हरित क्रांति क्या थी हरित क्रांति के दो सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम का उल्लेख कीजिए? - harit kraanti kya thee harit kraanti ke do sakaaraatmak aur nakaaraatmak parinaam ka ullekh keejie?

सरकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कृषि को एक नई रणनीति अपनाई। नई रणनीति के अंतर्गत सरकार ने उन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दिया जो पहले से कृषि योग्य थे, सिंचाई की सुविधाएँ थीं, जहाँ खेती पहले से ही उपज देती थी। वहाँ संसाधन दिए गए और खेती की उपज में वृद्धि करने वाले संसाधन जैसे की अच्छे बीज, रसायनिक खाद, (फर्टिलाइजर), कोटनाशक आदि वस्तुओं को रियायती दरों पर उपलब्ध कराया गया। टैक्टर आदि खरीदने के लिए रियायती दरों पर ऋण की व्यवस्था की गई। सिंचाई की सुविधाओं में बढ़ोतरी के कदम उठाए गए, किसानों को ही नहीं बल्कि बड़े किसानों तथा भूपतियों को भी दी गई।इतना ही नहीं सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाए जाने का भी आश्वासन दिया और खाद्यान्नों के निम्नतम मूल्य निर्धारित किए। किसनों को निम्नतम मूल्यों के बाद बोनस दिए जाने की निति अपनाई गई और उपज का विशेषकर गेहूं और चावल की सरकारी खरीद (अथवा सरकार द्वारा खरीद किए जाने और उन्हें सरकारी गोदामों में स्टोर किए जाने) का कदम भी उठाया। इन बातों ने छोटे - बड़े सभी किसानों को अधिक उपज उगाने और अनाज की मात्रा में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया। इसी को 'हरित क्रांति' नाम दिया गया। हरित क्रांति के सकारात्मक परिणाम - इन प्रयासों के अच्छे परिणाम निकले और देश में अनाज की फसल में इतनी बढ़ोतरी हुई की 1970 के दशक को हरितक्रांति का दशक बताया जाता है क्योंकि चारो तरफ लहलहाती फसल के कारण हरियाली ही हरियाली दिखाई देती थी। हरितक्रांति से अधिक कतर गेहूँ और चावल की फसल में वृद्धि हुई। देश को खाद्यानं के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई। हरित क्रांति के बहुत से अच्छे परिणाम निकले जो स्वाभाविक भी थे।

  1. भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्म निर्भरता प्राप्त हुई और अब वह इनका आयात करने की अपेक्षा निर्यात करने की स्थिति में आ गया।
  2. ग्रामीण जीवन में खुशहाली आई और ग्रामीण लोगों को प्रति व्यक्ति में वृद्धि हुई।
  3. खाधान्नों के आयात से जो विदेशों पूंजी खर्च आती थी और देश पर विदेशी दबाव पड़ता था उसमे बहुत कमी आई।
  4. खाद्यान्नों के आयात के स्थान पर भारत को औधोगिकरण के लिए विदेशी प्रोधोगिक तथा मशीनरी को प्राप्त करने में कम कठिनाई आई जिसने औधोगिकरण की प्रक्रिया को तेज किया।
  5. भारत के कुछ राज्य या क्षेत्र कृषि उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हुए जैसे की पंजाब, हरियाणा,पशिचमी उत्तरप्रदेश और इसके कारण वँहा के किसान आर्थिक दृष्टी से समृद्ध हुए।
  6. किसान वर्ग की राजनितिक व्यवस्था में स्थिति मजदूर हुई और उसकी राजनितिक शक्ति में भागीदारी बढ़ी।
  • परन्तु हरित क्रांति के कुछ नकारात्मक प्रभाव या बुरे परिणाम भी निकले। हरित क्रांति के नकारात्मक परिणाम -
  1. हरित क्रांति से धनी किसान और धनी हुए तथा मध्यम वर्गीय किसानों को भी लाभ हुआ और उनकी आर्थिक दशा में वृद्धि हुई। परन्तु आम किसान और कृषि मजदूरों को इसका विशेष लाभ नहीं हुआ।

  2. हरित क्रांति ने ग्रामीण क्षेत्र में आमिर - गरीब के बीच को खाई को चौड़ा किया।

  3. उसने क्षेत्रीय असंतुलन में वृद्धि की क्योकि कुछ राज्य अन्य राज्यों तथा क्षेत्रों के मुकाबले अधिक आमिर और समृद्ध हो गए।

  4. हरित क्रांति ने कई क्षेत्रों में वामपंथी दलों की गतिविधियों को तेज करने में भूमिका निभाई क्योकिं उन्हें गरीब किसानों तथा खेतिहर मजदूरों को भूस्वामियों के विरुद्ध भड़काने और उन्हें लामबंद करने का अवसर मिला। खेती की दृष्टी से पिछड़े प्रदेशों में नक्सलवादी गतिविधियों तेज हुई। 

हरित क्रान्ति क्या थी इसके दो सकारात्मक तथा दो नकारात्मक परिणामों का उल्लेख कीजिए?

हरित क्रांति के दो सकरात्मक परिणाम: हरित क्रांति से खेतिहर पैदावार में सामान्य किस्म का इजाफा हुआ (ज्यादातर गेहूँ की पैदावार बड़ी) और देश में खाद्यान्न की उपलब्धता में बढ़ोतरी हुई। (ii) इससे समाज के विभिन्न वर्गो और देशों के अलग- अलग इलाकों के बिच धुर्वीकरण तेज़ गति से हुआ।

हरित क्रांति क्या है इसके सकारात्मक परिणाम लिखिए?

हरितक्रांति से अधिक कतर गेहूँ और चावल की फसल में वृद्धि हुई। देश को खाद्यानं के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई। हरित क्रांति के बहुत से अच्छे परिणाम निकले जो स्वाभाविक भी थे। भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्म निर्भरता प्राप्त हुई और अब वह इनका आयात करने की अपेक्षा निर्यात करने की स्थिति में आ गया।

हरित क्रांति के परिणाम क्या है?

हरित क्रांति ने स्वतंत्रता के बाद ज़मींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार जैसे कदमों के चलते भारत में समतामूलक समाज के निर्माण को गति प्रदान की। इससे छोटे व मध्यम स्तर के किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और इससे उनमें शिक्षा तथा राजनैतिक चेतना का विकास हुआ।

हरित क्रांति क्या थी समझाइए?

हरित क्रांति सन् १९४०-६० के मध्य कृषि क्षेत्र में हुए शोध विकास, तकनीकि परिवर्तन एवं अन्य कदमों की श्रृंखला को संदर्भित करता है जिसके परिणाम स्वरूप पूरे विश्व में कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।

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