जब कोई धोखा दे तो उसके साथ क्या करना चाहिए? - jab koee dhokha de to usake saath kya karana chaahie?

जब एक लड़का व पुरुष अपनी प्रेमिका व पत्नी को धोखा दे रहा होता है, तब उसका व्यवहार पहले जैसा नहीं रह जाता। पुरुषों के तौर-तरीकों में पहले की तुलना में काफी बदलाव नजर आते हैं। बस, जरूरत है तो इस बदलते व्यवहार को समझकर इस पर थोड़ा ध्यान देने की। कुछ ऐसे सामान्य संकेत होते हैं, जो आमतौर पर धोखा देने वाले लोगों में पाए जाते हैं। आइए, आपको इन्हीं संकेतों के बारे में बताते हैं-

1. जब आपका साथी आपसे छोटी-छोटी बातों पर व कई बार बिना बात पर ही लड़ाई करने लगे तो सतर्क हो जाएं।

2. जब आपका साथी झगड़ों को खत्म करके दोबारा एक होने में बहुत ज्यादा समय लेने लगे या कई बार छोटी सी बात पर महीनों तक बातचीत बंद कर दे, तो यह संकेत हो सकता है कि वह आपको धोखा दे रहा हो और आपसे रिश्ता खत्म करना चाहता हो।

3. जब वह आपसे भावनात्मक रूप से दूरी बना ले। आपको उसकी भावनात्मक स्तर पर जरूरत होने पर भी वह आपके लिए उपलब्ध न हो। ऐसा अक्‍सर तब होता है, जब वह किसी और से भावनात्मक रूप से जुड़ चुका होता है।

4. कुछ पुरुष इसके विपरीत भावनात्मक रूप से ज्यादा ध्यान देने लगते हैं, आप समझ नहीं पाएंगी कि वे जरूरत से अधिक अच्छे क्यों बन रहे हैं, हो सकता है कि ऐसा वे अपनी गलतियां छुपाने के लिए कर रहे हों, जिससे कि आपको उनसे कोई शिकायत न हो और आपका ध्यान उनकी अन्य गतिविधियों से हट जाए।

5. धोखा देते समय अक्‍सर लोग अपने साथी से बातचीत करना कम कर देते हैं, जिससे कि उनके मुंह से कुछ ऐसी बात न निकल जाए जो आपको शंका पैदा करे। अब उन्हें पहले की तरह आपसे बात करने में ज़्यादा रु‍चि भी नहीं होती, साथ ही वे आपसे छोटी-मोटी रोजमर्रा की बातें भी छुपाने लगते हैं।

6. धोखा देते हुए अक्‍सर लोग अपने प्रेमी-प्रमिका के हसीन ख्यालों में किसी भी वक्त खो जाते हैं। ऐसे में आप ध्यान दें कि क्या वे ज्यादा शून्यचित्‍त रहने लगे हैं और आप जो बोल रही हैं, उस पर उनका ध्यान ही नहीं है?

7. जब वे वैवाहिक संबंधों में भी आपसे दूरी बना लें। ऐसा अक्‍सर तब होता है जब वे किसी और को चाहने लगते हैं।

जीवन अपनी गति से चल रहा होता है। हम भी जीवन का साथ दे रहे होते हैं। दुनिया भर की तकलीफ केवल इसलिए सह रहे होते हैं कि कोई ऐसा जीवन में होता है जिसके होने से यह सभी कष्ट हमें आसान लगते हैं। एक बाप फटे कपड़े को सिलकर इसलिए पहन रहा होता है क्योंकि उसे अपनी औलाद की ख़ुशी से ख़ुशी मिलती है। एक माँ अपने हिस्से की रोटी अपनी औलाद को खिलाकर ख़ुशी से भूखी सो जाती है। एक प्रेमी पैदल चलकर टैक्सी का किराया इसलिए बचा रहा होता है क्योंकि उसे अपनी प्रेमिका को उपहार देना है। एक दोस्त दूसरे दोस्त के साथ होने से इसलिए सुरक्षित महसूस कर रहा होता है क्योंकि उसे अपने दोस्त पर भरोसा है। हम इंसान ऐसे ही तो हैं जिससे दिल मिल जाये उसके लिए खुद को मिटाने से भी पीछे न हटें।

 

 

