जब बड़ा बेटा रामचंद्र अपनी मां सिद्धेश्वरी से छोटे बेटे मोहन के बारे में पूछता है कि सिद्धेश्वरी क्या झूठ बोलती है? - jab bada beta raamachandr apanee maan siddheshvaree se chhote bete mohan ke baare mein poochhata hai ki siddheshvaree kya jhooth bolatee hai?

विषयसूची

  • 1 जब बड़ा बेटा रामचंद्र अपनी मां सिद्धेश्वरी से छोटे बेटे मोहन के बारे में पूछता है कि सिद्धेश्वरी क्या झूठ बोलती है?
  • 2 प्रश्न अभ्यास 1 सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?
  • 3 नरो वा कुंजरो वा का क्या अर्थ है?
  • 4 भक्तिन के प्रति शास्त्र का अप्रत्याशित अनुग्रह क्या था?
  • 5 * दोपहर का भोजन कहानी में लेखक क्या संदेश देना चाहता है?*?
  • 6 सिद्धेश्वरी के बड़े बेटे का नाम क्या था?
  • 7 भोजन के दौरान सिद्धेश्वरी मुंशी जी से असंबद्ध बातें क्यों करती है?

जब बड़ा बेटा रामचंद्र अपनी मां सिद्धेश्वरी से छोटे बेटे मोहन के बारे में पूछता है कि सिद्धेश्वरी क्या झूठ बोलती है?

इसे सुनेंरोकें(ख) सिद्धेश्वरी ने मोहन को यह झूठ बोला कि बड़ा भाई उसकी तारीफ़ कर रहा था। मोहन जानता था कि उसका बड़ा भाई उसकी तारीफ नहीं कर सकता है। अतः सिद्धेश्वरी ने झूठ बोलकर मोहन की ओर देखा। वह यह जानना चाहती थी कि कहीं मोहन ने उसका झूठ पकड़ तो नहीं लिया है।

प्रश्न अभ्यास 1 सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 1:सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला? उत्तर : घर की स्थिति सही नहीं चल रही थी। रामचंद्र की नौकरी छूट गई थी। उसी के पैसों से घर चल रहा था।

मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी की असंबद्ध बातें कहानी से कैसे संबद्ध हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी के मध्य जो बातें होती हैं, वे आपस में संबंद्ध नहीं रखती हैं। सिद्धेश्वरी अचानक मुंशी जी से बारिश के विषय में, कभी फूफा जी के विषय में, कभी गंगाशरण बाबू की लड़की के विषय में बात करके माहौल को हल्का करने प्रयास करती है। वह जानती है कि मुंशी जी के पास उसके प्रश्नों का उत्तर नहीं है।

नरो वा कुंजरो वा का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंहाथी । मुहा॰— कुंजरो व (नरो वाकुजरोनरो) = हाथी या मनुष्य।

भक्तिन के प्रति शास्त्र का अप्रत्याशित अनुग्रह क्या था?

इसे सुनेंरोकेंसास द्वारा लछमिन को नए कपड़े पहनाना, मायके भेजना, नम्र व्यवहार करना-सब कुछ लछमिन के लिए अप्रत्याशित अनुग्रह था। इस ‘अप्रत्यक्ष छल’ को लछमिन न समझ सकी और वह खुशी-खुशी मायके चली गई। भक्तिन (लछमिन) के पिता इसे अगाध प्रेम करते थे।

सिद्धेश्वरी का बड़ा बेटा क्या काम करता था?

इसे सुनेंरोकेंसिद्धेश्वरी का बड़ा बेटा घर में रोटी लाने वाला अकेला ही था और मोहन पढ़ाई की जगह दोस्तों के साथ घूमता फिरता था। यह बात सिद्धेश्वरी को पता थी फिर भी उसने अपने बड़े बेटे से झूठ बोला। 2. कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।

* दोपहर का भोजन कहानी में लेखक क्या संदेश देना चाहता है?*?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – दोपहर का भोजन कहानी में निम्न मध्यवर्गीय परिवार की गरीबी का मार्मिक चित्रण है। इस परिवार की स्थिति इतनी दयनीय है कि घर में खाने के लिए भी पूरा भोजन नहीं है। इस कहानी का पूरा घटनाक्रम दोपहर के भोजन के समय ही घटित होता है , जो कहानी की मूल संवेदना को प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त करने में सक्षम है।

सिद्धेश्वरी के बड़े बेटे का नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंसिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला? – Brainly.in.

1 लेखक ने टार्च बेचनेवाली कंपनी का नाम सूरज छाप ही क्यों रखा?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: लेखक ने टॉर्च बेचने वाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ इसलिए रखा क्योंकि जिस तरह सूरज रात के अंधेरे के बाद दिन में प्रकाश कहलाता है और किसी को डर नहीं लगता उसी प्रकार ‘ सूरज छाप’रात के अंधेरे में सूरज का काम करेगी और ‘सूरज छाप’ टॉर्च रात के अंधेरे में सूरज की रोशनी का प्रतीक है।

भोजन के दौरान सिद्धेश्वरी मुंशी जी से असंबद्ध बातें क्यों करती है?

इसे सुनेंरोकेंमुंशीजी भोजन करते समय सिद्धेश्वरी से नजरें चुराते हैं। उन्हें मालूम है कि घर में भोजन बहुत कम है और वह स्वयं को इस स्थिति का जिम्मेदार मानते हैं। सिद्धेश्वरी पर्याप्त भोजन न होते हुए भी सदस्यों से और भोजन लेने का आग्रह करती है। ऐसा करके वह घर के सदस्यों को गरीबी एवं अभाव का एहसास नहीं होने देना चाहती ।

सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मझले बेटे मोहन के बारे में झुठ क्यों बोला?

1. सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला? उत्तर: सिद्धेश्वरी ने मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ इसलिए बोला क्योंकि वह जानती थी कि यदि उसने रामचन्द्र को मोहन की आदतों के बारे में बताया तो भाइयों के बीच लड़ाई हो जाएगी और वह ऐसा नहीं चाहती थी।

सिद्धेश्वरी के सबसे छोटे पुत्र का क्या नाम था?

उत्तर: सिद्धेश्वरी के छोटे बेटे का नाम प्रमोद था। प्रश्न 12.

आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ 100 शब्दों से भारी कैसे हैं?

उसके झूठों में किसी प्रकार का स्वार्थ विद्यमान नहीं था। उसके झूठ एक भाई का दूसरे भाई के प्रति, बच्चों का पिता के प्रति तथा पिता की बच्चों के प्रति आपसी समझ और प्रेम बढ़ाने के लिए बोले गए थे। इस तरह वह परिवार को मुसीबत के समय एक बनाए रखने का प्रयास करती है। अतः उसके झूठ सौ सत्यों से भारी हैं

सिद्धेश्वरी के कुल कितने बेटे थे?

सिद्धेश्वरी भी भयंकर गरीबी का सामना कर रही थी। वह इसका सामना अकेली नहीं कर रही थी। उस पर तीन बेटों और परिवार की ज़िम्मेदारी थी।

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