता को कम करता है । संदूषित जल, जलीय जीवन को समाप्त करता है तथा इसकी प्रजनन - शक्ति को क्षीण करता है ।

जल प्रदूषण के प्रभाव क्या है?

जल प्रदूषण से जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक अभिलक्षणों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बीमारियां: प्रदूषित जल के प्रयोग से नाना प्रकृति के रोगों की संभावना बनी रहती है। यथा-पक्षाघात, पोलियों, मियादी बुखार हैजा डायरिया, क्षयरोग, पेचिश, इसेफलाइटिस, कनजक्टीवाइटिस, जांडिस, आदि रोग फैल जाते है।

प्रदूषण से मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है?

गन्दगी युक्त वातावरण में अनेक कीटाणु पैदा होते हैं, जो मनुष्य के लिए पेचिश, तपेदिक, हैजा, आँतों के रोग, आँखों में जलन आदि रोगों हेतु उत्तरदायी होते हैं। (iv) ध्वनि प्रदूषण का सर्वाधिक प्रभाव सुनने की शक्ति पर पड़ता है। अत्यधिक शोर से व्यक्ति बहरा हो जाता है।

प्रदूषित जल का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

पानी से पैदा होने वाले रोग जो कि जल-जनित बीमारियाँ (Water borne disease) कहलाती हैं पानी के दूषित होने के कारण ही फैलते हैं। जैसे हेप्पटाइटिस, कॉलरा, दस्त, टाइफाइड आदि जल-जनित बीमारियाँ हैं जो कि क्षेत्र में तमाम आबादी को प्रभावित करती हैं।

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