इस कहानी को अगर आपको कोई शीर्षक देना होता तो आप क्या देते? - is kahaanee ko agar aapako koee sheershak dena hota to aap kya dete?

Short Note

इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?

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Solution

इस कहानी का शीर्षक 'जीवन का सच्चा सुख' अधिक युक्तिपूर्ण प्रतीत होता है क्योंकि यहाँ जीवन के सुख को लेकर दो विचारों की टकराहट है। एक तरफ जहाँ धनी सेठ के लिए धन-दौलत, सुख सुविधाएँ ही जीवन की खुशी तथा वास्तविकता है। वहीं दूसरी ओर नन्ही चिड़िया के लिए माँ अमूल्य रत्न से भी अधिक मूल्यवान है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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Chapter 9: चिड़िया की बच्ची - कहानी से [Page 73]

Q 6Q 5Q 1

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NCERT Class 7 Hindi - Vasant Part 2

Chapter 9 चिड़िया की बच्ची
कहानी से | Q 6 | Page 73

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One Line Answer

आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?

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Solution

हम इस कहानी का शीर्षक देना चाहेंगे- ‘अप्पू के कंचे।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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Chapter 12: कंचा - अनुमान और कल्पना [Page 98]

Q 2Q 1Q 3

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NCERT Class 7 Hindi - Vasant Part 2

Chapter 12 कंचा
अनुमान और कल्पना | Q 2 | Page 98

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for चिड़िया की बच्ची are extremely popular among Class 7 students for Hindi चिड़िया की बच्ची Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 7 Hindi Chapter 9 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 7 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 73:

Question 1:

किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?

Answer:

माधवदास अपने लिए संगमरमर की एक नई कोठी बनवाते हैं। चिड़िया को धन का, सोने का घर बनवाने तथा मोतियों की झालर लटकाने का प्रलोभन देता है। वो चिड़िया से कहता है- ''मेरे पास क्या नहीं है। जो माँगो मैं वही दे सकता हूँ।'' माधवदास जी की इन बातों से ज्ञात होता है कि वे कितने धनी-संपन्न थे।

वहीं दूसरी ओर ऐसा भी लगता है कि धन-संपन्न होने के बावजूद भी वे सुखी नहीं है। ख्याल-ही-ख्याल में वे संध्या को स्वप्न की भाँति गुज़ार देते हैं। वे चिड़िया से कहते हैं-''मेरा दिल वीरान है। वहाँ कब हँसी सुनने को मिलती है?'' इससे यह स्पष्ट है कि वे सुखी नहीं थे।

Page No 73:

Question 2:

माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

माधवदास ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि उसे चिड़िया बहुत ही सुन्दर और प्यारी लगी। वह चिड़िया को हमेशा अपने पास रखना चाहता था। उसे देख-देख कर वह अपना मन बहलाना चाहता था।

माधवदास आत्म केन्द्रित होकर ऐसा करना चाहता था। क्योंकि वह केवल अपनी खुशी के लिए, अपना मन बहलाने के लिए ऐसा कर रहा था। इसलिए माधवदास की इस भावना में उसका निजी स्वार्थ है।

Page No 73:

Question 3:

माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

यहाँ माधवदास और चिड़िया के मनोभाव एक दूसरे से विपरीत हैं। एक तरफ माधवदास के लिए धन-संपत्ति, सुख-सुविधा ही जीवन के अमुल्य तत्व हैं। परन्तु दूसरी ओर चिड़िया के लिए ये सभी सुख सुविधाएँ व्यर्थ थी। चिड़िया को केवल अपनी माँ से लगाव था। माँ की गोद ही उसके लिए दुनिया में सबसे अधिक मूल्यवान सुख था। उसे सोने-चाँदी, हीरे-मोती की तुलना में अपने माँ का स्नेह अधिक प्यारा था। अर्थात्‌ चिड़िया की खुशी भौतिक सुखों से अलग भावनात्मक सुखों में है। परन्तु माधवदास के लिए धन दौलत ही सर्वोपरि है। उसके सामने भावनाएँ मूल्यहीन हैं।

Page No 73:

Question 4:

कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

Answer:

कहानी के अंत में हमने पढ़ा कि सेठ की सभी चेष्टाओं के बावजूद नन्ही चिड़िया सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने में सफल होती है। यह कहानी का सुखद अंत है। यदि ऐसा नहीं होता तो कहानी का अंत अत्यंत दुखद होता और ऐसा प्रतीत होता है कि अच्छाई पर बुराई की जीत हो गई। परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता और चिड़िया सुरक्षित अपनी माँ के पास पहुँच जाती है। चिड़िया के अस्तित्व की सफलता उसके बंधन मुक्त होकर स्वच्छंदता पूर्वक आकाश में उड़ने में है। वह अपने परिवार तथा अपनी माँ का स्नेह पाकर खुश रहती है।

Page No 73:

Question 5:

'माँ मेरी बाट देखती होगी'-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?