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे

लेकिन अचानक हम तब ठगे रह जाते हैं जब हमारे इस त्याग का मूल्य सामने वाले की नज़र में शून्य भी नहीं रह जाता। जो माँ-बाप जीवन भर कष्ट को सहते हुए पालते हैं कि एक दिन उनकी औलाद इन कष्टों को समाप्त करेगी।  वही औलाद जब कहती है “तुमने मेरे लिए किया ही क्या है ?” इस क्षण में माँ-बाप का हृदय अपने को ठगा हुआ महसूस करता है।  एक दोस्त जिस पर हमें स्वयं से बढ़कर विश्वास था वह मुसीबत के समय आपको कह देता है कि मैं तेरे झंझट में पड़ना ही नहीं चाहता। संसार में ऐसे अनेक उदाहरण रोज सामने सामने आते हैं जहाँ भावनाओं को नहीं बल्कि स्वार्थ को महत्व दिया जाता है।  ऐसा क्यों होता है कि

वफ़ा के बदले वफ़ा नहीं मिलती ?

भलाई के बदले भलाई नहीं मिलती ?

प्यार में धोखा मिले तो क्या करें ?

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस संसार में अनगढ़ और सुगढ़ दोनों प्रकार के व्यक्ति रहते हैं। हमारी इच्छित प्रकृति के व्यक्ति सदा मिलते रहे ऐसा नहीं हो सकता। इस संसार में भांति-भांति के जीवों, मनुष्यों के निर्वाह की विधाता ने गुंजाइश रखी है। इस संसार की सयुंक्त रसोई में सदा वह नहीं पक सकता, जो हम चाहते हैं। हमें बहुत सोच समझकर अपनी भावनाएँ किसी से जोड़नी चाहिए। महात्मा बुद्ध कहते हैं कि

“श्रेष्ठ की संगती करो और उनसे प्रेरणा लो।”

बाकि सम्बन्ध जो भी हमें चारों ओर से प्राप्त हुए हैं उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी निबाहते हुए उनके साथ तालमेल बिठाकर बिना टकराये जीवन गुजार सके, इसी की बात सोचनी चाहिए। संसार में हर किसी के साथ अनावश्यक उदारता बरतने की भावुकता अन्ततः बड़ी महंगी पड़ती है।  ऐसे अनेकों उदाहरण संसार में देखे जाते हैं जहाँ माता-पिता अति भावुकता में अपनी जीवन भर की कमाई अपने बच्चों के हवाले करके दर-दर ठोकरे खाने को मजबूर होते हैं। आपको अपना सम्मान करना भी सीखना चाहिए। जब आप स्वयं का सम्मान नहीं करेंगे तब सामने वाला आपका मूल्य कम आंकेगा। हमारी दूसरे से ज्यादा अपेक्षा भी हमारे दुःख का कारण बनती है। किसी भी दूसरे पर जरुरत से ज्यादा भावनात्मक निर्भरता आपको एक दिन आत्महत्या के मार्ग तक पहुँचा सकती है। 

रामकृष्ण परमहंस द्वारा कहे सूत्र कि ” (भावनायें भगवान् के लिए और विवेक संसार के लिए )” के सन्दर्भ में मेरी दादी कहती थी कि

भावनाओं का फ्रीज अगर संसार के सामने खोलोगे तो वह अपने स्वार्थ की चीज़ें उसमें से निकाल लेगा और फिर लात मारकर बंद करेगा।

 

जब आपका वास्ता अनगढ़ों से पड़ता है।

ज्यादातर देखें तो कई बार जीवन में आप तब अपने को फंसा हुआ पाते हैं जब आपका वास्ता अनगढ़ों से पड़ता है। ये विचित्र प्राणी अहंकारी और दुराग्रही तो होते ही हैं, इनमें स्वयं की विवेक क्षमता भी नहीं होती और किसी निर्णय पर पहुँचना इनके बस की बात नहीं होती। इनसे न तो आपको छोड़ते बनता है और न अपनाते। अपने साथ यह आपको भी अनिर्णय की स्थिति तक पहुँचा देते हैं।  ( हाल ही में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से जुड़े जो तथ्य चर्चा में आ रहे हैं उनसे प्रथम दृष्टया सुशांत भी ऐसे ही लोगो से घिरे हुए थे ऐसा विदित होता है )

ऐसे अनगढ़ दुराग्रहियों के प्रति हमें वैसा ही तरीका अपनाना चाहिए जैसा कि मनोरोगियों के प्रति अपनाया जाता है। न तो क्षमाशील बना जाय, न ही उपचार से विमुख हुआ जाय। ऐसे लोगो से जहाँ तक संभव हो भावनात्मक सम्बन्ध रखने से बचना चाहिए। जो स्वयं अस्थिर है वह एक दिन आपको भी अस्थिर करेगा ही। जो जैसा है उसके साथ कुछ हद तक आप वैसे बन ही जाओगे।

