हरित लवक का दूसरा नाम क्या है? - harit lavak ka doosara naam kya hai?

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पत्ते की कोशिकाओं में दिखाई देतें हरितलवक।

हरितलवक या क्लोरोप्लास्ट एक प्रकार का कोशिकांग है जो सुकेन्द्रिक पादप कोशिकाओं में और शैवालीय कोशिकाओं में पाया जाता है। हरितलवक प्रकाश-संश्लेषण द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करतें हैं। इन का हरा रंग इन में पर्णहरित (क्लोरोफ़िल) रसायन के होने के कारण है जो प्रकाश-संश्लेषण में अत्यावश्यक है। माना जाता है कि नील हरित शैवाल नाम के जीवाणुओं से हरितलवकों का विकास हुआ।

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इस आर्टिकल में हम जानेगें कि हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट क्या होते है ? हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट की सरंचना कैसी होती है ? हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट के प्रमुख कार्य क्या है ? हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) को पादप कोशिका का रसोईघर क्यों कहा जाता है ? आदि

हरित लवक को समझने के लिए सबसे पहले हम जानेगे कि लवक क्या होते है ?

लवक पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले गोल या अंडाकार रचना हैं । इनमें पादपों के लिए महत्त्वपूर्ण रसायनों का निर्माण होता है। लवक तीन प्रकार के अर्थात् हरितलवक (Chloroplast) , अवर्णी लवक ((Leucoplast) तथा वर्णी लवक (Chromoplasts) होते हैं।

जिस लवक में पर्णहरित ( क्लोरोफिल ) वर्णक होता है, उसे हरित लवक ( क्लोरोप्लास्ट ) कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है जिससे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते है।

हरितलवक दोहरी झिल्ली से परिबद्ध कोशिकांग है। हरितलवक ऐसा कोशिकांग है जो सौर ऊर्जा यानी प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलता है। हरित लवक केवल सुकेन्द्रिक पादप कोशिकाओं में और शैवालीय कोशिकाओं में पाए जाते है। माना जाता है कि नील हरित शैवाल नाम के जीवाणुओं से हरितलवकों का विकास हुआ।

1883 में, एंड्रियास फ्रांज विल्हेम शिम्पर (Andreas Franz Wilhelm Schimper ) ने हरितलवक को “क्लोरोप्लास्टिड्स” (क्लोरोप्लास्टिडन) (chloroplastids” (Chloroplastiden) का नाम दिया | 1884 में, एडुआर्ड स्ट्रासबर्गर (Eduard Strasburger ) ने इसे “क्लोरोप्लास्ट” (क्लोरोप्लास्टन) नाम दिया ।

हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) की सरंचना

हरितलवक की आन्तरिक संरचना जटिल होती है। हरितलवक दोहरे झिल्ली से घिरे होते हैं, जो लाइपोप्रोटीन की बनी होती है। प्रत्येक झिल्ली की मोटाई 50A° होती है। इनकी चौड़ाई 10A° से 30A° तक हो सकती है। इसके अन्दर की ओर एक तरल पारदर्शी दानेदार पदार्थ होता है, जिसे स्ट्रोमा कहा जाता है। इस स्ट्रोमा में अनेक एन्जाइम, राइबोसोम आदि पदार्थ पाए जाते हैं।

माइटोकॉण्ड्रिया की तरह लवक में अपना DNA और राइबोसोम होते हैं।

शैवालों में यह सर्पिलाकार, फीतासदृश, प्यालेनुमा, ताराकार, मेखला या पट्टिकावत या बिम्ब सदृश होते हैं। उच्च विकसित पौधों में ये गोलाकार, अण्डाकार लम्बे या बिम्बाकार होते हैं। ये 2μ से 8μ तक या कभी-कभी 100μ तक लम्बे तथा 3μ से 6μ तक व्यास वाले (मोटे) होते हैं।

वस्तुतः इसमें बाहरी झिल्ली सपाट परन्तु भीतरी झिल्ली गोल पटलिका होती है, जिसे थायलेकॉइड कहते हैं। अनेक स्थानों पर यह थायलेकॉइड एक के ऊपर लगी होती है, जो ग्रेनम कहलाती है। ग्रेनाओं को जोड़ने वाली पटलिकाएँ स्ट्रोमा पटलिकाएँ कहलाती हैं।

प्रत्येक थाइलेकयिड दो इकाई कलाओं की बनी होती है। इसके दोनों बाहरी स्तर प्रोटीन के अणुओं के बने होते हैं। इनके मध्य में पर्णहरित (chlorophyll) तथा फॉस्फोलिपिड के स्तर होते हैं। पर्णहरित के प्रत्येक अणु में एक शीर्ष तथा एक पूँछ होती है।