Answer:

हमारे जीवन में माँ का स्थान सर्वोपरि है। माँ सभी मूल्यवान संपत्ति से अधिक मूल्यवान है। माँ अपने बच्चें की खुशी में खुश होती है तथा बच्चों के किसी भी प्रकार के कष्ट से भावुक हो जाती है। माँ हमें जन्म देती है, हमारा पालन-पोषण करती है तथा सुख या दुःख में हमारा साथ नहीं छोड़ती। हम माँ के ऋण से कभी भी मुक्त नहीं हो सकते। इसी तरह का स्नेह चिड़िया तथा उसकी माँ का भी था। इसी कारण चिड़िया बार-बार माँ को स्मरण करके उसके पास जाने की जिद कर रही थी।

Page No 73:

Question 6:

इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?

Answer:

इस कहानी का शीर्षक'जीवन का सच्चा सुख' अधिक युक्तिपूर्ण प्रतीत होता है क्योंकि यहाँ जीवन के सुख को लेकर दो विचारों की टकराहट है। एक तरफ जहाँ धनी सेठ के लिए धन-दौलत, सुख सुविधाएँ ही जीवन की खुशी तथा वास्तविकता है। वहीं दूसरी ओर नन्ही चिड़िया के लिए माँ अमूल्य रत्न से भी अधिक मूल्यवान है।

Page No 73:

Question 1:

इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीज़ों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।

Answer:

अनुशासन प्रकृति का स्वभाविक नियम है। प्रकृति के अलग-अलग रूपों में हमें अनुशासन देखने को मिलता है-

(i) सूर्य नियमित रूप से सुबह उगता है तथा शाम को अस्त होता हैं।

(ii) तारे रात को ही आसमान में दिखते हैं।

(iii) पेड़ अपनी जगह पर ही खड़े रहते हैं।

(iv) पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर काटती है कभी सूर्य पृथ्वी के चक्कर नहीं काटता।

(v) ऋतुऐं भी नियमानुसार ही आती तथा जाती हैं।

Page No 74:

Question 1:

पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं-

() गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।

() कभी पर हिलाती थी।

() पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।

तीनों'पर' के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी'पर' का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए'पर' के प्रयोग हुए हों।

Answer:

(i) मेज़ पर धूल जमी है।

(ii) चिड़िया अपने पर फैलाकर उड़ती है।

(iii) पर तुमने अपना काम नहीं बताया।

Page No 74:

Question 2:

पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुशकरना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।

Answer:

मन्नै- मैंने

अइयो- आओ

जइयो - जाओ

करियो- करो।

Page No 74:

Question 2:

सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-'स्वाधीनता' या'प्रलोभनोंवाली पराधीनता'? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें-

() क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।

() क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।

() क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।

Answer:

सभी सुख-सुविधाओं के बाद भी हमेपराधीनता स्वीकार नहीं है। स्वाधीनता उस पराधीनता से भी अधिक प्रिय लगती है जिसमें कि अनेक प्रलोभन हो। जीवन में स्वतंत्र रहने का अपना अलग ही महत्व है। सभी सुख सुविधाएँ मिलकर भी इसके मूल्य को कम नहीं कर सकती हैं।

यह सही है कि पराधीन व्यक्ति को स्वप्न में भी सुख नहीं मिल पाता है क्योंकि पराधीन व्यक्ति दूसरों के अधीन होता है और सुख से दूर-दूर तक वंचित रहता है। सुख का एहसास उसके लिए दुर्लभ होता है।

Page No 74:

Question 1:

आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माँ! अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

माँ अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखती है। फिर चाहे वो मनुष्य हो या पशु-पक्षी सभी में ऐसा देखने को मिलता है।

मनुष्य एक बुद्धिजीवी प्राणी है इसलिए ऐसी भावना को होना स्वभाविक है। परन्तु ये पशु-पक्षियों में भी देखा जाता है कि माँ अपने बच्चों का ध्यान रखती है। जैसे-चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाना इकट्ठा करके लाती है। जानवर भी अपने बच्चों को खतरे में देखकर हमला करने वालों पर आक्रमण कर देते हैं। यह प्रकृति की अद्भुत देन है।

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इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहिए और क्यों?

इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों? उत्तर:- इस कहानी के लिए हम अन्य शीर्षक 'सच्चा सुख' दे सकते हैं क्योंकि यहाँ पर जीवन में सच्चा सुख क्या होता है वह एक छोटी सी चिड़िया के माध्यम से बताया गया है।

किसी भी कहानी का शीर्षक क्या होता है?

शीर्षक किसी भी रचना का महत्वपूर्ण अंग होता है। शीर्षक वह केंद्रबिंदु है जिससे पाठक को विषयवस्तु का सामान्य एवं आकर्षक बोध हो जाता है। 'जूझ' शीर्षक भी अपने आप में हर तरह से औचित्यपूर्ण है। 'जूझ' का शाब्दिक अर्थ है-'संघर्ष'।

आप कंचे कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?

2. आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे? 'प्यारा कंचा' क्योंकि इस कहानी में कंचे के प्रति अप्पू के लगाव को दिखाया गया है।

आप कहानी को क्या शिक्षक देना चाहिए?

कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्य नहीं होने चाहिएकहानी के उपयुक्त एवं आकर्षक शिक्षा देना चाहिएकहानी को प्रभावशाली और रोचक बनाने के लिए मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया जा सकता है।

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