जीवन में जो भी आपको भावनात्मक रूप से अस्थिर करे उससे संभलकर व्यवहार करें। अगर आप भावनात्मक रूप से चोटिल हो जाएँ तो सबसे पहले बाहरी परिस्थिति को सँभालने से पहले अपने भीतर की भावनात्मक स्थिति को सँभाले। जो भीतर सुलझ जायेगा वह बाहर ज्यादा दिन उलझा नहीं रहेगा। 

जिन्दगी को खेल की तरह लेना सीखें।

एक खेल में हारने से थोड़ी देर का दुःख जरूर होता है पर अगले ही क्षण अगले की तैयारी में खिलाड़ी जुट जाता है। न जाने कितनी बार सचिन 99 पर आउट हो जाते थे लेकिन निराश होकर खेल नहीं छोड़ देते थे बल्कि अगले खेल की तैयारी  में जुट जाते थे। जीवन में सुख-दुःख, हार-जीत आती-जाती रहती है।  सबसे सीखकर आगे बढ़ने का नाम ही जीवन है।

भावनात्मक स्थिति को सँभालने के लिए ये प्रयोग करके देखें –

कहीं एकांत में जाकर जी भर कर रोयें और अपने को गुनहगार न माने।

आप जिस भी ईश्वर को मानते हो उन्हीं से अपने दिल की बात एकांत में जाकर खुलकर बोलें।  विश्वास रखें वह आपकी बात जरूर सुनेंगे।

अगर आप नास्तिक हैं तो एकांत में जाकर किसी पेड़-पौधे से अपनी बात कहें। वो भी जाड़ा-गर्मी-बरसात सहकर खिले हुए खड़े रहते हैं।

जो हो गया सो हो गया लेकिन अब आगे सब अच्छा होगा और उसे आप ही अच्छा करेंगे ऐसा विश्वास स्वयं को दें।

जिस घटना ने आपको दुःखी किया है उसको अपने से चिपकाये न रहें। बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले। जो हुआ सो हुआ उससे सीख लेकर जीवन आगे बढ़ने का ही नाम है।

 

इस पोस्ट को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े

 

 

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जब कोई धोखा देता है तो क्या करना चाहिए?

हम आपको कुछ ऐसी टिप्स बताने जा रहे हैं जो ब्रेकअप से उबरने में आपकी मदद कर सकते हैं..
किसी अपने से करें बात ... .
दोस्तों के साथ घूमें ... .
जीवन में करें कुछ नया ... .
यादों से जाएं दूर ... .
ना करें फॉलो ... .
खुद को रखें व्यस्त ... .
लोगों से मिलें.

धोखा देने वाले को कैसे सबक सिखाएं?

धोखा देने वाली लड़कियों को सबक सिखाने के असरदार तरीके.
#1. लड़की के सामने खुश रहिए – जिस लड़की ने आपको धोखा दिया है। ... .
#2. सोशल मीडिया में पोस्ट अपलोड कीजिए – जब लड़की धोखा देती है! ... .
#3. काम पर ध्यान दीजिए – ... .
#4. Gym कीजिए – ... .
#5. दूसरी लड़कियों से बात कीजिए –.

अच्छे लोगों को धोखा क्यों मिलता है?

लोगों में एक दूसरे से आगे बढ़ने का यही जोश रिश्ते को कमजोर कर देता है. अकसर देखा जाता है कि रिश्ते में बंधे दो लोगों में जब किसी एक व्यक्ति को ज्यादा सफलता मिलती है तो दूसरे पार्टनर को इस चीज से कहीं ना कहीं जलन जरूर होती है और इसी जलन के कारण लोग अपने पार्टनर को धोखा देते हैं.

धोखेबाज लोग कैसे होते हैं?

ये लोग हमेशा खुद को गरीब, टूटे दिल वाले व्यक्ति के रूप में दिखाते हैं, जिन्हें दूसरों से प्यार और हमदर्दी की जरूरत होती है। ऐसे लोग हमेशा अपनी परेशानियों के बारे में बात करते हैं ताकि ऐसा करके वो लोगों की सहानुभूति को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें। इस तरह के धोखेबाज लोग हमेशा एक अच्छे मौके की तलाश में रहते हैं

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