थाइलेकॉयड की कला पर छोटे-छोटे दाने उपस्थित होते हैं, जिन्हें क्वान्टासोम (quantasome) कहते हैं। ये प्रकाश अभिक्रिया की सबसे छोटी और आधारभूत इकाई हैं। प्रत्येक क्वान्टासोम में लगभग 200 अणु पर्णहरिम होते हैं।

हरितलवक में प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाशिक अभिक्रिया ग्रेना में, जबकि प्रकाशहीन अभिक्रिया स्ट्रोमा में होती है।

हरितलवकों में पर्णहरिम के साथ-साथ सामान्यतया पर्णपीतक (कैरोटिन -carotene) व पर्णपीत (जैन्थोफिल-xanthophyll) वर्णक भी पाये जाते हैं। हरितलवक में प्रकाश-संश्लेषण सम्बन्धी एन्जाइम, सहएन्जाइएम विटामिन E व K तथा सूक्ष्म मात्रा में Mg, Fe, Cu, Mn व Zn भी यौगिकों के रूप में मिलते हैं।

हरितलवक का रासायनिक विश्लेषण

हरितलवक के रासायनिक विश्लेषण में पाया गया है कि इसके शुष्क भार में 30-35% प्रोटीन होता है, जिसमें 80% अघुलनशील प्रोटीन होता है। लिपिड्स में वसा 50% स्टीरॉल 20%, मोम 16% तथा फॉस्फेट 2.7% तक होते हैं। दो प्रकार के पर्णहरिम-a (पीला) 75% एवं पर्णहरिम-b (हरा-कला) 25% होता है। जैन्थोफिल 75% व कैरीटीन 25% होता है। हरितलवक में RNA 3-4% तक तथा DNA 0.02-0.1% तक होता है।

हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) की विशेषताएं

हरित लवक केवल पादप कोशिकाओं में और शैवालीय कोशिकाओं में पाए जाते है।

हरित लवक जन्तुओं में अनुपस्थित होते हैं।

पत्तियों में इनकी मात्रा सबसे अधिक होती है विभिन्न जाति के पौधों में इनका आकार अलगअलग होता है।

हरे रंग के पदार्थ हरितलवक के कारण इसका रंग हरा होता है।

हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) को पादप कोशिका की रसोईघर क्यों कहा जाता है ?

हरितलवक कोशिका का वह कोशिकांग है जहां प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता है और भोजन बनाता है। इसलिए हरितलवक को पादप कोशिका की रसोई कहते हैं।

हरित लवक के प्रमुख कार्य

हरित लवक प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेटस का निर्माण करते हैं। इनमें ग्लूकोज से मण्ड, प्रोटीन, वसाएँ, विटामिन हार्मोन्स आदि का निर्माण भी होता है।

जल का आयनीकरण एवं CO2 अपचयन के लिए NADPH + H+ की उपलब्धि कराना हरितलवक का ही कार्य है।

जल के आयनीकरण से प्राप्त ऑक्सीजन को प्रत्येक जीवधारी के लिए श्वसन हेतु उपलब्ध कराना भी हरित लवक का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य है।

प्रकाश संश्लेषण की प्रकाश अभिक्रिया फॉस्फोरिलेशन व हिल अभिक्रिया क्वान्टासोमों में होती है। हाइड्रोजन का स्थानान्तरण स्ट्रोमा में होता है।

हरित लवक प्रकाश ऊर्जा को फोटॉन (photon) के रूप में अवशोषित करता है और एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine triphosphate – ATP (एटीपी) बनते हैं। एटीपी को क्लोरोप्लास्ट के थायलाकोइड झिल्ली में संश्लेषित किया जाता है।

हरित लवक को हिंदी में क्या कहते हैं?

हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट – Chloroplast) क्या होते है ? जिस लवक में पर्णहरित ( क्लोरोफिल ) वर्णक होता है, उसे हरित लवक ( क्लोरोप्लास्ट ) कहते है। इनके कारण पत्तियों का रंग हरा होता है जिससे पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते है। हरितलवक दोहरी झिल्ली से परिबद्ध कोशिकांग है।

हरित लवक को इंग्लिश में क्या कहा जाता है?

हरित लवक (Chloroplast) क्‍या है ? .

हरित लवक कितने प्रकार के होते हैं?

लवक तीन प्रकार के अर्थात् हरितलवक (Chloroplast) , अवर्णी लवक ((Leucoplast) तथा वर्णी लवक (Chromoplasts) होते हैंहरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) नामक हरे रंग के लवक में जीव जगत की सबसे महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक क्रिया प्रकाश-संश्लेषण होती है।

क्लोरोफिल का दूसरा नाम क्या है?

पर्णहरित, हरितलवक, (chlorophyll) पर्ण हरिम या क्लोरोफिल एक प्रोटीनयुक्त जटिल रासायनिक यौगिक है। यह वर्णक पत्तों के हरे रंग का कारण है। यह प्रकाश-संश्लेषण का मुख्य वर्णक है। इसे फोटोसिन्थेटिक पिगमेंट भी कहते हैं।

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